पिछला प्रेम और सेक्स

‘लव, सैक्स और धोखा’ यह सिर्फ फिल्मी लफ्फाजी नहीं, आजकल युवाओं की जिंदगी इन्हीं 3 शब्दों के इर्दगिर्द है. रिश्तों की जरूरत को न समझने की आदत अब हमारे जीवन का हिस्सा बन रही है, जिस से रिश्ते कमजोर हो रहे हैं.

प्रेम, विछोह और पुनर्मिलन के परंपरागत कौन्सैप्ट से दूर रंगीन परदे पर अब लव, सैक्स और धोखे का तड़का ही ज्यादा नजर आता है. आजकल इंस्टैंट लव और उस के बाद इंस्टैंट सैक्स नैटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो के जरखरीद प्लेटफौर्मों का ट्रैंड बन गया है.

प्रेम आधारित शो में वासना, कामुकता, स्वार्थ और धोखे का रंग ज्यादा नजर आता है. उन में समर्पण, विश्वास, संयम, प्रेम जैसी भावनाएं नहीं बल्कि बिंदासपन हावी है.

हिंदी सिनेमा ने प्यार पर आधारित बेहतरीन फिल्में दी हैं. ‘मुगलेआजम’, ‘पाकीजा’, ‘लैला मजनू’, ‘सोनी महिवाल’ जैसी फिल्मों को याद करिए. उस परंपरा से बिलकुल अलहदा आज की फिल्में या धारावाहिक प्यार और सैक्स की सीमाओं को तोड़ते नजर आते हैं.

प्यार का अर्थ है सैक्स और तृप्ति, जो बैडरूम की सीमा से बाहर भी कहीं भी हो सकता है. अब हर शो में कन्फ्यूज्ड प्रेमियों की कहानी परोसी जा रही है, जो तार्किक रूप से रिश्तों के साथ इंसाफ नहीं कर पाती. असलियत यह है कि आज की फिल्में व शो रिश्तों को ज्यादा छिछला बना रहे हैं. ये प्यार और सैक्स जैसी बेशकीमती भावना को बहुत हलका कर रहे हैं.

‘मनमरजियां’ ऐसी हिंदी फिल्म थी जिस में प्यार की कहानी टिंडर और फेसबुक से शुरू हुई थी. उस के बाद प्रेमीप्रेमिका छिपछिप कर मिलने लगते हैं. उन का मिलन अपनी सारी हदें लांघ जाता है. विवाहपूर्व शारीरिक संबंधों पर दोनों को कोई एतराज नहीं, बल्कि वे इसे ही प्यार समझते हैं. लड़की के परिवार वाले उसे रंगेहाथों पकड़ भी लेते हैं, लेकिन प्यार को हलके में लेने वाले, गैरजिम्मेदार और लापरवाह लड़के के लिए शादी कर के जिम्मेदारी लेना एक आफत होती है. इस तरह के लड़के कहते हैं कि प्यार के लिए शादी की क्या जरूरत. मगर लड़कियां आज भी प्रेमी से कमिटमैंट चाहती हैं. कमिटमैंट पर वे उस के साथ भागने को भी तैयार हो जाती हैं.

लड़कियों को जब एहसास होता है कि प्रेमी जिम्मेदार साथी बनने के लायक नहीं है क्योंकि उस की जेब खाली है और भविष्य में उसे जीवनयापन के लिए क्या करना है, इस की भी कोई रूपरेखा उस ने तैयार नहीं की है, तो उसे छोड़ कर उन्हें वापस लौटना पड़ता है.

इस के बाद उन के जीवन पर काला धब्बा पड़ा रहता है. उन्हें अपनी गलती का एहसास रहता है. उन्हें किसी भी नए जने से मिलने में हिचकिचाहट होती है. जिस रिश्ते में सीमाओं की गरिमा और परिवार की इज्जत की कोई परवा न हो और लड़की बिंदास जीवन जीने की आदी हो तो वह हमेशा उसी मोल्ड में वापस जाने को बेचैन रहती है जिस में पहला प्रेमी मिला था. परिवार तो साथ देते ही हैं चाहे उन की संतान कैसी भी हो.

शारीरिक सुख पाने की हवस में लड़की की आंखों पर ऐसा परदा पड़ जाता है कि वह अपने प्रेमी की असलियत नहीं समझ पाती.उस में इंसान की परख करने की क्षमता नहीं रहती है. वह बारबार नए आदमी के साथ हमबिस्तर होती है, वह भी खुलेआम. जबकि, लड़का उस से शादी कर के परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं है और जो व्यक्ति उस से शादी कर के जिम्मेदारी उठाने को तैयार है, यानी पुराने साथी के प्रति भी वह वफादार नहीं रह पाती है.

हालांकि उस की और उस के प्रेमी के बीच शारीरिक संबंधों की जानकारी होने पर ‘कोई बात नहीं’ कह कर वह स्वीकार कर ले मगर जिस वफादारी की उसे अपने साथी से उम्मीद हो, वह उस पर भी खरा न उतरे तो जिंदगी फिर एक बो  झ बन जाती है.

लड़कियों को ध्यान रखना चाहिए कि जिस के लिए प्यार का मतलब सिर्फ सैक्स है, वह उन के मतलब का नहीं. जिम्मेदारी लेना, रिश्तों को निभाना उस के बस में होना चाहिए. ऐसे लड़के कम होते हैं जो बेवफाई देख कर भी खामोशी ओढ़े रहें, उस के खून में जैसे कोई गरमी ही न हो, जैसे उस की रीढ़ की हड्डी न हो. दब्बू और कायर प्रेमी, जो अपनी प्रेमिका की तमाम गलत हरकतें देखते हुए भी खामोशी ओढ़े रहें, कम ही होते हैं. हर हाल में माफ करने और उस के साथ रहने को लालायित प्रेमी भी नहीं मिलते, याद रखें.

हमारे पुराण ऐसी कहानियों से भरे हैं जिन में ऋषिमुनि शारीरिक मिलन की बेताबी के आगे जगह और वक्त भी नहीं देखते, पर उस का खमियाजा ही लड़कियां भोगती रही हैं. आज भी वह बात बेटों में मौजूद है और ऐसे लड़कों की कमी नहीं. उन का प्रेम शारीरिक संबंध बनाने भर पर खत्म होता है.

प्रेमी महज डीजे है, जिस की कोई स्थायी कमाई नहीं है. बस ‘खाओ, खेलो’ के सिद्धांत पर चलने वाले लक्ष्यहीन और लापरवाह प्रेमी बहुत हैं. फिर भी उन्हें प्रेमिकाएं मिल जाती हैं. यहां तक कि उन्हें अपनी दूसरी प्रेमी के सामने प्यार का इजहार करने में कोई डर,  ि झ  झक या शर्मिंदगी नहीं होती. ऐसी लड़कियां भी कम नहीं हैं जो स्वार्थी हों और सिर्फ अपने मन की करने में विश्वास रखती हों, जिन्हें अपने परिवार की इज्जत की कोई परवा न हो. उन के आगे लौजिक की कोई लाइन नहीं खिंची है. उन्हें, दरअसल, लड़कों की परख नहीं है. यही वजह है कि वे बारबार अपने प्रेमियों से धोखा खाती हैं पर बारबार उन के साथ हमबिस्तर भी होती हैं क्योंकि उन्हें वही मोमैंट अच्छे लगते हैं.

कितनी ही लड़कियां प्रेमी के चक्कर से नहीं छूटना चाहतीं. वे चोरीछिपे मिलती रहती हैं और शारीरिक संबंध बनाती रहती हैं चाहे दूसरा प्रेमी भी हो या शादी हो गई हो. दरअसल, उन्हें ट्रौफी गर्ल, जो ड्राइंगरूम की शोभा बनती है, रैस्तरां में दूसरे लड़कों में ईर्ष्या पैदा करती हैं, बनना अच्छा लगता है और वे इसे मानती हैं कि जीवन सफल हो गया. प्यार की जटिलताओं को सम  झने में सैक्स का तड़का ठीक नहीं, इस से जीवन स्थिर नहीं होता.

आज ऐसे परिवारों की गिनती बढ़ती जा रही है जहां परिवार के बुजुर्ग अपनी मनमरजी करने वाली बेटी या बेटे के कारण बारबार निराश व अपमानित होते हैं. अनिश्चितता से घिरी एक लड़की, जो सैक्स और प्रेम में विभेद न जाने, जिस के लिए परिवार की इज्जत और जिम्मेदारी कोई माने नहीं रखती है,  कितनी दूर तक जीवन के पक्के रिश्ते को निभा पाएगी, यह सवाल उठ खड़ा हो जाता है.

एक नए समाज की शुरुआत तो हो गई है. पर न मर्ज पता है, न इलाज. अब यह आम है, बस इसे स्वीकार कर लो. इस के परिणाम की चिंता न करो. पतिपत्नी बन जाओ तो कैसे तनाव से दिन गुजरेंगे, तलाक होंगे, बच्चे भटकेंगे आदि की चिंता युवाओं को नहीं है. यह गलती है, भटकाव है क्योंकि आज की थोड़ी सेफ जिंदगी में भी जवानी 40-50 में ढलने लगेगी ही. उस के बाद के सालों में क्या होगा, यह 15-20 साल वालों को आज एहसास नहीं है.

आज नही करना चाहता आपका पार्टनर सैक्स, कैसे बताएं हाल ए दिल

आपके कौलेज का आखिरी सेमेस्टर है और कल सुबह की परीक्षा के बाद कौलेज खत्म हो जाएगा. यह सबसे कठिन विषय है और आप काफी समय से इसके लिए काफी मेहनत से पढ़ रहे हैं, और इसलिए इस समय सेक्स के खयाल आपके दिमाग के आस पास भी नहीं फटक रहे. फिर चाहे आपकी गर्लफ्रेंड आपके साथ बिस्तर पर निर्वस्त्र ही क्यूं ना हो. उसके इम्तिहान खत्म हो चुके हैं और उसके दिमाग में अब कोई दबाव नहीं है और शायद इसलिए वो सेक्स के बारे में सोच रही है. तो ऐसे में आप उसे सेक्स के लिए कैसे मना करेंगे और इससे क्या फर्क पड़ेगा?

लेकिन सच ये है कि आपके मना करने के तरीके से दरअसल फर्क पड़ेगा. किसी भी रिश्ते में ऐसा समय आ सकता है जब एक साथी मूड में हो और दूसरा नहीं. इस स्थिति को सही तरीके से सम्भालना महत्वपूर्ण है क्यूंकि सेक्स को लेकर हुई असमर्थता से भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है.

काफी कुछ दांव पर

‘मेरे विचार में इसका सम्बन्ध भावनात्मक अति संवेदनशीलता से है’, कनेडीयन शोधकर्ता जेम्स किम ने 2016 की इंटर्नैशनल असोसीएशन फोर रेलेशन्शिप रीसर्च कॉन्फ़्रेन्स के दौरान बताया “एक रिश्ते में दो लोगों के बीच में कई बातों को लेकर मतभिन्नता हो सकती है, जैसे कि घर की सफाई, खाने में क्या बनाना है, बच्चो को किस स्कूल में डालना है वगैरह, वगैरह. लेकिन जहां तक सेक्स की जरूरतें हैं, उनके लिए आपकी अपेक्षाएं केवल आपके साथी से होती हैं. और ऐसे में अकसर काफी कुछ दांव पर लगा होता है, क्यूंकि अपने साथी से यह सुनना तकलीफदेह हो सकता है कि वो आपके साथ सेक्स करने के इच्छुक नहीं हैं.’

