ऐसी सहेलियों से बच कर रहें

 लेखक-  धीरज कुमार

सलोनी कालेज में पढ़ती थी. वह पढ़नेलिखने में साधारण थी. कालेज में उस की कई सहेलियां बन चुकी थीं. कालेज कैंपस में भी वह अपनी सहेलियों से घिरी रहती थी.

कालेज आतेजाते 1-2 लड़कों से भी सलोनी की दोस्ती हो गई थी. समय मिलने पर वह उन लड़कों से भी बातें करती थी. उन के साथ पार्क और होटलों में घूमती थी. उस की सहेलियां यह सब देख कर जलनेभुनने लगी थीं.

सलोनी अपनी सहेलियों को सफाई दे चुकी थी कि उन लड़कों से सिर्फ दोस्ती है. उस की सहेलियां दिखावे के लिए मान गई थीं, लेकिन पीठ पीछे तरहतरह की बातें करती रहती थीं. धीरेधीरे सलोनी की सहेलियों से ये बातें उस के घर तक भी पहुंच गई थीं.

अभी जमाना इतना नहीं बदला था, इसलिए सलोनी के घर वालों ने भी उसे लड़कों से बातें करने से मना किया. जब वह नहीं मानी तो उस के कालेज जाने पर रोक लगा दी गई.

इस तरह सलोनी की पढ़ाई बीच में ही छूट गई. इसलिए वह इस तरह की बातों से काफी आहत हो गई थी. अब वह सोच रही थी कि काश, मैं इन लड़कियों से शुरू से ही दूरी बना कर रखती, तो यहां तक नौबत नहीं आती.

वहीं दूसरी तरफ रंजना कालेज में पढ़ती थी. उस के क्लास की कुछ लड़कियां उसे घमंडी कहती थीं. यही वजह थी कि उस की किसी लड़की से नहीं पटती थी. वह लड़कियों के साथ दोस्ती से बिदकती थी. वह रोज अकेले ही कालेज जाती थी. लेकिन उस के लड़के दोस्तों की तादाद बढ़ती ही जा रही थी. उस के लड़के दोस्त मौल घुमाते थे, होटल में खिलाते थे. कुछ दोस्त उस के मोबाइल में पैसे भी डलवा देते थे. कुछ दोस्त समयसमय पर गिफ्ट दिया करते थे. कुछ लड़के बाइक से उसे कालेज भी छोड़ देते थे.

इसीलिए वह कालेज जाती तो लेक्चर के बाद कालेज कैंपस में रुकती भी नहीं थी. अपने दोस्तों को अलगअलग जगहों पर मिलने के लिए समय दे रखती थी. उस के मोबाइल कान पर ही लगे रहते थे. जब मोबाइल पर बातें करती, कोई दोस्त पूछता, तुम कहां हो?

किसी भी दोस्त को सही पताठिकाना नहीं बताती. वह अगर होटल में होती, तो किसी सहेली के घर बताती. वह अपने यारदोस्तों के साथ होती, तो अपने रिश्तेदार के घर बताती.

रंजना को लड़कों को बेवकूफ बनाने में मजा आता था. वह खुद को काफी होशियार समझती थी. कुछ लड़कों से जिस्मानी संबंध भी बना चुकी थी. लेकिन पेट से न हो जाए, इस के लिए काफी सावधान रहती थी.

रंजना अपने महल्ले और घर के लोगों के बीच सीधीसादी बनी रहती थी. बाहर भले ही गुलछर्रे उड़ाती, मगर घर में अलग इमेज बना कर रखती थी.

उस का मानना है, जिंदगी के मजे लेने हैं तो दुनिया से असली रूप छुपा कर रखना जरूरी है, वरना लोगों की नजरें लगते देर नहीं लगती है.

रंजना का असली मकसद पढ़ाई करना नहीं, बल्कि जिंदगी के मजे लेना था, इसीलिए पढ़ाई कम करती थी. लेकिन जीवन का भरपूर आनंद उठा रही थी.

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सलोनी जैसी लड़कियां पढ़ाई के साथसाथ लड़कों से भी मेलजोल रखना चाहती हैं, लेकिन वे भूल जाती हैं कि आजकल की लड़कियों को खुद अगर जो चीजें नहीं मिलती हैं, तो दूसरों को देख कर वे जलनेभुनने लगती हैं, क्योंकि कुछ लड़कियों में जलन की आदत जन्मजात होती है. इस से वे पीठ पीछे तरहतरह की अफवाह फैलाने लगती हैं. उन अफवाहों से खुद का नुकसान तो नहीं होता है, लेकिन जिस के बारे में फैलाया जाता है, उस का नुकसान जरूर हो जाता है.

कोई भी मातापिता ऐसी बातों से परेशान हो जाते हैं, इसीलिए कुछ लोग आननफानन ही लड़की की पढ़ाई बंद करवा देते हैं. कुछ मातापिता अपनी लड़की को जल्दीजल्दी शादी तक करवा देते हैं.

