रेटिंगः एक स्टार

निर्माताःसोनी पिक्चर्स और डीनो मोरिया

निर्देशकः सतराम रमानी

कलाकार: अपारशक्ति खुराना, प्रनूतन बहल, अभिषेक बनर्जी, आशीष विद्यार्थी, शारिब हाशमी, रोहित तिवारी, सानंद वर्मा, हिमांशु कोहली, दीपक वर्मा,जयशंकर त्रिपाठी,अनुरीता झा, श्रीकांत वर्मा और अन्य.

अवधिः एक घंटा 44 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5

भारत में बहुत से विषयों पर बात करने से लोग हिचकते हैं. कुछ चीजों पर बात करना ‘टैबू’बना हुआ है. उन्हीं में से जनसंख्या नियंत्रण के उपाय के तौर पर कंडोम का उपयोग करना भी षामिल है. हमारे देश में कंडोम खरीदते हुए लोग झिझकते हैं.कंडोम के बारें में बात करना भी गंवारा नही है.इसी मुद्दे पर फिल्मकार सतराम रमानी फिल्म ‘‘हेलमेट’’ लेकर आए हैं,जो कि तीन सितंबर से ‘जी 5’’पर स्टीम हो रही है.

कहानीः

जोगी(अशीष विद्यार्थी) के साले गुप्ता(श्रीकांत वर्मा ) की शादी व्याह में बैंड बाजा बजाने वाली बैंड कंपनी है, जिसमें गीत गाने वाले अनाथ युवक लक्की(अपारषक्ति खुराना ) संग जोगी की बेटी रूपाली(प्रनूतन बहल) को प्यार है. लक्की और रूपाली के बीच प्यार की खिचड़ी पकते हुए चार वर्ष हो गए हैं. एक शादी के मौके पर जहां फूलों से सजावत करने का काम रूपाली करते हैं.वहीं रूपाली व लक्की को एक कमरे में एकांत मिलता है,पर हमबिस्तर होने केे लिए रूपाली,लक्की से कंडोम लेकर आने के लिए कहती है.

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लक्की, शंभू मेडिकल स्टोर पर जाने के बावजूद कंडोम नहीं खरीद पाता. रूपाली कहती है कि लक्की उसके पिता जोगी से उसका हाथ मांगकर शादी कर ले. लक्की जोगी के पास जाता है, मगर रूपाली के सामने ही जोगी,लक्की से कहते हैं कि वह रूपाली की शादी अमरीका में रह रहे विक्रम से करेंगे,जिसकी कमायी तीन लाख है. इतना ही नहीं गुप्ता जी लक्की को अपने बैंड से बाहर का रास्ता दिखा देते हैं.अब लक्की के पास नौकरी नही है.अपना खुद का बैंड शुरू करने के लिए पैसे नही है.

उसका दोस्त माइनस(अषीष वर्मा ) भी बेरोजगार है.माइनस के दोस्त सुल्तान(अभिषेक बनर्जी ) को बंटी (शारिब हाशमी) का कर्ज चुकाना है. अब लक्की,माइनस व सुल्तान तीनों योजना बनाकर एक ट्क से मोबाइल से भरे डिब्बे समझ कर चुुराते हैं.पर उन डिब्बों में मोबाइल की बजाय कंडोम के छोटे छोटे डिब्बे निकलते हैं.अब क्या करेे?तब तीनो हेलमेट पहनकर अपनी शक्ल व पहचान छिपाकर कंडोम के छेटे डिब्बे बेचना शुरू करते हैं. रूपाली भी उनका साथ देती है.पैसे आते ही लक्की अपना ‘‘लक्की ब्रास बैंड’’ शुरू करता है. पर जोगी, गुप्ता से कहते हैं कि लक्की का बैंड शुरू न होने पाए.उसके बाद कई घटनाकम्र तेजी से बदलते हैं.

लेखन व निर्देशन:

आयुष्मान खुराना जिस तरह की फिल्में करते हैं,उसी तरह की फिल्म सतराम रमानी ‘हेलमेट’लेकर आए हैं,मगर पटकथा बहुत कमजोर हैं. कहानी में नयापनद नही है.इस तरह की प्रेम कहानी साठ व सत्तर के दशक में काफी नजर आती थीं.इतना ही नही फिल्म में लक्की व रूपाली के रोमांस को भी ठीक से चित्रित नहीं किया जा सका.सब कुछ एकदम मोनोटोनस है. फिल्म में ह्यूमर का घोर अभाव है. जबकि इस तरह के विषय वाली फिल्म में ह्यूमर तो अनिवार्य रूप से होना चाहिए.कुछ दृश्य बड़े अजीबोगरीब हैं.दो दशक पूर्व एड्स की बीमारी का हौव्वा पैदा हुआ था.

उस वक्त एड्स जागरूकता मिशन के तहत कई एनजीओ कार्यरत हुए थे, उसी की पृष्ठभूमि में 2021 में लोगों को जन्म नियंत्रण के बारे में शिक्षित करने के साथ-साथ ‘कंडोम’खरीदने की शर्म और शर्मिंदगी को पेश करने का यह असफल प्रयास है. इस तरह के विषयों में ह्यूमर व व्यंग्य अनिवार्य होता है.पर सतराम रामनी बुरी तरह से मात खा गए.हास्य के दृश्य मेलोडमौटिक हो गए हैं. हकीकत में लेखन व निर्देशन इस कदर कमजोर है कि एक बेहतरीन विषय का सट्टानाश हो गया है.

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अभिनय:

अफसोस अपारशक्ति अपने अभिनय को निखार नही सके.लक्की के किरदार में अपारशक्ति खुराना को देखकर इस बात का अहसास हुआ कि उनके अंदर की अभिनय क्षमता को निकालने का काम अच्छा निर्देषक ही कर सकता है.क्योकि पिछली फिल्मों में अपारशक्ति बेहतरीन अभिनय कर चुके हैं. अपारशक्ति खुराना और आशीष वर्मा के पास तो स्वाभावकि मजाकिया गुण है,मगर वह भी इस फिल्म में नजर नहीं आया.अभिषेक बनर्जी का काम अच्छा है.आशीष वर्मा भी जमे नही. प्रनूतन बहल खूबसूरत लगने के अलावा कुछ नही कर पायी.उन्हे अपनी अभिनय प्रतिभा को निखारने के लिए काफी मेहनत करने की जरुरत है.अशीष विद्यार्थी की प्रतिभा को जाया किया गया है.षारिब हाषमी ने फिल्म क्यों की,यह समझ से पर है.

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