Bollywood News: नवाजुद्दीन सिद्दीकी की बेटी का कमाल

Bollywood News: भले ही नवाजुद्दीन सिद्दीकी का अपनी पत्नी से कैसा भी तल्खी भरा रिश्ता रहा हो, पर वे अपनी बेटी शोरा के बेहद करीब हैं. अब खबर आई है कि शोरा हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में बतौर हीरोइन आ सकती हैं और इसी सिलसिले में उन के आडिशन का एक वीडियो क्लिप भी वायरल हुआ है, जिस की खूब तारीफ हो रही है.

शोरा को देख कर कोई उन्हें ऐश्वर्या राय बोल रहा है, तो कोई कह रहा है कि उन में राधिका आप्टे की झलक दिखाई देती है. अब देखना यह होगा कि शोरा अपनी ऐक्टिंग से ऐश्वर्या और राधिका को टक्कर दे पाती हैं या नहीं.

बावरी ने फोड़े दिल के छाले

टैलीविजन के मशहूर सीरियल ‘तारक मेहता का उलटा चश्मा’ ने भले ही दर्शकों को सालोंसाल गुदगुदाया हो, पर इस में काम करने वाले बहुत से कलाकारों के साथ सैट पर अच्छा बरताव नहीं किया जाता था. इन में से एक थीं मोनिका भदौरिया, जिन्होंने बावरी का अतरंगी किरदार निभाया था.

मोनिका भदौरिया ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन के 4-5 लाख रुपए बकाया थे, जो उन्हें नहीं दिए जा रहे थे. उन की मां और दादी की मौत हो गई थी, जबकि सीरियल के सैट पर उन के साथ गलत बरताव होता था. इस सीरियल को बनाने वाले असित मोदी उन पर चिल्लाते थे और उन्हें गालियां तक देते थे. इसी वजह से मोनिका भदौरिया ने यह शो छोड़ दिया था.

माला बेचने वाली मोनालिसा बनी हीरोइन

महाकुंभ में माला बेच कर चर्चा में आई नीली आंखों वाली ग्लैमरस मोनालिसा को सोशल मीडिया पर इतनी ज्यादा शोहरत मिली थी कि उन्हें एक फिल्म तक औफर हो गई थी और अब उन की फिल्म ‘द डायरी औफ मणिपुर’ की शूटिंग भी उत्तर प्रदेश के इटावा में शुरू हो चुकी है, जिसे डायरैक्टर सनोज मिश्रा बना रहे हैं.

इस फिल्म में मोनालिसा एक आर्मी अफसर की बेटी का किरदार निभाएंगी, जो पिता के लिए संघर्ष करती है और डिफैंस में जाने का सपना देखती है. इस फिल्म में मोनालिसा के साथ अमित राव, दिनेश त्रिवेदी और अभिषेक त्रिपाठी भी खास किरदारों में दिखाई देंगे.

संगीता बिजलानी के फार्महाउस में चोरी

कभी सलमान खान की गर्लफ्रैंड रही और बाद में क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन से शादी करने वाली संगीता बिजलानी ने एक समय पर हिंदी फिल्मों में खूब चर्चा बटोरी थी और अब वे सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं. पर हाल ही में उन्हें भारी नुकसान हो गया है. उन के पुणे जिले के मावल इलाके वाले फार्महाउस में चोरी और तोड़फोड़ की घटना सामने आई है.

पुलिस को दी गई शिकायत में संगीता बिजलानी ने बताया कि उन्हें फार्महाउस का मेन दरवाजा और खिड़की की ग्रिल टूटी हुई मिली थी. एक टैलीविजन गायब था और कई घरेलू सामान जैसे पलंग, फ्रिज और सीसीटीवी कैमरे भी तोड़ दिए गए थे, जबकि वे अपने पिता की तबीयत खराब होने के चलते पिछले कुछ महीनों से फार्महाउस पर नहीं आ सकी थीं. Bollywood News

Bollywood: कासिम हैदर ‘कासिम’ की ‘हसरत’ हो रही पूरी

Bollywood: बौलीवुड का खेल निराला है. यहां इनसान बनने कुछ आता है और बन कुछ और ही जाता है. जब कासिम हैदर ‘कासिम’ शौकिया शायरी लिख रहे थे, तब वे ऐक्टर बनने के लिए मुंबई आए थे. शुरुआती जद्दोजेहद के बाद उन्हें मशहूर डायरैक्टर लेख टंडन के टैलीविजन सीरियल ‘कहीं देर न हो जाए’ में ऐक्टिंग करने का मौका मिल गया.

तब कासिम हैदर ‘कासिम’ को लगा कि उन की जद्दोजेहद खत्म हो गई है, पर यह उन की भूल थी. उस के बाद उन्होंने कुछ फिल्में भी मिलीं, लेकिन नैपोटिज्म की मार के आगे वे टिक नहीं पाए. अब तो उन की पहचान म्यूजिक वीडियो तक ही सिमट कर रह गई है. इन दिनों वे म्यूजिक वीडियो ‘हसरत’ के चलते सुर्खियां बटोर रहे हैं.

अपनी जद्दोजेहद और अब तक के सफर के बारे में कासिम हैदर ‘कासिम’ कहते हैं, ‘‘मैं तो पहले लेखक ही था. शेरोशायरी लिखता रहा हूं. पर मेरे एक दोस्त ने मेरे अंदर ऐक्टर बनने की ललक पैदा की और वह मुझे ले कर मुंबई आ गया. शुरुआत में मैं मुंबई में अपने इसी दोस्त के ही पास रहा.

‘‘एक दिन मेरी मुलाकात कासिब जैदी साहब से हो गई. उन्होंने सलाह दी कि ऐक्टर या गीतकार या शायर जिस रूप में जो काम मिले, वह करते जाओ. एक दिन उन्होंने मेरा परिचय शबाब शाबरी साहब से करवा दिया. उन्होंने मेरा लिखा पहला गाना गाया.

‘‘उस गाने की रिकौर्डिंंग के समय मैं भी यह देखने गया था कि रिकौर्डिंंग कैसे होती है. वहीं पर इस गाने का म्यूजिक वीडियो डायरैक्ट करने के लिए एक फिल्म डायरैक्टर भी खड़े हुए थे. उन्होंने मुझ से कहा कि आप का चेहरा अच्छा है. अगर आप इस गाने के वीडियो में ऐक्टिंग करेंगे, तो ज्यादा अच्छा होगा.

‘‘मैं ने उस गाने के वीडियो में ऐक्टिंग की. उस वीडियो को देख कर मशहूर फिल्म डायरैक्टर लेख टंडन ने मुझे सीरियल ‘कहीं देर न हो जाए’ में ऐक्टिंग करने का मौका दिया. लेकिन अफसोस है कि उस के बाद भी मेरे कैरियर को वह रफ्तार न मिल सकी, जैसा मैं ने सोचा था.

‘‘वैसे सीरियल ‘कहीं देर न हो जाए’ के बाद मैं ने 2-3 सीरियलों और भी किए थे. मुझे 2 फिल्में भी मिली थीं, पर वे फिल्में मेरे हाथ से छीन कर नैपोकिड्स को दे दी गईं. मुझे नुकसान यह हुआ कि उस के बाद मेरे पास फिल्मों के औफर आने बंद हो गए.

‘‘जब मेरे हाथ से 2 फिल्में निकल गईं, तो मैं ने सोचा कि एक बार फिर मैं गाना बना कर नाम कमा सकता हूं और मैं ने खुद अपना एक गाना ‘दिल है बेकरार मन…’ बनाया और इस में ऐक्टिंग भी की.

‘‘इस गाने के हिट होने के बाद मेरे पास गीत या शायरी लिखने के औफर आने लगे. पैसे की भी कमी थी, तो मैं ने कुछ गीत और शायरी दूसरों के लिए लिखे, जिस के बदले में मुझे सिर्फ पैसा मिला, पर नाम नहीं.
‘‘मैं सच कह रहा हूं कि कुछ लोगों ने तो मेरे लिखे गाने पर अपना नाम चिपका दिया. मेरे ऐसे गाने कुछ बड़ी कंपनियों में बज रहे हैं, जो हिट हैं.

‘‘आप को यकीन नहीं होगा, पर मैं ने 50 से ज्यादा गीत लिखे हैं. मैं अपने लिखे हुए गानों पर खुद 6-7 म्यूजिक वीडियो बना चुका हूं. मैं अपने नए म्यूजिक अलबम ‘हसरत’ को ले कर काफी जोश में हूं. यह काफी पसंद किया जा रहा है. अब मैं इस का दूसरा पार्ट ले कर आने की तैयारी कर रहा हूं.’’

