मां बनने की खुशी से भला कौन वंचित रहना चाहता है? मगर सही वक्त और सही स्थिति का होना बहुत जरूरी है. सेक्स के दौरान या उसके बाद तमाम सुविधा-असुविधा के बारे में जानकारी रखना बहुत आवश्यक है. तभी एक परिवार सफल व सुखी परिवार बना रह सकता है. यह जिम्मेदारी सिर्फ एक पार्टनर की नहीं बल्कि दोनों की, बराबर की है. युवाओं को अकसर इस संबंध में सही जानकारी नहीं होती. यहां प्रस्तुत है इस संबंध में वैज्ञानिक जानकारी ताकि कई तरह के रोगों और असमय गर्भधारण से बचा जा सके.

कंडोम को हमेशा तवज्जो देना क्यों जरूरी है?

सेक्स हर हाल में शारीरिक संबंध है जो अपने साथ-साथ कई किस्म की बीमारियां भी लिए होता है. जरा सी लापरवाही किसी की पूरी दुनिया बदल सकती है. किसी के जीवन का अंत भी हो सकता है. इसलिए सेक्स के बारे में सोचने के साथ ही कंडोम के बारे में सोचना जरूरी है. क्योंकि इससे ही सुरक्षित सेक्स संभव है. संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए कंडोम एक बेहतर विकल्प है.

संक्रामक रोग, असमय प्रेग्नेंसी के बारे में दोनो सोचें

इन सब विषयों के बारे में सोचना सिर्फ महिलाओं की ही जिम्मेदारी नहीं है. दरअसल लोगों की इस पर अपनी-अपनी राय है कि कंडोम, प्रेग्नेंसी आदि यह सब पुरुषों के सोचने का विषय है. वास्तव में संक्रामक रोगों से बचाव और असामयिक प्रेग्नेंसी की समस्या दोनो की ही समस्या है. विशेषतौर पर महिलाओं को इस मामले में मुखर होने की जरूरत है.

कंडोम न मिलने की स्थिति में क्या करना चाहिए?

कंडोम एक ऐसा सुरक्षा कवच है जिसकी तुलना मंे कोई और गर्भनिरोधक नहीं है. हालांकि गर्भनिरोधक कई मौजूद हैं मगर बिना किसी रिस्क फैक्टर के कंडोम का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसका कोई दुष्परिणाम नहीं होता. लेकिन कोई ऐसी स्थिति आ जाए जब सेक्स करने के दौरान कंडोम न हो तो क्या किया जाए? बाजार में कई दूसरे गर्भनिरोधक भी आपके काम आ सकते हैं. ध्यान रखें यह गर्भनिरोधक सिर्फ गर्भ ठहरने की आशंका को ही सुनिश्चित करते हैं. इनमें किसी किस्म की दूसरी सुरक्षा नहीं होती.

क्या पहली बार सेक्स में ही कोई महिला गर्भवती हो सकती है?

यह एक ऐसा सवाल है जिसका कोई जवाब नहीं है. इसलिए युवाओं का यह जानना बहुत जरूरी है कि चाहे आप पहली बार सेक्स कर रहे हों या दसवीं बार, कंडोम का इस्तेमाल करना न भूलें. हालांकि यह थोड़ी परेशान करने वाली बात लग सकती है कि पहली बार सेक्स में भी कंडोम का इस्तेमाल किया जाए? लेकिन हकीकत यही है कि अगर अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहते हैं तो कंडोम का उपयोग बिना झिझक करें.

कंडोम कहां से खरीदे जा सकते हैं? क्या कंडोम अलग-अलग प्रकार के भी होते हैं?

कंडोम कोई ऐसी अंजान चीज नहीं है जिसे खरीदने के लिए मुश्किल सामने आती है. यह आपको कहीं भी आसानी से उपलब्ध हो सकता है. कैमिस्ट की दुकान से इसे आसानी से खरीदा जा सकता है. जब आप सेक्स से नहीं शरमाते तो किसी के सामने एक शब्द ‘कंडोम’ कहने मंे शरम कैसी?

अब जहां तक बात है इसके प्रकार की तो विभिन्न प्रकार के कंडोम मार्केट में उपलब्ध हैं. अपनी सहूलियत के अनुसार जो पसंद हो, उसका इस्तेमाल कर सकते हैं. उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

1 मैटीरियलः

ज्यादातर कंडोम लैटेक्स और पाॅलीयूरीथेन से बने होते हैं. लैटेक्स के द्वारा बनाए गए कंडोम ज्यादा मजबूत होते हैं. प्रेग्नेंसी और संक्रामक रोगों से दूसरों के मुकाबले यह ज्यादा सुरक्षा प्रदान करते हंै.