बातचीत में शामिल हों

किम ये पता लगाना चाहते थे कि लोग अपने साथी को सेक्स के लिए कैसे मना करते हैं. वो ये भी देखना चाहते थे कि रिश्तों और सेक्स की संतुष्टि के नजरिए से क्या ना कहने के कुछ तरीके दूसरे तरीकों से बेहतर थे?

पहले, उन्होंने शोध में शामिल 1200 लोगों से पूछा कि वो सेक्स के लिए कैसे मना करते हैं. उन्होंने चार वर्गीकरण किए और हर एक का उदाहरण सामने रखा. प्रयोग के दूसरे चरण में उन्होंने ‘ना’ कहने के बेहतर तरीक़ों को बारीकी से देखा.

ना कहने के चार तरीके

किम ने ना कहने तरीकों को चार हिस्सों में बांटा

  1. ‘केवल चुंबन और आलिंगन करते हैं ना’

सकारात्मक से शुरू करते हैं. यदि आप सेक्स के मूड में नहीं हैं, तो अपने साथी को चुम्बन और आलिंगन करने के लिए कहें. इस तरह आपको उन्हें निराश नहीं करना पड़ेगा और उन्हें बुरा नहीं लगेगा. ये एक तरह से एक संदेश है, ‘कि मूड नहीं होने की वजह तुम नहीं हो, तुम से मुझे बेहद प्यार है और आकर्षण भी है.’

2.’उफ्फ, दूर हटो’

ये अगला वर्गीकरण जरा कटुतापूर्ण है. इसके फलस्वरूप आपके साथी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंच सकती है और इस तरीके का सम्बन्ध कमजोर और नाखुश रिश्तों और असंतुष्ट सेक्स जीवन से होता है.

3.’नहीं, मूड नहीं है’

ये ना कहने का एक निर्णयपूर्ण तरीका है जो बिना अपने साथी की भावनाओं की कद्र किए, बस सेक्स की पेशकश को खारिज करने जैसा है. जैसे कि, “नहीं, मेरा सेक्स करने का मूड नहीं है.”

  1. संकेत देना

और अंत में किम की रिसर्च में एक पहलू ड्रामेबाजी का भी सामने आया. यानि मुंह पर मना करने की बजाय सोने का नाटक करना या दूर रहने का शारीरिक संकेत देना.

सबसे बेहतर क्या?

तो सबसे सही और सबसे ख़राब तरीका कौनसा है? देखिए अगर आप सेक्स के मूड में नहीं हैं तो भी अपने साथी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाना किसी भी लिहाज से सही नहीं है. सेक्स ना सही, आप कम से कम प्यार और पुनः आश्वासन तो दे ही सकते हैं, ताकि आपके साथी को ये महसूस हो सके कि आप उनसे प्यार करते हैं और यह रिश्ता और आप, दोनों ही, उनके लिए बहुत मायने रखता है.

निर्णयपूर्ण ‘ना’ या बहाने बनाना कैसा है? हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इन तरीकों का रिश्तों पर क्या असर पड़ता है, लेकिन यह सच है कि स्पष्ट ‘ना’ कहना उस समय बुरा अवश्य लग सकता है लेकिन लम्बे समय में यह स्पष्टवादिता रिश्ते के लिए अनुकूल सिद्ध हो सकती है.

ना कैसे कहें

इस भाव का शिकार होना आसान है कि ‘शायद मेरा साथी मेरे साथ सेक्स करना पसंद नहीं करता या शायद मैं उन्हें आकर्षक नहीं लगता/लगती.’

अपने साथी को विश्वास दिलाकर आप उन्हें इन नकारात्मक विचारों के चंगुल से मुक्त कर सकते हैं. आपको उन्हें अक्सर ये याद दिलाते रहना चाहिए कि वो आपको कितने आकर्षक लगते हैं और आज भले ही आपकी मनोदशा सेक्स करने की ना हो लेकिन इसका उनके प्रति आपके आकर्षण से कोई सम्बन्ध नहीं है.

सैक्स में युवती भी बन जाए कभी युवक

सैक्स की इच्छा युवक व युवती दोनों की होती है. पर देखा यह गया है कि युवक ही इस की शुरूआत करते हैं पर यदि युवती सैक्स की शुरुआत करे तो युवक को भरपूर आनंद मिलता है लेकिन समस्या यह है कि सैक्स की पहल करे कौन? इस बारे में किए गए एक शोध में पता चला है कि तकरीबन 80 प्रतिशत युवक सैक्स की शुरुआत और इच्छा जाहिर करते हैं. 10 प्रतिशत ऐसे युवक भी हैं जो सैक्स की इच्छा होने पर भी बिस्तर पर पहुंच कर युवती की इच्छाअनिच्छा जाने उस पर टूट पड़ते हैं. कई इस दुविधा में रहते हैं कि पहल करें या न करें.

सैक्स की इच्छा

सैक्स युवकयुवती का सब से निजी मामला है. दोनों आपसी सहमति से इस का मजा लेते हैं. इस मामले में देखा गया है कि सैक्स की पहल युवक ही करते हैं. इस का मतलब यह नहीं कि युवतियों में सैक्स की इच्छा नहीं होती या वे सैक्स संबंध के लिए उत्सुक नहीं रहतीं.

सच तो यह है कि हमारे देश (मुसलिम देशों में भी) में युवतियों के दिमाग में बचपन से ही यह बात भर दी जाती है कि सैक्स अच्छी बात नहीं होती. इस से बचना चाहिए. अपने प्रेमी के सामने भी कभी सैक्स की इच्छा जाहिर नहीं करनी चाहिए. न ही खुद इस की पहल करनी चाहिए. यह बात उन के दिमाग में इस कदर बैठ जाती है कि प्रेम के बाद वे अपने प्रेमी से इस बारे में बात नहीं कर पाती और न ही खुल कर इच्छा जाहिर कर पाती हैं.

एक महत्त्वपूर्ण बात और है, सबकुछ भूल कर साहस के साथ यदि कोई युवती अपने प्रेमी से सैक्स की पहल कर दे तो उस के लिए आफत आ सकती है, क्योंकि उस का प्रेमी उसे खाईखेली समझ सकता है. इसी भय से सैक्स की इच्छा होते हुए भी युवती इस की पहल नहीं करती. यह बात सच है कि युवकों में युवतियों के सैक्स की पहल को ले कर गलत धारणा है कि जो युवती सैक्स की पहल करती है वह खेलीखाई होती है. देश में आज भी सैक्स को बुराई ही समझा जाता है इसलिए भी युवतियां अपनी ओर से पहल करने से कतराती हैं जबकि विदेशों की युवतियां बराबर शरीक होती हैं.

कनाडा के एक मनोचिकित्सक डा. भोजान ने हाल ही में सैक्स की पहल को ले कर औनलाइन सर्वे करवाया, जिस में यह पता करना था कि सैक्स को ले कर युवक और युवतियों का नजरिया क्या है. अधिकतर युवतियां सैक्स को भरपूर ऐंजौय करना तो चाहती हैं, पर सैक्स की पहल उन के ऐंजौय में आड़े आती है. इच्छा होने पर भी वे पहल नहीं कर पातीं और अनिच्छा होने पर मना भी नहीं कर पाती हैं. डा. भोजान का कहना है, युवतियों को सैक्सुअली ऐक्टिव बनाने के लिए उन में इमोशंस की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है. सैक्स का आनंद वे तभी उठा पाती हैं.

मजेदार बात यह है कि सैक्स की पहल को ले कर युवकों का नजरिया काफी बदला है. अब युवक भी चाहता है कि उस की पार्टनर सैक्स के बारे में उस से खुल कर बात करे. उस से सैक्स की इच्छा जाहिर करे.

यह जान कर अधिकतर युवतियों को विश्वास नहीं होगा कि औनलाइन सर्वे में पता चला है कि युवक अपने मन में युवती की तरफ से पहल की चाह संजोए रहते हैं, लेकिन उन की चाह बहुत कम ही पूरी हो पाती है. युवतियों द्वारा पहल न करने की वजह से मजबूरन युवकों को अपनी तरफ से पहल करनी पड़ती है.

युवती करे पहल

जब सैक्स की चाह युवती और युवक दोनों में समान होती है तो ऐसे में सिर्फ युवक ही सैक्स की पहल क्यों करें? युवतियों को भी कभीकभी सैक्स की पहल करनी चाहिए ताकि वे सैक्स को अपनी तरह से ऐंजौय कर सकें.

सर्वे में यह भी पता चला है कि युवतियों को ले कर उन की सोच बदल रही है. युवक भी यह बात समझने लगे हैं कि सैक्स की इच्छा सिर्फ उन में ही नहीं युवतियों में भी होती है. ऐसे में युवती अपने पति से सैक्स की पहल करती है तो इस में बुराई क्या है? सर्वे में अनेक युवकों का कहना था कि अपनी पार्टनर की ओर से की गई पहल उन की रगरग में जबरदस्त जोश भर देती है.

डा. भोजान कहते हैं कि युवक के जोश का युवती के सैक्सुअल सैटिस्फैक्शन से सीधा संबंध होता है. मतलब अपनी ओर से की गई पहल का फायदा उन्हें सीधे तौर पर मिलता है.

युवतियों को अब जान लेना चाहिए कि जमाना बदल गया है. दुनिया भर के युवकों की सोच भी बदल रही है. अपनी झिझक और डर को दूर कर बेझिझक हो कर आप भी कभीकभी युवक बन जाएं और सैक्स ऐंजौय करें.

यहां कुछ तरीके बताए जा रहे हैं, जिन्हें अपना कर आप पार्टनर को सैक्स के लिए उत्साहित कर सकती हैं.

आत्मविश्वास लाएं :

सब से पहले अपने अंदर आत्मविश्वास लाएं, ताकि बेझिझक सैक्स की पहल कर सकें.

मूड बनाएं :

अपने पार्टनर के मूड को देखें और उस के साथ प्यार भरी बातें करें. आप की बातें ऐसी होनी चाहिए कि इस में तैरते हुए सैक्स में डूब जाएं. लव मेकिंग के दौरान खुल कर सैक्स की बातें करें. यदि आप शर्मीली हैं तो डबल मीनिंग वाले नौटी जोक्स उन पलों का मजा बढ़ा देंगे.

तारीफ करें :

आज की रात आप खुद ही लगाम थामिए. सब से पहले उन की तारीफ की झड़ी लगा दें. फिर कान में फुसफुसा कर  अचानक किस कर उन्हें हैरान करें. कान में की गई फुसफुसाहट उन की रगों में खून का लावा भर देगी. जब हर कहीं ऐक्सपैरिमैंट की बहार चल रही है तब सैक्स लाइफ में इसे क्यों न आजमाएं.

छेड़छाड़ करें :

लव मेकिंग के लिए छेड़छाड़ को मामूली क्रिया न समझें. अपनी ओर से पहल करते हुए पार्टनर के साथ छेड़छाड़ करें. इस दौरान कमरे की लाइट धीमी कर दें. साथ में हलका रोमांटिक हौट म्यूजिक बजा दें. कमरे की धीमी लाइट में आंखों की पुतलियां फैल जाती हैं, जिस से रोमांस हार्मोंस शरीर में तेजी से बढ़ने लगता है. साथ में हौट म्यूजिक. इस पल के लिए पूरी रात भी आप के लिए कम पड़ेगी.

आकर्षक लगें :

सैक्स की इच्छा अपने पार्टनर से जाहिर करनी है तो अट्रैक्टिव व सैक्सी मेकअप करें. फिर देखें बैडरूम में अपनी बोल्ड ब्यूटी को देख कर उन्हें आज की रात का प्लान समझते देर नहीं लगेगी.