म्यूजिक अलबम ‘हसरत’ की चर्चा करते हुए कासिम हैदर ‘कासिम’ बताते हैं, ‘‘एक दिन मैं अपने एक दोस्त वसीम के साथ एक दुकान पर चाय पी रहा था, जहां म्यूजिक डायरैक्टर सागर साहब बैठे हुए थे. बात ही बात में सागर साहब ने मुझे एक औडियो सुनाया.

‘‘मैं ने उन से कहा कि मैं आप को एक अच्छा गाना लिखकर देता हूं. फिर मैं ने वहीं पर टिश्यू पेपर ले कर गाना लिखना शुरू किया वह गाना लिखतेलिखते मैं 3 चाय पी गया.

‘‘यह गाना सागर साहब को पसंद आ गया, तो उन्होंने इस पर म्यूजिक अलबम बनाने की सलाह दी. फिर सागर साहब ने मेरे लिखे गाने को अपने म्यूजिक डायरैक्शन में हरमन से गवाया. इस के वीडियो में मैं ने और आयुषी तिवारी ने ऐक्टिंग की है.’’

क्या बौलीवुड में मनचाही कामयाबी न मिल पाने का गम आप को सताता है? इस सवाल पर कासिम हैदर ‘कासिम’ ने कहा, ‘‘अब अनुभवों ने मुझे बहुतकुछ सिखा दिया है. मुझे खुशी है कि शायरी के क्षेत्र का मैं उस्ताद हूं. मेरे शेर पढ़ने वालों की तादाद काफी है.

‘‘मैं ने आंध्र प्रदेश में हैदराबाद, उत्तर प्रदेश में बिजनौर से ले कर बाराबंकी और वाराणसी तक कई शहरों सहित कश्मीर, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, गुजरात में स्टेज प्रोग्राम किए हैं. विदेशों में भी स्टेज शो किए हैं.’’ Bollywood

Bollywood Latest News: अथिया शेट्टी का बजाया बैंड

अथिया शेट्टी ऐक्टर सुनील शेट्टी की बेटी हैं. उन्होंने साल 2015 में सलमान खान की फिल्म ‘हीरो’ में सूरज पंचोली के साथ अपनी शुरुआत की थी, पर फिल्म और अथिया दोनों को दर्शकों ने नकार दिया था. इस के 4 साल बाद साल 2019 में अथिया फिल्म ‘मोतीचूर चकनाचूर’ में आखिरी बार दिखी थीं और अब सुनील शेट्टी ने बताया कि अथिया अब और फिल्में नहीं करेंगी. महज 3 फिल्में करने के बाद ही उन्होंने ऐक्टिंग की दुनिया को अलविदा कहने का फैसला कर लिया है.

सुनील शेट्टी के इतना कहने पर सोशल मीडिया पर लोगों ने यह कह कर अथिया शेट्टी का मजाक बनाना शुरू कर दिया कि वे बड़ी मुश्किल से बौलीवुड में आई थीं और कभी ऐक्टिंग कर ही नहीं पाईं.

फिल्म ‘इक्कीस’ में जमेगी जोड़ी

अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा ने साल 2023 में नैटफ्लिक्स की फिल्म ‘द आर्चीज’ से अपना बौलीवुड डैब्यू किया था, जो कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई थी. अब वही अगस्त्य नंदा श्रीराम राघवन की फिल्म ‘इक्कीस’ में काम करेंगे, जो 1971 के भारतपाकिस्तान युद्ध पर बनी है. इस फिल्म में अगस्त्य नंदा ‘परमवीर चक्र’ विजेता अरुण खेत्रपाल का किरदार निभाएंगे, जिन्होंने इस युद्ध में शानदार हिम्मत दिखाई थी.

फिल्म ‘इक्कीस’ से अक्षय कुमार की भांजी सिमर भाटिया भी बौलीवुड में कदम रखने जा रही हैं. उन के साथ फिल्म में धर्मेंद्र और जयदीप अहलावत भी होंगे.

अनु अग्रवाल ने खोले अंडरवर्ल्ड के राज

साल 1990 की म्यूजिकल रोमांटिक फिल्म ‘आशिकी’ से रातोंरात मशहूर हुईं अनु अग्रवाल ने काफी समय से हिंदी फिल्मों से दूरी बनाई हुई है, पर हाल ही में उन्होंने 90 के दशक में बौलीवुड और अंडरवर्ल्ड के बीच के संबंधों के बारे में खुल कर बात की.

अपने दिए एक इंटरव्यू में अनु अग्रवाल ने बताया कि सारा पैसा अंडरवर्ल्ड से आता था. 90 के दशक में अंडरवर्ल्ड हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से बड़ी गहराई से जुड़ा हुआ था. उस दौर में ज्यादातर फिल्मों का लेखाजोखा औफ द रिकौर्ड सौदों के जरीए किया जाता था, जिस में कथिततौर पर दाऊद इब्राहिम जैसे लोग सारा कंट्रोल रखते थे.

अनु अग्रवाल ने फिल्म ‘आशिकी’ के बाद ‘गजब तमाशा’ और ‘किंग अंकल’ जैसी कई फिल्मों में काम किया था.

धनुष बनेंगे ‘मिसाइलमैन’

भारत के ‘मिसाइलमैन’ कहे जाने वाले देश के 11वें राष्ट्रपति डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी पर एक फिल्म बनने जा रही है, जिस में उन का किरदार साउथ इंडियन फिल्मों के मैगास्टार धनुष निभाने वाले हैं और इस फिल्म का डायरैक्शन ओम राउत करेंगे.

धनुष ने साल 2013 में हिंदी फिल्म ‘रांझणा’ से बौलीवुड में कदम रखा था, जिस में उन की हीरोइन अनिल कपूर की बेटी सोनम कपूर थीं. फिर धनुष हिंदी फिल्म ‘शमिताभ’ में नजर आए थे और इस के बाद वे अक्षय कुमार और सारा अली खान की फिल्म ‘अतरंगी रे’ में भी दिखाई दिए थे.

Param Sundari First Look: जाह्नवी और सिद्धार्थ की जोड़ी बड़े पर्दे पर मचाएगी धमाल

Param Sundari First Look: निर्माता दिनेश विजान और ‘मैडौक फिल्म्स’ (Maddock Films) की आगामी फिल्म ‘परम सुंदरी’ (Param Sundari) का एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक जारी कर दिया गया है, जिसे थिएटर में ‘भूल चूक माफ’ (Bhool Chuk Maaf) की स्क्रीनिंग के दौरान दर्शकों को पहली बार दिखाया गया. इस फिल्म से ‘जाह्नवी कपूर’ (Janhvi Kapoor) और ‘सिद्धार्थ मल्होत्रा’ (Sidharth Malhotra) की नई रोमांटिक जोड़ी पहली बार बड़े पर्दे पर साथ नजर आएगी, और उनकी औन-स्क्रीन केमिस्ट्री पहले लुक से ही दर्शकों को आकर्षित कर रही है.

‘परम सुंदरी’ (Param Sundari) उत्तर और दक्षिण भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित एक खूबसूरत लव स्टोरी है, जिसमें एक अनूठा रोमांस दिखाया जाएगा. यह फिल्म न सिर्फ एक भावनात्मक सफर है, बल्कि इसका हर फ्रेम और हर एंगल अपने आप में विजुअली आकर्षक है.

‘सोनू निगम’ (Sonu Nigam) की आवाज में फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और संगीत इस अनुभव को और भी यादगार बना देता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैडौक फिल्म्स जल्द ही फिल्म का म्यूज़िक एल्बम भी रिलीज करने वाला है, जिससे दर्शकों की उत्सुकता और भी बढ़ गई है.

कुल मिलाकर, ‘परम सुंदरी’ (Param Sundari) एक ऐसी रोमांटिक ड्रामा फिल्म है जो दिलों की धड़कनें तेज करने और बड़े पर्दे पर जादू बिखेरने के लिए पूरी तरह तैयार है.

Bollywood Update: ‘अंदाज अपना अपना’ पर झगड़ा

फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ के पिट जाने के बाद आमिर खान फिलहाल टैलीविजन के इश्तिहारों में ज्यादा दिखाई दे रहे हैं, पर हाल ही में उन्होंने मीडिया से कहा था, ‘‘हम सभी चाहते हैं कि फिल्म ‘अंदाज अपनाअपना 2’ बने. हम ने राजजी (राजकुमार संतोषी) से स्क्रिप्ट पर काम करने को कहा है. जैसे ही उन की स्क्रिप्ट तैयार होगी, सलमान खान और मैं निश्चित रूप से उस पर काम करना चाहेंगे.’’

