क्रिकेट: ट्वैंटी 20 वर्ल्ड कप- मरती खेल भावना, ट्रोल होते खिलाड़ी

रविवार, 13 नवंबर, 2022 को आस्ट्रेलिया के मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में आईसीसी ट्वैंटी20 वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला था. सामने थे पाकिस्तान और इंगलैंड. स्टेडियम में तकरीबन 80,000 दर्शक थे और ज्यादातर पाकिस्तान के पक्ष में दिखाई दे रहे थे.

पर इस मैच में इंगलैंड के खिलाडि़यों ने उम्दा खेल दिखाते हुए खिताब अपने नाम किया. पाकिस्तान ने कुल बनाए 137 रनों को बचाने की पूरी कोशिश की, पर सब बेकार गया.

इस तरह 16 अक्तूबर, 2022 को शुरू हुआ यह खेल तमाशा खत्म हो गया, लेकिन अगर ध्यान से देखें तो सोशल मीडिया पर एक अलग ही खेल चल रहा था, जो क्रिकेट की भलाई के लिए तो बिलकुल भी नहीं था.

इस खेल में खिलाडि़यों के लिए नफरत भरी ट्रोलिंग के साथसाथ ऐसे बचकाने संयोगों की बात की गई थी, जो क्रिकेट के माहिरों को भी अपनी चपेट में ले चुकी थी.

सब से बड़ा और अजबगजब संयोग तो पाकिस्तान के साथ जुड़ा था. दरअसल, साल 1992 के वनडे वर्ल्ड कप में पाकिस्तान की टीम जैसे हालात में फाइनल मुकाबले में पहुंची और उसे जीती थी, तकरीबन वैसा ही कुछ इस बार भी दिखा था.

जैसे, इस बार की तरह साल 1992 में भी वर्ल्ड कप आस्ट्रेलिया में हुआ था. तब भी आस्ट्रेलियाई टीम लीग मुकाबलों से आगे नहीं पहुंच पाई थी. उस समय भी पाकिस्तान अपने लीग मुकाबले में भारत से हार गया था. फिर सैमीफाइनल मुकाबले में पाकिस्तान ने न्यूजीलैंड को मात दी थी और फाइनल में इंगलैंड से भिड़ कर उस ने ट्रौफी जीती थी.

इतना ही नहीं, इस बार के फाइनल मुकाबले में जब इंगलैंड के तेज गेंदबाज बेन स्टोक्स ने मैच की पहली ही गेंद ‘नो बाल’ फेंकी, तो पाकिस्तानी फैन खुशी से उछल पड़े, क्योंकि साल 1992 के फाइनल मुकाबले में भी इंगलैंड ने पहले गेंदबाजी की थी और मैच का पहला ओवर फेंकने वाले डेरेक प्रिंगल ने भी ‘नो बाल’ फेंकी थी. इस से पाकिस्तानियों को यकीन हो गया कि 30 साल पहले जो कारनामा हुआ था, वह दोहराया जाएगा.

पर अफसोस, ऐसा हो न सका और इंगलैंड ने आसानी से यह मैच जीत कर साबित कर दिया कि संयोग नाम की कोई चीज नहीं होती और खेल में जो खिलाड़ी आखिर तक दिमागी तौर पर मजबूत रह कर खेलता है, वह मुकाबला अपने हक में कर सकता है.

अगर इस संयोग को सिर्फ आम लोग ही तरजीह देते, तो यह बात मान ली जा सकती थी कि वे भावनाओं में बह कर ऐसी बचकानी बातों पर यकीन कर लेते हैं, पर जब क्रिकेट के माहिर और खुद खिलाड़ी ही ‘सबकुछ ऊपर वाले की बदौलत होता है’ का प्रचार करते हैं, तो वे अपनी मेहनत पर ही सवालिया निशान लगा देते हैं.

