सौजन्य-  मनोहर कहानियां

मां ने उसे समझाया, ‘‘बेटी, जो किया सो किया. कम से कम घर की इज्जत तो बाजार में मत उछाल. तू पढ़लिख. वक्त आने पर तेरे अब्बू अच्छा लड़का देख कर तेरा निकाह धूमधाम से कर देंगे. तू ऐसे छिछोरों के साथ गलबहियां जोड़ कर घर की इज्जत मत बेच. समझी.’’

सिर झुकाए खुशबू मां की बातें चुपचाप सुन रही थी. उस समय उस ने मां से झूठ बोल कर मामला वहीं खत्म कर दिया और वादा किया कि अब वह लक्की से कभी नहीं मिलेगी और न ही बात करेगी.

बेटी के किए वादे पर उन्हें यकीन हो गया था कि अब वह कोई ऐसी हरकत नहीं करेगी, जिस से घर वालों को शर्मिंदा होना पड़े.

पर बात यहीं खत्म नहीं हुई. अरमान ने फुफेरे भाई अजहर के साथ मिल कर लक्की के घर का पता लगा लिया था. एक दिन वह उस के घर पहुंच गया. उस ने उस की मां को धमकी भरे अंदाज में कहा, ‘‘आंटी, तू अपने बेटे लक्की को समझा देना, वह मेरी बहन से दूर ही रहे तो उस के लिए अच्छा है, नहीं तो इस का नतीजा बहुत बुरा होगा.’’

अरमान और अजहर चले गए. लेकिन आरती देवी एकदम से सन्न रह गई थीं. बेटे को ले कर उन्हें चिंता सताने लगी थी कि कहीं उस के साथ कोई ऊंचनीच न हो जाए. वह लक्की के घर लौटने की राह देखने लगी.

रात में जब लक्की ड्यूटी से घर लौटा तो खाना खिलाने के बाद मां ने उसे समझाया और बताया कि दूसरों की इज्जत से खेलने का अंजाम बहुत बुरा होता है. तू संभल जा बेटा. आज 2 लड़के घर आ कर मुझे धमका गए हैं.

बेटा, मेरे जीने का तुम्हीं सब सहारा हो, अगर तुम्हें कुछ हुआ तो मैं किस के सहारे जीऊंगी? मेरी बात मान बेटा, तू उस लड़की का चक्कर छोड़ कर अपने काम में मन लगा. समय आने पर अच्छी लड़की देख कर तेरी शादी करा दूंगी.

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मां की बात सुन कर लक्की सकपका गया कि उस के प्यार का राज खुल गया है. वह उलटा मां को ही समझाने लगा, ‘‘मां, खुशबू बहुत अच्छी लड़की है. मैं उसे बहुत प्यार करता हूं, वह भी मुझे बहुत चाहती है. हम दोनों शादी करना चाहते हैं, मां. हमें बस तुम्हारे आशीर्वाद की जरूरत है.’’

लक्की मां के सामने फिल्मी डायलौग मारने लगा. बेटे की बात आरती को तनिक भी अच्छी नहीं लगी. तभी उस ने उस के कान के नीचे एक झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद किया. वह तिलमिला कर रह गया. आरती को बेटे की चिंता सताने लगी थी क्योंकि उन्होंने उन दोनों लड़कों के तेवर देखे थे. कितने गुस्से में थे वे.

फिलहाल मां के समझाने का लक्की पर कोई असर नहीं हुआ. वह खुशबू से अब भी छिपछिप कर मिल रहा था. लक्की के बिना जी पाना खुशबू के लिए भी मुश्किल होता जा रहा था. दोनों ने फैसला किया कि चाहे जो कुछ हो जाए, वे कभी जुदा नहीं होंगे. जमाने से लड़ कर अपने प्यार को हासिल करेंगे.

इधर, भले ही खुशबू मांबाप को यकीन दिलाने में कामयाब हो गई थी लेकिन भाई अरमान की नजर बहन पर ही टिकी थी. उसे पता चल गया था कि खुशबू मांबाप की आंखों में धूल झोंक कर छिपछिप कर लक्की से मिलती है. उस के दिमाग में एक खतरनाक प्लान ने जन्म लिया. उस ने अपनी योजना में फुफेरे भाई अजहर को भी शामिल कर लिया था.

लिख डाली खूनी इबारत

अजहर कोई छोटामोटा आदमी नहीं था. वह बहादुरपुर थाने का हिस्ट्रीशीटर था. उस पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज थे. अजहर के षडयंत्र में शामिल होने से अरमान को बल मिल गया था.

योजना को अंजाम देने के लिए अरमान और अजहर ने खुशबू को धमका कर अपने षडयंत्र में शामिल कर लिया था. क्योंकि खुशबू के बिना उन की यह योजना पूरी नहीं हो सकती थी.

प्लान के मुताबिक 12/13 दिसंबर, 2020 की रात एक बजे खुशबू ने लक्की को फोन किया और उसे मिलने के लिए उसी समय घर के पीछे बुलाया. खुशबू का फोन आते ही लक्की कपड़े पहन कर मोबाइल साथ ले कर चुपके से घर से निकल गया. उस समय घर के सभी लोग गहरी नींद में सो रहे थे. वह घर से थोड़ी दूर पहुंचा तो रास्ते में उसे अरमान और अजहर मिल गए.

दोनों को देखते ही लक्की समझ गया था कि खुशबू ने धोखे से उसे यहां बुलाया है. इन से बचना कठिन है.

वह खतरे को भांप चुका था. जैसे ही उस ने वहां से भागने की कोशिश की दोनों ने दौड़ कर उसे पकड़ लिया. कसरती बदन वाले अजहर ने अपना मजबूत हाथ लक्की के मुंह पर रख दिया ताकि वह चिल्ला न सके. उस के हाथों के दबाव से लक्की की आवाज गले में घुट कर रह गई.

तब तक दोनों ने उसे जमीन पर पटक दिया. अरमान ने लक्की के दोनों पैर पकड़ लिए. अजहर ने कमर में खोंसा धारदार चाकू निकाला और लक्की का गला रेत दिया. थोड़ी देर में लक्की की मौत हो गई. इतने पर भी उसे यकीन नहीं हुआ तो उस के सीने पर चाकू से ताबड़तोड़ वार किए. फिर दोनों वहां से फरार हो गए और साथ में उस का फोन भी ले गए.

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भागते हुए उन्होंने खून से सना चाकू झाड़ी में फेंक दिया ताकि पुलिस उन तक कभी न पहुंच पाए. लेकिन कातिल कितना ही चालाक क्यों न हो, कानून की गिरफ्त से ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकता.

मृतक की मां आरती देवी की नामजद तहरीर पर लक्की की हत्या के आरोप में पुलिस ने खुशबू, अरमान मलिक और अजहर को गिरफ्तार कर लिया. आरती देवी ने अरमान के पिता फिरोज मलिक को भी नामजद किया था, लेकिन मुकदमा दर्ज होने के बाद वह घर से फरार हो गया था.

पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर लक्की की हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया. कथा लिखे जाने तक 3 आरोपी जेल में बंद थे.

काश! लक्की ने अपनी मां का कहना मान लिया होता तो आज वह जिंदा रहता.

—कथा में खुशबू परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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