सौजन्य-  मनोहर कहानियां

अंशू साहनी उर्फ लक्की किंग और खुशबू एकदूसरे को दिलोजान से प्यार करते थे. वे शादी भी करना चाहते थे.

‘‘मांआज खाने में क्याक्या है?’’ किचन में मां आरती देवी से लिपटते हुए बेटे अंशू साहनी उर्फ लक्की ने पूछा.

‘‘तेरे पसंद की मछली करी और भात बनाया है.’’ बेटे के सिर पर हाथ फेरते हुए मां ने कहा.

‘‘वाह! मछली करी और भात.’’ कह कर लक्की चहक उठा और लंबी सांसें भरते हुए बोला, ‘‘कढ़ाई में से कितनी अच्छी खुशबू आ रही है. आज तो खाने में मजा आ जाएगा मां.’’

‘‘पगला कहीं का, ऐसा क्यों कह रहा है जैसे आज के पहले तूने कभी मछली करी और भात खाया ही नहीं.’’

‘‘नहीं, मां. बस ऐसे ही... अब तो खाना परोस दो. बड़े जोरों की भूख लगी है.’’ पेट पर हाथ फेरते हुए लक्की बोला.

‘‘ठीक है, बाबा ठीक है, हाथमुंह धो कर कमरे में बैठो, तब तक मैं खाना परोस कर लाती हूं.’’ कह कर आरती देवी ने 3 कटोरीदार थालियां निकालीं.

तीनों थालियों में खाना परोस कर कमरे में ले गईं, जहां लक्की के साथसाथ उस के 2 भाई रीतेश और पिशु बैठे खाने का इंतजार कर रहे थे.

खाना खाने के बाद लक्की अपने कमरे में सोने चला गया और दोनों भाई भी वहीं कमरे में चौकी पर ही सो गए. उस के बाद आरती भी अपने कमरे में सोने चली गईं. उस समय रात के करीब 11 बज रहे थे. ये बात 12 दिसंबर, 2020 की थी.

रोजमर्रा की तरह अगली सुबह भी आरती देवी करीब 6 बजे उठ गईं. रोज की तरह वह मझले बेटे लक्की के कमरे में झाड़ू लगाने पहुंचीं तो देखा लक्की अपने बिस्तर पर नहीं था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...