अगर संयोग ही इतने ज्यादा मजबूत थे, तो फिर पाकिस्तान के गेंदबाज क्यों मैदान पर अपनी जान झोंक रहे थे? सब संयोग और ऊपर वाले पर ही छोड़ देते. लेकिन वे भी मन से तो यही जानते हैं कि संयोग जैसी चीज कुछ नहीं होती है. खिलाड़ी की खेल भावना और कोशिश ही नतीजे पर असर डालती है.

वैसे, यह अच्छा हुआ कि पाकिस्तान फाइनल मुकाबला हार गया, क्योंकि अगर वह जीत जाता तो खबरों में इसी संयोग का ऐसा प्रचारप्रसार किया जाता कि लोगों के मन में एक नए तरीके का अंधविश्वास घर कर जाता.

इस संयोग के अलावा खेल भावना का जिस ने कत्ल किया, वह थी ट्रोलर समाज की वाहियात सोच. इस टूर्नामैंट में 12 देशों ने हिस्सा लिया था, पर लग ऐसा रहा था कि भारत और पाकिस्तान ही खेलने आए हैं, बाकी देश तो बस तफरीह कर के वापस चले जाएंगे.

भारत का पहला मुकाबला ही पाकिस्तान के साथ था और इस मैच का इतना ज्यादा प्रचार किया गया था मानो यही फाइनल मुकाबला है.

यह सच है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी खेल में आपसी मुकाबला हो तो एक अलग तरह का तनाव रहता है और इस में कोई बुराई भी नहीं है, पर इस तनाव से खेल कहीं मर जाता है. खेल का मैदान लड़ाई का मैदान बन जाता है और सब के दिमाग में यही बात चल रही होती है कि चाहे किसी से भी हार जाना, पर पाकिस्तानी से मत हारना. ऐसा ही कुछ दबाव सरहद पार वालों पर भी रहता है.

भारत ने पाकिस्तान के साथ हुआ वह रोमांचक मुकाबला आखिरी गेंद पर जीता था. जीत भी ऐसी कि जो पाकिस्तान

से मुंह के निवाले की तरह छीनी गई थी. जब पाकिस्तान को लग रहा था कि

यह मुकाबला उस के हक में जा रहा है, तब विराट कोहली ने अपनी शानदार बल्लेबाजी से मैच का रुख ही नहीं पलटा, बल्कि उस पर कब्जा भी जमा लिया था.

पाकिस्तान उस हार को किसी तरह जज्ब कर गया और जब फाइनल में पहुंचा तो उसे लगा कि चूंकि सामने इंगलैंड की टीम है तो वह ट्रौफी पर कब्जा जमा सकता है. उसे इस बात की भी खुशी थी कि इंगलैंड ने सैमीफाइनल मुकाबले में भारत को 10 विकेट से धो डाला था.

इस के बाद शुरू हुआ ट्रोल करने

का गंदा खेल, जिस में शामिल हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, जिन्होंने  ट्वीट कर भारत पर तंज कसा था कि रविवार को 152/0 बनाम 170/0 का फाइनल मुकाबला होगा.

बता दें कि ट्वैंटी20 वर्ल्ड कप, 2022 के सैमीफाइनल मुकाबले में भारत के खिलाफ इंगलैंड का स्कोर 170/0 रहा था, जबकि पिछले ट्वैंटी20 वर्ल्ड कप

में पाकिस्तान ने भारत को 10 विकेट से हराया था. उस वक्त पाकिस्तान का स्कोर 152/0 था.

पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का यह तंज उन पर ही भारी पड़ गया. भारतीय यूजर्स ने उन्हें करारा जवाब दिया. किसी ने ट्वीट कर लिखा कि आप किस को सपोर्ट करोगे, क्योंकि आप का पैसा तो इंगलैंड में ही इंवैस्ट हुआ है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के ट्वीट का जवाब देते हुए भारत के तेज गेंदबाज रह चुके इरफान पठान ने लिखा, ‘आप में और हम में यही फर्क है. हम अपनी खुशी से खुश और आप दूसरे की तकलीफ से, इसलिए खुद के मुल्क को बेहतर करने पर ध्यान नहीं है.’