पर यह बात कुछ लोगों को पसंद नहीं और इस फिल्म पर कोई भी काम शुरू होने से पहले ही विवाद खड़ा हो गया. दरअसल, इस फिल्म के प्रोड्यूसर विनय कुमार सिन्हा के बच्चों ने कहा है कि वे कभी भी आमिर को फिल्म के राइट्स नहीं बेचेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म ‘अंदाज अपनाअपना’ के राइट्स न तो आमिर के पास हैं और न ही डायरैक्टर राजकुमार संतोषी के पास. सिर्फ उन के पिता विनय कुमार सिन्हा ही राइट्स के असली मालिक हैं.

शरवरी वाघ को मिली बड़ी सफलता

कई साल पहले फरहान अख्तर ने ‘डौन’ फिल्म को दोबारा बनाया था. इस में शाहरुख खान ने वही किरदार निभाया था, जो कभी अमिताभ बच्चन ने किया था. फिर ‘डौन 2’ आई. उस में भी शाहरुख खान ही हीरो थे. पर अब फरहान अख्तर की अपकमिंग फिल्म ‘डौन 3’ में रणवीर सिंह हीरो होंगे और उन के साथ शरवरी वाघ रोमांस करने आ रही हैं.

बता दें कि पहले इस फिल्म की हीरोइन कियारा आडवाणी थीं, पर अब उन्होंने इस फिल्म को अपनी प्रेग्नेंसी की वजह से ‘बाय’ कह दिया है, जिस के बाद शरवरी वाघ को यह रोल मिला है.

काजोल ने खोले बीते कल के राज

काजोल को एक बेहतरीन हीरोइन और बिंदास औरत के रूप में जाना जाता है. हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि वे कैसे अजय देवगन से मिली थीं और कैसे उन दोनों में प्यार पनपा था.

काजोल ने अपने कल के राज खोलते हुए बताया कि वे पहली बार अजय देवगन से एक फिल्म के सैट पर मिली थीं और उस समय दोनों किसी और के साथ रिलेशनशिप में थे, पर समय के साथ, जैसेजैसे हालात बदले तो दोनों ने अपनेअपने रिश्ते खत्म किए, फिर उन की दोस्ती गहरी होती गई और आखिरकार उन का यह रिश्ता प्यार में बदल गया.

काजोल ने यह भी बताया कि एक समय कैसे लोग उन्हें उन के रंग, वजन और चश्मे के आधार पर आंकते थे. पर इन नैगेटिव कमैंट के बावजूद वे लड़खड़ाई नहीं और अडिग रहीं, क्योंकि उन्हें अपने टैलेंट पर भरोसा था.

आलिया को बताया ‘पानी कम चाय’

महेश भट्ट ने 2 शादियां की थीं. उन के पहली पत्नी से 2 बच्चे पूजा भट्ट और राहुल भट्ट हैं और दूसरी पत्नी से आलिया भट्ट और शाहीन भट्ट. इन चारों बच्चों में से पूजा भट्ट और आलिया भट्ट ने हीरोइन बन कर फिल्मों में काफी नाम कमाया है.

पर जब राहुल भट्ट से पूछा गया कि पूजा भट्ट और आलिया भट्ट में से कौन बेहतर है, तो उन्होंने सीधेतौर पर बोला, ‘‘मेरी राय में वह (आलिया भट्ट) मेरी सगी बहन पूजा की आधी भी नहीं है. न टैलेंट में, न रूप में और न ही सैक्सी होने के मामले में. मेरी बहन के सामने वह ‘पानी कम चाय’ है. भाईबहनों में सब से टैलेंटेड पूजा हैं. पूजा ने मेरे पिता की विरासत को आगे बढ़ाया. मैं ने उन का स्टारडम देखा है. वे उस समय देश की सब से बड़ी सैक्स सिंबल थीं.’’

Parbin Babi : हसीन हीरोईन का रुला देने वाला अंत

चांद तनहा है, आस्मा तनहा, दिल मिला है कहांकहां तनहा

बुझ गई आस, छुप गया तारा, थरथराता रहा धुंआ तनहा 

जिंदगी क्या इसी को कहते हैं जिस्म तनहा है और जां तनहा

हमसफर कोई गर मिले भी कहीं दोनों चलते रहे यहां तनहा

अपने दौर की मशहूर और प्रतिभाशाली ऐक्ट्रैस मीना कुमारी उम्दा शायरा भी थीं जिनकी लिखी गजलें आज भी शिद्दत से पढ़ी और सुनी जाती हैं क्योंकि वे हर किसी की जिंदगी पर कभी न कभी फिट बैठती हैं. परवीन बौबी की जिंदगी पर नजर डालें तो लगता है कि वे मीना कुमारी की गजलों से निकली कोई किरदार हैं जो जिंदगीभर दुनिया के मेले में तनहा रहीं और आखिरकार एक दिन इसी तन्हाई में चल बसीं.

किसी भी जिंदगी की कहानी इतनी छोटी भी नहीं होती कि उसे चंद लफ्जों में समेट कर पेश या खत्म किया जा सके. बकौल फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े शो मेन राजकपूर हरेक कहानी का अंत एक नई कहानी का प्रारम्भ होता है. परवीन बौबी की जिंदगी एक तरह से मीना कुमारी की जिंदगी का री प्ले थी जिसे जिसने भी गहराई से समझा उसने दुनिया के कई रिवाजों और उसूलों को समझ लिया कि वह तन्हाई ही है जो पूरी वफा और इमानदारी से साथ देती है वर्ना तो सब मिथ्या है.

70 के दशक में हिंदी फिल्मों की अभिनेत्रियां आमतौर पर परंपरागत परिधान में ही नजर आती थीं. इसी वक्त में बौलीबुड में परवीन बौबी की एंट्री हुई थी जो निहायत ही स्टाइलिश ग्लैमरस खूबसूरत वसैक्सी भी थीं और ऐक्टिंग में भी किसी से उन्नीस नहीं थीं.

परवीन ने नायिका की नई इमेज गढ़ी जिसमें उसका सारा शरीर साड़ी ब्लाउज से ढके रहना जरुरत या मजबूरी नहीं रह गई थी हालांकि समाज और सोच में भी तब्दीलियां आ रहीं थीं लेकिन उन्हें मजबूत करने फिल्मों का सहयोग और योगदान जरुरी था जो परवीन जैसी खुले दिल और दिमाग वाली ऐक्ट्रैस ही दे सकती थीं.

पहली फिल्म की छाप

किसी भी कलाकार पर उसकी पहली फिल्म के किरदार का असर लम्बे समय तक रहता है. यही परवीन के साथ हुआ. उनकी पहली फिल्म साल 1972 में आई चरित्र थी जिसमें उनके अपोजिट क्रिकेटर से ऐक्टर बने सलीम दुर्रानी थे. बीआर इशारा की इस फिल्म में भी मध्यमवर्गीय युवतियों की मजबूरी दिखाई गई थी जिसके चलते वे शारीरिक शोषण का शिकार अपनी सहमति से होती हैं लेकिन फिल्म की खूबी उसका फलसफा था जो चरित्र की विभिन्न परिभाषाओं के इर्दगिर्द घूमता रहता है. फिल्म फ्लौप रही और चिकने चुपड़े चेहरे वाले सलीम दुर्रानी को दर्शकों ने नकार दिया पर परवीन को स्वीकार लिया.

चरित्र में परवीन ने एक मिडल क्लासी और कामकाजी लड़की शिखा की भूमिका अदा की थी जो आधुनिक है और शराब सिगरेट पीने में उसे किसी तरह की ग्लानि महसूस नहीं होती. पिता द्वारा गिरवी रखा घर बचाने शिखा को अपने बौस का बिस्तर गर्म करना पड़ता है.इस सौदे पर जरुर उसे गिल्ट फील होता है और वह आत्महत्या की कोशिश भी करती है.

एक तरह से वह बौस की रखैल बनकर रह जाती है जो उसके अंदर की औरत को कभीकभी खटकता भी है हालांकि वह इसे चरित्रहीनता नहीं मानती. फिल्म के टाइटल में बेकग्राउंड से परवीन बौबी की ही आवाज में गूंजता यह डायलाग फिल्म की जान है कि सोचना बहुत बड़ी बीमारी है लोग सोचते बहुत हैं इसलिए परेशान भी रहते हैं.

चरित्र की बोल्ड भूमिका निभाने के बाद परवीन ने फिर कभी मुड़कर नहीं देखा और एक से एक हिट फिल्में दीं. इन में मजबूर, कालिया, शान, नमक हलाल, महान, देश प्रेमी, खुद्दार,अर्पण,द बर्निंग ट्रैन, सुहाग, काला पत्थर और 36 घंटे जैसी हिट फिल्में शामिल हैं लेकिन एक परफैक्ट ऐक्ट्रैस की मान्यता उन्हें अपने दौर की सुपर हिट फिल्म 1975 में प्रदर्शित दीवार से मिली थी जिसमें उनके नायक अमिताभ बच्चन थे.

