3 दोस्तों का सामना जब रात में बाघबाघिन के जोड़े से हुआ, तब उन का दिल दहल गया. जान बचाने के लिए एक पेड़ पर चढ़ गया, जबकि 2 दोस्त उन का निवाला बनने से नहीं बच पाए.

8 घंटे तक मौत के जबड़े में उन के रहने की रोमांच से भरी यह कहानी बहुत कुछ सीख देती है… कंधई लाल ने बड़ी मिन्नतों के बाद खास दोस्त विकास उर्फ दिक्षु को अपने साथ ससुराल चलने के लिए

तैयार किया. विकास को पता था कि उस के ससुराल जाने का मतलब था रात को वहीं ठहरना, जो वह नहीं चाहता था.

‘‘अरे किस सोच में पड़ गया. वहां 1-2 घंटे का ही काम है. जल्दी लौट आएंगे. मुझे जाना बहुत जरूरी है इसलिए कह रहा हूं.’’ कंधई ने उस की चिंता दूर की.

‘‘देखो कंधई, तुम्हारी ससुराल जाने का रास्ता बड़ा खतरनाक है, इसलिए तो चिंता करनी पड़ती है.’’ विकास बोला.

‘‘कुछ नहीं होगा मेरे दोस्त. अच्छा, एक काम कर, मेरी मोटरसाइकिल खराब हो गई है, कोई इंतजाम कर दे यार,’’ कंधई ने एक और आग्रह किया.

‘‘उस की चिंता मत कर. सोनू से कह कर अपने भाई की मोटरसाइकिल मांग लेता हूं. लेकिन हां, हमें आधे घंटे के भीतर निकलना होगा. तभी हम लोग जलालपुर समय रहते पहुंच पाएंगे और अंधेरा होने से पहले लौट भी आएंगे.’’ विकास बोला.

फिर विकास ने उसी समय सोनू को फोन कर उस की मोटरसाइकिल मांगी. यह बात 11 जुलाई की है. कुछ देर में ही सोनू अपने भाई की मोटरसाइकिल ले कर आ गया. तीनों दोस्त बाइक से शाहजहांपुर जिले के थाना पुवायां के गांव जलालपुर के लिए दिन के 11 बजे चल दिए.

तीनों दोस्तों में 35 वर्षीय कंधई लाल, 22 वर्षीय सोनू व 23 वर्षीय विकास उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के दियोरिया के निवासी थे. वे अकसर हरियाणा और दूसरे जगहों पर एक साथ काम करने आतेजाते रहते थे.

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दियोरिया से जलालपुर करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर है. मोटरसाइकिल के लिए यह दूरी कोई अधिक नहीं थी, लेकिन रास्ता पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगलों के बीच से गुजरता था, इसलिए सुनसान और खतरनाक माना जाता था.

तीनों दोस्त हंसतेबतियाते सुनसान सड़क पर चले जा रहे थे. रास्ता कब तय हो गया, इस का उन्हें पता ही नहीं चला.

कंधई के ससुराल में उन के दोनों दोस्त काफी दिनों बाद गए थे, इस कारण उन की खूब आवभगत हुई. मिलनेमिलाने और बातचीत में समय का पता ही नहीं चला. शाम ढलने लगी, तब तक वे जलालपुर में ही जमे रहे.

देखते ही देखते शाम के साढ़े 7 बज गए. विकास ने कंधई से कहा कि जल्दी चलो जंगल का रास्ता है देर करना ठीक नहीं है. उस के बाद साढ़े 7 बजे तक तीनों दोस्त बाइक से दियोरिया के लिए निकल पड़े.

उन की बाइक जब दियोरिया मार्ग पर टूटे पुल के पास पीलीभीत टाइगर रिजर्व की वन चौकी बैरियर पर पहुंची, तब तक रात के साढ़े 8 बज चुके थे.

उन्होंने वहां तैनात वनकर्मी हरिराम से बैरियर खोलने के लिए कहा. किंतु हरिराम ने जंगल के घुंघचाई-दियोरिया मार्ग से रात के समय जाने से मना कर दिया. क्योंकि अंधेरा होने पर टाइगर घने जंगल से निकल कर सड़क पर घूमते दिखते हैं, इसलिए वनकर्मी बैरियर लगा कर सड़क बंद कर देते हैं. लेकिन वे लोग हरिराम से जबरदस्ती बैरियर खुलवाने की जिद करने लगे.

