इंदोर विधानसभा क्रमांक – 3 के युवा और खूबसूरत विधायक आकाश विजयवर्गीय अब 11 जुलाई तक न्यायिक हिरासत यानि जेल में रहेंगे जिन्होने 26 जून को इंदोर नगर निगम के अमले के साथ गुंडागर्दी वह भी खुलेआम करते एक अधिकारी धीरेंद्र बायस की कुटाई क्रिकेट के बल्ले से कर दी थी.इस पर विधायक के खिलाफ इंदोर के एमजी रोड थाने में शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने , मारपीट और बलबा करने की रिपोर्ट आईपीसी की धाराओं 353 , 294 , 506 , 147 और 148 के तहत दर्ज कर उन्हें अदालत में पेश किया गया था.
अदालत ने सुनवाई के बाद इस टिप्पणी के साथ आकाश की जमानत याचिका खारिज कर दी कि विधायक से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं की जा सकती उन पर कानून निर्माण की ज़िम्मेदारी है. अगर वही कानून तोड़ेंगे तो आम लोगों पर उल्टा असर होगा. आरोपी बाहर रहा तो गवाहों को डरा धमका सकता है. सरकारी कर्मचारी अपना काम ईमानदारी से करते हैं. आरोपी को जमानत मिलने से सरकारी कर्मचारी भयभीत होंगे.
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यह था मामला – अव्वल तो अदालत की टिप्पणी ही बताती है कि मामला वाकई जरूरत से ज्यादा गंभीर था जिसमें जनता की निगाह में हीरो बनने इस विधायक ने जो किया वह निहायत ही शर्मनाक और हिंसक था. 26 जून को इंदोर नगर निगम का अमला गंजी कंपाउंड क्षेत्र में पुराने जर्जर मकान ज़मींदोज़ करने गया था जिनके गिरने की आशंका थी. अमला इमारतें तोड़ने की करररवाई कर पाता इसके पहले ही विधायक महोदय अपनी टीम सहित पहुँच गए और उसे इमारत तोड़ने से रोका. नगरनिगम कर्मियों ने उनकी बात न मानने की गुस्ताखी की तो नजारा देखने काबिल था.
आकाश ने क्रिकेट के बल्ले से कर्मचारियों की धुनाई शुरू कर दी और तरह तरह की धमकियाँ भी दीं. बस फिर क्या था देखते ही देखते खासतौर से धीरेंद्र बायस क्रिकेट की गेंद बन गए और आकाश विराट कोहली की तरह शाट पर शाट मारने लगा और उसके समर्थक उसका हौसला बढ़ाते रहे. खबर मिलने पर पुलिस आई तो भी इस विधायक के कान पर जूं नहीं रेंगी और वह पुलिस बालों से भी उलझा. यह होनहार और जोशीला विधायक गुस्से में भूल गया था कि इन दिनों राज्य में सरकार भाजपा की नहीं बल्कि कांग्रेस की है लिहाजा न तो नगरनिगम के मुलाजिम उसकी बात को ही कानून या पहले की तरह ईश्वरीय आदेश मानते चुपचाप वापस चले जाएँगे और न ही पुलिस बाले सेल्यूट ठोकेंगे.
जब तक अपनी हैसियत और हकीकत का एहसास आकाश को हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी लेकिन इसके बाद भी भाजपाई हँगामा मचाते रहे. उन्होने थाने के बाहर भी इस रॉबिन हुड के समर्थन में नारे लगाए और अदालत परिसर में भी हल्ला मचाते रहे.
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बचकाने बयान पिता पुत्र के – आकाश की अपनी कोई पहचान नहीं है बल्कि अपने पिता कैलाश विजयवर्गीय की वजह से वह जाना जाता है जिनकी पहुँच के चलते ही उसे विधानसभा का टिकिट मिला था और पिता के प्रभाव के चलते ही वह जीत गया था. कैलाश विजयवर्गीय का रसूख और दबदबा कभी किसी सबूत का मोहताज नहीं रहा जो इन दिनो भाजपा के महामंत्री हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी खासमखास हैं. हालिया लोकसभा में उनके पास पश्चिम बंगाल का प्रभार था वहाँ भाजपा ने 18 सीटें जीतीं थीं तो इसका श्रेय कैलाश को ही दिया गया था जिन्होने इस राज्य का माहौल पूरी तरह हिंदूमय बना दिया था.
इस चुनाव के बाद इंदोर में पोस्टर लगे थे जिनमे कैलाश विजयवर्गीय को शेर बताया गया था. जब इस शेर के शावक की करतूत का वीडियो वायरल हुआ तो हर किसी ने इस पर चिंता जताई. लेकिन हैरानी उस वक्त हुई जब पुत्र मोह में धृतराष्ट्र की तरह अंधे हो चले कैलाश विजयवर्गीय ने एक न्यूज़ चेनल के पत्रकार को यह कहते हड़काया कि तुम्हारी औकात क्या है. बाद में एक और बयान में उन्होने कहा कि हालात ऐसे बन गए होंगे तभी आकाश ने ऐसा किया नहीं तो आमतौर पर वह शांत प्रवर्ति बाला लड़का है.
लेकिन बेटे के व्यवहार और स्वभाव के बखान से बात नहीं बनना थी तो नहीं बनी. एक तरह से कैलाश विजयवर्गीय अपने विधायक बेटे की गुंडागर्दी की वकालत और हिमायत करते ही नजर आए यह जरूर चिंता की बात है कि पुत्रों की ऐसी हरकतों पर पिता उन्हें बजाय सीख देने के प्रोत्साहित करे. आकाश के बयान तो पिता से भी ज्यादा बचकाने और बेबकूफी भरे थे कि चूंकि नगरनिगम के कर्मचारी महिलाओं से बदसलूकी कर रहे थे इसलिए उसका खून खौल उठा और गुस्से में उसने ऐसा कर डाला. इस बयान को रेस्पान्स नहीं मिला तो उसने पीडब्लूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा पर आरोप लगा डाला कि वे इस मकान पर कब्जा करना चाहते थे इसलिए उसे जबरन तुड्बा रहे थे.
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बात आईने की तरह साफ है कि भाजपाई गुंडागर्दी की यह नायाब उजागर मिसाल है जिस पर सोचना नरेंद्र मोदी और अमित शाह को चाहिए कि न्यू इंडिया के बाबत उनके ओल्ड नेता पुत्र कानून अपने हाथ में लेने लगे हैं और कुछ समर्थकों की भीड़ से हल्ला मचाकर मनमानी पर उतारू होने लगे हैं जिससे पार्टी की साख पर बट्टा लग रहा है. बड़े बापों के बिगड़ैल बेटे बेलगाम होकर कानून व्यवस्था और लोकतन्त्र के लिए गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं इन्हें वक्त रहते नहीं रोका गया तो वक्त पार्टी के हाथ से फिसल जाएगा.