2 साइजः

बाजार में अलग-अलग लम्बाई का कंडोम उपलब्ध होता है. कोई छोटे होते हैं, कई ज्यादा लम्बे होते हैं तो कई की चैड़ाई ज्यादा होती है तो कुछ पतले होते हैं. अगर पैकेट में लिखा है ‘लार्ज’ अथवा ‘स्माॅल’ इसका मतलब उसकी लम्बाई से नहीं बल्कि चैड़ाई से है. कंडोम खरीदते वक्त बिना शरमाएं अपने शिश्न के साइज अनुसार ही कंडोम खरीदें.

3 लुब्रीकेटः

लुब्रीकेट यानी चिकनाई. कुछ कंडोम ऐसे भी होते हैं जिसमे जरा भी चिकनाहट नहीं होती. जबकि कुछ में सिलिकन बेस्ड लुब्रीकेंट्स होते हैं तो कुछ में वाॅटर बेस्ड लुब्रीकेंट्स होते हैं.

4 कलर्डः

लैटेक्स या कंडोम का वास्तविक रंग क्रीमी व्हाईट होता है. लेकिन बाजार में कंडोम अलग-अलग रंगों में भी उपलब्ध है.

5 फ्लेवर्डः

कुछ सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन, ओरल सेक्स की वजह से भी फैलते हैं. सो, अगर ओरल सेक्स के दौरान भी कंडोम का उपयोग किया जाए तो अच्छा है. कई दफा लोगों को लैटेक्स की गंध और उसका स्वाद पसंद नहीं आता. इसलिए फ्लेवर्ड कंडोम बेहतर विकल्प हैं.

कंडोम कितना कारगर है?

वास्तव में यह निर्भर करता है उपयोग करने वाले पर. अगर कंडोम का उपयोग सही मायने में किया जाए तो 94प्रतिशत से लेकर 97प्रतिशत तक तमाम समस्याओं से निजात दिलाता है. प्रेग्नेंसी या संक्रामक रोग, सभी से निजात दिलाने में यह कारगर साबित हुआ है. एचआईवी से तो यह लगभग 100प्रतिशत तक राहत देता है. कुछ लोग मानते हैं कि कुछ वायरस हैं जिनके सामने कंडोम असफल है, जबकि ऐसा नहीं है.

क्या दो कंडोम का इस्तेमाल एक कंडोम के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद है?

नहीं. ऐसा बिल्कुल नहीं है. दो कंडोम पहनकर सेक्स करने से कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं. मसलन दोनों कंडोम घिसने के कारण फट सकते हैं. साथ ही यह किसी भी व्यक्ति के लिए सहज नहीं है. दो कंडोम पहनकर सेक्स करने में असुविधा होती है.

फीमेल कंडोम क्या है?

मेल कंडोम की ही तरह बाजार में फीमेल कंडोम भी मौजूद है. फीमेल कंडोम एक पाउच की तरह होता है. इसे वैजाइना में फिट किया जाता है.

कंडोम कैसे पहना जाता है?

ध्यान रखें कंडोम का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. उससे भी जरूरी है उसका सही से इस्तेमाल करना. शिश्न और योनि के बीच संपर्क होने से पहले ही कंडोम को लगाया जाना चाहिए. अन्यथा प्रेग्नेंसी या संक्रामक रोगों से बचना मुश्किल हो सकता है.

पुरुष को कंडोम तब लगाना चाहिए जब उसका शिश्न लम्बा और खड़ा हो जाए. कंडोम को खोलते समय दंात का उपयोग न करें; क्योंकि हो सकता है कि आपके दांतों की वजह से कंडोम में दरार पड़ जाए और वह आपको न दिखे.

अगर कंडोम फट जाए?

अगर सेक्स के दौरान कंडोम फट जाए तो तुरंत वहीं सेक्स प्रक्रिया रोक दें और नए कंडोम का इस्तेमाल करें. कई दफा ऐसा होता है कि आपके महसूस हो रहा है कि कंडोम फट गया है, जबकि ऐसा नहीं होता. कई बार यह मात्र एक वहम होता है. मगर बेहतर है कि रह-रहकर कंडोम को चेक करते रहें. अगर सेक्स के दौरान लगे कि आपका वीर्य कहीं न कहीं से निकलकर योनि के अंदर प्रवेश कर चुका है तो बेहतर है तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करें या किसी प्रिकाॅशनरी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करें. इसी से बचाव हो सकता है.

क्या ओरल सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल जरूरी है?

हां, कई डिजीज ऐसे होते हैं जो ओरल सेक्स से शरीर के अंदर प्रवेश कर सकते हैं. इसलिए कंडोम का उपयोग अवश्य करें.

सेक्स करना कब रोकना चाहिए?

पुरुषों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि जब वह अपना शिश्न गुदा से या योनि से बाहर निकालने वाला हो तो उसे कंडोम को पकड़ लेना चाहिए. इसे आहिस्ता से निकालने के बाद सावधानीपूर्वक किसी सही जगह पर फेकना चाहिए. कंडोम को यूज करने के बाद टायलेट में न फेंके और न ही यादगार के रूप मेें अपने कमरे में सजाने का सामान बनाएं. उसे डस्टबिन में ही फेंके.

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