अमिताभ के अपोजिट परवीन ने सबसे ज्यादा 8 फिल्में की थीं जो सभी हिट रहीं थीं. दीवार में भी उनका रोल एक रखैल सरीखा ही था जो बुद्धिजीवी है. इस फिल्म में भी वे अमिताभ के साथ सिगरेट और शराब पीती नजर आई थीं. यह भूमिका सभ्य और आधुनिक समाज की आवारा औरत की थी.

रियल और रील लाइफ

यह महज इत्तफाक की बात है कि कुछ नहीं बल्कि कई मानो में परवीन की रील और रियल लाइफ में काफी समानताएं थीं. फिल्म इंडस्ट्री में अब बहुत कम लोग बचे हैं जो अधिकारपूर्वक उन्हें याद करें,हां वे अगर जिंदा होती तो जरुर बीती 3 अप्रैल को अपना 68 वां जन्मदिन समारोहपूर्वक मनाती दिखतीं.

51 साल की अपनीछोटी सीजिंदगी में परवीन ने कई जिंदगियों को जिया. गुजरात के जूनागढ़ के रईस मुसलिम परिवार में जन्मी इस ऐक्ट्रैस ने जिंदगी में जो कुछ भी देखा और भुगता वह किसी ट्रेजेडी फिल्म से कम नहीं है. उनके पिता वली मोहम्मद बौबी, बौबी राजघराने के नबाब जूनागढ़ के खास कारिंदे हुआ करते थे जो उन दिनों फख्र की बात हुआ करती थी.

परवीन अपने मांबाप की शादी के 14 साल बाद पैदा हुई थीं जाहिर है काफी लाडप्यार में उनकी परवरिश हुई थी लेकिन इस पर दुखद बात यह रही कि पिता का सुख उन्हें ज्यादा नहीं मिला. परवीन जब 5 साल की थीं तभी मोहम्मद बौबी चल बसे थे. इस हादसे का उनके नाजुक और भावुक मन पर पड़ा गहरा असर उम्र भर दिखता रहा.

माउन्ट कार्मल हाई स्कूल से स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद अहमदाबाद के ही सेंट जेवियर्स कालेज से इंग्लिश लिटरेचर से एमए करने वाली परवीन तत्कालीन अभिनेत्रियों में सबसे ज्यादा शिक्षित थीं. पढ़ाई पूरी करने के बाद वे मौडलिंग के लिए मुंबई आ गईं और फिल्मों के लिए भी हाथपांव मारने लगीं.

एक खास किस्म की फिल्में बनाने के लिए बदनाम निर्माता निर्देशक बीआर इशारा ने उन्हें स्टाइल से सिगरेट पीते देखा तो तुरंत चरित्र फिल्म की शिखा के लिए चुन लिया. 1974 में उन्हें मजबूर फिल्म में अमिताभ के अपोजिट काम करने का मौका मिला यह फिल्म हिट रही थी इसके बाद तो उन पर दौलत और शोहरत बरस पड़े. लेकिन यह सिर्फ किस्मत या सैक्सी और ग्लैमरस होने की वजह से नहीं था बल्कि उनकी जबरजस्त अभिनय प्रतिभा के चलते ऐसा हुआ था.

यह वह दौर था जब बौलीबुड में हेमा मालिनी, रेखा, राखी, रीना राय, जया भादुरी और मुमताज जैसी ऐक्टर्स का नाम सिक्कों की तरह चलता था. इनके रहते इंडस्ट्री में अपना नाम और मुकाम हासिल कर पाना जीनत अमान के बाद अगर किसी के लिए मुमकिन था तो वे परवीन बौबी थीं.

1972 से लेकर 1982 तक परवीन का जादू इंडस्ट्री में सिर चढ़कर बोला करता था. अपनी जिंदगी की तरह फिल्मी भूमिकाओं के प्रति भी वे कभी गंभीर नहीं रहीं. कामयाबी के दिनों में उन्होंने वही जिंदगी जीई जो मीना कुमारी जिया करती थीं. परवीन के आसपास सिगरेट के धुएं के छल्लों और शराब के प्यालों के अलावा कुछ और नहीं होता था.

अपनी शर्तों पर जीना कतई एतराज या हर्ज की बात नहीं लेकिन यह भी सच है कि जब आप दूसरों की शर्तों पर जीने लगते हैं तो जिंदगी इतनी दुश्वार हो जाती है कि उसे सलीके से जीना दूभर हो जाता है. यही परवीन के साथ हुआ जिन्होंने शादी का बंधन पसंद नहीं किया और एक बार किसी की भी पत्नी बनने के बजाय हर बार प्रेमिका बनना पसंद किया.

उभरते ऐक्टर और खलनायक डेनी डेंजोगाप्पा से उनका लम्बा अफेयर रहा और स्टाइलिश हीरो कबीर बेदी से भी जिनके लिए वे अपना कैरियर तक कुर्बान करने तैयार हो गईं थीं. कबीर शादीशुदा थे इसलिए इस रिश्ते को अंजाम तक पहुंचाने की हिम्मत नही जुटा पाए. उसी दौर में फिल्मों में जमने हाथ पैर मार रहे निर्देशक महेश भट को वे सचमुच दिल दे बैठीं थीं जिनका नाम इंडस्ट्री के कामयाब निर्देशकों में शुमार होता है.

महेश भट्ट और परवीन बौबी की लव स्टोरी वाकई अजीब थी जिसे आज भी चर्चित प्रेम कथाओं की लिस्ट में सबसे ऊपर रखा जाता है. महेश भट्ट की पहली शादी अपने स्कूल की सहपाठी लारेन ब्राईट से हुई थी जिन्होंने अपना नाम किरण रख लिया था. पूजा भट्ट और राहुल भट्ट  इन्ही दोनों की संतानें हैं.

आशिकी फिल्म महेश ने अपने पहले प्यार को लेकर ही बनाई थी. इसके बाद भी उनकी तमाम फिल्मों में उनकी व्यक्तिगत जिंदगी दिखी.जब 70 के उत्तरार्ध में महेश और परवीन के रोमांस के किस्से आम होने लगे तो लारेन ने स्वभाविक एतराज जताया जिसके चलते यह शादी टूट गई. महेश भट को एक खब्त और सनकी डायरैक्टर कहा जाता था लेकिन उनके टेलेंट का कायल भी उतने ही थे.

एक वक्त में यह लगभग तय हो गया था कि परवीन बौबी और महेश भट्ट शादी कर लेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. क्यों नहीं हुआ यह तो शायद अब महेश भी न बता पाएं लेकिन इसकी बड़ी वजह खुद परवीन बौबी का असमान्य होता व्यवहार और उटपटांग हरकतें थीं. परवीन को लगता था कि कोई उनकी जान लेना चाहता है.वे शूटिंग के दौरान भी काफी भयभीत दिखने लगी थीं. यह दरअसल में पेरानायड सिजोफ्रेनिया नाम की दिमागी बीमारी थी जिसका अनजाने में ही वे शिकार हो गईं थीं.

इंडस्ट्री में हर कोई कहता है कि डेनी और कबीर के बाद महेश ने भी परवीन का शोषण किया. उनका इस्तेमाल किया, ठगा और धोखा दिया. लेकिन यह पूरा सच नहीं लगता क्योंकि महेश उन्हें लेकर काफी संजीदा थे और इलाज के लिए अमेरिका तक ले गए थे.

शायद महेश और किरण के अलगाव की वजह परवीन खुद को मानने लगीं थी क्योंकि वे पत्नी और बच्चों को छोड़ उन्ही के साथ रहने लगे थे. इस पर परवीन इतना गिल्ट फील करने लगी थीं कि अर्ध विक्षिप्त हो गईं थीं. चरित्र फिल्म की शिखा उनके भीतर कहीं रह गई थी जो रखैल शब्द सुनते ही डिप्रेशन में आ जाती थी.अब परवीन शराब के नशे में धुत रहते अपना गम भुलाने की वही गलती भी करने लगीं थीं जो कभी मीना कुमारी ने की थी.

1984 में परवीन को न्यूयौर्क एयरपोर्ट में हथकड़ी पहने देखा गया था लेकिन यह किसी फिल्म की शूटिंग नहीं थी बल्कि उनकी दिमागी हालत की वजह से था. एयरपोर्ट पर वह अजीबोगरीब व्यवहार कर रहीं थीं और सिक्योरटी स्टाफ को अपनी पहचान तक नहीं बता पा रहीं थीं.पागलों सी हरकतें देख पुलिस ने उन्हें पागलखाने में पागलों के साथ बंद कर दिया था. जब एक भारतीय एजेंसी के अधिकारियों ने उन्हें छुड़ाया तब वे हंस रहीं थीं मानो कुछ हुआ ही न हो.

