Health News In Hindi: गले में खराश, बदनदर्द और बुखार? हो जाइए सतर्क!

Health News In Hindi: इन दिनों मौसम में काफी बदलाव हो रहा है. कभी वर्षा होने लगती है, तो कभी अचानक तापमान में वृद्धि हो जाती है. इस के कारण फ्लू यानी इंफ्लूएंजा के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है. ज्यादातर लोगों को गले में खराश की शिकायत के साथसाथ नाक से लगातार पानी बहने की शिकायत देखी गई है. इस के साथसाथ बुखार भी चढ़ जाता है, जिस से लोगों के फेफड़े भी प्रभावित हो रहे हैं.

यह बीमारी ऐसी है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है. कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को यह जल्दी संक्रमित करती है. इस से बचने के लिए सितंबर और अक्तूबर में वैक्सीन लगवानी चाहिए. साल में एक बार वैक्सीन लगवाने से एंटीबौडी विकसित हो जाती है और हम खुद को फ्लू के संक्रमण से सुरक्षित रख सकते हैं.

इन दिनों सांस के मरीजों की संख्या बढ़ी है, तापमान में बदलाव हो रहा है. अक्तूबर से जनवरी तक इंफ्लूएंजा परेशान करता है. सर्दीखांसी, जुकाम, पेटदर्द जैसे मामले बढ़ जाते हैं. सांस संबंधी संक्रमण का खतरा भी ज्यादा होता है. मौसम में बदलाव के वक्त बुखार आना सामान्य है. बचाव के लिए मास्क का उपयोग करें और संक्रमण वाले इनसान से दूरी बना कर रखें.

वायरल बुखार की अवधि 3 से 4 दिन होती है. शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के हिसाब से दिन घटबढ़ सकते हैं. डेंगू बुखार 10 दिनों तक परेशान करता है. कभीकभी दोबारा संक्रमण होने पर वायरल बुखार आ जाता है.

लाइफस्टाइल गड़बड़ होने से पाचनतंत्र पर असर पड़ता है, इसलिए बाहर का भोजन करना, तलाभुना, ज्यादा खाना पेट दर्द का कारण हो सकता है. देर रात तक जागना भी एक बड़ी वजह है. लोग नींद पूरी नहीं ले रहे हैं. एक जगह पर देर तक बैठ कर काम करना भी इस की वजह बन सकता है.

कुछ लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है और सीटी जैसी आवाज आती है. इस का सीधा सा मतलब है कि सांस के रास्ते में कोई रुकावट है. अगर सांस छोड़ते वक्त सीटी जैसी आवाज आ रही है, तो दमा या फेफड़ों की समस्या भी हो सकती है.

अगर सांस अंदर लेते समय सीटी जैसी आवाज है तो गले की नली में रुकावट है या खराश हो सकती है. दोनों ही हालात में माहिर डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए. जरूरत होने पर जांच करवानी चाहिए. अनदेखी करने पर दूसरी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं.

कैसे बचें इंफ्लूएंजा से

एलर्जी की समस्या है, तो एलसेट डीसी की गोली दिन में एक बार ले सकते हैं.

एलसेट डीसी और मोटियार 10 दवा ले सकते हैं. अगर आप को 3-4 दिन से गले में दर्द की समस्या है और नाक से पानी आ रहा है और 1-2 दिन से लगातार तेज बुखार, गले में खराश और बदनदर्द हो रहा है, तो यह इंफ्लूएंजा का इंफैक्शन हो सकता है. ऐसी दशा में आजीवक 500 एमजी की गोली ले कर आराम करें.

अगर आप का पेशाब गहरे पीले रंग का आ रहा है और आप को कोई शक है, तो आप किसी डाक्टर से मिल कर पेशाब का टैस्ट कराएं. उस के आधार पर ही डाक्टर इलाज कर सकेगा.

2-3 दिन से वायरल बुखार है और खाना अच्छा नहीं लग रहा है, तो ऐसी दशा में भाप ले सकते हैं. दिन में 2-3 बार एलसेट डीपी की 1-1 गोली सुबहशाम ले सकते हैं.

कोशिश करें कि फल और हरी सब्जियों का सेवन करें. फलों का जूस पिएं, जिस से आप की इम्यूनिटी बढ़ सके.

एक से दूसरे को इंफैक्शन न हो, इस के लिए मास्क का इस्तेमाल करें. घर में आने के बाद या कुछ भी खाने से पहले अपने हाथों को साबुन से जरूर साफ करें. कोशिश करें कि किसी भी अच्छे डाक्टर को दिखा कर दवा का सेवन करें. अपने मन से दवा का सेवन न करें. Health News In Hindi

सोरायसिस से रहें सावधान

कई बार आप ने देखा होगा कि कुछ लोगों की कुहनी, घुटने या सिर के पीछे लाल चकत्ते पड़ जाते हैं. ये चकत्ते थोड़े उभरे होते हैं. इस जगह की चमड़ी मोटी और खुरदुरी दिखती है. सामान्य रूप से ये सोरायसिस नामक बीमारी के लक्षण होते हैं.

