मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में एक छोटा सा गांव है मुहारी खुर्द. वहां नवरात्र शुरू होते ही गांव के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर के दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की थी. मूर्ति के विसर्जन के बाद 28 अक्तूबर, 2020 को गांव में कन्या भोज चल रहा था. आयोजक गांव की लड़कियों को खीर, पूरी, हलवा परोस रहे थे.
उस कन्या भोज में गांव के बृजेश पांडे की 17 साल की बेटी चांदनी भी आई थी. वह पंडाल में भोज के लिए बैठी ही थी कि पंडित नाथूराम शास्त्री की नजर उस पर पड़ गई. चांदनी को पंडाल में देख कर नाथूराम भड़क गया और उसे डांटते हुए बोला, "तू कैसे कन्या भोज के लिए आ गई? तुम तो समाज के नाम पर कलंक हो. तुम्हारे परिवार पर तो गौहत्या का पाप लगा है."
पंडित नाथूराम की डांट से चांदनी घबरा गई और बिना भोजन किए अपने घर आ गई. रोरो कर उस का बुरा हाल था. उसे बारबार 4 महीने पुराना वह वाकिआ याद आ रहा था, जब उस के खेत में गाय का बछड़ा घुस आया था. खेलखेल में उस के भाई ने बछड़े के गले में एक रस्सी फंसा कर खूंटी से बांध दिया था. मगर रस्सी के फंदे में फंस कर उस बछड़े की मौत हो गई थी. जब गांव वालों को बछड़े की मौत की जानकारी लगी तो पूरे गांव ने उन्हें गौहत्या का दोषी मान लिया.
चांदनी के परिवार ने समाज से बाहर किए जाने के पंचायत के फैसले के बाद इलाहाबाद जा कर गंगा स्नान और पूजापाठ करा कर गांव के लोगों के लिए भंडारा भी किया था, लेकिन गांव का पंडित नाथूराम शास्त्री चांदनी के परिवार से जुर्माने के तौर पर 51,000 रुपए देने के लिए जोर डाल रहा था. परिवार की माली हालत ठीक नहीं होने की वजह से वे लोग जुर्माने की रकम अदा नहीं कर पाए. इस से दबंगों की पंचायत ने उन्हें समाज से बाहर निकाल दिया.
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