साल 1982 में महेश ने समान्तर फिल्म अर्थ बनाई थी जो अनधिकृत तौर पर हकीकत में उन्ही की जिंदगी पर आधारित थी. फिल्म के हीरो कुलभूषण खरबंदा थे जो पत्नी शबाना आजमी को छोड़कर प्रेमिका स्मिता पाटिल के साथ रहने लगते हैं. स्मिता पाटिल को सिजोफ्रेनिया का मरीज अर्थ में बताया गया है जिसे हर वक्त यह महसूस होता रहता है कि कोई खासतौर से शबाना आन्मी उन्हें मार देना चाहती हैं क्योंकि उन्होंने उसका पति उनसे छीन रखा है.

फिल्म में जब भी स्मिता का सामना शबाना से होता है तो उनके हाथ पैर कांपने लगते हैं और दौरे से पड़ने लगते हैं. एक दृश्य में जब दोनों का सामना होता है तो शबाना स्मिता पर ताना कसते कहती हैं कि किताबों में लिखा है कि पत्नी को बिस्तर में वेश्या होना चाहिए जो तुम हो.

वास्तविकता पर आधारित अर्थ ने ऊपर के दर्शकों को झकझोर दिया था. स्मिता पाटिल और शबाना आजमी ने जो शानदार जानदार एक्टिंग की थी अब शायद ही कोई कर पाए.कुलभूषण खरबंदा भी महेश भट के रोल में प्रभावी अभिनय कर गए थे कि कैसे कोई एक मर्द दो औरतों के बीच चक्की के पाटों सा पिसता रहता है. वह न तो पत्नी को छोड़ सकता और न ही प्रेमिका को.

फिल्म चली और खूब चली जिसे कई पुरस्कार भी मिले थे.परवीन बौबी की जिंदगी पर वो लम्हे शीर्षक से फिल्म भी बनी थी जो उतनी ही फ्लौप रही थी जितनी इसी उसी साल इसी थीम पर बनी वेब सीरिज रंजिश ही सही रही थी.

अर्थ के प्रदर्शन से2 साल पहले रमेश सिप्पी की सबसे महंगी और शोले की तरह मल्टी स्टारर फिल्मशान की शूटिंग के दौरान परवीन बौबी का पागलपन सार्वजनिक हुआ था, जब एक लटकते झूमर को देख चिल्ला पड़ी थीं कि अमिताभ बच्चन उन्हें इसके जरिए मार देना चाहते हैं.

परवीन को शक था कि यह झूमर उनके सर पर गिरा दिया जाएगा. इसके बाद वे शूटिंग छोड़ घर चली गईं. पूरी यूनिट हैरानी से परवीन को देखती और पूछती रह गई थी कि यह इन्हें क्या हो गया. इस सवाल का जवाब सालों बाद लोगों को मिल भी गया था.

यह सब कुछ अचानक नहीं हुआ था बल्कि धीरेधीरे हुआ था जिसका अहसास परवीन को भी नहीं था कि वे एक भयानक दिमागी बीमारी की चपेट में आती जा रहीं हैं जिसमें मरीज डर और आशंकाओं के साए में रहता है. वह कल्पनाएं करता है और उन्हें ही सच मानने लगता है फिर हकीकत से कोई वास्ता उसका नहीं रह जाता. पहले परवीन को सिर्फ अमिताभ पर शक था कि वे उनकी हत्या की साजिश रच रहे हैं लेकिन फिर इस लिस्ट में प्रिंस चार्ल्स, अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन सहित भाजपा सरकार तक का नाम शामिल हो गया था.

सिजोफ्रेनिया का मरीज अपने वहमों के प्रति कितना आत्मविश्वासी होता है. यह परवीन की हरकतों से भी उजागर हुआ था जब उन्होंने अपने संभावित हत्यारों के खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई तक कर डाली थी. उम्मीद के मुताबिक अदालत से ये मुकदमे खारिज हो गए थे.

कोई बात न बनते देख महेश भट्ट ने 1986 में अभिनेत्री सोनी राजदान से शादी कर ली. आलिया भट्ट इन्ही दोनों की संतान हैं. शान के रिलीज होने के 2 साल बाद परवीन बौबी रहस्मय ढंग से गायब हो गईं तो उनके प्रशसंकों सहित फिल्म इंडस्ट्री सकते में आ गई थी. कहा यह गया था कि अंडरवर्ल्ड के सरगनाओं ने उन्हें किडनेप कर लिया है क्योंकि तब परवीन के पास बेशुमार पैसा था और वे सुकून शांति और स्थायित्व के लिए अकेली भटक रहीं थीं.

अपने कंधों पर अपनी मजार

1983 में गायब हुईं परवीन कोई 6 साल बाद मुंबई में प्रगट हुईं उन्होंने लोगों को बताया कि दरअसल में आध्यात्मिक शांति के लिए एक आश्रम में चली गईं थीं. अधिकतर लोगों का अंदाजा था कि यह ओशो रजनीश का आश्रम हो सकता है जहां शांति की तलाश में अपने दौर के दिग्गज अभिनेता विनोद खन्ना भी गए थे और वहां सेवादारों की तरह झाड़ू भी लगाते थे. सच जो भी हो इसके बाद परवीन के खाते में कोई उल्लेखनीय फिल्म नहीं आई. 1983 में उनकी 2 फ़िल्में ही चलीं पहली थी अर्पण और दूसरी थी धर्मेन्द्र हेमा मालनी अभिनीत एतिहासिक फिल्म रजिया सुल्तान जिसमें वे एक छोटे से रोल में थीं.

परवीन आखिरी बार 1988 में प्रदर्शित आकर्षण फिल्म में नजर आईं थी जो कि उनकी पहली फिल्म चरित्र से भी ज्यादा फ्लौप रही थी. इसके बाद वे दक्षिणी मुंबई के एक रिहायशी इलाके में फ्लेट लेकर रहने लगीं थीं. अकेली, तनहा और गुमनाम,जहां उनका सहारा वही शराब और सिगरेटें थीं जो चरित्र की शिखा पीती थी और दीवार की अनीता भीलोग उन्हें भूलने लगे थे.

कभी उनके घर निर्माता निर्देशकों की लाइन लगी रहती थी लेकिन अब कोई अजनबी भी भूले से उनके फ्लेट की कालबेल नहीं बजाता था. अपने पड़ोसियों से भी वे कोई वास्ता नहीं रखती थीं. फिर एक दिन 22 जनवरी 2005 को फिर से सनसनी मची जब अपने दौर की बोल्ड ऐक्ट्रैस परवीन बौबी की सड़ी गली लाश फ्लेट में मिली.

उनके फ्लेट के दरवाजे के आगे दूध के पेकेट और अख़बार 3 दिन तक पड़े देख सोसायटी वालों ने पुलिस को इसकी सूचना दी तो उजागर हुआ कि वे भूखी मरी थीं लेकिन प्यासी नहीं क्योंकि शराब की बोतलें उनके पास से मिली थीं. पलंग के पास एक व्हील चेयर भी मिली थी जिससे अंदाजा लगाया गया कि वे चलनेफिरने से भी मोहताज हो गईं थीं.

इसके बाद परवीन बौबी और उनकी संदिग्ध मौत को लेकर तरहतरह की अफवाहें उड़ती रहीं जिनके कोई खास माने नहीं थे. परवीन की यह आखिरी ख्वाहिश भी पूरी नहीं हो पाई कि उनका अंतिम संस्कार क्रिश्चियन रीतिरिवाजों से किया जाए क्योंकि कुछ साल पहले वे इसाई धर्म अपना चुकी थीं. उनके परिवारजनों ने लाश क्लेम कर मुंबई के सांता क्रूज शमशान में उन्हें इस्लामिक रीतिरिवाजों के मुताबिक दफना दिया.

परवीन का जिस्म दफनाया जा सकता है उनका वो फलसफा नहीं जिसके तहत एक आजाद ख्याल औरत वैसे भी रह और जी सकती है जैसे वे रहीं थीं. उनकी जिंदगी और मौत दोनों सबक हैं कि दुनिया और समाज में उसके तौरतरीकों से रहना ही बेहतर होता है नहीं तो अंत कैसा होता है सबने देखा. उनकी दुखद मौत पर भी मीना कुमारी की गजल का यह शेर मौजू है –

यूं तेरी रहगुजर से दीवाना – वार गुजरे

कांधे पे अपने रख के अपना मजार गुजरे

बैठे हैं रास्ते में दिल का खंडहर सजा कर

शायद इसी तरफ से एक दिन बहार गुजरे…

सलमान के पिता सलीम खान को मिली धमकी, लौरेंस का फिर से मंडराया खौफ

बौलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान (salman khan )के पिता, सलीम खान (salim khan) इन दिनों सुर्खियों में है. हाल में उनको एक बुर्का पहनी महिला की ओर से धमकी देने का मामला सामने आया है. यह घटना उस समय हुई जब सलमान के पिता राइटर सलीम खान सुबह के समय अपने घर के बाहर मौर्निंग वौक कर रहे  थे. अचानक एक स्कूटी पर आई महिला ने उन्हें कुछ ऐसा कहा सलमान की फैमिली की सिक्योरिटी को लेकर फिर सवाल खड़े हो गए हैं

 

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धमकी का पूरा मामला क्या था

सलीम खान जब अपने गैलेक्सी अपार्टमेंट के पास वौक कर रहे थे, तभी एक स्कूटी आई, उस पर आए दो लोग सवार थे,  इसमें बुर्का पहनी हुए महिला ने उन्हें धमकी दी. महिला ने कहा, “क्या लौरेंस बिश्नोई को भेजूं?”  इस धमकी की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई, और उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत केस दर्ज किया.