माहौल बनाएं :

अपने आसपास का माहौल खुशबूदार व रोमांटिक बनाएं. इस के लिए बेहद हौट म्यूजिक बजाएं. रोमांटिक सौंग गुनगुनाएं. तेज परफ्यूम का छिड़काव करें. ऐेसे माहौल में उन के अंदर आग भड़काने में देर नहीं लगेगी. आप के शरीर की भीनीभीनी खुशबू और गरम सांसें उन को बेचैन करने के लिए काफी हैं. क्यों न उन की पसंद की खुशबू का इस्तेमाल कर उन्हें कहर ढाने के लिए मजबूर कर दें.

खुलापन लाएं :

अपने पार्टनर पर खुल कर प्यार लुटाएं. किस करें, गले लगें, बांहों में जकड़ लें. आहें या सिसकियां भरें, ब्लाउज या ब्रा के बटन लगाने या खोलने के बहाने उन्हें अपने पास बुलाएं, टौवेल में उन के सामने हाजिर हो जाएं. आप के खुलेपन को देख कर आप की भावनाओं को वे बड़ी आसानी से समझ जाएंगे. मूड न होने पर भी उन का मूड बन जाएगा.

सैक्सी लौंजरी :

लौंजरी, नाइटी या अंडरगारमैंट की खूबी को ऐसे मौके पर इस्तेमाल करें. इन्हें खरीदते वक्त खासकर इस के फैब्रिक पर ध्यान दें. महीन, मुलायम और फिसलन वाले फैब्रिक हो, जिन पर हाथ फेरते ही उन के हाथ खुदबखुद फिसलने लगेंगे. इस के आकार और रंग का भी ध्यान रखें. यह आप की नहीं उन की पसंद की हो.

हौलेहौले :

यदि आप रात को कुछ खास बनाना चाहती हैं तो देर न करें. उन के बैडरूम में आते ही उन के नजदीक जा कर प्यार जताएं. एकएक कर उन के कपड़े उतारना शुरू करें. आप का बदला रूप देख कर वे ऐक्साइट हो जाएंगे. उन्हें हौट होने में देर नहीं लगेगी. यह उन्हें शारीरिक रूप से ही नहीं मानसिक रूप से भी उत्तेजित करता है.

पोर्न ट्रंप :

अगर आप सचमुच में सैक्स के क्लाइमैक्स को ऐंजौय करना चाहती हैं तो पोर्न को ट्रंप कार्ड की तरह इस्तेमाल करें. उन के सामने पोर्न फिल्म, साइट, मैगजीन या अन्य सामग्री ले कर बैठ जाएं. फिर देखें उन में कैसे जोश भरता है.

ये भी पढ़ें : बड़े काम की है शीघ्रपतन की जानकारी

सेक्स में आनंद और यौन सतुंष्टि का मतलब भी जानें

विभा ने 25-26 वर्ष की उम्र में जिस से विवाह करने का निर्णय लिया वह वाकई दूरदर्शी और समझदार निकला. विभा ने खूब सोचसमझ कर, देखपरख कर यानी भरपूर मुलाकातों के बाद निर्णय लिया कि इस गंभीर विचार वाले व्यक्ति से विवाह कर वह सुखी रहेगी.

विवाह होने में कुछ ही दिन बचे थे कि इसी बीच भावी पति ने एसएमएस भेजा जिसे पढ़ विभा सकुचा गई. लिखा था, ‘‘तुम अभी से गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन शुरू कर दो वरना बाद में कहोगी कि खानेखेलने भी नहीं दिया बच्चे की परवरिश में फंसा दिया. सैक्स पर कुछ पढ़ लो. कहोगी तो लिंक भेज दूंगा. नैट पर देख लेना.’’ यह पढ़ विभा अचरज में पड़ गई.

उसे समझ नहीं आ रहा था कि अपने होने वाले पति की, अटपटी सलाह पर कैसे अमल करे? कैसे व किस से गोलियां मंगवाए व खाए? साथ ही इस तरह की बातें नैट पर पढ़ना तो सब से कठिन काम है, क्योंकि वहां तो पोर्न ही पोर्न भरा है, जो जानकारी देने की जगह उत्तेजित कर देता है.

मगर विभा की यह दिक्कत शाम होतेहोते हल हो गई. दोपहर की कुरियर से अपने नाम का पैकेट व कुछ किताबें पाईं. गोली प्रयोग की विधि भी साथ में भेजे पत्र में थी और साथ एक निर्देश भी था कि किताबें यदि मौका न मिले तो गुसलखाने में ले जा कर पढ़ना, संकोच मत करना. विवाह वाले दिन दूल्हा बने अपने प्यार की आंखों की शरारती भाषा पढ़ विभा जैसे जमीन में गढ़ गई. सुहागरात को पति ने प्यार से समझाया कि सकुचाने की जरूरत नहीं है. इस आनंद को तनमन से भोग कर ही जीवन की पूर्णता हासिल होती है.

आधी अधूरी जानकारी

ज्यादातर युवतियों को तो कुछ पता ही नहीं होता. न उन्हें कोई बताता है और न ही वे सकुचाहट व शर्म के कारण खुद ही कुछ जानना चाहती हैं. पासपड़ोस, सखीसहेलियों से जो आधीअधूरी जानकारी मिलती है वह इतनी गलतफहमी भरी होती है कि यौन सुख का अर्थ भय में बदल उन्मुक्त आनंद व तृप्ति नहीं लेने देता. नैट पर केवल प्रोफैशनल दिखते हैं, आम लोग नहीं जो पोर्न बेचने के नाम पर उकसाते भर हैं. वास्तव में पिया के घर जाने की जितनी चाहत, ललक हर लड़की में होती है, उसी प्रियतम से मिलन किस तरह सुख भरा, संतोषप्रद व यादगार हो, यह ज्यादातर नहीं जानतीं.

कभीकभार सहेलियों की शादी के अनुभव सुन वे समझती हैं कि शादी के बाद पति का संग तो दुखदायी व तंग करने वाला होता है. जैसे कोई हमउम्र सहेली कहे कि बड़े तंग करते हैं तेरे बहनोई पूरीपूरी रात सोने नहीं देते. सारे बदन का कचूमर बना देते हैं. बिन ब्याही युवतियों के मन में यह सब सुन कर दहशत जगना स्वाभाविक है. ये बातें सुनते समय कहने वाली की मुखमुद्रा, उस के नेत्रों की चंचलता, गोपनीय हंसी, इतराहट तो वे पकड़ ही नहीं पातीं.

बस, शब्दों के जाल में उलझ पति का साथ परेशानी देगा सोच घबरा जाती हैं. ब्याह के संदर्भ में कपड़े, जेवर, घूमनाफिरना आदि तो उन्हें लुभाता है, पर पति से एकांत में पड़ने वाला वास्ता आशंकित करता रहता है. परिणामस्वरूप सैक्स की आधीअधूरी जानकारी भय के कारण उन्हें या तो इस खेल का भरपूर सुख नहीं लेने देती या फिर ब्याह के बाद तुरंत गर्भधारण कर लेने से तबीयत में गिरावट के कारण सैक्स को हौआ मानने लगती हैं.

सैक्स दांपत्य का आधार

सैक्स दांपत्य का आधार है. पर यह यदि मजबूरीवश निभाया जा रहा हो तो सिवा बलात्कार के और कुछ नहीं है और जबरन की यह क्रिया न तो पति को तृप्त कर पाती है और न ही पत्नी को. पत्नी पति को किसी हिंसक पशु सा मान निरीह बनी मन ही मन छटपटाती है. उधर पति भी पत्नी का मात्र तन भोग पाता है. मन नहीं जीत पाता. वास्तव में यह सुख तन के माध्यम से मन की तृप्ति का है. यदि तन की भूख के साथ मन की प्यासी चाहत का गठबंधन न हो तब सिर्फ शरीर भोगा जाता है जो मन पर तनाव, खीज और अपराधभाव लाद दांपत्य में असंतोष के बीज बोता है.

सिर्फ काम नहीं, बल्कि कामतृप्ति ही सुखी, सुदीर्घ दांपत्य का सेतु है. यह समझना बेहद जरूरी है कि पति के संग शारीरिक मिलन न तो शर्मनाक है न ही कोई गंदा काम. विवाह का अर्थ ही वह सामाजिक स्वीकृति है जिस में स्त्रीपुरुष एकसूत्र में बंध यह वादा करते हैं कि वे एकदूसरे के पूरक बन अपने तनमन को संतुष्ट रख कर वंशवृद्धि भी करेंगे व सफल दांपत्य भी निबाहेंगे. यह बात विशेषतौर पर जान लेने की है कि कामतृप्ति तभी मिलती है जब पतिपत्नी प्रेम की ऊर्जा से भरे हों.

यह वह अनुकूल स्थिति है जब मन पर कोई मजबूरी लदी नहीं होती और तन उन्मुक्त होता है. विवाह का मर्म है अपने साथी के प्रति लगाव, चाहत और विश्वास का प्रदर्शन करना. सैक्स यदि मन से स्वीकारा जाए, बोझ समझ निर्वाह न किया जाए तभी आनंद देता है. सैक्स पुरुष के लिए विशेष महत्त्व रखता है.

पौरुष का अपमान

पत्नियों को इस बात को गंभीरता से समझ लेना चाहिए कि पति यौन तिरस्कार नहीं सह पाते हैं, क्योंकि पत्नी का ऐसा व्यवहार उन्हें अपने पौरुष का अपमान प्रतीत होता है. पति खुद को शारीरिक व भावनात्मक माध्यम के रूप में प्रस्तुत करे तो वह स्पष्ट प्यार से एक ही बात कहना चाहता है कि उसे स्वीकार लो. यह पति की संवेदनशीलता है जिसे पहचान पाने वाली पत्नियां ही पतिप्रिया बन सुख व आनंद के सागर में गोते लगा तमाम भौतिक सुखसाधन तो भोगती ही हैं, पति के दिल पर भी राज करती हैं.

कितनी आश्चर्यजनक बात है कि सैक्स तो सभी दंपती करते हैं, लेकिन वे थोड़े से ही होते हैं जिन्हें हर बार चरमसुख की अनुभूति होती. आज की मशीनी जिंदगी में और यौन संबंधी भ्रामक धारणाओं ने समागम को एकतरफा कृत्य बना दिया है. पुरुष के लिए आमतौर पर यह तनाव से मुक्ति का साधन है, कुछ उत्तेजित क्षणों को जी लेने का तरीका है. उसे अपने स्खलन के सुख तक ही इस कार्य की सीमा नजर आती है पर सच तो यह है कि वह यौन समागम के उस वास्तविक सुख से स्वयं भी वंचित रह जाता है जिसे चरमआनंद कहा जा सकता है. अनिवार्य दैनिक कार्यों की तरह किया गया अथवा मशीनी तरीके से किया गया सैक्स चरमसुख तक नहीं ले जाता.

इस के लिए चाहिए आह्लादपूर्ण वातावरण, सुरक्षित व सुरुचिपूर्ण स्थान और दोनों पक्षों की एक हो जाने की इच्छा. यह अनूठा सुख संतोषप्रद समागम के बाद ही अनुभव किया जा सकता है. तब ऐसा लगता है कि कभी ये क्षण समाप्त न हों. तब कोई भी तेजी बर्बरता नहीं लगती, बल्कि मन करता है कि इन क्षणों को और जिएं, बारबार जीएं. जीवन का यह चरमआनंद कोई भी दंपती प्राप्त कर सकता है, लेकिन तभी जब दोनों की सुख के आदानप्रदान की तीव्र इच्छा हो.