ट्रोलिंग के इस खेल से खिलाड़ी भी अछूते नहीं रहे. जब पाकिस्तान अपना फाइनल मुकाबला इंगलैंड से हारा तो वहां के तेज गेंदबाज रह चुके ‘रावलपिंडी ऐक्स्प्रैस’ शोएब अख्तर ने सोशल मीडिया पर टूटे दिल के इमोजी से हार का दुख मनाया. शोएब अख्तर के उस ट्वीट पर भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने लिखा, ‘सौरी भाई, इसे ही कर्म कहते हैं.’

मोहम्मद शमी के इस ट्वीट पर पाकिस्तान के आलराउंडर रह चुके शाहिद अफरीदी ने टैलीविजन पर कहा, ‘हम लोग जो क्रिकेटर हैं, हम एंबेसडर हैं, रोल मौडल हैं. हमारी कोशिश होनी चाहिए कि यह सब खत्म होना चाहिए. हम एकदूसरे के पड़ोसी हैं. ऐसी चीज नहीं होनी चाहिए, जिस से लोगों के बीच में नफरत फैले.’

मोहम्मद शमी की इस ट्वीट पर पाकिस्तान के तेज गेंदबाज रहे वसीम अकरम ने पाकिस्तान के एक चैनल ‘ए स्पोर्ट्स’ पर ‘द पवेलियन शो’ के दौरान कहा, ‘हमें इन मामलों में न्यूट्रल रहना चाहिए. भारतीय अपने देश के लिए देशभक्त हैं, मुझे इस में कोई परेशानी नहीं और हम अपने देश को ले कर देशभक्त हैं. लेकिन जलती पर तेल डालना, ट्वीट पर ट्वीट करना… ऐसा मत करो यार…’

शाहिद अफरीदी और वसीम अकरम की चिंता जायज है, पर आने वाले समय में ऐसा होगा, यह लग तो नहीं रहा है, क्योंकि अब क्रिकेट खेल से ज्यादा ट्रोलिंग करने का बहाना हो गया है. पाकिस्तान और भारत के मैच में लोग उस का लुत्फ लेने से ज्यादा अपनी जान जलाते हैं. उन्हें हर हाल में अपनी जीत चाहिए होती है, ताकि हारने वाले को ट्रोल किया जा सके.

बहुत बार यह ट्रोलिंग उस लैवल तक चली जाती है, जहां हिंदूमुसलिम मुद्दे को भड़काया जा सके. फिर चाहे पाकिस्तान कितना ही अच्छा खेल दिखा दे या कोई भारतीय मैच पलटने वाली पारी खेल दे, पर चूंकि हिंदूमुसलिम या भारतपाकिस्तान दिमाग में घुसा होता है, तो ऐसे में खेल और उस का मजा मर जाता है. अच्छी बल्लेबाजी, गेंदबाजी या फील्डिंग पर ताली बजाने के बजाय लोग इस बात की दुआ करते हैं कि चाहे विरोधी टीम वालों के हाथपैर टूट जाएं, पर जीत हमें ही मिले.

लोगों की यह सोच बड़ी खतरनाक है और सोशल मीडिया इस आग में घी डालने का काम करता है. सच तो यह है कि सोशल मीडिया अब टैंशन बढ़ाने की मशीन बन चुका है और इस की चपेट में खेल और खिलाड़ी दोनों आ रहे हैं.

