उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और नेपाल के तराई इलाकों के साथसाथ हिंदी बैल्ट में भोजपुरी सिनेमा देखने वालों की भरमार है. छोटे बजट की इन फिल्मों के गीत घरघर में सुनाई देते हैं. फिल्म की कहानी और कलाकारों की मेहनत का ही नतीजा है कि सिनेमाघर में बैठे दर्शक सीटी बजाबजा कर फिल्म देखने का लुत्फ उठाते हैं.

इस सब के बावजूद पिछले कुछ सालों तक भोजपुरी सिनेमा को दोयम दर्जे का ही समझ जाता था. इन फिल्मों पर अश्लील होने और गानों के नाम पर बेहूदगी परोसने के लांछन लगते थे. हिंदी, बंगाली, मराठी, पंजाबी और दक्षिण भारतीय फिल्मों के मुकाबले भोजपुरी फिल्में कहीं नहीं ठहरती थीं.

पर, अब माहौल थोड़ा बदल गया है. भले ही ये फिल्में कम बजट की होती हैं, पर इन की क्वालिटी में गजब का सुधार हुआ है.

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अब इन फिल्मों का हीरो भी हवा में उड़ता हुआ विलेन और उस के गुरगों की धुनाई करता है, तेज रफ्तार कार किसी गहरी खाई को भी आसानी से लांघ जाती है. गानों की कोरियोग्राफी पर मेहनत की जाती है.

कहने का मतलब है कि नई तकनीकी के इस्तेमाल के चलते इन फिल्मों को दर्शक खूब पसंद कर रहे हैं.

यह बदलाव साल 2004 में तब हुआ था, जब भोजपुरी गायक और नायक मनोज तिवारी ‘मृदुल’ की फिल्म ‘ससुरा बड़ा पइसावाला’ ने भोजपुरी बैल्ट से बाहर निकल कर दूसरे राज्यों के सिनेमाघरों में धमाल मचाया था. तकरीबन 30 लाख रुपए के बजट से बनी इस फिल्म ने अव्वल दर्जे की टैक्नोलौजी का इस्तेमाल होने के चलते 9 करोड़ रुपए की कमाई की थी.

इस के बाद भोजपुरी फिल्मों में तकनीकी पक्ष को मजबूत किए जाने पर खासा जोर दिया गया था, जिस के चलते बहुत सी फिल्मों ने अच्छी कमाई भी की थी.

यही वजह है कि आज भोजपुरी फिल्मों में रवि किशन, पवन सिंह, दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’, अरविंद अकेला ‘कल्लू’, रितेश पांडेय, विराज भट्ट, प्रदीप पांडेय ‘चिंटू’, शुभम तिवारी जैसे नामचीन हीरो और रानी चटर्जी, नगमा, काजल राघवानी, प्रियंका पंडित, आम्रपाली दुबे, अक्षरा सिंह, कनक यादव जैसी हीरोइनों का जलवा पूरे देश पर छा रहा है.

आज भोजपुरी फिल्में महंगी वीएफएस व क्रोमा जैसी तकनीकी के इस्तेमाल की तरफ कदम बढ़ा रही हैं. ऐसे में ऐक्शन, डांस, लाइटिंग, ग्राफिक्स, स्पैशल इफैक्ट्स का पक्ष बेहद मजबूत हुआ है. इस के लिए दक्षिण के ऐक्शन मास्टरों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

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कार्यकारी निर्माता संतोष वर्मा ने अपनी फिल्म ‘वांटेड’ के बारे में बताया कि इस फिल्म में आधुनिक साउंड तकनीकी का इस्तेमाल भी किया गया है, क्योंकि फिल्मों के सीन में अगर साउंड और बैकग्राउंड म्यूजिक न डाला जाए, तो ये फिल्में दर्शकों को मूक फिल्मों जैसी लगेंगी.

नई तकनीकी का कमाल है

आजकल भोजपुरी में हौरर फिल्में भी बनने लगी हैं. रितेश पांडेय की फिल्म ‘बलमा बिहारवाला 2’ में भी इसी तरह की बेहतरीन टैक्नोलौजी का इस्तेमाल किया गया था, जिस से डरावने सीन ने फिल्म में जान डाल दी थी.

अब डांस और कोरियोग्राफी पर भी नजर डालते हैं. आज के दौर में भोजपुरी फिल्मों में भी आइटम डांस खूब चलन  में हैं.

आजमगढ़ जिले की अदाकारा सनी सिंह के मुताबिक, कभीकभी एक आइटम डांस गाना ही फिल्म के हिट होने की वजह बन सकता है.

आइटम गर्ल राखी सांवत ने रवि किशन और पवन सिंह की फिल्म ‘कट्टा तनल दुपट्टा पर’ में दमदार आइटम डांस दिखाया था.

भोजपुरी फिल्मों ने हिंदी फिल्म वालों पर भी अपना जादू चलाया है. हीरोइन प्रियंका चोपड़ा ने दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ और आम्रपाली दुबे को साथ ले कर फिल्म ‘बमबम बोल रहा काशी’ में अपना पैसा लगाया था.

इस फिल्म में इस्तेमाल की गई बेहतरीन फिल्मांकन तकनीकी, लाइट विजुअल व साउंड इफैक्ट के चलते फिल्म के रिलीज होने के 3 दिन के भीतर ही पूरी लागत निकाल ली थी.

नई टैक्नोलौजी से यह साबित होता है कि भोजपुरी फिल्मों में बजट की कमी इन के आगे बढ़ने में आड़े नहीं आ सकती है.

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वीडियो और आर्ट डायरैक्टर आशीष यादव ने बताया कि हाल के सालों में भोजपुरी फिल्मों के फिल्मांकन में टैक्नोलौजी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. अब भोजपुरी बैल्ट के सिनेमाघरों में दर्शक भोजपुरी फिल्मों को देखने में वही रोमांच महसूस करते हैं, जो बौलीवुड व हौलीवुड की फिल्में देखने पर मिलता है.

यही वजह है कि बौलीवुड के अमिताभ बच्चन, मिथुन चकवर्ती, शक्ति कपूर, रजा मुराद जैसे बड़े कलाकार भी भोजपुरी फिल्मों में दिखाई देते रहे हैं.

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