आखिरकार भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी भी अंततः पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के पद चिन्हों पर चल पड़े हैं. जी हां! यह सच है और सारा देश देख रहा है कि किस तरह अफगानिस्तान के मसले पर नरेंद्र मोदी ने चुप्पी साध ली है.उनके कम बोलने पर कटाक्ष करने वाले अब बात बात पर स्वयं मौन हो जाते हैं जो देश में चर्चा का विषय है.

एक समय छोटी-छोटी बातों पर 56 इंच के सीना दिखाने वाले मोदी ने देश की आवाम को यह कह कर के आकर्षित किया था कि कांग्रेस गठबंधन की सरकार और उसके मुखिया डॉ मनमोहन सिंह तो सिर्फ मौन रहते हैं.उनके शांत स्वभाव का जैसा माखौल उड़ाया गया वह इतिहास में दर्ज है.

दरअसल डा मनमोहन सिंह की इतनी आलोचना की गई और नरेंद्र मोदी कि इतनी प्रशंसा इतनी बढ़ाई की देश की जनता ने उन्हें भारी बहुमत के साथ प्रधानमंत्री बना दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को बड़े ख्वाब दिखाए और छोटी-छोटी बातों पर बड़ी-बड़ी गाथाएं सुनाते हुए आकर्षित कर लिया था. ऐसा मालूम होता था कि मानो कोई देश की तरफ आंख भी उठाएगा तो मोदी जी की सरकार उसकी आंखें निकाल डालेंगे.

ये भी पढ़ें- गरीबों के लिए कौन अच्छा: मायावती, अखिलेश या प्रियंका?

मगर धीरे-धीरे सच्चाई सामने आती चली जा रही है. जिसमें अफगानिस्तान का मामला आज सुर्खियों में है, भारत अफगानिस्तान की मित्रता सैकड़ों साल पुरानी है और आधुनिक समय में भी लंबे समय से दोनों साथ-साथ एक अच्छे पड़ोसी के रूप में जाने जाते हैं. ऐसे में जब तालिबान का दस्ता अफगानिस्तान की सरकार पर काबिज होता चला गया भारत और वर्तमान नेतृत्व मौन साध कर बैठ गया.और अब यह चर्चा है कि मोदी आखिरकार डॉ मनमोहन सिंह के पदचिन्ह पर क्यों चल रहें है.

हजारों करोड़ पानी में

नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के पश्चात 2015 में अफगानिस्तान में मित्रता का एक नया अध्याय शुरू किया और लगभग हजारों करोड़ रुपए का निवेश प्रारंभ हो गया. यही नहीं अफगानिस्तान की संसद को भी भारत में अपने पैसों से संवारा और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम एक बड़ा प्रखंड निर्माण कराया गया.

सामरिक दृष्टि से भी भारत ने यहां निर्माण कार्य शुरू कराएं, जिन पर अब पानी फिर गया दिखाई देता है. यही कारण है कि लोग आश्चर्यचकित हैं कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी चुप क्यों है. आखिर छोटी छोटी बातों पर देश और दुनिया को संबोधित करने वाले मोदी जी अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे पर क्यों नहीं बोल रहे हैं.

ये भी पढ़ें- “सुशासन बाबू” नीतीश के रंग!

लेकिन कुछ भी कहिए नरेंद्र दामोदरदास मोदी और उनके सरकार ने रूको और वॉच करो नीति अपनाई है जो कुटनीतिज्ञ दृष्टि से सही भी है. मगर लाख टके का सवाल है कि जब आप पहले छोटी-छोटी बातों पर अपना रूप में सामने रखे थे बड़ी-बड़ी बातें करते थे तो आज सवाल तो पूछा जाएगा.

गंभीरता एक बड़ी खूबी

अब लगभग साढ़े सात वर्ष पश्चात पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की खूबियां देश देख रहा है. जिस तरीके से उन्होंने देश को नेतृत्व दिया उचाई दी ऐतिहासिक हो गया है. मगर,एक समय में मनमोहन सिंह के 10 साल तक के समय में उनकी खूबियों को उनकी खामियां बताया गया.

अब सच्चाई लोगों को समझ में आ रही है कि राजनीतिक रूप से कूटनीति के तहत अनेक जगहों पर मौन रहा जाता है. हर जगह बात करना ऊंची हांकना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना होता है. इस आलेख के माध्यम से हम यह सच आपको बताना चाहते हैं कि राजनीतिक दांव पेंच से ऊपर उठकर देश की आवाम के प्रति जवाबदेही देश के नेताओं को समझ होनी चाहिए .

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...