Fraud : झांसे‌ के‌ फांसे से बचना

Fraud : मध्य प्रदेश के कटनी थाना क्षेत्र में राजा रसगुल्ला की गली में सुबहसवेरे 60 साल की एक बूढ़ी औरत चंद्रकला जैन से जेवर ठग लिए. बाबा के वेश में पहुंचे ठगों ने उन्हें अपने जाल में फंसाया और फिर उन के घर की परेशानियों का समाधान करने के नाम पर जेवर उतरवा कर चंपत हो गए.

ठगी का शिकार हुईं चंद्रकला जैन द्वारा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई. पुलिस आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाल कर आरोपियों की तलाश में जुट गई.

कोतवाली पानी की टंकी के पास रहने वाली चंद्रकला जैन ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि वे सुबह पैदल राजा रसगुल्ला की गली से हनुमान ताल की तरफ जा रही थीं. वे बखरी वाले रोड पर पहुंची थीं कि तभी पीछे से एक आदमी ने उन्हें आवाज दी. आवाज देने वाला बाबा के वेश में था. उस ने आदमी ने उन से चश्मे की दुकान पूछी फिर बातचीत करते हुए कहा कि वह हरिद्वार से आया है. उस ने उन्हें दान देने के लिए कहा और फिर बातों में उलझा कर घर में कई परेशानियां होने और उन का समाधान करने का भरोसा दिलाते हुए सोने की चेन व कान टौप्स उतरवा कर पर्स में रखवाए. उस के बाद ठग ने पर्स अपने साथी को दिलवाया और चंद्रकला जैन से कहा कि वे 10 कदम आगे जाएं और लौट कर अपना पर्स उठाएं व घर जा कर पर्स पर दूध चढ़ाएं तो उन की सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी.

उस आदमी की बातों में आ कर चंद्रकला जैन 10 कदम आगे चलीं और पीछे मुड़ कर देखा तो दोनों ठग गायब थे.

सब से खास बात यह है कि हिंदू समाज में अगर कोई गेरुआ कपड़े पहन लेता है, दाढ़ी बड़ा लेता है, तो लोग उस की बात को पत्थर की लकीर समझने लगते हैं. इस तरह गलती हमारी खुद की है. हमें यह समझना चाहिए कि क्या सच है और क्या गलत. क्या फरेब है और क्या हकीकत. जब तक हम में यह समझ नहीं होगी, तब तक पुलिस और सरकार भी कुछ नहीं कर सकती. लिहाजा, हम ठगी के शिकार होते रहेंगे.

ऐसे करें बचाव

-लोगों खासकर बूढ़ी औरतों को अनजान लोगों से सावधान रहने की जरूरत है.

-बूढ़ों को अपने आसपास के माहौल को जानने की कोशिश करनी चाहिए. उन्हें जागरूक होना चाहिए कि आज का समय ठगी और फरेब का है और किसी की बातों में नहीं आना चाहिए.

-बूढ़ी औरतों को अपने परिवार और जानपहचान वालो को अपनी गतिविधियों के बारे में सूचना देते रहना चाहिए.

-बूढ़ी औरतों को अपने जेवर और पैसे सुरक्षित रखने चाहिए.

-बूढ़ों को सामाजिक समर्थन प्रदान करने के लिए सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए.

-ठगी के बारे में जागरूकता अभियान चलाएं, ताकि लोगों को इस के बारे में जानकारी मिल सके.

-पुलिस और प्रशासन के साथ सहयोग कर के ठगी की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाएं.

-बूढ़ी औरतों के लिए सुरक्षा सेवाएं प्रदान करने के लिए सामुदायिक संगठनों को सामने आना चाहिए.

-ठगी की घटनाओं की जांच करने के लिए पुलिस को सूझबूझ के साथ कार्यवाही करनी चाहिए.

-ठगों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को सख्त निर्देश देना चाहिए.

ठगी होने की खास वजह लालच है. जैसे ही कोई रुपए या सोनाचांदी दोगुना करने का भरोसा देता है, लोग उस के पीछे घूमने लगते हैं. लोगों को यह समझना चाहिए कि अगर उस के पास कुछ चमत्कार है, तो वह खुद गरीब क्यों है.

Honey Trap : सोशल मीडिया पर डाक्टर को ठगा

Honey Trap : आरोपियों ने अपने अपराध को अंजाम देने के लिए एक शातिर योजना बनाई थी. उन्होंने सोशल मीडिया पर डाक्टर को अपना निशाना बनाया और उन्हें अपने जाल में फंसाया.

