‘लव, सैक्स और धोखा’ यह सिर्फ फिल्मी लफ्फाजी नहीं, आजकल युवाओं की जिंदगी इन्हीं 3 शब्दों के इर्दगिर्द है. रिश्तों की जरूरत को न समझने की आदत अब हमारे जीवन का हिस्सा बन रही है, जिस से रिश्ते कमजोर हो रहे हैं.

प्रेम, विछोह और पुनर्मिलन के परंपरागत कौन्सैप्ट से दूर रंगीन परदे पर अब लव, सैक्स और धोखे का तड़का ही ज्यादा नजर आता है. आजकल इंस्टैंट लव और उस के बाद इंस्टैंट सैक्स नैटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो के जरखरीद प्लेटफौर्मों का ट्रैंड बन गया है.

प्रेम आधारित शो में वासना, कामुकता, स्वार्थ और धोखे का रंग ज्यादा नजर आता है. उन में समर्पण, विश्वास, संयम, प्रेम जैसी भावनाएं नहीं बल्कि बिंदासपन हावी है.

हिंदी सिनेमा ने प्यार पर आधारित बेहतरीन फिल्में दी हैं. ‘मुगलेआजम’, ‘पाकीजा’, ‘लैला मजनू’, ‘सोनी महिवाल’ जैसी फिल्मों को याद करिए. उस परंपरा से बिलकुल अलहदा आज की फिल्में या धारावाहिक प्यार और सैक्स की सीमाओं को तोड़ते नजर आते हैं.

प्यार का अर्थ है सैक्स और तृप्ति, जो बैडरूम की सीमा से बाहर भी कहीं भी हो सकता है. अब हर शो में कन्फ्यूज्ड प्रेमियों की कहानी परोसी जा रही है, जो तार्किक रूप से रिश्तों के साथ इंसाफ नहीं कर पाती. असलियत यह है कि आज की फिल्में व शो रिश्तों को ज्यादा छिछला बना रहे हैं. ये प्यार और सैक्स जैसी बेशकीमती भावना को बहुत हलका कर रहे हैं.

‘मनमरजियां’ ऐसी हिंदी फिल्म थी जिस में प्यार की कहानी टिंडर और फेसबुक से शुरू हुई थी. उस के बाद प्रेमीप्रेमिका छिपछिप कर मिलने लगते हैं. उन का मिलन अपनी सारी हदें लांघ जाता है. विवाहपूर्व शारीरिक संबंधों पर दोनों को कोई एतराज नहीं, बल्कि वे इसे ही प्यार समझते हैं. लड़की के परिवार वाले उसे रंगेहाथों पकड़ भी लेते हैं, लेकिन प्यार को हलके में लेने वाले, गैरजिम्मेदार और लापरवाह लड़के के लिए शादी कर के जिम्मेदारी लेना एक आफत होती है. इस तरह के लड़के कहते हैं कि प्यार के लिए शादी की क्या जरूरत. मगर लड़कियां आज भी प्रेमी से कमिटमैंट चाहती हैं. कमिटमैंट पर वे उस के साथ भागने को भी तैयार हो जाती हैं.

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