उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आईटी चौराहे पर रैड सिग्नल होने से ट्रैफिक रुक गया. हमारी बाइक यानी मोटरसाइकिल के ठीक बगल में एक दूसरी बाइक आ कर रुकती है. नए जमाने के स्टाइल वाली बाइक पर एक लड़का अपने पीछे एक लड़की को बैठाए है. दोनों आपस में बात करते हैं. लड़का सम झाते हुए कहता है कि यह आईटी चौराहा है. दाहिनी तरफ आईटी कालेज है. लड़का आईटी चौराहे से कपूरथला की तरफ जाने वाला था. वहां कई रैस्तरां हैं. लड़की को ले कर उसे वहां जाना रहा होगा. यह अंदाजा लड़की को लग जाता है. शायद वह पहले कभी उधर गई होगी. वह लड़के के कान में कहती है, ‘उधर आज नहीं जाना. वहां भीड़ बहुत होती है. भीड़भाड़ वाली जगह हमें पसंद नहीं आती.’ वह कहता है, ‘कोई नहीं, आज सीतापुर रोड की तरफ चलते हैं. वहां अच्छी जगहें हैं.’

इसी बीच चौराहे का ट्रैफिक सिगनल ग्रीन हो जाता है. लड़का अपनी बाइक सीतापुर रोड की तरफ मोड़ देता है. दोनों को देख कर यह लग रहा था कि वे एकांत में कुछ समय गुजारना चाहते थे. ऐसे लोगों को प्यार करने वाला कपल कहा जाता है. जब प्यार की बात होती है तो ऐसे ही कपल की चर्चा सब से ज्यादा होती है. इन की दोस्ती, इन का प्यार छोटीछोटी वजहों से टूट जाता है. हर दोस्ती को प्यार की नजर से नहीं देखना चाहिए. हर कपल को प्यार करने वाला कपल नहीं माना जा सकता. यह जरूर है कि दोस्ती में सैक्स और प्यार दोनों आगे बढ़ जाते हैं. प्यार और सैक्स के बीच दूरी बनाए रखना जरूरी है. जहां यह दूरी नहीं होती वहां प्यार बदनाम हो जाता है. प्यार के ऐसे ही रास्ते से घर, परिवार और समाज को डर लगता है. यही डर पाबंदी का भी रूप ले लेता है.

प्यार के अलग फलसफे प्यार को ले कर दिल और समाज में अलगअलग फलसफे हैं. कहीं कहा जाता है कि ‘प्यार ही जिंदगी है’ तो कहीं कहा जाता है कि ‘प्यार सबकुछ नहीं जिंदगी के लिए.’ यह सच है कि प्यार से खूबसूरत चीज दूसरी दुनिया में नहीं है. प्यार उम्र, जाति और दूरी के बंधन को भी नहीं मानता है. आज जिस प्यार की बात हम करने जा रहे हैं वह ‘टीनएज लव’ या ‘युवावस्था में होने वाला प्यार’ है. यह प्यार उम्र के उस दौर में होता है जब सब से अधिक जरूरत युवाओं को अपने कैरियर पर ध्यान देने की होती है. ऐसे युवाओं को ही सम झाने के लिए कहा जाता है, ‘प्यार से भी जरूरी कई काम हैं, प्यार सबकुछ नहीं जिंदगी के लिए’. क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘किशोरावस्था में शरीर में हारमोनल चेंज आते हैं. ऐसे में लड़के और लड़कियों के बीच आपस में एकदूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ता है. यह आकर्षण पहले दोस्ती, फिर प्यार, फिर शादी तक भी पहुंच जाता है.

समाज की नजरों से देखें तो इस को सफल प्यार कहा जाता है. जो प्यार शादी तक नहीं पहुंच पाता उस को असफल प्यार की श्रेणी में रख दिया जाता है. प्यार की कुछ कहानियां पहले आकर्षण के बाद खत्म हो जाती हैं. कुछ एकतरफा हो कर ही रह जाती हैं, कुछ दोस्ती से आगे नहीं बढ़ पातीं और कुछ तो शादी के बाद भी टूट जाती हैं.’’ अलगअलग है प्यार और सैक्स  प्यार के अलगअलग दौर होते हैं. हर दौर की अपनी मुश्किलें होती हैं. प्यार का सब से अलग दौर वह होता है जब उस में सैक्स की चाहत पनप जाती है. असल में लड़कालड़की के बीच जो आकर्षण प्यार की तरह से दिखता है उस में सैक्स का अहम रोल होता है. प्यार और सैक्स के बीच में एक बहुत ही पतली विभाजन रेखा होती है. यह इतनी पतली होती है कि इस में अंतर कर पाना समाज और देखने वालों के लिए मुश्किल होता है.

समाज का एक बड़ा वर्ग प्यार को सैक्स का आकर्षण सम झता है. सैक्स को ले कर लड़कियों के व्यवहार के प्रति समाज का नजरिया बेहद संकीर्ण होता है. इस की वजह यह है कि समाज उन लड़कियों को सही नहीं मानता जो शादी से पहले सैक्स कर लेती हैं. शादी के पहले सैक्स के प्रति इसी सोच के कारण मातापिता और समाज प्यार करने वालों को सही नहीं मानते. उन के बीच दूरियां डालने का काम करते हैं. प्यार और सैक्स में घट रही दूरियों के कारण ही प्यार की चुनौतियां बढ़ रही हैं. समाज और परिवार का मानना होता है कि किशोरावस्था से ले कर युवावस्था तक का समय कैरियर बनाने व अपने भविष्य की मजबूत नींव रखने के लिए होता है. ऐसे में प्यार का होना उन को रास्ते से भटकाने का काम करता है, जिस से प्यार के चक्कर में पड़ कर लड़के हों या लड़कियां, अपने भविष्य से खिलवाड़ करते हैं. यहीं पर यह धारणा जन्म लेती है कि प्यार सबकुछ नहीं जिंदगी के लिए.

