कोरोना महामारी के चंगुल में फंसी दुनिया के लिए राहत की बात यह है कि 23 जुलाई, 2021 से जापान के टोक्यो शहर में ओलिंपिक खेलों का महामेला शुरू हो गया है. वहां के खेलगांव में कोरोना का कहर न दिखे, इस के लिए खेल प्रशासन ने बहुत ज्यादा कड़े नियम बनाए हैं. उन में सोशल डिस्टैंसिंग यानी सामाजिक दूरी का पालन कराना बहुत बड़ी चुनौती है.

चूंकि सोशल मीडिया का जमाना है, सो जापान से आने वाली ओलिंपिक खेलों से जुड़ी खबरों का यहां से वहां तैरना लाजिमी है. ऐसे में वहां इस्तेमाल होने वाले ‘ऐंटी सैक्स बैड’ का मामला काफी ज्यादा वायरल हो गया है.

क्या बला है ‘ऐंटी सैक्स बैड’

खेल आयोजकों की कोशिश है कि टोक्यो ओलिंपिक खेलगांव कोविड-19 की आफत से बचा रहे, इस के लिए उन्होंने वहां तथाकथित ‘ऐंटी सैक्स बैड’ लगाने का फैसला किया. ऐसे बैड यानी पलंग कार्डबोर्ड से बनाए जाते हैं जिन्हें ऐसे डिजाइन किया गया है कि एक ही इंसान उस पर सो सकता है. अगर एक से ज्यादा लोगों ने बैड पर चढ़ने की कोशिश की या फिर ज्यादा जोर भी लगाया तो वह टूट सकता है.

जापान वालों की यह ‘पलंगतोड़ तरकीब’ दुनिया के सामने पहली बार तब सामने आई थी जब ऐथलीट पौल चेलिमो ने 17 जुलाई, 2021 को ‘ऐंटी सैक्स बैड’ को ले कर एक ट्वीट किया था, जिस के बाद से यह मामला इंटरनैट पर छा गया था.

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पौल चेलिमो ने बैड के फोटो शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा था, ‘‘टोक्यो ओलिंपिक खेलगांव में लगाए जाने वाले बैड कार्डबोर्ड से बने होंगे, जिन का मकसद ऐथलीटों के बीच इंटिमेसी (सैक्स करने) को रोकना है. यह बिस्तर एक इंसान का वजन उठाने के लायक होगा.’’

बाद में पौल चैलिमो ने इस मुद्दे पर कई मजाकिया ट्वीट किए. एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘‘लगता है कि अब मु झे जमीन पर सोना सीखना होगा क्योंकि अगर बैड टूट गया और मु झे जमीन पर सोना नहीं आता होगा तो भैया मैं तो गया.’’

सोशल मीडिया के यूजर

इस मामले पर एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, ‘‘यह बेहद बचकाना है. वे (ऐथलीट) एडल्ट हैं और अपने फैसले खुद ले सकते हैं और अगर आप को वायरस का इतना ही खतरा था व सोशल डिस्टैंसिंग से इतना ही लगाव था तो यह ओलिंपिक कराना ही नहीं चाहिए था.’’

एक यूजर तो चार कदम आगे निकला. उस ने लिखा, ‘‘‘ऐंटी सैक्स बैड’ बना लिए, लेकिन फ्लोर और बाथरूम का क्या?’’

इस यूजर की बात में दम था कि अगर कोई खेलगांव में सैक्स करेगा तो वह बिस्तर के भरोसे थोड़े ही रहेगा. मजबूत जमीन किस दिन काम आएगी… या फिर बाथरूम.

गौरतलब है कि टोक्यो ओलिंपिक खेलों के आयोजकों ने कंडोम की 4 कंपनियों के साथ करार भी किया है. करार के मुताबिक, ये कंपनियां ऐथलीटों को 1 लाख 60 हजार कंडोम बांटेंगी. पर आयोजकों के मुताबिक, ये कंडोम खेलगांव में इस्तेमाल करने के लिए नहीं हैं बल्कि ऐथलीट इन्हें अपने घर ले जा कर लोगों को सैक्स से जुड़ी बीमारियों के बारे में जागरूक कर सकते हैं.

इस पूरे मसले पर कुछ ऐथलीटों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था कि ये बैड तो उन का खुद का वजन नहीं  झेल पाएंगे. कई खिलाड़ी ऐसा भी कह रहे हैं कि जब ऐसे ही बैड देने थे तो 1 लाख 60 हजार कंडोम क्यों बांटे?

मामला ज्यादा उछलता देख कर खेल आयोजकों ने ‘ऐंटी सैक्स बैड’ को ले कर बयान दिया कि ये बैड काफी मजबूत हैं और इन को ले कर जो बातें फैलाई गई थीं वे सभी अफवाहें थीं.