आज कोई भी लड़कालड़कियों के साथ घूमताफिरता है, तो मातापिता को कोई परेशानी नहीं होती है. कभीकभी तो कुछ मातापिता गर्व का अनुभव भी करते हैं, लेकिन यही बात लड़की पर लागू नहीं होती है. लड़की के लिए आज भी समाज दोयम दर्जे की सोच रखता है. यही काम जब लड़की करती है, तो समाज तरहतरह की अफवाहें फैलाने लगता है. लड़की को चरित्रहीन तक कहा जाने लगता है.

लड़कियों के किरदार के बारे में झूठी बातें फैलाने में लड़कियां ही आगे रहती हैं, जबकि लड़के ऐसा कम ही कर पाते हैं, इसलिए लड़कियां सहेलियों से परहेज रखना उचित समझती हैं.

सहमति से सैक्स संबंध बनाने वाली लड़कियां सहेलियों से दूर रहने में ही अपनी भलाई सम?ाती हैं. कई बार सहेलियों के चलते उन्हें लेने के देने पड़ जाते हैं. कभीकभी उन की सहेलियां उन्हीं लड़कों पर डोरे डालने लगती हैं, जिन से इन का इश्क चल रहा होता है. ऐसे हालात में बौयफ्रैंड छिन जाने का भी डर बना रहता है.

कल तक लड़केलड़कियों के बीच जिस्मानी संबंध बनाना नैतिकता से जोड़ कर देखा जाता था, लेकिन आज नैतिकता की बातें पुरानी हो गई हैं. अब जीवन का उद्देश्य सिर्फ जिंदगी के मजे लेना रह गया है. अब लोग सम?ाने लगे हैं कि ये सब बातें दकियानूसी हैं, इसलिए विवाह के पहले जिस्मानी संबंध बनाना व अपनी मरजी से शादी के बाद दूसरों से संबंध रखना किसी अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जाता है, बल्कि अब यह सब आधुनिक युग की मांग बताई जाती है. लोग भागदौड़ की जिंदगी में हर कोई खुशियां तलाशने की कोशिश कर रहा है. उसी कोशिश का नतीजा है यह.

ऐसे ही एक लड़की थी नव्या. वह अपनी सहेली किरण के बौयफ्रैंड पर डोरे डाल रही थी. जब उस की सहेली को यह बात पता चली, तो वह सड़क पर ही ? झगड़ा करने लगी थी. वहां काफी भीड़ जमा हो गई. दोनों के झगड़े से लोगों को यह सम?ाते देर नहीं लगी कि यह लड़ाई एक ही बौयफ्रैंड को ले कर हो रही है. दोनों ‘तूतूमैंमैं’ करतेकरते हाथापाई पर आ गई थी, जिसे बीचबचाव करने के लिए कुछ लोगों को आना पड़ा था. दोनों एकदूसरे को खूब गंदीगंदी गालियां दे रही थीं. काफी समझाने के बाद दोनों अलग हुई थीं.

चांदनी एक बच्चे की मां थी. अपने महल्ले में ही एक आदमी से उस का इश्क चल रहा था. चांदनी अपने घर में सलीके से रहती थी. उस का पति उसे बहुत प्यार करता था. वह पति की हर बात मानती थी. लेकिन इश्क के मामले में उसे अपनेआप पर कंट्रोल नहीं था, इसलिए वह बहक जाती थी. वह अपने महल्ले में किसी भी औरत के पास नहीं बैठती थी. अपने काम से मतलब रखती थी.

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चांदनी का कहना है, ‘‘मैं कम से कम औरतों से मेलजोल रखती हूं. जितनी ज्यादा औरतों से संपर्क होगा, वे मेरे बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहेंगी. औरतों को कुछ बातें हजम नहीं होतीं. कभी गुप्त बातें निकल गईं, तो सार्वजनिक होते देर नहीं लगती है. फिर यही औरतें खापी कर रायता इधरउधर फैलाती रहेंगी. कभीकभी तो ये औरतें आपस में ? गड़ाफसाद भी करा देती हैं, इसलिए इन से दूर रहना ठीक रहता है. मैं अपने काम में बिजी रहती हूं.’’

साफ है कि ऐसी लड़कियों और औरतों से दूरी बना कर रखना ही फायदेमंद है, ताकि बेवजह के लफड़े से बचा जा सके. कभीकभी सहेलियों के चलते निजी जिंदगी में भी रुकावट आने लगाती है. कुछ लड़कियों और औरतों को दूसरों की जिंदगी में दखलअंदाजी करना ज्यादा ही रास आता है. वे अपनी तकलीफों से कम परेशान रहती हैं, बल्कि दूसरों की खुशियों से ज्यादा दुखी रहती हैं.

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