पति पत्नी के बीच जब शक की सुई घूमने लगती है तो एक नई कहानी लिख जाती है जो अपराध की भी होती है और तलाक की भी सवाल है, पति और पत्नी में से कौन कितना संवेदनशील है, समझदार है. अगर इसमें चूक हुई तो समझो अपराध घटित हुआ. जाने कितने परिवार पति-पत्नी की जोड़ियां इस शक की सुई के चलते चलते खत्म हो गए.

प्रथम घटना-

राजधानी रायपुर में अशोका रत्न वीआईपी कॉलोनी है. जहां एक शख्स ने अपनी पत्नी की इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उसे शक हो गया था कि पत्नी का संबंध किसी और से है हत्या के जुर्म में पति अंततः जेल चल गया.

दूसरी घटना-

न्यायाधानी कही जाने वाले बिलासपुर के जबड़ापारा में पति-पत्नी का झगड़ा शक की सुई कुछ इस तरह भूमि की पति ने पत्नी को तलाक दे दिया.

तीसरी घटना-

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एक महिला ने अपने पति को इसलिए जहर देकर मार डाला कि उसे शक था कि वह उसे छोड़ देगा उसका जीवन तबाह हो जाएगा. पकड़े जाने पर पत्नी जेल के सीखचों में भेज दी गई.

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शक की बीमारी और हत्या

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य जिला जशपुर में पत्नी द्वारा अपने पति की हत्या कर देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. दरअसल, आरोपी महिला का पति रोज शराब पीता था और उसे शक की ‘बीमारी’ थी. वह अपनी पत्नी के चरित्र पर बेवजह संदेश किया करता था. मामला जशुपर जिले के थाना बगीचा चौकी पंडरा पाठ के ग्राम गायबूडा का है.

सनद रहे कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले कोरवा जनजाति की मुन्नीबाई पति किशुन राम कोरवा उम्र 33 वर्ष ने अपने पति के संदिग्ध व्यवहार से मानसिक रूप से परेशान होकर आवेश में उसके सिर पर वार कर घायल कर दिया. जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया था.किशनु राम को बगीचा अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया, लेकिन उसकी मृत्यु हो गई.जिस पर थाना बगीचा में मुन्नीबाई के खिलाफ अपराध कायम कर लिया गया. यहां एक बड़ा ट्विस्ट यह आया की आरोपी महिला वारदात को अंजाम देने के बाद फरार हो गई. मुखबिर की सूचना पर उसे अंततः जेलपे पाठ चुंदा पाठ से गिरफ्तार किया गया.

आरोपी महिला ने पूछताछ में गुनाह कबूल कर लिया. उसने पुलिस को अपने इकबालिया बयान में बताया कि उसने अपने पति के सिर पर लोहे के पाइप से वार किया था. उसे न्यायालय में पेश किया गया जहां से उसे मामले की गंभीरता को देखते हुए जेल भेज दिया गया.

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पति पत्नी और शक का मनोविज्ञान

दरअसल, पति-पत्नी का बंधन आपसी समझ और संवेदना के साथ विश्वास से जुड़ा होता है. इसमें से एक भी तार कमजोर हुआ नहीं कि पति पत्नी के रास्ते अलग हो जाते हैं. वैवाहिक जीवन में पति पत्नी दोनों का दायित्व होता है कि एक दूसरे की भावनाओं को ध्यान रखते हुए सम्मान करते हुए आगे बढ़े.
जी.आर. पंजवानी के मुताबिक जाने कितने परिवार सिर्फ इसलिए टूट जाते हैं, तलाक के कगार तक पहुंच जाते हैं अथवा किसी अपराधिक संजाल में उलझ जाते हैं क्योंकि शक की बीमारी उन्हें बरबाद कर चुकी होती है. एक चिकित्सक होने के नाते सलाह यही है कि अच्छा हो अगर किसी एक पक्ष को शक हो तो दूसरे पक्ष की हकीकत को समझें और सिर्फ शक की बिनाह पर कोई ऐसा कदम ना उठाएं कि बाद में पछताना पड़े.

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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बी.के. शुक्ला के अनुसार मुताबिक जाने कितने मामले पति पत्नी के शक के आधार पर खत्म हो जाते हैं मेरे वकालत के लंबे कार्यकाल में अक्सर ऐसे मामले आए हैं जिसमें प्रयास किया जाता है कि आपसी समझाइश के साथ मामले को खत्म किया जा सके मगर शक की सुई कई बार इतना दिमाग के भीतर घुस चुकी होती है कि तलाक के अलावा और कोई रास्ता नहीं रह जाता.
पुलिस अधिकारी विवेक शर्मा के मुताबिक अक्सर शक की सुई के कारण अपराध घटित हो जाते हैं. हत्या हो जाती है. इसमें अक्सर पुरुष पक्ष ही दोषी देखा गया है. जिसमें पुलिस की यही समझाइश रहती है कि ठंडे दिमाग से एक दूसरे को समझे और जीवन की गाड़ी को आगे बढ़ाएं.

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