हरिराम ने उसे मिले आदेश के बारे में बताया कि जंगल के रास्ते से रात को जाना मना है. उस ने उन्हें समझाया कि इस क्षेत्र में रात के समय बाघ सड़क पर आ जाते हैं. इसी कारण शाम 7 बजे से सुबह 5 बजे तक जंगल के इस रास्ते को बंद कर दिया जाता है.

कंधई ने हरिराम से विनती करते हुए कहा कि उन का घर पहुंचना जरूरी है. इस पर हरिराम ने कहा कि आप सभी यहां रुक कर थोड़ा और इंतजार करें. कुछ और राहगीरों के आ जाने पर रास्ता खोल सकता हूं. आप सभी इकट्ठे निकल जाना.

हरिराम की बात पर वे कुछ देर रुके जरूर, लेकिन किसी और के नहीं आने पर उन्होंने जबरन बैरियर को खुलवाया और निकल गए.

कुछ मिनटों में ही उन की बाइक वन चौकी से लगभग एक किलोमीटर आगे जंगल के रास्ते पर खन्नौत नदी के टूटे पुल के पास पहुंच गई थी. वहां तक तो सब कुछ ठीकठाक था, उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए बाइक की हेडलाइट बंद कर दी थी. सड़क के खंभों पर लगी साधारण लाइटों के सहारे रास्ते पर बगैर कोई आवाज के आगे बढ़ रहे थे.

तभी बाइक पर पीछे बैठे विकास ने रास्ते के एक साइड में 2 बाघ बैठे देखे. अचानक उस के मुंह से चीख निकल गई. बाइक सोनू चला रहा था, कंधई बीच में बैठा था. सोनू ने बाइक धीमी कर दी. इस पर कंधई चीखता हुआ बोला, ‘‘अरे बाइक तेजी से निकाल ले.’’

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उन्हें बाघ के पास से ही हो कर निकलना था. मौत को साक्षात सामने देख कर सोनू के होश उड़ गए. डर से सभी की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई थी. इसी घबराहट में सोनू बाइक नहीं संभाल पाया.

बाइक तेज आवाज के साथ गिर गई. अभी वे बचने की सोचते, इस से पहले ही एक बाघ ने बाइक पर छलांग लगा दी. उस के पंजे की खरोंच सोनू को लगी. सब से पीछे विकास हेलमेट लगाए बैठा हुआ था, वह छिटक कर दूर जा गिरा था.

तब तक दूसरा बाघ विकास पर हमला कर चुका था. सोनू और कंधई झट से उठे और जान बचा कर रोड की तरफ भागे. पहले वाला बाघ उन के पीछे दौड़ा, जबकि दूसरे बाघ ने विकास के सिर पर पंजा और मुंह से हमला कर दिया.

वह हेलमेट पहने था, इसलिए बच गया और गड्ढे में जा गिरा. इसी बीच सोनू और कंधई भागते हुए उधर ही आ गए. दोनों बाध उन के पीछे पड़ गए. तभी विकास को मौका मिल गया. वह गड्ढे से तुरंत बाहर निकला और लपक कर एक पेड़ पर चढ़ गया.

एक बाघ ने सोनू को जबड़े से पकड़ लिया था. बाघ ने उसे ऊपर की ओर उठा लिया था. उस की मौत हो गई थी. इस की विकास ने एक झलक भर देखी. वहीं दूसरा बाघ कंधई की ओर दौड़ा. अपनी जान बचाने के लिए कंधई पेड़ पर चढने लगा.

वह करीब 6 फीट ऊंचाई तक ही चढ़ पाया था कि बाघ ने जमीन से पेड़ पर चढ़ते हुए कंधई पर छलांग लगा दिया. इस झपट्टे में कंधई गिर गया. फिर वह उठ नहीं पाया. वह बेजान हो गया था. निश्चित तौर पर उस की मौत हो चुकी थी.

बाघों का खूंखार रूप बहुत करीब से देखा

कुछ पल में ही सोनू और कंधई जमीन पर बेजान गिरे हुए थे. एक बाघ कंधई को खींच कर झाडियों के बीच ले गया. जबकि सोनू वहीं पड़ा रहा, किंतु उस के शरीर में जरा भी हलचल नहीं हो रही थी. वह मर चुका था.