पहले भी सुरक्षा कारणों से सलमान रहे हैं चर्चा में हुई

कुछ महीने पहले सलमान खान के घर गैलेक्सी अपार्टमेंट पर फायरिंग का मामला सामने आ चुका है, जिसके पीछे गैंगस्टर लौरेंस बिश्नोई गैंग का हाथ बताया गया था. उस समय भी सलमान की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई थी और पुलिस ने कार्रवाई की थी. यह घटनाएं  न केवल सेलेब्रिटीज की सिक्योरिटी पर सवाल उठाती हैं, बल्कि समाज में बढ़ रहे अपराध की घटनाओं की ओर इशारा करती है.

कौन है लौरेंस बिशनोई

लौरेंस बिश्नोई (जन्म 12 फरवरी 1993) एक भारतीय गैंगस्टर है. लौरेंस बिशनोई ने जोधपुर हाईकोर्ट में पेशी के दौरान लाए जाने वाली पुलिस की गाड़ी में मीडिया और पुलिस के सामने सलमान खान को जान से मारने की धमकी भी दी थी और बोला था की सलमान खान को जोधपुर में ही मारेंगे.

सलमान खान से क्यों दुश्मनी है

सलमान खान के ऊपर 1998 में काले हिरणों के शिकार का आरोप लगा. इस मामले को लेकर काफी हंगामा हुआ. सलमान पर आरोप था कि उन्होंने जोधपुर में फिल्म ‘हम साथ-साथ हैं’ की शूटिंग के दौरान शहर से सटे कांकाणी गांव के पास दो काले हिरणों को मारा है. राजस्थान में बिश्नोई समाज काले हिरण को अपने परिवार की तरह मानता है. उनके बीच काले हिरण की पूजा होती है. ऐसे में सलमान खान बिश्नोई समाज के निशाने पर आ गए. मामला कोर्ट तक भी पहुंचा. अप्रैल 2018 में सलमान खान को इस मामले में दोषी मानते हुए 5 साल की सजा सुनाई गई. हालांकि, उसी दिन सलमान 50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत लेकर बाहर आ गए.

लौरेंस बिशनोई ने कराई थी सलमान के घर पर फायरिंग

14 अप्रैल 2024 को मुंबई में जब सलमान खान के घर पर फायरिंग हुई, तो लौरेंस बिश्नोई की दुश्मनी की वो सारी यादें ताजा हो गईं, जो पिछले 6 साल से चल रही है. सलमान के घर पर हुई फायरिंग के पीछे लॉरेंस बिश्नोई गैंग का ही हाथ बताया जा रहा है. साल 2018 से सलमान खान के पीछे पड़ा लौरेंस इससे पहले भी उनके ऊपर हमले की साजिश रच चुका है. लौरेंस बिश्नोई, जो इस वक्त दिल्ली की जेल में बंद है.

ब्लैक बग का बिश्नोई समुदाय में क्या महत्व है

बिश्नोई समाज का नाम भगवान विष्णु के नाम पर पड़ा. यहां के लोग पर्यावरण की पूजा करते हैं. इस समाज के ज्यादातर लोग जंगल और राजस्थान के रेगिस्तान के पास रहते हैं. ये लोग हिंदू गुरू श्री जम्भेश्वर भगवान को मानते हैं. वे बीकानेर से थे. जम्भेश्वर भगवान को प्रकृति बहुत प्रिय थी. वे हमेशा पेड़ पौधों और जानवरों की रक्षा करने का संदेश देते थे. इन्होंने ही 1485 में बिश्नोई हिन्दू धर्म की स्थापना की. बिश्नोई शब्द की उत्पति वैष्णवी शब्द से हुई है जिसका अर्थ है विष्णु के अनुयायी.

यह समाज पेड़-पौधों और जानवरों को अपने परिवार की तरह मानते हैं और उनकी रक्षा करते हैं. इस समाज की महिलाएं बच्चों की तरह हिरण को अपना दूध भी पिलाती हैं. वन और वन्य जीवों से जुड़े कई वन संरक्षण आंदोलनों में बिश्नोई समाज ने अपने प्राण गवाएं. इस समाज के लोग काले हिरण को बहुत शुभ मानते है.

सलमान खान और मुंबई के अपराध का चढ़ता ग्राफ

फिल्म सितारे सलमान खान के घर के बाहर जिस तरह बेधड़क गोलियां चलाई गईं और अपराधियों ने अपने बेखौफ होने का परिचय दिया है, वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार और पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है.

दरअसल, यह कांड बताता है कि महाराष्ट्र में प्रशासनिक कूवत में किस तरह लगातार गिरावट आ रही है. शासन और पुलिस प्रशासन द्वारा बड़ीबड़ी बातें करने के बावजूद असली आरोपियों के गरीबान पर हाथ नहीं डाला जा सका है. किराए के गोली चलाने वालों को पकड़ कर पुलिस अपनी पीठ थपथपा रही है.

आज के मौडर्न समय में जब हर जगह सीसीटीवी लगे हुए हैं, पुलिस के पास नई से नई तकनीकें हैं, इस के बावजूद अपराधी किस्म के लोग सलमान खान को धमकियां दे रहे हैं, जो सार्वजनिक तौर पर साबित हो चुका है, यह पूरी कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है. अभी तक तो जड़ से जुड़े आरोपियों को पुलिस के शिकंजे में होना चाहिए था, मगर वह सिर्फ खाक छान रही है. देखा जाए तो यह पूरा मामला एक मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे के कामकाज और शख्सीयत पर ग्रहण लगाता है.

मामला यह है

करोड़ों लोगों के चहते बन चुके फिल्म कलाकार सलमान खान के मुंबई वाले घर के बाहर रविवार, 14 अप्रैल, 2024 को तड़के मोटरसाइकिल सवार 2 अनजान लोगों ने गोलीबारी की और भाग गए. इस सनसनीखेज मामले के बाद पुलिस ने उन के घर के आसपास सिक्योरिटी बढ़ा दी और आरोपियों की तलाश शुरू कर दी. हालांकि बाद में 2 आरोपी पकड़े, पर पुलिस यह नहीं पता लगा पाई कि यह गोलीकांड किस के कहने पर हुआ था. वैसे, बताया जा रहा है कि जेल में बंद गिरोहबाज लौरैंस बिश्नोई के छोटे भाई अनमोल बिश्नोई द्वारा अपलोड की गई एक फेसबुक पोस्ट में बौलीवुड हीरो सलमान खान पर रविवार की सुबह हुई गोलीबारी की जिम्मेदारी ली गई है.
इस तरह यह साफ हो चुका है कि सलमान खान को धमकी देने के पीछे कौन है और उस की मंशा क्या है.

पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मामले में वांटेड अनमोल बिश्नोई ने इस गोलीबारी को सलमान खान के लिए ‘पहली और आखिरी चेतावनी’ बताया है. सलमान खान को धमकी देते हुए कहा गया है कि अब से दीवारों या किसी खाली घर पर गोलियां नहीं चलाई जाएंगी.

मुंबई में अपराध शाखा के अफसरों ने कहा है कि वे फेसबुक पोस्ट की जांच कर रहे हैं. उधर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सलमान खान से जुड़ी इस वारदात के मद्देनजर बात की और कहा कि राज्य सरकार किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं देगी.

दरअसल, सलमान खान के बांद्रा इलाके में बने ‘गैलेक्सी अपार्टमैंट्स’ के बाहर रविवार, 14 अप्रैल, 2024 की सुबह तकरीबन पांच बजे 2 लोगों ने 4 गोलियां चलाई थीं और फिर भाग खड़े हुए थे.

इस वारदात के बाद महाराष्ट्र खासकर मुंबई में एक दहशत का माहौल बन गया है और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पद ग्रहण करने के बाद फिल्म इंडस्ट्री में एक बड़ी घटना के रूप में दर्ज हो गया है, जिस का खत्म होना बहुत जरूरी है. चुनाव का समय है और ऐसे में उन की पार्टी को इस का खमियाजा भी झेलना पड़ सकता है.

