बंगलादेश की एक गारमैंट फैक्टरी में 9,000 रुपए महीने पर नौकरी करने वाली तलाकशुदा औरत शबाना को उस के ही साथ काम करने वाले एक आदमी ने भारत में अच्छी नौकरी का लालच दिया.

उस आदमी पर भरोसा कर के शबाना बिना अपने मांबाप को बताए ही दलाल के जरीए मुंबई पहुंच गई, लेकिन वहां पर उस के साथ धोखा हुआ और उस आदमी ने उसे सिर्फ 50,000 रुपए में एक नेपाली औरत को बेच दिया, जो एक चकलाघर चलाती थी. फिर शबाना को न चाहते हुए भी देह धंधा करना पड़ा.

मुंबई से बैंगलुरु, फिर अलगअलग शहरों में देह धंधे के अड्डों से होती हुई अलगअलग लोगों के चंगुल में फंसने के बाद आखिर में शबाना का ठिकाना बना पुणे का रैडलाइट इलाका. वहीं से पुणे पुलिस ने शबाना को छुड़ाया और एक एनजीओ के सुपुर्द कर दिया.

इस संस्था के लोगों ने ही मुंबई में बंगलादेशी हाईकमीशन से जुड़े औफिस से बात की और शबाना के घर वालों का पताठिकाना मालूम किया. जांचपड़ताल के बाद शबाना को उस के देश भेजने की तैयारी की गई.

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शबाना की कहानी भी दूसरी हजारों ऐसी औरतों की तरह ही लगती है, जो अच्छी नौकरी की तलाश में भारत  आती हैं और एक अंधेरी जिंदगी में फंस जाती हैं.

लेकिन, शबाना की कहानी में एक मोड़ था. उस ने भारत से लौटने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साल 2017 में एक चिट्ठी लिखी थी, जिस में उस ने लिखा था, ‘भारत में अपने ग्राहकों से टिप में मिले कुछ पैसे मैं ने बचा रखे हैं, लेकिन उन में से ज्यादा 500 रुपए और 1,000 रुपए के पुराने नोट हैं, जो रद्द हो चुके हैं. बहुत ज्यादा तकलीफ और कलंक उठा कर कमाए गए मेरे कुछ हजार रुपयों को अगर मोदीजी बदलवा दें तो मैं उन की अहसानमंद रहूंगी.’

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