यह खौफनाक मंजर पेड़ पर चढ़े विकास की आंखों के सामने था. उस की घिग्घी बंध गई थी. दहशत में उस ने आंखें बंद कर लीं. उसे लगा अब उस के मरने की बारी है. वह चुपचाप पेड़ पर बैठा रहा. दोनों बाघ पूरी रात वहीं चहलकदमी करते रहे.

सुबह लगभग 4 बजे के करीब दोनों बाघ जंगल के अंदर चले गए. जब वे काफी समय तक वापस नहीं लौटे तब विकास की जान में जान आई.

थोड़ी देर बाद कुछ लोग उधर से गुजरे. विकास ने आवाज दे कर उन्हें अपने पास बुलाया. उन से रात की घटना की आपबीती बताई. उन्होंने हिम्मत बंधाई. तब विकास पेड़ से नीचे उतरा. वह भय से कांप रहा था. विकास उन्हीं के साथ अपने घर आ गया.

विकास ने जंगल में हुई इस खौफनाक घटना की बात घर वालों को बताई. सोनू और कंधई के घर में तो कोहराम मच गया. जिस ने भी घटना के बारे में सुना, वह विकास के घर की ओर दौड़ पड़ा. उधर रात में हुई इस घटना की जानकारी वनकर्मियों ने सुबह अपने अधिकारियों को दी.

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दर्दनाक मंजर

कुछ देर में ही घटनास्थल पर घुंघचाई पुलिस चौकी के इंचार्ज प्रमोद नेहवाल, पूरनपुर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक हरीश वर्धन सिंह, सीओ लल्लन सिंह तथा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर जावेद अख्तर, पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल भी अपनी टीम के साथ पहुंच गए. उन के साथ मृतकों के परिजन भी थे.

वनकर्मियों के साथ ही ग्रामीणों ने जंगल में मृतकों की तलाश की. सोनू का शव घटनास्थल के पास पड़ा मिला, जबकि कंधई के शव को बाघ घटनास्थल से लगभग 400 मीटर दूर ले गया था.

कंधई की आधी खाई लाश भी मिल गई. बाघों ने कंधई के शरीर का निचला हिस्सा खा लिया था, केवल धड़ से ऊपर का हिस्सा बचा था. सोनू के गले व सिर पर बाघ के पंजों व दांतों के निशान थे. खून बह कर शर्ट पर जम गया था. उन के परिजनों का रोरो कर बुरा हाल था.

डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल के अनुसार, चलती बाइक पर टाइगर हमला नहीं करता है. टाइगर को देख कर बाइक सवार के रुकने पर ही वह हमला करता है. जब डर से युवकों की बाइक गिर गई थी, तब बाघ ने हमला कर दिया होगा.

उन का कहना था कि उन के स्टाफ ने रात को जंगल से जाने से मना किया था, फिर भी वे जंगल की तरफ गए थे. पुलिस ने दोनों लाशों का पंचनामा तैयार कर उन्हें पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

अगर कोई बाघ किसी इंसान पर हमला कर उस का मांस खा ले और बारबार ऐसी परिस्थितियां बने तो उस के आदमखोर बनने की आशंका रहती है.

बाघ स्वभाव के मुताबिक किसी इंसान पर हमला कर उसे कुछ दूर खींच ले जाता है. अपने शिकार का मांस एक बार में नहीं खाता, बल्कि कुछ मांस खाने के बाद बाघ वहीं आसपास छिप कर आराम करने लगता है.

भूख लगने पर वह अपने उसी शिकार के पास खाने के लिए जाता है. बाघ को जब दोबारा अपना शिकार नहीं मिलता है, तब वह भूख मिटाने के लिए किसी वन्यजीव का शिकार करता है.

इंसानों पर बाघ के हमले की घटना को रोकने के लिए घटना के बाद उस स्थल पर कैमरे लगाए जाते हैं, जिस से बाघ की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके.