हर मोर्चे पर विफल हो रही टीम इंडिया, क्या पूरा हो पाएंगा टी-20 विश्व कप जीतने का सपना

राजकोट में हुए दूसरे टी-20 मैच में टीम इंडिया में एक तरफा मुकाबला जीत लिया. लेकिन इस जीत के साथ-साथ कई सवाल टीम इंडिया के प्रदर्शन पर खड़े हुए हैं. कार्यवाहक कप्तान रोहित शर्मा की तूफानी पारी ने मैच को वनसाइडेड बना दिया. यहां आपको ध्यान देना चाहिए कि अगले साल यानी 2020 में टी-20 विश्व कप खेला जाना है. उससे पहले टीम लगातार प्रयोग के दौर से गुजर रही है. भारत बनाम बांग्लादेश पहला टी-20 मैच दिल्ली के अरूण जेटली स्टेडियम में खेला गया. भारत ये मुकाबला हार गया. अक्सर ये देखा जाता है कि जब टीम हार जाती है तो उसकी कई खामियां गिनीं जाती है लेकिन जब टीम जीत जाती है तो वो खामियां छिप जाती है. दूसरे T-20 मैच में भी ऐसा ही हुआ. पहले T-20 की अगर हम बात करें तो टीम इंडिया हर मोर्चे पर विफल रही. बल्लेबाजी की बात करें तो टीम इंडिया के ओपनर शिखर धवन का बल्ला शांत है. शिखर विश्व कप के दौरान घायल हो गए थे. उसके बाद मैदान पर आए. लेकिन लगा नहीं कि शिखर अपनी फॉर्म में हैं. रोहित शर्मा लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल एक खिलाड़ी के प्रदर्शन पर ही पूरी टीम डिपेंड रहे. युवा खिलाड़ी श्रेयस अय्यर ने जरूर कुछ रन बनाएं लेकिन उसके बाद पंत, शिवम दुबे, केएल राहुल इन सभी ने निराश किया. इन खिलाड़ियों को मौका था कि ये टीम में जगह पक्की कर पाते लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. पंत की कीपरिंग को लेकर भी तमाम सवाल उठे. पंत को अभी रिव्यू का भी सही आंकलन नहीं था.

पहले टी20 में, मैच का दसवां ओवर था जबकि डीआरएस को लेकर फैसले भारत के खिलाफ गये और आखिर में यह गलती टीम को महंगी पड़ी और उसे पहली बार बांग्लादेश से हार का सामना करना पड़ा. लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल के इस ओवर की तीसरी गेंद पर मुशफिकुर रहीम पगबाधा आउट थे लेकिन भारत ने रिव्यू नहीं लिया. गेंदबाज या विकेटकीपर पंत ने इसके लिये कप्तान को कोई सलाह भी नहीं दी। रहीम तब छह रन पर खेल रहे थे और बाद में वह 60 रन बनाकर नाबाद रहे. जबकि पगबाधा आउट का सही अंदाजा या तो गेंदबाज को होता है या फिर विकेटकीपर को. गेंदबाज को सही सलाह देने का काम विकेटकीपर को होता है.

इसी ओवर की आखिरी गेंद पर सौम्या सरकार के खिलाफ पंत ने विकेट के पीछे कैच की अपील की जिसे अंपायर ने ठुकरा दिया. पंत ने रोहित पर  डीआरएस  के लिये दबाव बनाया लेकिन  रिव्यू  से स्पष्ट हो गया कि गेंद बल्ले से लगकर नहीं गयी थी. दर्शकों ने भी  धोनी—धोनी  की गूंज से पंत को गलती का अहसास कराया. रोहित ने बाद में स्वीकार किया कि इस तरह के रिव्यू  में कप्तान पूरी तरह से गेंदबाज और विकेटकीपर पर निर्भर होता है लेकिन उन्होंने भरोसा जताया कि पंत अभी युवा है और वह समय के साथ बेहतर फैसले करना सीख जाएगा.