पहली रात का डर, ऐसे कीजिए दूर

बीना के मन में शादी की पहली रात का डर बैठ गया था कि वह रात के दौरान कैसे सहज रहेगी. बड़ी मुश्किल से वह डाक्टर की सलाह और पति के सहयोग से सहज हो पाई. दिल्ली के अमर जैन अस्पताल के डाक्टर अरुण जैन के मुताबिक, ‘‘बहुत सी लड़कियों के मन में डर बैठ जाता है कि पहली बार बहुत पीड़ा होगी. मगर यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो सब कुछ सुगम हो जाता है.’’ नीना के पति ने शादी के 2-3 दिनों तक पत्नी के साथ एक दोस्त का व्यवहार करते हुए नीना को संबंध के लिए तैयार किया.

शादी की पहली रात किसी भी लड़की के लिए नया अनुभव लिए होती है. अत: ऐसे में खुद को तैयार करने के लिए आपस में सैक्स संबंधित बातें करें. एकदूसरे की सैक्स से संबंधित इच्छा जानने का प्रयास करें.

पहली रात को भावनात्मक लगाव की कमी भी मानसिक रूप से तैयार होने से रोकती है. अत: चुंबन, स्पर्श, आलिंगन से पत्नी को तैयार करें यानी पत्नी को तैयार करने के लिए फोरप्ले में समय लगाएं.

सहज व तनावमुक्त

यदि पहली बार संबंध बनाते समय झिल्ली ज्यादा सख्त लगे तो बजाय जोरजबरदस्ती करने के स्त्री सैक्सोलौजिस्ट की सलाह से झिल्ली को हटवाएं. तब न केवल जबरदस्ती संबंध बनाने से होने वाली ब्लीडिंग से बचाव होगा वरन पीड़ा भी नहीं होगी.

ओवरवेट पत्नी को ऐसी समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पहले जैल क्रीम लगाएं. पत्नी को कहें कि वह अपने शरीर को ढीला छोड़ कर संबंध का आनंद ले.

वैजिनिसमस मानसिक कारणों से होता है. स्त्री के अंग के चारों ओर की मांसपेशियां, अनैच्छिक रूप से संकुचित हो जाती हैं. स्त्री अपनी इच्छा से मांसपेशियों को संकुचित नहीं करती, बल्कि ऐसा स्वयं हो जाता है.

वैजिनिसमस के लिए जिम्मेदार हैं सैक्स के बारे में भ्रांतियां, यौन उत्पीड़न, असामान्य सैक्स व्यवहार. अत: इस समस्या को भी मनोवैज्ञानिक ढंग से हल करें.

उत्तेजना का प्रथम बिंदु स्त्री अंग में गीलापन बढ़ना माना जाता है. उत्तेजना के चलते जैसेजैसे चिकनाई बढ़ती है, वैसेवैसे स्तनों का आकार भी बढ़ जाता है. उन के निप्पलों में भी तनाव आ जाता है. हृदय व सांस की गति बढ़ जाती है. ऐसी स्थिति में डरे बिना संबंध को पूर्ण करें. संबंध के लिए स्थान परिवर्तन भी कर सकते हैं. बैडरूम के बजाय ड्राइंगरूम या फिर यदि छत पर कमरा बना हो तो वहां भी यह कार्य किया जा सकता है.

चर्मोत्कर्ष तक पहुंचने के लिए पत्नी की सैक्स इच्छा का सम्मान करें. पहली रात के डर, तनाव, गुस्से आदि को दूर रखें. आपसी सहमति से किया गया प्रथम सहवास प्रथम रात के डर को ही मन से नहीं निकालता, बल्कि पतिपत्नी दोनों को पूर्ण संतुष्टि देने के साथसाथ स्वास्थ्य लाभ भी देता है.

कई बार पहली रात में चरमोत्कर्ष भी संभव नहीं होता, और्गेज्म तो दूर की बात है. दरअसल, उस पहली रात में कई तरह के डर हावी रहते हैं. मिलन के लिए दोनों की मानसिकता एक जैसी हो तभी संबंध संभव है. चरम आनंद से पहले भी आनंद आता है. चरम आनंद के लिए फोरप्ले व आफ्टरप्ले दोनों का महत्त्व होता है. ये भावनात्मक निकटता पैदा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अच्छे फोरप्ले से जहां समय पर चरम आनंद पाया जा सकता है, वहीं अच्छा आफ्टरप्ले चरम आनंद को देर तक बनाए रखता है. इस से सैक्स सिर्फ तन की क्रिया ही नहीं बल्कि भावनात्मक, आंतरिक व सम्मानजनक क्रिया बन जाती है.

समझदारी, समरसता से किया गया सैक्स सुख ही सच्चा सुख माना जाता है. यह और्गेज्म यानी चरम आनंद पा कर ही अनुभव किया जा सकता है. स्त्रियों का चरम आनंद पुरुषों के चरम आनंद जैसा मुखर नहीं होता कि बिना बताए कोई जान ले, इसलिए कई बार उस में बाधा होती है. कुछ स्त्रियों को चरम आनंद से पूर्व जल्दी और ज्यादा घर्षण चाहिए तो कुछ को पुरुष अंग गहराई तक चाहिए तो किसी को सिर्फ स्पर्श चाहिए.

जानिए वीर्य क्या है और कैसे बनता है

पुरुष में उत्तेजना व स्खलन के दौरान मूत्रमार्ग से निकलने वाले तरल द्रव को वीर्य कहा जाता है. यह प्रोस्टेट ग्रंथि और अन्य पुरुष प्रजनन अंगों से शुक्राणु व तरल पदार्थ ग्रहण करके बनता है. आमतौर पर वीर्य गाढ़ा एवं सफेद होता है. हालांकि, कई स्थितियों में इसके रंग और गुणवत्ता में बदलाव हो सकता है. पतला वीर्य कम शुक्राणुओं की ओर संकेत करता है. जिससे आपकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है.

अगर वीर्य पतला हो गया हो, तो इस स्थिति में आप परेशान न हो, वीर्य के बारे में आपकी उत्सुकता के कारण ही आज यहां पर वीर्य के बारे में बताया जा रहा है. इसमें आप वीर्य क्या है, कैसे बनता है, वीर्य के पतलापन के कारण व वीर्य को बढ़ाने के उपाय और इसे गाढ़ा करने के घरेलू नुस्खे के बारे में जानेंगे.

वीर्य क्या है

पुरुषों में यौन इच्छा व सेक्स के अंतिम पड़ाव में स्खलन के समय लिंग से एक तरह का तरल पदार्थ निकलता है. इस तरल पदार्थ को वीर्य कहा जाता है. यह पुरुष की यौन ग्रथियों से स्त्रावित होता है. इसमें शुक्राणु मौजूद होते हैं. शुक्राणुओं के अलावा इसमें अन्य एंजाइम्स, फ्रुक्टोज (Fructose/ फलो से प्राप्त शर्करा) और प्रोटियोलिटिक (Proteolytic/ एक तरह का एंजाइम्स जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है) मिलें होते हैं. इन सभी के मेल से वीर्य स्वस्थ होता है और प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है.

वीर्य कैसे बनता है

वीर्य पुटिका (Semen vesicles/ वीर्य को बनाने वाली ग्रंथि) व प्रोस्टेट ग्रंथि से वीर्य बनता है. वीर्य पुटिका के द्वारा 65-70 प्रतिशत वीर्य बनाया जाता है. जिसमें चिपचिपे फ्रुक्टोज का निर्माण होता है. इसके बाद इसमें सफेद रंग का तरल प्रोस्टेट ग्रंथि के द्वारा स्त्रावित होकर मिल जाता है. प्रोस्टेट ग्रंथि से निकलने वाले सफेद तरल में सिट्रिक एसिड, लिपिड और फॉस्फेट मिला होता है. इससे ही वीर्य को संपुर्णता मिलती हैं.

इसके अलावा बल्बोर्रेथ्रल ग्रंथि (Bulbourethral gland) एक तरल का उत्पादन करती हैं. यह योनि और गर्भाशय ग्रीवा में मौजूद शुक्राणु कोशिकाओं की गतिशीलता में मदद करता है. वीर्य में इस तरल का स्राव मात्र 1 प्रतिशत से भी कम होता है.

वीर्य निम्न के मिश्रण से बनता है

फ्रुक्टोज (Fructose) ​

जस्ता (Zinc, जिंक)

कोलेस्ट्रौल (Cholesterol)

प्रोटीन (Protein)

कैल्शियम (Calcium)

क्लोरीन (Chlorine)

रक्त समूह एंटीजन (Blood group antigens)

सिट्रिक एसिड (Citric acid)

डीएनए (DNA)

मैग्नीशियम (Magnesium)

विटामिन बी12 (Vitamin B12)

फास्फोरस (Phosphorus)

सोडियम (Sodium)

पोटैशियम (Potassium)

यूरिक अम्ल (Uric acid)

लैटिक एसिड (Lactic acid)

नाइट्रोजन (Nitrogen)

एस्कौर्बिक एसिड (Ascorbic acid)

अन्य पोषक तत्व (Other nutrients)

वीर्य पतला होने के कारण

आज के दौर में यह एक आम समस्या बन कर लोगों को परेशान कर रही है. इस समस्या का कारण निम्न है.

शुक्राणुओं की संख्या में कमी शुक्राणुओं की संख्या में कमी वीर्य के पतला होने का सामान्य कारण होता है. इसको अल्पशुक्राणुता (Oligospermia) भी कहा जाता है. वीर्य में शुक्राणुओं की एक सामान्य संख्या पाई जाती है. बताया जाता है कि एक मिली लीटर वीर्य में करीब 15 करोड़ शुक्राणु होते हैं. इससे कम होने पर वीर्य में शुक्राणुओं की कमी माना जाता है. अल्पशुक्राणुता (Oligospermia) होने के निम्न कारण होते हैं.

–  वैरीकोसेले (Varicocele) – इस रोग में अंडकोष व अंडकोषीय थैली की नसों में सूजन आ जाती है. इससे पुरुष की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. इस समस्या को इलाज से ठीक किया जा सकता है.

–  संक्रमण – उदाहरण के लिए यौन संचारित रोग (एसटीडी) जैसे गोनोरिया या कोई अन्य संक्रमण भी प्रजनन अंगों में सूजन होने का कारण हो जाते हैं. इससे भी अंडकोष में सूजन आ जाती है.

–  ट्यूमर – अंडकोष में मैलिग्नेंट (Malignant) व बिनाइन (Benign) ट्यूमर होने से शुक्राणुओं के बनने की क्षमता प्रभावित होती है.

–  हार्मोन असंतुलित होना – अंडकोष व पिट्यूटरी ग्रंथि के द्वारा बनने वाले हार्मोन का असंतुलन होना. इससे शुक्राणुओं की संख्या में कमी आ जाती है.

–  इसके अलावा प्रतिरक्षा तंत्र के द्वारा शुक्राणुओं की कमी वाले एंटीबौडी बनाना.

–  शुक्राणुओं को वीर्य तक लाने वाली नलियों में चोट आना या कोई अन्य समस्या होना.

​​नियमित स्खलन करना – नियमित रूप से स्खलन से भी आपका वीर्य का पतला हो जाता है. अगर आप एक दिन में कई बार हस्तमैथुन करते हैं तो वीर्य की गुणवत्ता पहली बार स्खलन के बाद पतली होने लगती है. आपके शरीर को दोबारा से वीर्य बनाने के लिए कुछ घंटों का समय चाहिए होता है. एक निश्चित समय अंतराल के बाद दोबारा स्वस्थ वीर्य बनता है.