तराई के जिले में बाघ संरक्षण के लिए दशकों से कार्य कर रही अंतरराष्ट्रीय संस्था विश्व प्रकृति निधि (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नरेश कुमार के अनुसार एक बार किसी इंसान का मांस खा लेने से कोई बाघ आदमखोर नहीं हो जाता. किंतु बारबार इंसानों पर हमला कर के उस का मांस खाने लगे तो फिर वह आदमखोर हो जाता है.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल के अनुसार, 2 लोगों की जान जाने के बाद घटनास्थल के आसपास 20 कैमरे लगा दिए गए. साथ ही पैदल और बाइक सवारों को जंगल के रास्ते से प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. चारपहिया वाहन के आनेजाने की छूट दी गई.

तीनों दोस्त साथ मेहनतमजदूरी करते थे. वे मजदूरी करने के लिए हरियाणा जाने की योजना बना रहे थे. इस को ले कर कंधई अपनी ससुराल वालों से मिलने गया था. बाघ के हमले का शिकार हुए सोनू अपने 3 भाइयों में दूसरे नंबर पर था. वह अविवाहित था.

घटना के अगले दिन ही उस की शादी तय होनी थी. लड़की वाले रिश्ता तय करने आने वाले थे. उस की मौत से परिवार में पिछले कई दिनों से चल रहा हंसीखुशी का माहौल गम में बदल गया. जबकि कंधई लाल 3 भाइयों में सब से बड़ा था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटे और 3 बेटियां हैं.

कांप उठता है घटना को याद कर के

इस घटना से कुछ देर पहले रात करीब 8 बजे कनपारा निवासी सत्यपाल अपनी पत्नी सोमवती के साथ बाइक से जंगल के इसी रास्ते से निकला था. सत्यपाल के अनुसार वह पत्नी के साथ बरेली इलाके के एक धार्मिक स्थल पर प्रसाद चढ़ा कर लौट रहे थे.

घटनास्थल के पास सड़क किनारे बैठे बाघ को नहीं देख पाए. जैसे ही बाइक बाघ के पास पहुंची, बाघ को देख उन्होंने बाइक की रफ्तार बढ़ा दी. बाघ ने उन की बाइक का कुछ दूरी तक पीछा भी किया, लेकिन वे बच गए.

विकास ने पेड़ पर चढ़ कर अपनी जान तो बचा ली. मगर उस के चेहरे पर साथियों की मौत और बाघ का खौफ साफ झलक रहा था. मौत के मंजर का आंखों देखा हाल बताते हुए वह अब भी कांप जाता है.

उस ने बताया, ‘‘बिजली सी कौंधी और धम्म की आवाज के साथ दोनों बाघ हम पर टूट पड़े. दोनों दोस्तों को बाघों ने उस की आंखों के सामने दबोच कर मार डाला. दिल दहला देने वाली घटना थी.

‘‘बाघ ने मेरे सिर पर पंजा मारा और मेरा सिर अपने मुंह में ले लिया. बाघ के जबड़े में मेरा सिर आ गया था लेकिन हेलमेट ने जान बचा ली. इस बीच बाघ मुझे छोड़ कर दोस्तों का पीछा करने लगा. दिमाग ने थोड़ा काम किया और लपक कर मैं एक पेड़ पर चढ़ गया.

‘‘करीब 8 घंटे पेड़ पर डरासहमा बैठा रहा. करीब एक घंटे बाद एक बाघ ने पेड़ पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हुआ. पूरी रात दोनों बाघ दहाड़ते रहे.

‘‘मुझे लग रहा था कि मैं बच नहीं पाऊंगा. मगर मेरी एक तरकीब काम आ गई. इस दौरान मौका पा कर मैं पेड़ पर ऊंचाई पर चढ़ गया. पूरी रात दहशत में गुजारी. इस बीच दोनों बाघ मुझे निवाला बनाने के लिए पेड़ के नीचे मंडराते रहे. यकीन नहीं हो रहा कि मैं जिंदा बच गया.

‘‘घर पहुंचने की जल्दी में हम ने वनकर्मी की बात नहीं मानी और जंगल के रास्ते पर आगे बढ़ गए.’’

विकास उस भयावह रात को याद करते हुए कहता है कि दोनों बाघ मेरी स्मृति में हमेशा जिंदा रहेंगे. इस धरती पर जब तक मैं जीवित रहूंगा, उन की दहाड़ मेरे कानों को सुनाई देती रहेगी.

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