आरोपियों ने डाक्टर को यह यकीन दिलाया कि वे दिल्ली पुलिस में हैं और उन्हें अपनी सेवाओं के लिए पैसे देने होंगे. डाक्टर ने आरोपियों की बातों पर यकीन कर लिया और उन्हें तकरीबन 9 लाख रुपए दे दिए. पर जब डाक्टर को यह एहसास हुआ कि वे ठगी के शिकार हो गए हैं, तो उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू की और आखिरकार उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

आरोपियों की पहचान तिलक नगर के बाशिंदे 42 साल के नीरज त्यागी उर्फ धीरज उर्फ धीरू, कराला के रहने वाले 32 साल के आशीष माथुर और खरखौदा, हरियाणा के रहने वाले 30 साल के दीपक उर्फ साजन के रूप में हुई थी.

पुलिस ने आरोपियों के पास से हैड कांस्टेबल की पूरी वरदी और दिल्ली पुलिस के 3 पहचानपत्र, एक कार और 3 मोबाइल फोन बरामद किए.

आरोपी नीरज त्यागी और दीपक उर्फ साजन के खिलाफ पहले से ही बिंदापुर थाने में प्रेमजाल में फंसा कर वसूली करने का मामला दर्ज है.

हनी ट्रैप की शुरुआत का सटीक समय नहीं बताया जा सकता है, क्योंकि यह एक तरह की धोखाधड़ी है, जो अलगअलग रूप में और अलगअलग समयों में हुई है.

हालांकि, यह कहा जा सकता है कि हनी ट्रैप की शुरुआत प्राचीनकाल में हुई थी, जब लोगों को औरतों के बहाने से लुभाने और उन से फायदा उठाने के लिए अलगअलग तरीकों का इस्तेमाल किया जाता था.

दरअसल, आधुनिक समय में हनी ट्रैप की शुरुआत 60 के दशक में हुई थी, जब अमेरिकी और सोवियत जासूसों ने अपने फायदे की जानकारी हासिल करने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल करना शुरू किया था.

इंटरनैट और सोशल मीडिया के आने के साथ हनी ट्रैप की शुरुआत और भी आसान हो गई है और अब यह एक आम तरह की धोखाधड़ी बन गई है, जो दुनियाभर के देशों में होती है.

कुछ दिलचस्प बातें

* 60 के दशक में अमेरिकी और सोवियत जासूसों ने हनी ट्रैप का इस्तेमाल करना शुरू किया था.

* 80 के दशक में हनी ट्रैप का इस्तेमाल व्यावसायिक जासूसी में किया जाने लगा था.

* 90 के दशक में इंटरनैट के आने के साथ हनी ट्रैप औनलाइन हो गई और यह और भी आसान हो गई.

हनी ट्रैप की कुछ घटनाएं

मध्य प्रदेश के इंदौर में हनी

ट्रैप का एक मामला सामने आया, जिस में एक औरत ने कई मर्दों को अपने जाल में फंसा कर उन से पैसे ऐंठे. इस मामले में पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया था.

इसी तरह दिल्ली में भी हनी ट्रैप का एक मामला सामने आया था, जिस में एक औरत ने एक मर्द को अपने प्रेमजाल में फंसा कर उसे पैसे देने के लिए मजबूर किया था. इस मामले में पुलिस ने आरोपी औरत को गिरफ्तार किया था.

मुंबई में हनी ट्रैप का एक मामला सामने आया, जिस में एक औरत ने कई मर्दों को अपने प्रेमजाल में फंसा कर उन से पैसे ऐंठे. इस मामले में पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया.

हनी ट्रैप के प्रकार

औनलाइन हनी ट्रैप : औनलाइन हनी ट्रैप में आरोपी सोशल मीडिया या औनलाइन डेटिंग प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर के पीडि़त को अपने प्रेमजाल में फंसाता है.

औफलाइन हनी ट्रैप : औफलाइन हनी ट्रैप में आरोपी किसी पीडि़त से निजीतौर पर मिलता है और उसे अपने जाल में फंसाता है.

कौरपोरेट हनी ट्रैप : कौरपोरेट हनी ट्रैप में आरोपी किसी कंपनी के शख्स को अपने जाल में फंसाता है और उस से कारोबारी जानकारी हासिल करता है.