अब बात दूसरे टी-20 मैच की

यहां भी भारतीय टीम ने गलतियों का पहाड़ खड़ा कर दिया. वो तो सही रहा कि कप्तान रोहित शर्मा का बल्ला खूब गरजा और उन्होंने 43 गेंदों पर 85 रन ठोंक डाले. शिखर धवन ने भी उनका साथ दिया. जिससे ये मुकाबला टीम इंडिया ने जीत लिया. लेकिन जब टीम इंडिया की फील्डिंग कर रही थी तो खुद कप्तान रोहित शर्मा ने ही एक कैच छोड़ दिया. कैच के बाद कई बार मिसफिल्डिंग भी हुई. इधर ओवर थ्रो से रन दिए गए. टीम इंडिया की ये फील्डिंग देखकर लग नहीं रहा था कि ये टीम कुछ महीनों बाद टी-20 विश्व कप खेलने वाली हैं. ये बात सही है कि इस टीम में कोहली,बुमरहा और भुवनेश्वर कुमार नहीं है लेकिन जो टीम बांग्लादेश के खिलाफ उतरी थी वो खिलाड़ी भी कम नहीं है. यहां बात करते हैं दूसरे मैच की…

दरअसल, चार ओवर का मैच समाप्त हो गया था. पांचवां ओवर युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) लेकर आए. चहल के सामने बांग्लादेश के ओपनर लिट्टन दास (Litton Das) थे. पहली गेंद पर दो रन लिए. दूसरी गेंद ड्रॉप हो गई. तीसरी गेंद पर जबरदस्त ड्रामा देखने को मिला. टीम इंडिया काफी वक्त से विकेट की तलाश में थी. चहल ने ओवर की तीसरी गेंद फेंकी और विकेट कीपर पंत ने स्टंपिंग कर लिटन दास को आउट भी कर दिया.थर्ड अंपायर को इसमें कुछ गड़बड़ नजर आया और उन्होंने कई बार रिप्ले देखा. लिटन दास क्रीज से बाहर थे, चहल का पैर भी बिल्कुल ठीक था इसके बावजूद जब निर्णय में देर लगी तो मैदान में खड़े खिलाड़ी भी आपस में बातचीत करने लगे. उसके बाद थर्ड अंपायर ने इसको नो बॉल करार दी साथ में फ्री हिट भी दी गई. इस फैसले से सबसे ज्यादा निराश चहल दिखे और कप्तान रोहित शर्मा भी नाखुश नजर आए.

लेकिन यह उन अजीब घटनाओं में से एक थी जो आपको क्रिकेट में देखने को मिलती हैं. चहल की फ्लाइट होती गेंद पर लिटन दास ललचा गए और क्रीज से आगे बढ़कर शॉट खेलने लगे लेकिन लेग ब्रेक पर टर्न से पूरी तरह पिट गए. पंत के लिए स्टंपिंग करना सबसे आसान था, जो अपनी उत्तेजना में गेंद को स्टंप के आगे से ही पकड़ लिया. पंत की यह बहुत छोटी गलती है लेकिन टीम को इसका बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है.

अब बात करते कुछ आकंड़ों की

पिछले 12 महीने से टीम इंडिया टी-20 में खस्ता हाल प्रदर्शन कर रही है. टी-20 में टीम इंडिया लगातार प्रयोग कर रही है और इन प्रयोगों का खराब असर टीम इंडिया के प्रदर्शन पर साफ नजर आ रहा है. टी-20 में टीम इंडिया फिसड्डी साबित हो रही है. पिछले एक साल में टीम इंडिया टी-20 की 5 में से सिर्फ 1 सीरीज अपने नाम कर पाई. इस दौरान भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में 3 मैच की सीरीज 1-1 से ड्रॉ कर पाई. फिर न्यूजीलैंड में टीम इंडिया 3 मैच की टी-20 सीरीज में 1-2 से हारी.

फरवरी में ही ऑस्ट्रेलिया ने भारत में आकर टीम इंडिया को 2-0 से हराया. सिर्फ वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम इंडिया टी-20 सीरीज जीती. सितंबर में द. अफ्रीका ने भारत में टी-20 सीरीज 1-1 की बराबरी पर खत्म की. टीम इंडिया पिछले 10 में से 5 मैच हारी, जबकि 4 मैच जीती. एक मैच बेनतीजा रहा. पहले बल्लेबाजी करते हुए तो टीम इंडिया की स्थिति और खराब है. पहले बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया ने इस साल 5 में से 4 मैच गंवाए हैं.

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