एक अफसर के ‌मुताबिक, सुबूत इकट्ठा करने के लिए स्थानीय पुलिस, अपराध शाखा और फौरैंसिक विज्ञान की एक टीम भी मौके पर पहुंची और घटना की जांच शुरू कर दी गई. वैसे, पिछले साल मार्च महीने में सलमान खान के दफ्तर को एक ईमेल भेज कर सलमान खान को धमकी दी गई थी, जिस के बाद मुंबई पुलिस ने गिरोहबाज लौरैंस बिश्नोई, गोल्डी बराड़ और एक और के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी समेत दूसरी धाराओं में एक एफआईआर दर्ज कर ली थी.

इस मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच ने भुज, गुजरात से 2 नौजवानों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार नौजवान गौनाहा थाने के मसही गांव के विक्की गुप्ता (24 साल) व सागर कुमार (21साल) हैं. पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार दोनों नौजवानों का जिले में कोई आपराधिक इतिहास नहीं है.

Happy Birthday Deepika: रणवीर सिंह की इन आदतों से परेशान है दीपिका पादुकोण

बौलीवुड की जानी-मानी एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) अपनी फिल्मों और बोल्डनेस को लेकर अक्सर सुर्खियों में बनीं रहती है. बीते दिनों वो अपनी फिल्म ‘पठान’ (Pathan)को लेकर काफी चर्चा में रही हैं. और अब वह आने वाली फिल्म ‘फाइटर’ (Fighter) को लेकर चर्चा में बनीं हुई है लेकिन बौलीवुड की ये मशूहर एक्ट्रेस आज अपने जन्मदिन (Birthday) को लेकर मीडिया की लाइमलाइट (Limelight) में है. जी हां, दीपिका आज अपना 37वां बर्थडे सेलिब्रेट (Celebrate) कर रही है.


इस बात से तो सभी वाकिफ है कि दीपिका पादुकोण रणवीर सिंह से शादी कर कितनी खुश है. दोनों का प्यार पूरे बौलीवुड में मशहूर है दोनों की केमेस्ट्री को काफी पसंद किया जाता है. लेकिन इतने प्यार के बावजूद भी दीपिका रणवीर सिंह की एक आदत से बहुत ज्यादा परेशान हैं. इतनी कि वह कभी-कभी इरिटेट भी हो जाती हैं. इस बात का खुलासा खुद एक्ट्रेस ने अपने एक इंटरव्यू में किया था. उन्होंने कहा था, मुझे रणवीर की ये आदत बिल्कुल पसंद नहीं है. वो अपना खाना वो बहुत ही जल्दी खा लेते हैं, ये सब देखकर मैं बहुत इरिटेट हो जाती हूं. इतने मैं दो बाइट ही लेती हूं कि रणवीर अपना खाना खत्म कर चुके होते हैं.

आपको बता दें कि मॉडलिंग के बाद फिल्मों में एंट्री करने वाली दीपिका ने अपने अब तक के करियर में कई ऐसे किरदार निभाए हैं जिन्होंने आज उन्हें टॉप एक्ट्रेस बनाया है. दीपिका पादुकोण आज बॉलवुड की हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस में से एक हैं. फिल्म मेकर्स में उन्हें अपनी फिल्मों में देखना चाहते हैं. वह मेकर्स की पहली पसंद बन चुकी हैं. दीपिका अपनी एक फिल्म के लिए करीब 15 से 30 करोड़ रुपये तक चार्ज करती हैं. इतना ही नहीं उनकी कुल नेटवर्थ 314 करोड़ रुपये के आस-पास बताई जाती है.

 

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बता दें कि दीपिका पादुकोण आखिरी बार साल 2022 में ‘गहराइया’ में नजर आई थीं. इस फिल्म को कुछ खास सफलता नहीं मिली थी. लेकिन इसमें उनके किरदार को काफी पसंद किया गया था. आने वाले साल में भी दीपिका के पास कई बड़े प्रोजेक्ट हैं. वह जल्द ही ‘फाइटर’ ‘सपना दीदी’ और फिल्म ‘सिंघम अगेन’ में नजर आने वाली हैं.

मुंबई एक्टर बनने का सपना लेकर आए थे मनीष पॉल, पढ़े इंटरव्यू

मुंबई शहर में कई सारे लोग एक्टर बनने का सपना लेकर आते हैं. जिनमें से कुछ ही लोग होते हैं जो अपनी मंजिल तक पहुंच पाते हैं . उन्हीं में से एक एक्टर जो की प्रसिद्ध एंकर भी हैं मनीष पॉल एक ऐसा जाना माना नाम है जिन्हें हर कोई पहचानता है. बस फर्क इतना है कि मनीष पॉल एक्टिंग से ज्यादा लोगों को हंसाने के लिए, कॉमेडी करने के लिए बतौर एंकर जाने जाते हैं. शायद ही कोई रियलिटी शो या अवॉर्ड शो होगा जिसके एंकर मनीष पॉल नहीं होंगे. क्योंकि मनीष पॉल ने अभी तक अनगिनत अवॉर्ड शो म्यूजिकल डांसिंग शोज़ की एंकरिंग करके अच्छा खासा नाम कमाया है. लेकिन यह बहुत कम लोग जानते हैं कि मनीष पॉल का एक्टर बनने का सपना अभी भी अधूरा है जिस को पूरा करने की कोशिश जारी है.. अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए मनीष एंकरिंग के साथ एक्टिंग के लिए भी अग्रसर रहते हैं. जिसके चलते हाल ही में  वह उनकी रिलीज फिल्म जुग जुग जियो में एक महत्वपूर्ण किरदार में नजर आए. अब मनीष पॉल एक बार फिर रफू चक्कर वेब सीरीज के जरिए लोगों को चौंका रहे हैं. क्योंकि इस सीरीज में मनीष पॉल ने पांच अलग किरदार निभाए हैं. जिसके लिए उन्होंने बहुत सारी तैयारी की है .10 से 15 किलो तक  वजन कम कर के और फिर वही वजन फिर से बढ़ाकर. इस सीरीज के लिए कई किरदार अदा किये  है. मनीष पॉल ने कोई कसर नहीं छोड़ी है अपने आप को बेहतर एक्टर प्रस्तुत करने के लिए. इसके अलावा भी मनीष पॉल सोनी चैनल पर प्रसारित कॉमेडी सर्कस, और कुछ फिल्मों में भी नजर आए हैं. पेश है मनीष पॉल जैसे बेहतरीन एक्टर एंकर और कॉमेडियन के साथ दिलचस्प बातचीत के खास अंश. ताजातरीन बातचीत के दौरान.

प्रश्न- आपकी ताजातरीन वेब सीरीज रफू चक्कर के लिए आप की काफी तारीफ हो रही है इसमें आपने कई तरह के किरदार निभाए हैं सुना है उसके लिए आपने मेहनत भी बहुत की है. क्या इस बारे में कुछ बताएंगे?

हा… रफूचक्कर मेरे लिए बहुत ही चैलेंजिंग रहा है. क्योंकि इसके लिए मुझे करीबन 20 किलो वजन बढ़ाना पड़ा. जो मैंने आज तक कभी नहीं किया. इसके बाद मुझे रफूचक्कर का ही दूसरा किरदार निभाने के लिए मुझे फिर से अपना उतना ही वजन कम करना पड़ा . क्योंकि वह मेरा दूसरा गेटअप था. इस वेब सीरीज में मेरा एक नहीं बल्कि पांच अलग-अलग रूप हैं. जो  मुश्किल और चैलेंजिग भी है. खास तौर पर जब मैंने बूढ़े का किरदार निभाया . तो वह मेरे लिए और सबसे ज्यादा मुश्किल था. क्योंकि उसमें मेरा मेकअप बहुत मुश्किल और तकलीफ देह था. लेकिन इन सबके बावजूद जब मुझे दर्शकों का अच्छा रिस्पांस मिला तो मैं अपनी सारी तकलीफ भूल गया .एक एक्टर के तौर पर मुझे रफ़ूचक्कर में अपना किरदार निभाकर अभिनय संतुष्टि मिली. 

प्रश्न – दिल्ली से मुंबई तक का आपका सफर काफी मुश्किल और संघर्ष मय रहा है .इस दौरान क्या कभी आपको निराशा हुई?