हनी ट्रैप के लक्षण

* अगर कोई किसी अनजान शख्स से अचानक मिलता है और उस के साथ बहुत जल्दी गहरे संबंध बनाने की कोशिश करता है, तो यह हनी ट्रैप का एक लक्षण हो सकता है.

* अगर कोई किसी के प्रति बहुत ज्यादा प्यार और आकर्षण दिखाता है, तो यह हनी ट्रैप का एक लक्षण हो सकता है.

* यदि कोई किसी की निजी जानकारी मांगता है, जैसे कि पता, फोन नंबर या बैंक खाते से जुड़ी जानकारी, तो यह हनी ट्रैप का एक लक्षण हो सकता है.

बचाव के कानूनी उपाय

* अगर आप हनी ट्रैप के शिकार हुए हैं, तो तुरंत ही पुलिस थाने में अपनी शिकायत दर्ज करें.

* हनी ट्रैप से संबंधित कानूनी सलाह लेने के लिए किसी माहिर वकील से बात करें.

* आप औनलाइन हनी ट्रैप के शिकार हुए हैं, तो साइबर सैल में शिकायत दर्ज करें.

हनी ट्रैप में लड़कियां और लड़के दोनों ही शामिल हो सकते हैं. हालांकि, ज्यादातर मामलों में लड़कियां ही हनी ट्रैप के लिए इस्तेमाल की जाती हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर बार ऐसा ही हो. कुछ मामलों में लड़के भी हनी ट्रैप में शामिल हो सकते हैं.

हनी ट्रैप में शामिल होने वाले के लिए उस के लिंग या उम्र की कोई अहमियत नहीं है. यह एक ऐसी धोखाधड़ी है, जिस में कोई भी शामिल हो सकता है और किसी को भी अपना शिकार बना सकता है. ऐसे शातिर लोग अमीरों को फांसते हैं. वे लड़की को आगे रख कर अपने शिकार को गुमराह करते हैं और उन से फायदा उठाते हैं.

साइबर अपराध के जाल से रहें सावधान

बिहार में साइबर अपराध की तादाद में तेजी से इजाफा होता जा रहा है. इस के लिए नएनए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. बैंकिंग फ्राड की वारदातें सब से ज्यादा बिहार में ही हो रही हैं. औनलाइन शौपिंग साइटों से ले कर औनलाइन सामान बेचने वाली वैबसाइटों पर साइबर फ्राड के मामले बड़ी तेजी में सामने आ रहे हैं. घर बैठे रुपए कमाने का लालच दे कर नोएडा की एक कंपनी ने 6 लाख, 30 हजार लोगों से 37 अरब रुपए ठग लिए. उत्तर बिहार के 7 हजार से ज्यादा लोग भी ठगी का शिकार बने. सोशल ट्रेड डौट बिज नाम की कंपनी ने बिहार से भी 42 करोड़ रुपए ठग लिए थे.

कई सोशल साइटों पर धोखाधड़ी और किसी को बदनाम करने की वारदातें भी बढ़ती जा रही हैं. फेसबुक पर हजारोंलाखों अकाउंट फर्जी नाम और फोटो से बने हुए हैं. इस पर रोक लगाने के लिए फेसबुक वाले भी समयसमय पर एहतियात बरतते रहते हैं, पर फर्जी अकाउंट पर रोक नहीं लग सकी है.

पटना से सटे बिहटा इलाके का रंजय मिश्रा बताता है कि उस ने सुनीता कुमारी के नाम से फेसबुक पर फर्जी अकाउंट बना रखा है और फोटो भी किसी मौडल का लगा दिया है. वह लड़की बन कर तकरीबन 4 लड़कों के साथ चैटिंग करता है और प्यार व सैक्स की बातें करता है.

रंजय मिश्रा ने आगे बताया कि एक दिन एक लड़के से उस से मोबाइल नंबर मांगा और फोन पर बात करने को कहा. रंजय ने चैट बौक्स में लिखा कि उस के मोबाइल में बैलैंस नहीं है. लड़के ने उस का मोबाइल नंबर मांगा और तुरंत ही 2 सौ रुपए का रीचार्ज करा दिया. उस के बाद रंजय लड़की की आवाज बना कर उस से बातें करने लगा.