जस्ता (Zinc/ जिंक) की कमी- वीर्य के पतला होने के कारण में जिंक की कमी को भी शामिल किया जाता है. एक रिसर्च में इस बात का पता चला है कि पुरुषों में जिंक की एक निश्चित मात्रा होती है. अगर पुरुषों में जिंक निश्चित मात्रा से कम होता है तो शुक्राणुओं की संख्या में कमी आ जाती है. शुक्राणुओं की कमी के लिए जिम्मेदार एंटीबॉडी को कम करने के लिए जिंक सलफेट का सेवन करना चाहिए. शीघ्रपतन – अगर आपका वीर्य पतला हो गया है तो इसके पीछे शीघ्रपतन भी एक कारण हो सकता है. कई बार फोरप्ले के दौरान भी वीर्य निकल जाता है. इस वीर्य में भी शुक्राणु मौजूद होते हैं. इसके कारण भी वीर्य की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है.

वीर्य को गाढ़ा करने के उपाय व घरेलू नुस्खे

कई रिसर्च में इस बात को पाया गया है कि वीर्य का गाढ़ा और सफेद होना, एक स्वस्थ वीर्य की निशानी है. जबकि पतला व पानी की तरह वीर्य में शुक्राणुओं की कमी होती है. वहीं दूसरी ओर पुरुष भी सफेद और गाढ़े वीर्य को मर्दाना ताकत से जोड़कर देखते हैं. आज कई पुरुषों में वीर्य के पतला होने की समस्या देखी जाती है. लेकिन इस समस्या को आप घरेलू नुस्खों के द्वारा आसानी से ठीक कर सकते हैं. वीर्य को गाढ़ा करने के उपाय और घरेलू नुस्खों को नीचे विस्तार पूर्वक बताया जा रहा है.

व्यायाम से करें वीर्य को गाढ़ा – कई अध्ययन में इस बात का पता चला है कि वजन को कम करने वाले व्यायाम से आपके शुक्राणुओं की संख्या में इजाफा होता है. इसके अलावा अध्ययन यह भी कहते हैं कि एक सप्ताह में कम से कम 15 घंटों की एक्सरसाइज करने से न सिर्फ मांसपेशियों को फायदा मिलता है, बल्कि वीर्य में मौजूद शुक्राणुओं की संख्या में भी बढ़ोतरी होती है.

तनाव को दूर करें – किसी भी तरह का तनाव होने से शरीर के अंगों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. तनाव के कारण मांसपेशियों में थकान होती है, साथ ही साथ ऊर्जा का स्तर भी कम हो जाता है. तनाव ग्रस्त व्यक्ति सुस्ती व थकान के कारण प्रजनन क्षमता की ओर ध्यान ही नहीं दे पाते हैं. इसके लिए आपको तनाव होने कारणों को पहचानना होगा. साथ ही उन खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें जो आपको तनाव मुक्त रखने में सहायक हों. योग के माध्यम से भी आप तनाव को कम कर सकते हैं.

सूरजमुखी व कद्दू के बीज से करें वीर्य को गाढ़ा – वीर्य को गाढ़ा करने के लिए आपको नियमित रूप से सूरजमुखी व कद्दू के बीजों का सेवन करना चाहिए. आपको एक चौथाई कप सूरजमुखी व कद्दू के बीजों का नियमित रूप से सेवन करना होगा. एक माह तक लगातार ऐसा करने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है और पुरुषों की प्रजनन क्षमता में भी वृद्धि होती है.

विटामिन डी और कैल्शियम का सेवन – रिर्सच में इस बात को बताया गया है कि विटामिन डी और कैल्शियम की मदद से वीर्य के पतलेपन की समस्या को दूर किया जा सकता है. वहीं इस विषय पर हुए कई अन्य अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई है कि विटामिन डी व कैल्शियम से आप वीर्य की गुणवत्ता में वृद्धि कर सकते हैं. जबकि आहार में विटामिन डी के स्त्रोतों का सेवन कम करने से आपको इसकी कमी महसूस हो सकती है और शुक्राणुओं की संख्या भी कम हो जाती है.

एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थ – एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थ हमारे शरीर को कई तरह से स्वस्थ रखते हैं. इनके सेवन से कोशिकाओं को हानि पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स नष्ट हो जाते हैं. कई तरह के विटामिन और खनिज एंटीऑक्सीडेंट की तरह ही काम करते हैं. वहीं कई अन्य अध्ययन में यह पता चला है कि एंटीऑक्सीडेंट्स से वीर्य संबंधी समस्याएं कम होती हैं और शुक्राणुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है.

निम्न एंटीऑक्सीडेंट के द्वारा वीर्य को स्वस्थ बनाया जा सकता है:

– ग्लूटेथिओन (Glutathione)

– सेलेनियम (Selenium)

– विटामिन ई (Vitamin E)

– विटामिन सी (Vitamin C)

– कोएंजाइम क्यू10 (Coenzyme Q10)

– आई-कारनिटाइन (I-carnitine)  और पढ़ें – विटामिन के फायदे)

स्वस्थ वसा का सेवन करें – पॉलीअनसैचुरेटेड वसा (Polyunsaturated fats) को स्वस्थ वसा कहा जाता है. वसा के दो प्रकार होते हैं, एक को मानव शरीर के लिए अच्छा बताया जाता है, जबकि दूसरे को खराब. पॉलीअनसैचुरेटेड वसा, वसा का स्वस्थ रूप माना जाता है. इससे शरीर को किसी तरह की कोई हानि नहीं होती है. ओमेगा-3 और ओमेगा-6 स्पर्म को बनाने के लिए मददगार होती है. अलसी के बीज, अखरोट, बेरी, राई का तेल और बीन्स में ओमेगा-3 के गुण पाएं जाते हैं, जबकि ओमेगा-6 के लिए आपको मूंगफली, जैतून का तेल और तिल के बीज आदि में पाया जाता है.

वीर्य को गाढ़ा बनाने वाले खाद्य पदार्थ – कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से आप अपने वीर्य को गाढ़ा बना सकते हैं. इसमें शामिल है दही, बादाम, लहसुन, अनार, राजमा, ग्रीन टी, केला, नींबू, साबुत अनाज व दालें, डार्क चॉकलेट, दूध वाले पदार्थ और हल्दी आदि.

बेहतर सैक्स के लिए यौन रोगों से बचिए

16प्रतिभा की शादी को कई साल हो गए थे. समय पर 2 बच्चे भी हो गए पर कुछ समय के बाद प्रतिभा को लगा कि उस के अंग से कभी कभी तरल पदार्थ निकलता है. शुरुआत में प्रतिभा ने इसे मामूली समझ कर नजरअंदाज कर दिया. मगर कुछ दिनों बाद उसे महसूस हुआ कि इस तरल पदार्थ में बदबू भी है जिस से अंग में खुजली होती है. प्रतिभा ने यह बात स्त्रीरोग विशेषज्ञा को बताई. उस ने जांच कर के प्रतिभा से कहा कि उस को यौनरोग हो गया है, लेकिन इस में घबराने वाली कोई बात नहीं है. प्रतिभा ने तो समय पर डाक्टर को अपनी समस्या बता दी पर बहुत सारी औरतें प्रतिभा जैसी समझदार नहीं होतीं. वे इस तरह के रोगों को छिपाती हैं. पर यौनरोगों को कभी छिपाना नहीं चाहिए. दीपा जब अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाती थी, तो उसे दर्द होता था. इस परेशानी के बारे में उस ने डाक्टर को बताया. डाक्टर ने दीपा के अंग की जांच कर के बताया कि उसे यौनरोग हो गया है. डाक्टर ने उस का इलाज किया. इस के बाद दीपा की बीमारी दूर हो गई.

प्रदीप को पेशाब के रास्ते में जलन होती थी. वह नीमहकीमों के चक्कर में पड़ गया पर उसे कोई लाभ नहीं हुआ. तब उस ने अच्छे डाक्टर से इस संबंध में बात की तो डाक्टर ने कुछ दवाएं लिखीं, जिन से प्रदीप को लाभ हुआ. डाक्टर ने प्रदीप को बताया कि उस को यौनरोग हो गया था. इस का इलाज नीमहकीमों से कराने के बजाय जानकार डाक्टरों से ही कराना चाहिए.

क्या होते हैं यौनरोग

मक्कड़ मैडिकल सैंटर, लखनऊ के डाक्टर गिरीश चंद्र मक्कड़ का कहना है कि यौनरोग शरीर के अंदरूनी अंग में होने वाली बीमारियों को कहा जाता है. ये पतिपत्नी के शारीरिक संपर्क करने से भी हो सकते हैं और बहुतों के साथ संबंध रखने से भी हो सकते हैं. अगर मां को कोई यौनरोग है, तो बच्चे का जन्म औपरेशन के जरिए कराना चाहिए. इस से बच्चा योनि के संपर्क में नहीं आता और यौनरोग से बच जाता है.

कभीकभी यौनरोग इतना मामूली होता है कि उस के लक्षण नजर ही नहीं आते. इस के बाद भी इस के परिणाम घातक हो सकते हैं. इसलिए यौनरोग के मामूली लक्षण को भी नजरअंदाज न करें. मामूली यौनरोग कभीकभी खुद ठीक हो जाते हैं. पर इन के बैक्टीरिया शरीर में पड़े रहते हैं और कुछ समय बाद वे शरीर में तेजी से हमला करते हैं. यौनरोग शरीर के खुले और छिले स्थान वाली त्वचा से ही फैलते हैं.

हारपीज : यह बहुत ही सामान्य किस्म का यौनरोग है. इस में पेशाब करने में जलन होती है. पेशाब के साथ कई बार मवाद भी आता है. बारबार पेशाब जाने का मन करता है. किसीकिसी को बुखार भी हो जाता है. शौच जाने में भी परेशानी होेने लगती है. जिस को हारपीज होता है उस के जननांग में छोटेछोटे दाने हो जाते हैं. शुरुआत में यह अपनेआप ठीक हो जाता है, मगर यह दोबारा हो तो इलाज जरूर कराएं.

वाट्स : वाट्स में शरीर के तमाम हिस्सों में छोटीछोटी गांठें पड़ जाती हैं. वाट्स एचपीवी वायरस के चलते फैलता है. ये 70 प्रकार के होते हैं. ये गांठें अगर शरीर के बाहर हों और 10 मिलीमीटर के अंदर हों तो इन को जलाया जा सकता है. इस से बड़ी होने पर औपरेशन के जरिए हटाया जा सकता है. योनि में फैलने वाले वायरस को जेनेटल वाट्स कहते हैं. ये योनि में बच्चेदानी के द्वार पर हो जाते हैं. समय पर इलाज न हो तो इन का घाव कैंसर का रूप ले लेता है. इसलिए 35 साल की उम्र के बाद एचपीवी वायरस का कल्चर जरूर करा लें.

गनोरिया : इस रोग में पेशाब नली में घाव हो जाता है जिस से पेशाब नली में जलन होने लगती है. कई बार खून और मवाद भी आने लगता है. इस का इलाज ऐंटीबायोटिक दवाओं के जरिए किया जाता है. अगर यह रोग बारबार होता है, तो इस का घाव पेशाब नली को बंद कर देता है. इसे बाद में औपरेशन के जरिए ठीक किया जाता है. गनोरिया को सुजाक भी कहा जाता है. इस के होने पर तेज बुखार भी आता है. इस के बैक्टीरिया की जांच के लिए मवाद की फिल्म बनाई जाती है. शुरू में ही यह बीमारी पकड़ में आ जाए तो अच्छा रहता है.

