क्रिकेट बंद है, पर क्रिकेटर पूरी हलचल में हैं खासकर सोशल मीडिया पर. कोई विदेशी खिलाड़ी अपनी फैमिली के साथ ‘टिक-टौक’ पर हिंदी गानों पर ठुमके लगा कर वाहवाही लूट रहा है, तो कोई देशी खिलाड़ी अपनी प्रेमिका के बेबी बंप से सुर्खियां बटोर रहा है. घर में खाली बैठे हैं, तो एकदूसरे को कोई भी चैलेंज दे कर बहुत से क्रिकेट खिलाड़ी टाइमपास कर रहे हैं.
इस में कोई बुराई नहीं है, पर चूंकि दुनिया में कोरोना के साथसाथ और भी बहुतकुछ ऐसा हो रहा है, जिस ने दुनिया का तापमान बढ़ा दिया है, तो उस का असर अब क्रिकेटरों पर भी देखने को मिल रहा है.
अमेरिका में एक अश्वेत नागरिक जौर्ज फ्लायड की जिस निर्मम तरीके से पुलिस के हाथों मौत हुई थी, उस के बाद तो मानो दुनियाभर के अश्वेत लोगों के दिलों में वह दबी चिनगारी भड़क गई थी, जो काले रंग के चलते उन्हें गोरे लोगों से कमतर होने का एहसास कराती है.
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इस के बाद तो एक धमाका सा हुआ हुआ और पूरी दुनिया इस नस्लभेद की लड़ाई में अश्वेत लोगों के साथ खड़ी नजर आई. नतीजतन, कहीं पुलिस ने उन से सार्वजिक तौर पर माफी मांगी, तो कहीं लोगों का गुस्सा इस कदर फूटा कि बड़ेबड़े नेता अपने बख्तरबंद बंकरों में जा छिपे.
इसी बीच क्रिकेट जगत से ऐसी खबर आई, जो हैरान कर देने वाली थी. वैस्टइंडीज क्रिकेट टीम के एक खिलाड़ी और कप्तान रह चुके डेरेन सैमी ने एक सनसनीखेज खुलासा किया कि साल 2014 के इंडियन प्रीमियर लीग में जब वे सनराइजर्स हैदराबाद टीम की तरफ से खेलते थे, तब ड्रैसिंग रूम में कुछ लोग उन्हें उस शब्द से पुकारते थे, जो अपमानजनक था.
डेरेन सैमी के इन आरोपों के बीच भारतीय क्रिकेटर ईशांत शर्मा का 14 मई, 2104 का एक पोस्ट वायरल है , जिस में उन्होंने डेरेन सैमी के लिए उन की त्वचा के रंग से जुड़ा एक शब्द लिखा था.
इस सिलसिले में डेरेन सैमी कहा कि उन्हें जिस शब्द से संबोधित किया गया था, तब उन्हें इस का मतलब नहीं पता था, लेकिन जब से पता चला है तो वे बड़े निराश हैं. दरअसल, डेरेन सैमी ने कहा कि तब उन्हें ‘कालू’ कह कर बुलाया जाता था, लेकिन अब उन्हें इस शब्द का मतलब पता चल गया है. यह शब्द नस्लीय भेदभाव का प्रतीक है और अपमानजनक है.
इस मसले पर डेरेन सैमी इस हद तक दुखी और गुस्साए लग रहे हैं कि उन्होंने लिखा, ‘जो भी मुझे उस नाम से बुलाता था, उसे खुद ही यह पता है. मुझ से संपर्क करो, बात करो. मैं उन सभी लोगों को मैसेज भेजूंगा. आप सब को खुद के बारे में पता है. मैं यह स्वीकार करता हूं कि उस समय मुझे इस शब्द का मतलब नहीं पता था.’
डेरेन सैमी यहीं पर नहीं रुके, बल्कि उन्होंने कहा कि वे सब खिलाड़ी उन से माफी मांगे, नहीं तो वे उन सब के नाम उजागर कर देंगे.
यह पहली बार नहीं हुआ है, जब क्रिकेट में खिलाड़ियों के बीच नस्लीय टिप्पणी की गई है. भारत के लिए क्रिकेट खेल चुके तेज गेंदबाज इरफान पठान ने भी हालिया कहा कि अलग धर्म या आस्था के चलते आप को किसी सोसाइटी में घर नहीं मिलता है तो यह भी एक तरह का नस्लवाद है.
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इसी तरह वैस्टइंडीज के ही धाकड़ बल्लेबाज क्रिस गेल ने इस नस्लीय भेदभाव पर अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर लिखा, ‘किसी और की तरह अश्वेत की जिंदगी के भी माने हैं… सभी नस्लवादी लोग, अश्वेत लोगों को बेवकूफ समझना बंद करो. यहां तक हमारे ही कुछ अश्वेत लोग भी दूसरों को ऐसा करने का मौका देते हैं. खुद को नीचा समझने का यह सिलसिला रोको. मैं ने दुनियाभर में यात्राएं की हैं और नस्लीय टिप्पणियों का अनुभव किया है, क्योंकि मैं अश्वेत हूं. मेरा भरोसा कीजिए, यह लिस्ट लंबी है.’
क्रिस गेल साफ कहते हैं कि नस्लवाद सिर्फ फुटबाल में ही नहीं है, बल्कि क्रिकेट में भी है.
वैस्टइंडीज के ही एक और खिलाड़ी ड्वेन ब्रावो ने आज के हालात और नस्लवाद पर कहा, ‘हम चाहते हैं कि हमारे भाई और बहन यह जानें कि हम ताकतवर और खूबसूरत हैं. आप दुनिया के कुछ महान लोगों पर गौर कीजिए, चाहे वे नेल्सन मंडेला हों, मोहम्मद अली या माइकल जोर्डन. हमारे पास ऐसा नेतृत्व रहा है जिन्होंने हमारे लिए मार्ग प्रशस्त किया.’
ड्वेन ब्रावो की बात में दम है कि उन जैसे लोग ताकतवर ही नहीं बहुत खूबसूरत भी हैं, तभी तो जब क्रिकेट के मैदान पर क्रिस गेल अपने बल्ले से छक्के पर छक्के जमाते हैं, तो हर रंग का उन का फैन दीवाना हो कर खूब तालियां बजाता है, उन का एक आटोग्राफ पाने को तरस जाता है.