उस के बाद रंजय ने बाकी तीनों फेसबुक फ्रैंड्स के साथ भी यही नुसखा आजमाया और अपने मोबाइल फोन को रीचार्ज कराया. रंजय बताता है कि उस के मोबाइल फोन में हमेशा हजार 2 रुपए का बैलैंस रहता है. इस तरह के न जाने कितने फर्जी अकाउंट फेसबुक पर होंगे और न जाने कौन किस तरह से उन का बेजा इस्तेमाल कर रहा होगा.

पिछले 5 सालों के दौरान साइबर अपराध में 4 गुना इजाफा हो गया है. साल 2012 में जहां ऐसे मामलों की तादाद 51 थी, वहीं साल 2016 में यह बढ़ कर 225 हो गई और साल 2017 में तो 3 महीने में ही सौ मामले दर्ज हो गए. ऐसे मामलों के बढ़ने से साइबर दारोगा की बहाली की कवायद शुरू की गई है. हर जिले के थाने में एकएक साइबर यूनिट भी बनाई जाएगी.

हाल ही में साइबर ठगी का एक नया ही रूप देखने सामने आया. सैकंडहैंड सामान बेचने वाली एक बड़ी वैबसाइट पर नकली मोबाइल फोन बेचने का मामला सामने आया.

पटना के कुम्हरार महल्ले के रहने वाले एक शख्स ने सैमसंग का एस-7 मौडल मोबाइल फोन खरीदने के लिए और्डर किया. आधी कीमत पर मिल रहे मोबाइल फोन को फुलवारीशरीफ महल्ले का रहने वाला लड़का बेच रहा था. खरीदने के बाद पता चला कि वह मोबाइल फोन नकली है. कंपनी में शिकायत करने पर आईडी ब्लौक कर दी गई.

भागलपुर के चार्टर्ड अकाउंटैंट पल्लव पराशर के पैन नंबर पर साइबर ठगों ने विदेश में 50 अरब रुपए का ट्रांजैक्शन कर लिया. पल्लव पराशर को इस की जरा भी भनक नहीं लगी. पटना से आयकर विभाग ने जब उन्हें नोटिस भेजा, तो वे चौंक गए. उन्होंने 7 जनवरी को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के कोर्ट में केस दर्ज किया.

दिल्ली पुलिस ने लोगों के बैंक खाते से औनलाइन करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया. इस गिरोह ने पिछले 2 सालों में करोड़ों रुपयों की औनलाइन ठगी की थी. ठगों की पहचान 34 साल के सुभाष और 32 साल के रामशरण राय के रूप में हुई है.

सुभाष ने पुलिस को बताया कि वह लोगों को फोन कर के बैंक का मुलाजिम बताता था और कहता था कि यह काल उन के कार्ड की क्रेडिट लिमिट बढ़ाने के लिए की गई है. उस के बाद एटीएम का नंबर और पिन मांगा जाता था.

उस के बाद पलक झपकते ही अकाउंट से लाखों रुपए उड़ा लिए जाते थे. उड़ाए गए रुपयों को पेटीएम और औक्सिजन जैसे अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता था. बाद में उस रकम को औनलाइन रीचार्जिंग अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता. फिर अलगअलग जगहों पर रीचार्ज करने वाले दुकानदारों से संपर्क कर मोटा कमीशन देने का लालच दिया जाता था.

मिसाल के तौर पर अगर एयरटेल कंपनी उन्हें रीचार्ज करने पर 2 फीसदी कमीशन देती है, तो साइबर ठग उसे 30 से 35 फीसदी कमीशन दे देते थे. औनलाइन वालेट से रकम खत्म होने पर दुकानदार और ठग आपस में रकम बांट लेते थे. दुकानदार अपना कमीशन काट कर बाकी रकम ठग को दे देते थे.

पिछले साल बिहार के जानेमाने अर्थशास्त्री शैवाल गुप्ता भी साइबर फ्राड के शिकार बन गए थे. उन से 72 हजार, 8 सौ रुपए की ठगी कर ली गई थी. शैवाल गुप्ता के मोबाइल फोन नंबर  पर 07503434669 नंबर से विजय सिंह नाम के आदमी ने काल कर के कहा था कि वह दिल्ली पुलिस का सहायक अवर निरीक्षक है. उस ने शैवाल गुप्ता को बताया कि उन के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया गया?है.

जब शैवाल गुप्ता ने इस की वजह जाननी चाही, तो कहा गया कि इस मामले में वे सरकारी वकील विनोद अग्रवाल के मोबाइल फोन नंबर 09716801457 पर बात कर लें.

