रेटिंग: एक स्टार
निर्माताः साजिद नाड़ियाडवाला और फौक्स स्टार स्टूडियो
निर्देशकः फरहाद सामजी
कलाकारः अक्षय कुमार, बौबी देओल, रितेश देशमुख, कृति सैनन, कृति खरबंदा, पूजा हेगड़े, चंकी पांडे, रंजीत, नवाजुद्दीन सिद्दिकी, जौनी लीवर व अन्य.
अवधिः दो घंटे 26 मिनट
सफलतम फ्रेंचाइजी को बार बार भुनाना गलत नही है, मगर सफल फ्रेंचाइजी के नाम पर दर्शकों को मूर्ख बनाते हुए कुछ भी उल जलूल परोसना शर्मनाक है. हर फिल्म फिर चाहे वह सफल फ्रेंचाइजी ही क्यों न हो, का मकसद दर्शकों का स्वस्थ मनोरंजन करना होता है. मगर सफल फ्रेंचाइजी ‘हाउसफुल’ की नई प्रस्तुति ‘‘हाउसफल 4’’ खरी नही उतरती. इस हास्य फिल्म में वही पुरानी कहानी को अति घटिया संवादों के साथ पेश कर दिया गया है.
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कहानीः
लंदन में नाई की दुकान चला रहे हैरी (अक्षय कुमार) अपनी भूलने की आदत के चलते खतरनाक माफिया डान माइकल (मनोज पाहवा) के पांच मिलियन डौलर्स को कपड़े समझकर वाशिंग मशीन में धो देते है. बस तभी से माइकल, हैरी और उसके दोस्तों मैक्स (बौबी देओल) और रौय (रितेश देशमुख) की जान के पीछे पड़ जाते हैं. पैसों का जुगाड़ करने के लिए यह तीनों मिलकर अरबपति ठकराल (रंजीत) की तीनों खूबसूरत बेटियों कृति (कृति सेनन), नेहा (कृति खरबंदा) और पूजा (पूजा हेगड़े) से शादी करने की योजना बनाते हैं.
ठकराल के गले में एक नंगी औरत की तस्वीर है और वह हमेशा तीन अर्धनग्न लड़कियों के कंधे पर अपना हाथ रखे नजर आते हैं. खैर, ठकराल भी इस शादी के लिए रजामंद हो जाते हैं. ठकराल की यह तीनों बेटियां डिस्टीनेशन वेडिंग करना चाहती हैं. इसके लिए ग्लोबल मैप को घुमाकर जगह तय की जाती है और यह जगह आती है भारत में स्थित सितमगढ़. पता चलता है कि 1419 में सितमगढ़ रियासत थी और उसी रियासत का एक किला है, जो कि अब होटल में तब्दील हो चुका है. होटल का मैनेजर( जौनी लीवर) और बेल ब्वाय पास्ता (चंकी पांडे) है.
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शादी की रस्म के लिए जब यह सभी लंदन से भारत के सितमगढ़ पहुंचते हैं, तो हैरी को याद आता है कि वह आज से तकरीबन 600 पहले अर्थात 1419 में सितमगढ़ का राजकुमार बाला देव सिंह था. उसे यह बात उसका विश्वासपात्र नौकर पास्ता (चंकी पांडे) याद दिलाता है. फिर कहानी 600 साल पहले चली जाती है. जब हैरी उर्फ बाला के सिर पर बाल नही थे. और किस तरह शादी के दिन ही दुश्मनों की चाल के चलते वह सब मारे गए थे.
अतीत की कहानी खत्म होते ही हैरी को अहसास होता है कि इस जन्म में वह और उसके दोस्त अपने पूर्व जन्म की प्रेमिकाओं की बजाय अपनी पूर्व जन्म की भाभियों से शादी करने जा रहे हैं, तो वह अपने दोस्तों और उनकी प्रेमिकाओं को याद दिलाता है कि कैसे कृति पिछले जन्म में राजकुमारी मधु, रौय नृत्य के गुरु बांगड़ू, मैक्स राजकुमारी का अंगरक्षक धरमपुत्र थे और नेहा राजकुमारी मीना, जबकि नेहा राजकुमारी माला थी. अब सभी सितमगढ़ पहुंच गए हैं, तो बाकी किरदार भी पहुंचेंगे ही तो 600 साल पहले के गामा (राणा दुगुबत्ती) अब कव्वाल पप्पू रंगीला और राघवन (शरद केलकर) भी इस जन्म में सितमगढ़ आ पहुंचते हैं. फिर शुरू होती है पिछले जन्म की बदले की कहानी को पूरा करने का खेल पर अंततः प्रेम की ही जीत होती है.
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निर्देशनः
फिल्म का कुछ हिस्सा साजिद खान ने निर्देशित किया था, मगर ‘‘मी टू’’ में साजिद खान के फंसने के बाद असफल फिल्म ‘‘इंटरटेनमेंट’’ के निर्देशक फरहाद सामजी ने इसका निर्देशन किया. फिल्म में वही किरदारों की अदला बदली का अति पुराना फार्मुला उपयोग कर लोगों को जबरन हंसाने का प्रयास किया गया है, पर दर्शकों को हंसी बजाय रोना आता है. इसमें ‘माइंडलेस कौमेडी’ के साथ कई घटिया, अति सतही व बचकाने पंच भी डाले पिरोए गए हैं. फिल्म का क्लायमेक्स भी बचकाना है. फिल्म के संवाद तो बहुत ही ज्यादा वाहियात हैं. अफसोस की बात यह है कि इसे छह लेखकों की फौज ने मिलकर लिखा है.
‘‘माइंडलेस कौमेडी” की कल्पना की पराकास्ठा यह है कि क्लायमेक्स में अक्षय कुमार के पिछवाड़े चार चार चाकू लगे हैं, पर खून नहीं निकलता और वह आगे बढ़ते रहते हैं. मगर कुछ देर बाद वह चाकू गायब भी हो जाते हैं. इतना ही नही हर कलाकार अष्लील हाव भाव करते हुए दर्शकों को हंसाने का असफल प्रयास करते हैं.
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600 साल पुराना सितमगढ़ का किला 600 साल बाद भी उसी स्थिति में है. वाह..फिल्मकार की क्या कल्पना है. दर्शक सिनेमाघर से निकलते समय ही कहता रहता है कि ‘कहां फंसायो नाथ.’ कुछ दर्शक तो यह भी कहते सुने गए कि इस तरह की फिल्म बनाते समय निर्माता व कलाकारों का शर्म नहीं आयी.
अभिनयः
फिल्म देखकर अहसास होता है, जैसे कि हर कलाकार के बीच प्रतिस्पर्धा चल रही है कि कौन सबसे घटिया/वाहियात अभिनय कर सकते है. हीरोईनों के हिस्से करने के लिए कुछ खास रहा ही नहीं. छोटे से किरदार में नवाजुद्दीन सिद्दिकी और जौनी लीवर जरुर अपनी छाप छोड़ जाते हैं.