सिफलिस : यह यौनरोग भी बैक्टीरिया के कारण फैलता है. यह यौन संबंधों के कारण ही फैलता है. इस रोग के चलते पुरुषों के अंग के ऊपर गांठ सी बन जाती है. कुछ समय के बाद यह ठीक भी हो जाती है. इस गांठ को शैंकर भी कहा जाता है. शैंकर से पानी ले कर माइक्रोस्कोप के सहारे देखा जाता है. पहली स्टेज पर माइक्रोस्कोप के सहारे ही बैक्टीरिया को देखा जा सकता है. इस बीमारी की दूसरी स्टेज पर शरीर में लाल दाने से पड़ जाते हैं. यह बीमारी कुछ समय के बाद शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करने लगती है. इस बीमारी का इलाज तीसरी स्टेज के बाद संभव नहीं होता. यह शरीर की धमनियों को प्रभावित करती है. इस से धमनियां फट भी जाती हैं. यह रोग आदमी और औरत दोनों को हो सकता है. दवा और इंजैक्शन से इस का इलाज होता है.

क्लामेडिया : यह रोग योनि के द्वारा बच्चेदानी तक फैल जाता है. यह बांझपन का सब से बड़ा कारण होता है. बीमारी की शुरुआत में ही इलाज हो जाए तो अच्छा रहता है. क्लामेडिया के चलते औरतों को पेशाब में जलन, पेट दर्द, माहवारी के समय में दर्द, शौच के समय दर्द, बुखार आदि की शिकायत होने लगती है.

यौनरोगों से बचाव

  • अंग पर किसी भी तरह के छाले, खुजलाहट, दाने, कटनेछिलने और त्वचा के रंग में बदलाव की अनदेखी न करें.
  • जब भी शारीरिक संबंध बनाएं कंडोम का प्रयोग जरूर करें. यह यौनरोगों से बचाव का आसान तरीका है.
  • कंडोम का प्रयोग ठीक तरह से न करने पर भी यौनरोगों का खतरा बना रहता है.
  • ओरल सैक्स करने वालों को अपनेअपने अंग की साफसफाई का पूरा खयाल रखना चाहिए.
  • यौनरोग का इलाज शुरुआत में सस्ता और आसान होता है. शुरुआत में इस से शरीर को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता है.
  • गर्भवती औरतों को अपनी जांच समयसमय पर करानी चाहिए ताकि उस से बच्चे को यौनरोग न लग सके.
  • नीमहकीमों के चक्कर में पड़ने के बजाय डाक्टर की सलाह से ही दवा लें.
  • अंग की साफसफाई से यौनरोगों से दूर रहा जा सकता है.
  • औरतों को यौनरोग ज्यादा होते हैं. अत: उन्हें पुरुषों से ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.
  • यौनरोगी के संपर्क में जाने से बचें. बाथरूम की ठीक से साफसफाई न करने से भी एक व्यक्ति का यौनरोग दूसरों को लग सकता है.

जब पति का अंदाज हो रोमांटिक, तो जिंदगी होगी खूबसूरत

रंगीन, आशिकमिजाज पति पाना भला किस औरत की दिली तमन्ना न होगी? अपने ‘वे’ इश्क और मुहब्बत के रीतिरिवाजों से वाकिफ हों, दिल में चाहत की धड़कन हो, होंठों पर धड़कन का मचलता इजहार रहे, तो इस से ज्यादा एक औरत को और क्या चाहिए? शादी के बाद तो इन्हें अपनी बीवी लैला लगती है, उस का चेहरा चौदहवीं का चांद, जुल्फें सावन की घटाएं और आंखें मयखाने के प्याले लगते हैं. लेकिन कुछ साल बाद ही ऐसी बीवियां कुछ घबराईघबराई सी, अपने उन से कुछ रूठीरूठी सी रहने लगती हैं. वजह पति की रंगीनमिजाजी का रंग बाहर वाली पर बरसने लगता है.

यही करना था तो मुझ से शादी क्यों की

शादी से पहले विनय और रमा की जोड़ी को लोग मेड फौर ईचअदर कहते थे. शादी के बाद भी दोनों आदर्श पतिपत्नी लगते थे. लेकिन वक्त गुजरने के साथसाथ विनय की आंखों में पहले वाला मुग्ध भाव गायब होने लगा. राह चलते कोई सुंदरी दिख जाती, तो विनय की आंखें उधर घूम जातीं. रमा जलभुन कर खाक हो जाती. जब उस से सहा न जाता, तो फफक पड़ती कि यही सब करना था, तो मुझ से शादी ही क्यों की? क्यों मुझे ठगते रहते हो?

तब विनय जवाब देता कि अरे भई, मैं तुम से प्यार नहीं करता हूं. यह तुम ने कैसे मान लिया? तुम्हीं तो मेरे दिल की रानी हो.

सच यही था कि विनय को औफिस की एक लड़की आकर्षित कर रही थी. खुशमिजाज, खिलखिलाती, बेबाक मंजू का साथ उसे बहुत भाने लगा था. उस के साथ उसे अपने कालेज के दिन याद आ जाते. मंजू की शरारती आंखों के लुकतेछिपते निमंत्रण उस की मर्दानगी को चुनौती सी देते लगते और उस के सामने रमा की संजीदा, भावुक सूरत दिल पर बोझ लगती. रमा को वह प्यार करता था, अपनी जिंदगी का एक हिस्सा जरूर मानता था, लेकिन रोमांस के इस दूसरे चांस को दरकिनार कर देना उस के बस की बात न थी.

ये मेरे पति हैं

इसी तरह इंदिरा भी पति की आशिकाना हरकतों से परेशान रहती थी. उस का बस चलता तो देबू को 7 तालों में बंद कर के रखती. वह अपनी सहेलियों के बीच भी पति को ले जाते डरती थी. हर वक्त उस पर कड़ी निगाह रखती. किसी पार्टी में उस का मन न लगता. देबू का व्यक्तित्व और बातचीत का अंदाज कुछ ऐसा था कि जहां भी खड़ा होता कहकहों का घेरा बन जाता. महिलाओं में तो वह खास लोकप्रिय था. किसी के कान में एक शेर फुसफुसा देता, तो किसी के सामने एक गीत की पंक्ति ऐसे गुनगुनाता जैसे वहां उन दोनों के सिवा कोई है ही नहीं. उस की गुस्ताख अदाओं, गुस्ताख नजरों पर लड़कियों का भोला मन कुरबान हो जाने को तैयार हो जाता. उधर इंदिरा का मन करता कि देबू के गले में एक तख्ती लटका दे, जिस पर लिख दे कि ये मेरे पति हैं, ये शादीशुदा हैं, इन से दूर रहो.

बेवफा होने का मन तो हर मर्द का चाहता है

घर में अच्छीखासी पत्नी होते हुए भी आखिर कुछ पति क्यों इस तरह भटकते हैं? यह सवाल मनोवैज्ञानिक एवं मैरिज काउंसलर से पूछा गया, तो उन्होंने एक ऐसी बात बताई, जिसे सुन कर आप को गुस्सा तो आएगा, लेकिन साथसाथ मर्दों के बारे में एक जरूरी व रोचक जानकारी भी प्राप्त होगी. उन का कहना था कि मर्दों के दिलोदिमाग व खून में ही कुछ ऐसे तत्त्व होते हैं, जो उन के व्यवहार के लिए बुनियादी तौर पर काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं यानी कुदरत की तरफ से ही उन्हें यह बेवफाई करने की शह मिलती है.

इस का मतलब यह भी निकलता है कि बेवफा होने का मन तो हर मर्द का चाहता है, पर किसी की हिम्मत पड़ती है किसी की नहीं. किसी को मौका मिल जाता है, किसी को नहीं. किसी की पत्नी ही उसे इतना लुभा लेती है कि उसे उसी में नित नई प्रेमिका दिखती है, तो कुछ में आरामतलबी का मद्दा इतना ज्यादा होता है कि वे यही सोच कर तोबा कर लेते हैं कि कौन इश्कविश्क का लफड़ा मोल ले.

अब सवाल उठता है कि सामाजिक सभ्यता के इस दौर में आखिर कुछ पति ही इन चक्करों में क्यों पड़ते हैं? लीजिए, इस प्रश्न का उत्तर भी मनोवैज्ञानिकों के पास हाजिर है. जरा गौर करें:

पत्नी से आपेक्षित संतोष न मिलना

अकसर इन पतियों के अंदर एक अव्यक्त अतृप्ति छिपी रहती है. सामाजिक रीतिरिवाजों का अनुसरण कर के वे शादी तो कर लेते हैं, गृहस्थ जीवन के दौरान पत्नी से प्रेम करते हैं, फिर भी कहीं कोई हूक मन में रह जाती है. या तो पत्नी से वे तनमन की पूर्ण संतुष्टि नहीं पा पाते या फिर रोमांस की रंगीनी की हूक मन को कचोटती रहती है. जहां पत्नी से अपेक्षित संतोष नहीं मिलता, वहां बेवफाई का कुछ गहरा रंग इख्तियार करने का खतरा रहता है. कभीकभी इस में पत्नी का दोष होता है, तो कभी नहीं.

माफ भी नहीं किया जा सकता

रवींद्रनाथ टैगोर की एक कहानी का यहां उदाहरण दिया जा सकता है. हालांकि पत्नी नीरू के अंधे होने का कारण पति ही होता है, फिर भी पति एक अन्य स्त्री से चुपचाप विवाह करने की योजना बना डालता है. वह पत्नी नीरू से प्यार तो करता है, लेकिन फिर भी कहीं कुछ कमी है. जब पति की बेवफाई का पता नीरू को चलता है, तो वह तड़प कर पूछती है, ‘‘क्यों तुम ने ऐसा सोचा?’’

तब वह सरलता से मन की बात कह देता है, ‘‘नीरू, मैं तुम से डरता हूं. तुम एक आदर्श नारी हो. मुझे चाहिए एक साधारण औरत, जिस से मैं झगड़ सकूं, बिगड़ सकूं, जिस से एक साधारण पुरुष की तरह प्यार कर सकूं.’’

नीरू का इस में कोई दोष न था, लेकिन पति के व्यवहार को माफ भी नहीं किया जा सकता. हां, मजबूरी जरूर समझी जा सकती है. मगर सब पत्नियां नीरू जैसी तो नहीं होतीं.

औरतें इतनी खूबसूरत क्यों होती हैं

‘‘पत्नी तो हमारी ही हस्ती का हिस्सा हो जाती है भई,’’ कहते हैं एक युवा शायर, ‘‘अब अपने को कोई कितना चाहे? कुदरत ने दुनिया में इतनी खूबसूरत औरतें बनाई ही क्यों हैं? किसी की सुंदरता को सराहना, उस से मिलना चाहना, उस के करीब आने की हसरत में बुराई क्या है?’’

इन शायर साहब की बात आप मानें या न मानें, यह तो मानना ही पड़ेगा कि रोमांस और रोमानी धड़कनें जिंदगी को रंगीन जरूर बनाती हैं. कुछ पति ऐसे ही होते हैं यानी उन्हें एकतरफा प्यार भी रास आता है.

सुबह का वक्त है. निखिलजी दफ्तर जाने की तैयारी में लगे हैं. सामने सड़क पर सुबह की ताजा किरण सी खूबसूरत एक लड़की गुजरती है. मुड़ कर इत्तफाकन वह निखिलजी के कमरे की ओर देखती है और निखिलजी चेहरे पर साबुन मलतेमलते खयालों में खो जाते हैं.

पत्नी चाय ले कर आती है, तो देखती है कि निखिलजी बाहर ग्रिल से चिपके गुनगुना रहे हैं, ‘जाइए आप कहां जाएंगे…’

‘‘अरे कौन चला गया?’’ पत्नी पूछती है.

तब बड़ी धृष्टता से बता भी देते हैं, ‘‘अरे कितनी सुंदर परी अभी इधर से गई.’’

‘‘अच्छाअच्छा अब जल्दी करो, कल पहले से तैयार हो कर बैठना,’’ और हंसती हुई अंदर चली जाती है.

यही बात निखिलजी को अपनी पत्नी की पसंद आती है. ‘‘लाखों में एक है,’’  कहते हैं वे उस के बारे में, ‘‘खूब जानती है कहां ढील देनी है और कहां डोर कस कर पकड़नी है.’’