निराशा तो नहीं बोल सकते कभी-कभी परेशान जरूर हो जाता था. जब आर्थिक तंगी के चलते संघर्ष के दौरान काफी कुछ झेलना पड़ता था. जैसे कि अब तक के कैरियर में मुझे जो भी काम मिला मैंने वह किया.. शूटिंग स्थल तक पहुंचने के लिए पैसों के अभाव के चलते मैं कई घंटों चलता रहता था ताकि रिक्शा बस का पैसा बचा सकूं. फन रिपब्लिक सिनेमा की सीढ़ियों पर बैठकर लोगों को फोन किया करता था. ताकि मैं ऑडिशन दे सकूं और काम पाने के लिए निर्माताओं से मिल सकूं. मैंने काफी समय यश राज स्टूडियो के बाहर जो सैंडविच वाले होते हैं उनके पास एक सैंडविच खा कर पूरा दिन गुजार कर भी मुश्किल वक्त गुजारा है. लेकिन इस बीच कभी भी मैं पूरी तरह से निराश नहीं हुआ. और ना ही मैंने यह सोचा की अब और नहीं होगा . यानी कि मैंने कभी भी हार नहीं मानी. क्योंकि मेरे साथ मेरी मां पिता का पूरा सपोर्ट था. मेरी पत्नी संयुक्तता जो मेरी बचपन की दोस्त भी है ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया. घरवालों के मेंटल सपोर्ट की वजह से ही मैं जिंदगी में आगे बढ़ पाया. उन्हीं की बदौलत मैंने छोटे पर्दे से लेकर बड़े पर्दे तक लंबा सफर आसानी से तय कर लिया. मुझे पहला शो संडे टैगो में एंकरिंग करने का मौका मिला. उसके बाद मैंने रेड़ियो जॉकी औऱ वीडियो जॉकी बन कर कई सारे शोज किए. उसके बाद राधा की बेटियां कुछ कर दिखाएंगी , घोस्ट बना दोस्त, जिंदादिल जैसे सीरियलों में काम किया। सारेगामा लिटिल चैंप्स में बताओ एंकर काम करने का मौका मिला. उसके बाद अक्षय कुमार कैटरीना कैफ की फिल्म तीस मारखा में रोल निभाने का मौका मिला . आखिरकार बतौर हीरो मिकी वायरस फिल्म करने का मौका मिला. जो मेरे लिए बहुत बड़ा मौका था.

प्रश्न – पहली फिल्म मिकी वायरस की असफलता ने क्या आपको आहत किया?

जब हम किसी चीज के लिए मेहनत करते हैं. और हमारी उससे कई सारी उम्मीदें जुड़ी होती हैं. तो दुख तो होता ही है लेकिन फिल्म फ्लॉप होने के बावजूद मैंने हार नहीं मानी. और ना ही मैंने टीवी छोड़ा. जब मैंने मिकी वायरस फिल्म साइन की थी . तो मुझे कई लोगों ने बोला कि मैं टीवी मैं काम करना बंद कर दू . लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया. मैंने कभी भी बड़े पर्दे के लिए छोटे पर्दे को नजर अंदाज़ नहीं किया. और मेरी इसी अच्छाई ने बड़े पर्दे की तरफ बढ़ने के लिए मेरा साथ दिया. मिकी वायरस की असफलता के बावजूद जुग जुग जियो में मुझे अच्छा और बड़ा रोड मिला जिसका मुझे फायदा भी हुआ मुझे लोगों ने बतौर एक्टर पसंद किया. और मुझे अच्छे-अच्छे रोल ऑफर होने लगे. जिनमें से एक रफू चक्कर वेब सीरीज है. 

प्रश्न – दिल्ली से मुंबई जब भी कोई लड़का एक्टर बनने आता है तो कोई ना कोई बड़ा हीरो उसका आइडियल होता है. ऐसे में आप सबसे ज्यादा कौन से हीरो से प्रभावित थे?

मैं अमित जी का बहुत बड़ा फैन हूं. मेरा सौभाग्य है कि मुझे अपने जन्मदिन पर उनका आशीर्वाद  मिल जाता है. अमित जी के साथ मुझे थोड़ा भी स्क्रीन शेयर करने को मिलता है तो मैं गदगद हो जाता हूं. अमित जी के अलावा अनिल कपूर और अक्षय कुमार भी मेरे बहुत फेवरेट है. उनके साथ काम करने में अलग ही मजा आता है.

प्रश्न – बतौर एंकर आप काफी लोकप्रिय है आप की कॉमेडी टाइमिंग बहुत अच्छी है .आप ही की तरह भारती सिंह और कपिल शर्मा भी बहुत अच्छी एंकरिंग करते हैं. ऐसे में क्या आप उनको अपना प्रतिद्वन्दी मानते हैं

नही ..बिल्कुल नहीं. भारती सिंह तो मेरी बहन जैसी है. हम दोनों ने साथ में संघर्ष किया है कई शोज में हम दोनों दर्शकों के बीच फंस जाते थे.  तो हमे वहां से सरपट भागना पड़ता था. संघर्ष के दिनों से लेकर आज तक भारती और मैंने एक दूसरे का हमेशा साथ दिया. हमने कई सारे कॉमेडी एक्ट कॉमेडी सर्कस शो में किए हैं .जो दर्शकों द्वारा काफी पसंद किए गए. कपिल शर्मा भी मेरे भाई जैसा है हमारे बीच में कोई जलन या प्रतिद्वंदिता नहीं है. हम एक दूसरे की इज्जत करते हैं. और हमेशा एक दूसरे के काम भी आते हैं.

प्रश्न -एक कॉमेडियन के लिए गंभीर रोल करना कितना मुश्किल होता है ? जबकि वह अपनी कॉमेडी में टाइप्ड हो चुका हो. जैसे कि आप की पहली फिल्म मिकी वायरस फ्लॉप रही. जबकि जुग जुग जियो में आप की कॉमेडी को पसंद किया गया?

हां आप सही कह रही हैं. लोगों को यह बात बिल्कुल भी हजम नहीं होती की एक कॉमेडियन या हंसाने वाला एंकर गंभीर रोल भी अच्छे से निभा सकता है. अपने आपको अच्छा एक्टर साबित करने के लिए एक कॉमेडियन को एक्टर से भी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. मैंने भी ऐसा ही किया. जिसके चलते रफू चक्कर में गंभीर किरदार में भी लोगों ने मुझे पसंद किया. मैं मुंबई एक्टर बनने आया था और मेरी आखिर तक कोशिश रहेगी कि मैं अपने आपको दर्शकों की नजर में अच्छा एक्टर साबित कर सकूं.

प्रश्न -आजकल इंडस्ट्री में गुटबाजी का चलन है. किसी ग्रुप में जुड़े रहने से फिल्मों में काम पाना आसान हो जाता है. क्या आप कभी किसी ग्रुप में शामिल हुए?

नहीं मैं किसी भी गैंग या  ग्रुप का हिस्सा नहीं हूं. मेरे सभी के साथ अच्छे संबंध रहे हैं. शाहरुख सलमान अक्षय सभी से मुझे प्यार और सम्मान मिला है. एंकरिंग की वजह से मेरे सभी के साथ बहुत अच्छे रिश्ते हैं. मेरा मानना है अच्छा काम मुझे तभी मिलेगा जब या तो मेरे नसीब में होगा, या मेरी मेहनत रंग लाएगी. गुटबाजी करने से कुछ भी हासिल नहीं होगा. इससे बेहतर है मैं अपने काम पर ध्यान दू.

प्रश्न -आपने अपने कैरियर की शुरुआत सन 2002 में की थी आज 2023 में आप अपने आप को कितना संतुष्ट पाते हैं?

मैं अपने अब तक के कैरियर से बहुत खुश हूं. इतने लंबे कैरियर के बाद भी आप लोग मुझे देखना चाहते हैं. मुझे पसंद करते हैं. आज भी मुझे काम मिल रहा है, मेरे काम की सराहना भी हो रही है, पारिवारिक, मानसिक और आर्थिक तौर पर मैं स्थिर और संतुष्ट  हूं. एक समय में खाने के लिए पैसे नहीं थे. आज घर गाड़ी पैसा सब कुछ है. अपनों और दर्शकों का प्यार है. इससे ज्यादा क्या चाहिए.

प्रश्न -आपने एक शो भी किया था अपने नाम से . मूवी मस्ती विद मनीष पॉल, उससे आपको कितना फायदा मिला?

मेरा वह शो बहुत ही मजेदार था. लेकिन उसके लिमिटेड एपिसोड थे इसलिए ज्यादा नहीं आगे बढ़ा पाए. यह गेम शो फिल्मों पर आधारित था, जिसमें आए कलाकार भी जवाब नहीं दे पा रहे थे. क्योंकि मैं खुद फिल्मी कीड़ा हूं. मुझे फिल्मों से प्यार है. इसीलिए मुझे यह शो करने में बहुत मजा आया था.

प्रश्न – आपका परिवार आपकी पत्नी कभी सोशल मीडिया पर नजर नहीं आती. क्या आप नहीं चाहते कि आपकी फैमिली सोशल मीडिया पर नजर आए?

नही ऐसी कोई बात नहीं है. मेरे परिवार शो बिजनेस से दूर रहता है. मैं अपने परिवार को साल में एक बार लंबी छुट्टियों पर घुमाने ले जाता हू.

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