सोरायसिस चमड़ी से जुड़ी एक बीमारी है. इस में खुजली होने के साथसाथ, पपड़ीदार चमड़ी के अलावा चकत्ते दिखाई देते हैं. आमतौर पर ये चकत्ते घुटने, कुहनी, धड़ और सिर पर सब से ज्यादा होते हैं. जिन लोगों को डायबिटीज, दिल की बीमारी, मोटापा और डिप्रैशन है, उन्हें सोरायसिस होने का खतरा ज्यादा होता है.

इम्यूनिटी सिस्टम और आनुवंशिक वजह से यह बीमारी किसी को भी हो सकती है. इस का असर शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है, इसलिए इस के लक्षणों पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है.

होता यह है कि शरीर में खुजली और चमड़ी पर चकत्ते देख कर लोग इन को नजरअंदाज कर देते हैं. यह गलती न करें. सावधान हो जाएं और तुरंत डाक्टर के पास जाएं, क्योंकि ये ही सोरायसिस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं.

अगर घर में किसी को सोरायसिस की शिकायत रह चुकी है तो खास सावधानी बरतने की जरूरत है. स्किन पर अगर खुरदुरापन है, चमड़ी मोटी लगे या उस पर चकत्ते हों, तो माहिर डाक्टर से जांच करा लेनी चाहिए. इस बीमारी का सब से ज्यादा असर कुहनी के बाहरी हिस्से और घुटने पर देखने को मिलता है.

लखनऊ की स्किन स्पैशलिस्ट डाक्टर प्रियंका सिंह बताती हैं, “सोरायसिस को संक्रामक बीमारी नहीं माना जाता है. यह बीमारी स्विमिंग पूल में नहाने, किसी सोरायसिस पीड़ित के साथ संपर्क में आने और किसी सोरायसिस पीड़ित के साथ शारीरिक संबंध बनाने से नहीं फैलती है, इसलिए ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है.”

सोरायसिस के प्रकार

सोरायसिस बीमारी के कई प्रकार हैं. प्लाक सोरायसिस सब से आम है. सोरायसिस से पीड़ित लोगों में से तकरीबन 80 फीसदी से 90 फीसदी को प्लाक सोरायसिस होता है. उलटा सोरायसिस में चमड़ी पर सिलवटें दिखाई देती हैं. यह छोटे, लाल, बूंद के आकार के पपड़ीदार धब्बों जैसा दिखता है. यह अकसर बच्चों और नौजवानों में होता है. कुछ में टुकड़े के ऊपर छोटे, मवाद से भरे थक्के होते हैं. कई बार सोरोयसिस चमड़ी के झड़ने की वजह बनता है.

सोरायसिस में चेहरे और खोपड़ी पर एक चिकने, पीले रंग के धब्बे के साथ जगह दिखाई देती है. यह हाथ के नाखूनों के अंदर गड्ढे और पैर की उंगलियों में भी होता है.

सोरायसिस के चलते चमड़ी में खुजली, चमड़ी का फटना, सूखी चमड़ी, चमड़ी में दर्द, नाखून का उखड़ना, फटना और जोड़ों का दर्द भी होता है. अगर इस के साथसाथ दर्द, सूजन और बुखार लगे तो यह संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं. ऐसे में डाक्टर के पास जाना चाहिए.

सोरायसिस का इलाज

इस बीमारी का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन कई ऐसे उपचार जरूर हैं, जो इस के लक्षणों और चमड़ी के चकत्तों को कम कर सकते हैं. इस के इलाज के लिए डाक्टर से बात करने की जरूरत होती है.

सोरायसिस से बचाव के लिए शरीर को साफसुथरा रखें और खुद का ध्यान रखे. सेहत से भरपूर भोजन और दिनचर्या, तनाव से दूर रह कर इस बीमारी से बचा जा सकता है.

धूम्रपान और का सेवन न केवल सोरायसिस का खतरा बढ़ाता है, बल्कि बीमारी को भी खतरनाक बनाता है. सोरायसिस का इलाज करने के लिए स्टेरौयड, क्रीम, रूखी चमड़ी के लिए मौइस्चराइजर या एंटीसैप्टिक क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं.

मैडिकेटेड लोशन या शैंपू, विटामिन डी 3, विटामिन ए या रैटिनोइड क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं. चमड़ी पर छोटे दाने ठीक करने के लिए क्रीम या मलहम का इस्तेमाल कर सकते हैं. पर साथ ही याद रखें कि बिना डाक्टरी सलाह के दवा कभी न लें.

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