शैवाल गुप्ता ने जब उस नंबर पर बात की, तो बताया गया कि उन के क्रेडिट कार्ड पर 72 हजार, 8 सौ रुपए बकाया हैं. उसी रकम की वसूली के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने केस किया है. उस वकील ने भारतीय स्टेट बैंक का एक अकाउंट नंबर देते हुए कहा कि अगर सैटलमैंट कराना है, तो 72 हजार, 8 सौ रुपए उस में डाल दें.

शैवाल गुप्ता ने 14 अक्तूबर को ऐक्सिस बैंक की बोरिंग रोड शाखा के अपने अकाउंट से भारतीय स्टेट बैंक के बताए अकाउंट में रुपए ट्रांसफर कर दिए. रुपए ट्रांसफर कराने के बाद उन्हें कुछ शक हुआ. जब उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक के अकाउंट के बारे में पता किया तो पता चला कि वह अकाउंट तो बिहार के ही सुपौल जिले की भारतीय स्टेट बैंक की एक शाखा का है.

शैवाल गुप्ता ने इस ठगी की सूचना आर्थिक अपराध शाखा (ईओयू) को दी. ईओयू ने जब पूरे मामले की जांच की, तो इंस्पैक्टर विजय सिंह और वकील विनोद अग्रवाल दोनों फर्जी निकले.

सुपौल की जिस भारतीय स्टेट बैंक की शाखा के अकाउंट में रुपए ट्रांसफर किए गए थे, वह सुपौल के ही जगतपुर गांव के अरविंद कुमार का पाया गया. अरविंद ने कबूल किया कि उस के खाते में 72 हजार, 8 सौ रुपए ट्रांसफर हुए हैं. अरविंद ने पूरी रकम वापस कर दी.

पिछले साल पटना की एक शादीशुदा और 5 महीने के बच्चे की मां फेसबुक के प्यार के चक्कर में फंस कर अपना सबकुछ गंवा बैठी थी. वह एक करोड़ रुपए के गहने और नकदी ले कर अपने आशिक के साथ ससुराल से फुर्र हो गई. इतना ही नहीं, वह अपने साथ 5 महीने के बच्चे को भी ले भागी थी.

पटना के कंकड़बाग इलाके की एक पाइप फैक्टरी के मालिक निखिल कुमार ने कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी कि उन की बीवी स्वाति करोड़ों रुपए के गहने और नकदी ले कर अपने प्रेमी शैलेंद्र के साथ भाग गई है.

स्वाति और निखिल की 5 साल पहले बड़े ही धूमधाम से शादी हुई थी. स्वाति को इंटरनैट से काफी लगाव था और वह अकसर कंप्यूटर पर समय गुजारती थी. इसी दौरान फेसबुक पर चैटिंग के जरीए उस की पहचान आस्ट्रेलिया के एक नौजवान शैलेंद्र शर्मा से हुई. वह वहां एमबीए की पढ़ाई कर रहा था.

शैलेंद्र पंजाब के फिरोजपुर जिले के अबोहर सिटी-2 के अजीमगढ़ गांव का रहने वाला था. चैटिंग के जरीए प्यार की कसमें खाते हुए वे दोनों घर से भाग निकले. स्वाति के मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर सिकंदराबाद में पुलिस ने उसे धर दबोचा था.

पटना के एसएसपी मनु महाराज बताते हैं कि बिहार पुलिस का साइबर सैल अब सीबीआई की तरह जांच पड़ताल करेगा.

याद रखें ये बातें

* कभी भी लैंडलाइन फोन या मोबाइल फोन पर किसी को भी अपने बैंक अकाउंट, क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी न दें.

* अगर कोई फोन पर खुद को बैंक का मुलाजिम बता कर भी कोई जानकारी मांगे तो भी कोई जानकारी न दें. अपने बैंक जा कर मैनेजर से खुद ही इस सिलसिले में पूछताछ कर लें.

* क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या अकाउंट से रुपए निकालने की सीमा कम रखें.

* हर 5-6 दिन पर अपने बैंक अकाउंट की जांच करते रहें और किसी भी तरह की गड़बड़ी की भनक लगने पर बैंक को सूचित करें.

* अपने बैंक अकाउंट का एसएमएस अलर्ट जरूर रखें.

* कोई भी फोन पर आधार कार्ड नंबर मांगे, तो उसे न बताएं.

* लौटरी लगने, डौलर में इनाम मिलने, गिफ्ट मिलने जैसे ईमेल का कोई जवाब न दें.

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