आयरलैंड के जिमनास्ट रिस मैकलेगन ने खुद नकली बैड की रिपोर्ट को खारिज किया. एक वीडियो में उन्होंने पलंग के ऊपर छलांग लगा कर इस बात को साबित किया और ट्विटर पर पोस्ट किए गए अपने वीडियो में कहा ‘‘ये पलंग ‘ऐंटी सैक्स’ कहे जा रहे थे. ये कार्डबोर्ड से बनाए गए हैं. हां, ये खास तरह की मूवमैंट रोकने के लिए हैं. यह फेक… फेक न्यूज है.’’

इस ट्वीट से ओलिंपिक आयोजकों ने राहत की सांस ली और उन के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट ने भी इस  झूठी खबर से परदा हटाने के लिए रिस मैकलेगन का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि ये पलंग टिकाऊ और मजबूत हैं.

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अब यह खबर ज्यादा मजबूत है या ये तथाकथित ‘ऐंटी सैक्स बैड’, इस का फैसला तो वे ऐथलीट ही करेंगे जो इन पर सोएंगे. पर लगता है कि इस बार ओलिंपिक खेलों में मैदान पर खेल रिकौर्ड टूटने के साथसाथ पलंग टूटने के रिकौर्ड भी बन सकते हैं.

कुछ भी कहें, इस खबर से भारत के ‘पलंगतोड़ पान’ बनाने वाले बहुत खुश हो रहे होंगे. क्यों भैयाजी?

इन की सुन लीजिए

जहां तक ओलिंपिक खेलों में सैक्स का मुद्दा है, तो साल 2016 में हुए रियो ओलिंपिक खेलों के दौरान साढ़े 4 लाख कंडोम खेलगांव में बांटे गए थे. मतलब साफ है कि खिलाड़ी सैक्स से जुड़ी किसी बीमारी के शिकार न हों, इसलिए वे इस प्रोटैक्शन का इस्तेमाल करें.

फिलहाल ‘ऐंटी सैक्स बैड’ पर मचे बवाल पर पूर्व जरमन ऐथलीट सुसेन टाइडटके ने कहा कि ओलिंपिक खेलगांव में सैक्सुअल गतिविधियां न हों, ऐसा नहीं हो सकता है.

उन्होंने जरमन अखबार ‘बाइल्ड’ के साथ बातचीत में कहा, ‘‘मु झे इस बैन को सुन कर हंसी आ रही है. ऐसे बैन कभी काम नहीं करते हैं. सैक्स हमेशा से ही ओलिंपिक खेलगांव में मुद्दा रहा है. ऐथलीट ओलिंपिक में अपने पीक पर होते हैं. वे इन नामचीन खेलों की तैयारियों के लिए काफी कड़ी मेहनत करते हैं, ऐसे में कंपीटिशन के बाद एनर्जी रिलीज करनी होती है. ओलिंपिक के दौरान कौफी पार्टी चलती रहती है और फिर शराब भी इन पार्टियों में सर्व हो जाती है.’’

इस के अलावा ब्रिटेन के पूर्व टेबल टैनिस स्टार मैथ्यू सईद ने भी माना कि ओलिंपिक खेलगांव में सैक्सुअल गतिविधियां होती हैं.

मैथ्यू सईद ने ‘द टाइम्स’ में लिखे एक लेख में कहा था कि वे खास आकर्षक नहीं हैं लेकिन इस के बावजूद वे साल 1992 में बार्सिलोना में हुए ओलिंपिक खेलों के दौरान काफी सैक्सुअल गतिविधियों में शामिल रहे थे.

उन्होंने लिखा, ‘‘मु झ से अकसर पूछा जाता है कि क्या ओलिंपिक खेलगांव, जहां दुनिया के अव्वल ऐथलीट कुछ हफ्तों के लिए पहुंचते हैं, में काफी खुलापन होता है? मैं हमेशा से कहता रहा हूं कि यह काफी हद तक सही है. मैं ने साल 1992 में हुए ओलिंपिक खेलों में हिस्सा लिया था और उस दौरान मैं ने काफीकुछ ऐसा देखा, जिस की उम्मीद नहीं थी.’’

उन्होंने आगे कहा कि वे उस समय 21 साल के थे और उन की तरह कई लोग थे जो ओलिंपिक वर्जिन थे. उन सब में से कई लोगों के लिए ओलिंपिक खेलों में हिस्सा लेने के साथ ही ओलिंपिक खेलगांव के ग्लैमर वर्ल्ड की चकाचौंध से भी रूबरू होने का मौका था.’’

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