लेकिन वे नहीं जानते कि इस हंसी को हासिल करने के लिए पत्नी को किस दौर से गुजरना पड़ा है. शादी के लगभग 2 साल बाद ही जब निखिलजी अन्य लड़कियों की प्रशंसा करने लगे थे, तो मन ही मन कुढ़ गई थी वह. जब वे पत्रिकाओं में लड़कियों की तसवीरें मजे लेले कर दिखाते तो घृणा हो जाती थी उसे. कैसा आदमी है यह? प्रेम को आखिर क्या समझता है यह? लेकिन फिर धीरेधीरे दोस्तों से, छोटे देवरों से निखिलजी की इस आदत का पता चला था उसे.

‘‘अरे, ये तो ऐसे ही हैं भाभी.’’

दोस्त कहते, ‘‘इसे हर लड़की खूबसूरत लगती है. हर लड़की को ले कर स्वप्न देखता है, पर करता कुछ नहीं.’’

और धीरेधीरे वह भी हंसना सीख गई थी, क्योंकि जान गई थी कि प्रेम निखिल उसी  से करते हैं बाकी सब कुछ बस रंगीनमिजाजी  की गुदगुदी है.

ये भी पढ़ें: स्पाइनल इंजरी के बाद ऐसी होती है सैक्सुअल लाइफ

छोटे घर में कैसे करें पार्टनर से प्यार, जानें यहां

बड़े शहरों में सब से बड़ी समस्या आवास की होती है. 2 कमरों के छोटे से फ्लैट में पतिपत्नी, बच्चे और सासससुर रहते हैं. ऐसे में पतिपत्नी एकांत का नितांत अभाव महसूस करते हैं. एकांत न मिल पाने के कारण वे सैक्स संबंध नहीं बना पाते या फिर उन का भरपूर आनंद नहीं उठा पाते क्योंकि यदि संबंध बनाने का मौका मिलता है तो भी सब कुछ जल्दीजल्दी में करना पड़ता है. संबंध बनाने से पूर्व जो तैयारी यानी फोरप्ले जरूरी होता है, वे उसे नहीं कर पाते. इस स्थिति में खासकर पत्नी चरमसुख की स्थिति में नहीं पहुंच पाती है. पतिपत्नी को डर लगा रहता है कि कहीं बच्चे न जाग जाएं, सासससुर न उठ जाएं. मैरिज काउंसलर दीप्ति सिन्हा का कहना है, ‘‘संबंध बनाने के लिए एकांत न मिलने के कारण महिलाएं चिड़चिड़ी, झगड़ालू और उदासीन हो जाती हैं और फिर धीरेधीरे दांपत्य जीवन में दरार पड़नी शुरू हो जाती है, यह दरार अनेक समस्याएं खड़ी कर देती है. कभीकभी तो नौबत हत्या या आत्महत्या तक की आ जाती है.’’

कही अनकही

विकासपुरी की रहने वाली सीमा के विवाह को 5 वर्ष हो गए हैं. इस दौरान उस के 3 बच्चे हो गए. तीनों बच्चों की देखभाल, सासससुर की सेवाटहल और घर का काम करतेकरते शाम होतेहोते वह पूरी तरह थक जाती है. सीमा का कहना है कि उस के तीनों बच्चे पति के साथ ही बड़े बैड पर सोते हैं. सीमा पलंग के पास ही नीचे जमीन पर बिस्तर लगा कर सोती है. उसे हर वक्त यही डर लगा रहता है कि सैक्स करते समय कोई बच्चा उठ कर उन्हें देख न ले. परिणामस्वरूप वह सैक्स का पूर्ण आनंद नहीं उठा पाती. इस के असर से वह निराशा से घिरने लगी हैं. ढंग से कपड़े पहनने, सजनेसंवरने का उस का मन ही नहीं करता. फिर वह सजेसंवरे भी किसलिए? स्थिति यह हो गई है कि अब पतिपत्नी दोनों में मनमुटाव रहता है.

खानपान का असर

मांसमछली, शराब आदि का सेवन करने वाले पतियों की सैक्स की अधिक इच्छा होती है और इसीलिए वे न समय देखते हैं और न माहौल, पत्नी पर भूखे भेडि़ए की तरह टूट पड़ते हैं. संबंध बनाने से पहले फोरप्ले की बात तो दूर, वे यह भी नहीं देखते हैं कि बच्चे सोए हैं या जाग रहे हैं अथवा मांबाप ने देख लिया तो वे क्या सोचेंगे. ऐसे में कई बार पत्नी को सासससुर के सामने शर्म महसूस होती है. मांबाप अपने बेटे को कुछ न कह कर बहू को ही सैक्स के लिए उतावली मान बैठते हैं.

संयुक्त परिवार का दबाव

हमारे समाज में विवाह 2 प्राणियों का ही संबंध नहीं, बल्कि 2 परिवारों का संबंध भी होता है. लेकिन मौजूदा हालत में पतिपत्नी अकेले ही अपने बच्चों के साथ रहना पसंद करते हैं. यह उन की मजबूरी भी है, लेकिन यदि पत्नी को परिस्थितिवश सासससुर के साथ छोटे से आशियाने में 2-3 बच्चों के साथ रहना पड़े तो वह कई बार मानसिक दबाव महसूस करती है. सासससुर से शर्म और बातबात पर उन की टोकाटोकी से परेशान बहू पति के लिए खुद को न तो तैयार कर पाती है और न ही एकांत ही ढूंढ़ पाती है. मनोरोगचिकित्सक डाक्टर दिनेश के अनुसार, ‘‘कई बार मेरे पास ऐसे केस आते हैं कि शादी के बाद बच्चे जल्दीजल्दी हो गए. पत्नी उन की देखभाल में लगी रहती है और पति के प्रति उदासीन हो जाती है. इस के चलते पति भी कटाकटा सा रहने लगता है.’’

समय निकालना जरूरी

सैक्स ऐक्स्पर्ट डा. अशोक के अनुसार, ‘‘वास्तव में सैक्स के लिए उम्र की सीमा निर्धारित नहीं होती है कि आप 35 या 40 साल के हो गए हैं. छोटा घर है, बच्चे हैं, सैक्स ऐंजौय नहीं कर सकते. घरगृहस्थी और बच्चों की देखभाल के बाद यदि पतिपत्नी अपने लिए समय निकाल कर शारीरिक संबंध नहीं बनाएंगे तो आगे चल कर उन्हें कई परेशानियां हो सकती हैं. ‘‘डिप्रैशन के अलावा हारमोंस का स्राव भी धीरेधीरे कम हो जाता है. ऐसी स्थिति में अचानक संबंध बनाने पर पत्नी को तकलीफ होती है. फिर निरंतर तनाव बने रहने पर कभीकभी ऐसी स्थिति बन जाती है कि पत्नी को हिस्टीरिया के दौरे तक पड़ने लगते हैं.’’

मन की बात

जनकपुरी की रहने वाली काजल और राजेश ने लव मैरिज की है. उन की शादी को 7 साल हुए हैं. इन 7 सालों में 3 बच्चे भी हो गए. पहला बच्चा 3 साल का है. उस के बाद 2 बेटियां डेढ़ साल और 7 महीने की हैं. काजल कहती हैं, ‘‘हम शादी के शुरुआती दिनों से ही बहुत झगड़ते आ रहे हैं. वजह है राजेश का प्लान कर के साथ नहीं चलना. राजेश ने कहा था कि वे अपने मातापिता के लिए पड़ोस में ही मकान खरीद लेंगे. छोटे से 2 कमरों के मकान में हम ढंग से नहीं रह पाते हैं. मैं राजेश से अपने मन की बात नहीं कर पाती.

‘‘बस, यही डर लगा रहता है कि कहीं सासूमां कुछ कह न दें. जबकि मन की बात करने का मौका पतिपत्नी दोनों को ही मिलना चाहिए.’’ अगर आप भी इस समस्या से गुजर रहे हैं तो निम्न उपाय अपना कर शारीरिक संबंधों का पूर्ण आनंद उठा सकते हैं-

बच्चों को चाचा, मामा के पास भेजें. उन के बच्चों के लिए कोई भेंट भेजें. ऐसा उस समय करें जब सासससुर कहीं शादीविवाह में बाहर गए हों. यदि मांबाप को फिल्म देखने या पिकनिक मनाने भेज रहे हों तो बच्चों को भी उन के साथ भेज दें.

अगर आप का कोई मित्र छुट्टी पर अपने घर जा रहा हो तो उस के घर की देखभाल के लिए रात में पतिपत्नी वहां रहें और सैक्स ऐंजौय करें. बदले में मित्र के घर लौटने से पहले घर को सजासंवार कर अच्छा सा खाना बना कर उन के लिए रखें.

संबंध बनाने के लिए यह जरूरी नहीं है कि फोरप्ले ठीक सैक्स से पहले हो. उसे बारबार थोड़ेथोड़े समय में जब भी जहां भी समय मिले किया जा सकता है. इस से सैक्स के समय दोनों पूरी तरह तैयार होंगे. सुबह जब बच्चे स्कूल जा चुके हों तब मातापिता को सुबह घूमने जाने के लिए प्रेरित करें.

सैक्स का समय बदलें. नयापन मिलेगा.

पत्नी के साथ हर 15 दिन बाद कहीं डेट पर जाएं. यानी गैस्टहाउस या होटल में जा कर रहें और सैक्स ऐंजौय करें.

गरमी का मौसम हो तो पत्नी को देर रात छत पर बने कमरे में ले जाएं.

बरसात की रात में भी पत्नी को छत पर बने कमरे में ले जा कर बरसात की फुहारों का आनंद लेते हुए सैक्स एंजौय करें.

सुबह बच्चों के स्कूल जाने के बाद, रात में छत पर और किसी दिन यदि आप औफिस से जल्दी घर आते हैं और बच्चे स्कूल से नहीं आए हैं, मातापिता पड़ोस में गए हैं, तब भी आप सैक्स ऐंजौय कर सकते हैं. हां, इस के लिए आप पत्नी को पहले से ही तैयार कर लें.

कहीं आप भी तो नहीं करते स्लीप सैक्स

आप ने आज तक नींद में चलने, नींद में बोलने और नींद में गाड़ी चलाने की आदत के बारे में सुना होगा. लेकिन, आपको बता दें कि कई लोगों को नींद में सैक्स करने से संबंधित विकार भी होता है. इस विकार को स्लीप सैक्स (Sleep sex) कहते हैं. इसको सेक्सोमिया (Sexsomnia) भी कहा जाता है. सेक्सोमिया, पेरासोमिया (Parasomnia) का ही एक प्रकार है.

व्यक्ति के द्वारा नींद में असामान्य व्यवहार करने की स्थिति को पेरासोमिया कहा जाता है. यह नींद का विकार होता है. सेक्सोमिया में व्यक्ति सोते हुए यौन गतिविधियां करता है. जिसमें व्यक्ति के द्वारा हस्तमैथुन, संभोग आदि सभी यौन गतिधियां की जा सकती है.

आइये इस गंभीर विकार के बारे में आगे जानें कि स्लीप सैक्स क्या है, स्लीप सैक्स के लक्षण, कारण और जोखिम कारक, स्लीप सैक्स के लिए क्या परीक्षण किए जाते हैं और इसका इलाज कैसे होता है.