प्यार में नासम झी खतरनाक  हमारे समाज में सब से गलत धारणा यह है कि प्यार पहली नजर में हो जाता है. प्यार अंधा होता है, प्यार सोचसम झ कर नहीं किया जाता और प्यार में अमीरीगरीबी नहीं देखी जाती. ये बातें किताबी होती हैं. प्यार जब वास्तविकता के धरातल पर उतरता है तो ये सारी बातें बेमानी हो जाती हैं. और तब जातिधर्म, अमीरीगरीबी, रूपरंग सभी कुछ माने रखने लगते हैं. पहली नजर के आकर्षण में होने वाले प्यार के समय मानसिक स्तर के तालमेल को भी महत्त्व नहीं दिया जाता है. जबकि, सचाई यह होती है कि जिन लोगों के विचार आपस में नहीं मिलते उन के बीच दूरियां बनी रहती हैं. वे प्यार, मोहब्बत और शादी के बंधन में भी तालमेल नहीं बना पाते हैं. जो युवा प्यार में नासम झी करते हैं वे कभी प्यार में सफल नहीं हो सकते. लखनऊ में घर से भाग कर शादी करने वाले लड़केलड़कियों के जिन मामलों में पुलिस में रिपोर्टें दर्ज हुईं, पुलिस ने कुछ लड़केलड़कियों को पकड़ कर कोर्ट में पेश किया, तो ज्यादातर लड़कियां कम उम्र की थीं. वे अपने पिता के घर जाने को तैयार नहीं थीं.

ऐसे में उन को ‘बालिका गृह’ भेजा गया. वहां जांच में पता चला कि आधे से अधिक लड़कियां गर्भवती निकलीं. प्यार में घर से विद्रोह कर लड़के के साथ भाग जाना और फिर गर्भवती होना प्यार के लिए बेहद खतरनाक हो जाता है. ऐसे मामलों में ही घरपरिवार और समाज का डर भी पैदा हो जाता है जो आपराधिक गतिविधियों को जन्म दे देता है. इस वजह से ऐसे कपल कई बार आत्महत्या करने जैसे आत्मघाती कदम उठा लेते हैं. कई बार समाज इन के प्रति हिंसक हो जाता है. प्यार में नासम झी भारी पड़ती है. सम झदारी और सू झबू झ से सफल होता है प्यार समाज में तमाम ऐसे उदाहरण भी हैं जो जातिधर्म या दूसरे बंधनों से अलग हो कर भी प्यार, शादी, परिवार और समाज के लिए उदाहरण या रोल मौडल माने जाते हैं. ऐसे लोगों के गुणों को देखें तो पता चलता है कि ये प्यार और सैक्स के बीच दूरी को बना कर रखने वाले थे. इन्होंने अपने कैरियर को प्राथमिकता दी.

जब आत्मनिर्भर हो गए तब शादी व सैक्स के फैसले किए. जिस के बाद इन के प्यार पर किसी भी तरह की उंगली न उठी. ऐसे ही प्यार में शादी करने वाली शबाना खंडेलवाल ने गैरधर्म में शादी की थी. शबाना कहती हैं, ‘‘हमारा प्यार जब आगे बढ़ा तब हम ने यह फैसला किया था कि जब हम अपने पैरों पर खड़े हो जाएंगे तभी शादी का फैसला लेंगे. यही हुआ. हम ने अलग रहने का फैसला भले ही लिया पर एकदूसरे के परिवार के सुखदुख में हिस्सा लेते रहे. दोनों ही परिवारों ने हमें स्वीकार किया.’’

शबाना आगे कहती हैं, ‘‘अगर हम ने केवल प्यार के युवा आकर्षण में पड़ कर ऐसा कदम उठाया होता तो हम सफल नहीं होते. प्यार का विरोध करने वाले यह सोचते हैं कि केवल आकर्षण में ऐसे कदम उठाने वालों में जिम्मेदारी का भाव नहीं होता है. इस कारण वे प्यार का विरोध करते हैं. जिन लोगों में जहां प्यार का आकर्षण और जिम्मेदारी का भाव दोनों होता है वहां पर प्यार के सफल होने के अवसर बढ़ जाते हैं. समाज ऐसे लोगों को स्वीकार कर लेता है.’’ डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘रिश्तों की सफलता व असफलता की तमाम वजहें होती हैं. ऐसे में प्यार में टूटने वालों को अपने जीवन से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए. जिंदगी की जो तमाम वजहें होती हैं, प्यार उन में से एक है.

प्यार सबकुछ नहीं जिंदगी के लिए, ऐसे में एक वजह के लिए पूरी जिंदगी को दांव पर लगाना उचित नहीं होता.’’  युवाओं से केवल घर व परिवार को ही नहीं, देश व समाज को भी उम्मीदें होती हैं. युवाशक्ति देश के विकास में अहम रोल अदा करती है. प्यार के लिए जिंदगी को दांव पर लगाना ठीक नहीं है. प्यार से भी जरूरी कई काम हैं.

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