कांग्रेस हमेशा से राजनीति में सभी जाति, धर्म और गरीब व कमजोर तबके को साथ ले कर चलती रही है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने बीसी, एससी  और कमजोर तबके की राजनीति की है.

भारतीय जनता पार्टी के हिंदू राष्ट्र में गरीब, बीसी तबके और औरतों के लिए जगह नहीं है. राजा के आदेश का  पालन कराने के लिए पुलिस जोरजुल्म करेगी. ‘रामायण’ व ‘महाभारत’ की कहानियां इस की मिसाल हैं, जहां एससी और बीसी को कोई हक नहीं थे.

हिंदू राष्ट्र के सहारे पुलिस राज चलाने का काम किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश इस का मौडल बनता जा रहा है. भाजपा हमेशा से अगड़ी जातियों की पार्टी रही है. वहां जातीय आधार पर एकदूसरे का विरोध होता रहा है.

परेशानी की बात यह है कि कांग्रेस हो या सपा और बसपा, सभी दल अपनी विचारधारा को छोड़ चुके हैं. इन दलों के बड़े नेताओं को सलाह देने वाले लोग भाजपाई सोच के हैं, जिस वजह से वे सही सलाह नहीं दे रहे हैं. नतीजतन, कांग्रेस, सपा और बसपा जैसे दल अब हाशिए पर जा रहे हैं और इन के मुद्दे बेमकसद के लगने लगे हैं.

अमूमन राजनीतिक दलों की अपनी विचारधारा होती है. उस विचारधारा के आधार पर ही उन के नेता चुनावों में जनता के बीच जा कर वोट मांगते हैं, जिस के बाद उस दल की सरकार बनती है और फिर वह दल अपनी विचारधारा के कामों को पूरा करता है.

कांग्रेस की विचारधारा आजादी के पहले से ही सब को साथ ले कर चलने की थी. इसी वजह से जब देश हिंदूमुसलिम के बीच बंट कर भारत और पाकिस्तान बन रहा था, तब कांग्रेस इस पक्ष में थी कि भारत सभी जाति और धर्म के लोगों का देश रहेगा.

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