स्लीप सैक्स क्या है

जैसा कि आपको ऊपर बताया जा चुका है कि नींद में सोते हुए व्यक्ति के द्वारा यौन गतिविधियां करना ही स्लीप सैक्स होता है. इसमें व्यक्ति गहरी नींद में हस्तमैथुन व सैक्स तक कर सकता है. यह नींद में सैक्स के सपने आने की स्थिति से बेहद ही अलग होती है. इसमें व्यक्ति नींद में चलने की तरह ही सोते समय यौन गतिविधियों को करता है. सेक्सोमिया नाम से पहचाने जाने वाले इस विकार के कई कारण होते हैं. जिसके आधार पर ही इसके लक्षण सामने आते हैं.

सेक्सोमिया चिकित्सीय क्षेत्र में कुछ वर्षों पहले सामने आया एक नया विकार है. इसका पहला मामला 1986 में दर्ज किया गया था. सेक्सोमिया विकार पर अध्ययन करना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि यह विकार सोते समय कभी भी हो सकता है. इसके होने का कोई निश्चित तरीका नहीं होता है.

स्लीप सैक्स के लक्षण

व्यक्ति के द्वारा सोते हुए सैक्स का सपना देखने के मुकाबले यह विकार काफी अलग व गंभीर होता है. सैक्स के सपने आना एक सामान्य स्थिति हो सकती है. लेकिन, नींद में शारीरिक संबंध बनाना किसी के लिए खरतनाक भी हो सकता है. सेक्सोमिया से ग्रसित व्यक्ति को पता ही नहीं चल पाता कि उसके साथ वास्तव में क्या हो रहा है. विकार से ग्रसित व्यक्ति में सेक्सोमिया के लक्षण सबसे पहले उसके परिजन, साथी, कमरे में साथ रहने वाले साथी या उसके पास सोने वाले मित्र महसूस करते हैं. किसी दूसरे के बताने पर ही व्यक्ति को यह पता चल पाता है कि उसके द्वारा नींद में किस तरह की गतिविधित की जा रही है.

सेक्सोमिया में किया जाने वाला व्यवहार और इसके लक्षण निम्न होते हैं –

  1. सोते हुए फोरप्ले की तरह महसूस करना.
  2. यौन क्रिया की तरह आवाजें निकालना.
  3. बिना उत्तेजना के चरमसुख अनुभव करना.
  4. दिल की धड़कने और सांसों का तेज होना.
  5. श्रोणी में संभोग की तरह गतिविधि करना.
  6. अधिक पसीना आना.
  7. हस्तमैथुन करना.
  8. साथ में सोने वाले के साथ फोरप्ले करना.
  9. साथ में सोए हुए के साथ संभोग करना.
  10. सोते समय किए गए यौन व्यवहार को याद न रख पाना.
  11. संभोग के समय न उठ पाना.
  12. जगाने पर रात की गतिविधियों को पूरी तरह से नकार देना.
  13. रात में चलना और बोलना.
  14. नींद में संभोग के समय आंखे खुली और भावहीन होना.

नींद के दौरान किए जाने वाला सैक्स भावनात्मक तौर पर रोगी को परेशान कर सकता है. इस दौरान व्यक्ति की आंखे खुली भी हो सकती है और लोगों को ऐसा भी लग सकता है कि व्यक्ति जगा हुआ है, जबकि वह नींद की अवस्था में ही ऐसा करता है.

डौक्टर से कब मिलें?

इस तरह के मामले आगे चलकर काफी गंभीर रूप धारण कर सकते हैं. सेक्सोमिया में सोते समय हस्तमैथुन करना आपके लिए समस्या का कारण बन सकता है. सेक्सोमिया में पीड़ित व्यक्ति की शादीशुदा जिंदगी पर भी खराब असर पड़ता है. इससे दोनों ही साथियों के रिश्ते में दरार आने लगती है. इन सभी कारणों के चलते आपको सेक्सोमिया में तुरंत डौक्टरी सलाह लेनी चाहिए. अगर कुछ सप्ताह से आपको सेक्सोमिया के लक्षण लगातार दिखाई दे रहें हैं तो आपको किसी विशेषज्ञ से मिलकर इस समस्या का इलाज शुरू करवाना चाहिए. अगर आपको इस बारे में कुछ समझ न आए तो आप अपने पारिवारिक डौक्टर की भी सलाह से सकते हैं.

स्लीप सैक्स के कारण

अन्य तरह के पेरासोमिया के अनुसार ही सेक्सोमिया में भी व्यक्ति का दिमाग गहरी नींद की अवस्था में सही तरह से कार्य नहीं कर पाता है. इस समस्या के कारण व्यक्ति को सुबह उठने पर पता ही नहीं चल पाता है कि वह कहां है. नींद में यौन गतिविधियों के सही कारणों का पता लगाना बेहद ही मुश्किल होता है. इस विकार की जाँच करने के बाद ही पता चल पाता है कि आपकी जीवनशैली में बदलाव, किसी प्रकार की दवाओं के सेवन या चिकित्सीय कारण आदि,  किन वजहों के चलते नींद के नियमित तरीके में बदलाव आया है.

अभी तक स्लीप सैक्स के सही कारणों का पता नहीं चल पाया है, परंतु इसको उत्तेजित (यौन व्यवहार के होने की तीव्रता) करने वाले कुछ कारण निम्नतः बताए जाते हैं –

  1. नींद में कमीं होना.
  2. अधिक थकान होना.
  3. अत्यधिक शराब पीना.
  4. नशीली दवाओं का उपयोग.
  5. चिंता.
  6. तनाव.
  7. सही तरह से नींद न आना.
  8. तनाव वाला काम करना या काम के घंटे ज्यादा होना.
  9. यात्रा करना.
  10. किसी व्यक्ति के साथ एक ही बिस्तर पर सोना.

कुछ निम्न तरह की चिकित्सीय स्थितियां, सेक्सोमिया होने की जोखिम कारक मानी जाती हैं –

  1. औब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (Obstructive Sleep Apnea/ नींद में सांस लेने में बाधा होना)
  2. रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (Restless leg syndrome/ पैरों में नियंत्रण न रहना)
  3. गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (Gastroesophageal reflux disease/ Gerd/ बार-बार एसिडिटी होना)
  4. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (rritable Bowel Syndrome/ बड़ी आंत संबंधी विकार)
  5. पहले कभी पेरासोमिया हुआ हो, जैसे – सोते समय चलने या बोलने की आदत का होना.
  6. क्रोहन रोग (Crohn’s disease: पाचन तंत्र में सूजन आना)
  7. कोलाइटिस (Colitis/ बड़ी आंत में सूजन होना) (और पढ़ें – आंतों में सूजन का इलाज)
  8. अल्सर/ छाले (Ulcers) (और पढ़ें – छाले का घरेलू उपाय)
  9. माइग्रेन (Migrane/ सिर दर्द) (और पढ़ें – माइग्रेन के घरेलू उपाय)
  10. मिर्गी होना या शारीरिक अंगों का काम न कर पाना.
  11. सिर में गंभीर चोट आना.
  12. चिंता और अवसाद की दवाएं लेना. (और पढ़ें – अवसाद के घरेलू उपाय)
  13. बचपन में यौन अपराध का शिकार होना.
  14. पार्किंसन रोग होना.

स्लीप सैक्स का परीक्षण

इस विकार परीक्षण के लिए किसी डौक्टर से मिलने से पहले आपको अपने आसपास के उन लोगों से बात करनी होगी, जिन्होंने सोते समय आपकी यौन गतिविधियों की सही स्थिति को देखा हो. इसके बाद आप उनकी सभी बातों को किसी डायरी में लिख लें. इसके अलावा आपको दो-तीन दिनों में यौन गतिविधियों के नियमित तरीके को भी समझना होगा. दो चार दिनों की यौन गतिविधियों के आकंडों से डौक्टर को आपके विकार के बारे में सही तरह से जानने का मौका मिलेगा. अगर आपकी बात से डौक्टर सही स्थिति का पता नहीं लगा पाते हैं तो वह आपके सोने की स्थिति पर अध्ययन करेंगे.

चिकित्सीय जांच के विशेषज्ञों के द्वारा ही नींद की स्थिति का अध्ययन किया जाता है. इस टेस्ट को ‘पोलीसोम्नोग्राफी’ कहा जाता है. इसमें नींद के दौरान आपकी निम्न आधार पर जांच होती है –

  1. मस्तिष्क तरंगे.
  2. हृदय दर.
  3. सांस लेने का तरीका.
  4. आंखों और पैरों के संचालन का तरीका.

जांच के दौरान आपको परीक्षण केंद्र पर एक रात सोने के लिए भी कहा जा सकता है. एक रात में विकार के कारणों को समझने में मुश्किल होने पर डौक्टर आपको कुछ और रातें केंद्र पर सोने के लिए कह सकते हैं. इसके बाद भी विकार के कारणों का सही पता न लगने पर डौक्टर आपको कई अन्य परीक्षण की भी सलाह दे सकते हैं.

स्लीप सैक्स का इलाज

सही समय पर सोने और जगाने की नियमित आदत से आप स्लीप सैक्स विकार को आसानी से दूर कर सकते हैं. सेक्सोमिया के लक्षणों को दूर करने के बाद व्यक्ति को सही तरह से नींद आने लगती है. सामान्यतः स्लीप सैक्स के कारणों को समझने में लंबा समय लगता है.

सेक्सोमिया के लिए दवाएं –

सेक्सोमिया से संबंधित लक्षणों के इलाज के लिए दवाओं के प्रयोग करने से इस विकार में राहत मिलती है. इसमें आपकी नींद में बाधा आने वाले कारण, जैसे – स्लीप एप्निया का इलाज करने से सेक्सोमिया की समस्या कम होती है.

सेक्सोमिया के चिकित्सीय इलाज में शामिल हैं –

  1. चिंता और अवसाद को दूर करने वाली दवाओं का सेवन करें.
  2. नाक से सांस लेने की प्रक्रिया को सही करने के लिए सीपीएपी थेरेपी लेना.
  3. दर्द से राहत देने वाली दवाएं लेना.
  4. एसिडिटी को कम करने वाली दवाएं लेना.

जीवन शैली में क्या बदलाव करें-

सेक्सोमिया के इलाज के लिए जीवनशैली में भी बदलाव करना जरूरी होता है. सेक्सोमिया के लक्षण से आपके आसपास के लोगों को भी नकारात्मक प्रभाव झेलना पड़ता है. इसके लिए आपको रात में अलग या अकेले ही सोना चाहिए. सेक्सोमिया के कई मरीजों ने रात में अकेले सो कर और बेडरूम के दरवाजे पर अलार्म लगाकर भी अपने लक्षणों को कम किया है.

मनोचिकित्सक से मिलें

सेक्सोमिया के कारण होने वाली शर्मिंदगी को दूर करने के लिए आप मनोचिकित्सक से मिल सकते हैं. इस विकार के लक्षणों के चलते व्यक्ति मानसिक और भावनात्मक रूप से हताश हो जाता है, ऐसे में उसको मनोचिकित्सक से मिलने की आवश्यकता होती है. क्योंकि कई मामलों में सेक्सोमिया के लक्षण पीड़ित व्यक्ति के साथी के लिए भी समस्या का कारण बन सकते हैं.

स्लीप सैक्स से बचाव

अगर स्लीप सैक्स शराब और नशीली दवाओं के कारण हो रहा हो, तो आपको तुरंत इस तरह की दवाओं को लेना बंद करना होगा. इसके अलावा कई बार किसी रोग के लिए डौक्टर के द्वारा बताई जाने वाली दवाओं के सेवन और इसके विपरीत प्रभाव के कारण भी यह समस्या हो जाती है. अगर आप ऐसा महसूस करें तो इन दवाओं का सेवन रोक दें और इसकी जगह पर डौक्टरी सलाह के बाद कोई अन्य दवा लेना शुरू करें. स्लीप सैक्स के सही कारणों को समझकर आपको या डॉक्टर को इसका इलाज करना होता है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें