उन्नाव कांड
उन्नाव में पिछड़ी जाति की लड़की का दुखद अंत गांव में लड़कियों की प्रेम कहानी के दर्द को बताता है, जहां लड़के किशोरावस्था में बिना जातबिरादरी को देखे प्यार कर लेते हैं. प्यार कर लेने के बाद दोनों के जिस्मानी संबंध भी बन जाते हैं. ऐसे में जब लड़की शादी के लिए कहती है, तो जाति और धर्म की दीवार खड़ी हो जाती है.
आज भी गांव की शादियों में जाति और धर्म सब से प्रमुख हो जाता है. सब से बड़ी बात तो यह है कि लड़कियां नोटरी शपथपत्र को ही कोर्ट मैरिज मानने की गलती कर लेती हैं, जिस को पुलिस कभी शादी का प्रमाणपत्र मान कर लड़की की मदद नहीं करती है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 60 किलोमीटर दूर उन्नाव जिले के हिंदूपुर गांव की रहने वाली नंदिनी (बदला नाम) पढ़ाई में बहुत अच्छी थी. वह 5 बहनों और 2 भाइयों में सब से छोटी थी. गांव के बाहरी हिस्से में उस का मकान था.
नंदिनी का घर गांव के गरीब परिवारों में पिछड़ी जाति की विश्वकर्मा बिरादरी में आता था. कच्ची दीवारें और धान के पुआल से बना छप्पर था. उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार द्वारा नंदिनी को मेधावी छात्रा के रूप में 12वीं जमात पास करने के बाद लैपटौप उपहार में दिया गया था.
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गरीब परिवार होने के चलते नंदिनी का गांव के प्रधान के घर आनाजाना था. उसे प्रधान के जरीए सरकारी योजना का फायदा मिल जाता था. गांव में नंदिनी के घर से कुछ ही दूरी पर शिवम द्विवेदी का परिवार रहता था. वह नंदिनी से उम्र में 2 साल बड़ा था.
प्रेम, छल और गुनाह
नंदिनी और शिवम के बीच प्रेम संबंध बन गए. कुछ समय बाद दोनों ने शादी करने की योजना बनाई. शिवम ने 19 जनवरी, 2018 में नंदिनी के साथ नोटरी शपथपत्र के जरीए शादी कर ली. नंदिनी अब घर से दूर रायबरेली जिले में रहने लगी.
कुछ समय बाद नंदिनी ने सार्वजनिक रूप से शादी करने का दबाव बनाना शुरू किया, तो शिवम ने खुद को बचाने का काम शुरू कर दिया. नंदिनी और शिवम के बीच संबंधों की जानकारी गांव में भी इन के परिवारों वालों को होने लगी, तो शिवम के घर वालों ने उस की अलग शादी का दबाव बनाना शुरू किया.
शिवम नंदिनी से बचने के लिए उस से दूर जाने लगा, तो नंदिनी ने उस को घेरने के उपाय शुरू कर दिए.
जब नंदिनी को लगा कि शिवम उस से दूर जाने की कोशिश कर रहा है, तो उस का प्रेम बदला लेने पर उतर आया.
नंदिनी को यह पता था कि गांव में उस का परिवार शिवम के घर वालों से मुकाबला नहीं कर पाएगा. शिवम का परिवार दबदबे वाला था. पुलिस और प्रशासन पर उस के परिवार का दबाव था. शिवम के परिवार का राजनीतिक असर था. ऐसे में नंदिनी ने कानून का सहारा लिया और अपने खिलाफ बलात्कार का मुकदमा लिखा दिया.
12 दिसंबर, 2018 को नंदिनी ने शिवम और अन्य के खिलाफ गैंगरेप करने का आरोप लगाया.
पुलिस ने इस आरोप को खारिज कर दिया. नंदिनी ने राज्य महिला आयोग और कोर्ट का सहारा लिया. कोर्ट और महिला आयोग की सिफारिश पर 5 मार्च, 2019 को गैंगरेप का मामला दर्ज हुआ. इस के बाद लंबे समय तक पुलिस जांच का बहाना बनाती रही. आखिर में 19 सितंबर, 2019 को पुलिस ने शिवम को जेल भेजदिया.
30 नवंबर, 2019 को शिवम जेल से जमानत पर छूट कर आ गया. नंदिनी को इस बात की हैरानी थी कि इतनी जल्दी शिवम जमानत पर कैसे जेल से बाहर आ गया. उस ने अपने परिवार से यह बात बताई और कहा कि कल वह रायबरेली जा कर अपने वकील से मिल कर पता करेगी कि वह कैसे छूट हो गया है? रायबरेली जाने के लिए नंदिनी को कानपुर से रायबरेली जाने वाली ट्रेन सुबह 5 बजे मिलनी थी.
रेप के मुकदमे का बदला
3 दिसंबर, 2019 की सुबह नंदिनी ट्रेन पकड़ने के लिए घर से निकली. घर से रेलवे स्टेशन तकरीबन 2 किलोमीटर दूर था. नंदिनी सुबह 4 बजे घर से निकली. जाड़े का समय था. रास्ते में घना अंधेरा भी था.
नंदिनी के पिता ने उस को स्टेशन छोड़ने के लिए कहा, तो उस ने बूढ़े पिता की परेशानी को देखते हुए मना कर दिया. वह खुद ही घर से निकल गई.
गांव से रेलवे स्टेशन के रास्ते में कुछ रास्ता ऐसा था, जहां कोई नहीं रहता था. इसी जगह पर नंदिनी पर मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगा दी गई. वह खुद को बचाने के लिए मदद की तलाश में दौड़ी, तो आग और भड़क गई और उस के कपड़े जल कर जिस्म से चिपक गए.
रास्ते में एक जगह कुछ लोग दिखे तो नंदिनी वहीं गिर पड़ी. लड़की के कहने पर रास्ते में रहने वालों ने डायल 112 को जानकारी दी.
शिकायत पर पहुंची पुलिस को लड़की ने जली हालत में पुलिस और प्रशासन को अपने ऊपर मिट्टी का तेल डाल कर जलाने वालों के नाम बताए.
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90 फीसदी जली हालत में नंदिनी को पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और फिर देश की राजधानी नई दिल्ली इलाज के लिए ले जाया गया. जिंदगी और मौत के बीच 3 दिन तक जद्दोजेहद करने के बाद नंदिनी ने दम तोड़ दिया.
नंदिनी के पिता को दुख है कि घटना के दिन वे उसे रेलवे स्टेशन तक छोड़ने नहीं गए. वह अपनी लड़ाई खुद लड़ रही थी. इस वजह से वे आत्मविश्वास में थे. इस के पहले वे लड़की को रेलवे स्टेशन तक छोड़ने जाते थे.
नंदिनी की मौत हो जाने के बाद उस के परिवार वालों ने उस की लाश को दफनाने की सोची. उन का मानना था कि बेटी एक बार तो जल चुकी है, फिर उसे श्मशान घाट ले जा कर क्यों दोबारा जलाया जाए.
चरित्र हनन का आरोप
शिवम द्विवेदी और दूसरे आरोपियों के परिवार वाले इस घटना का तर्क देते हुए कहते हैं कि गुनाह उन के घर वालों ने नहीं किया, उन को साजिश के तहत फंसाया जा रहा है. वे कहते हैं कि लड़की को जलाने की घटना जिस समय की है, उस समय उन के लड़के घरों में सो रहे थे. पुलिस ने उन को सोते समय घर से पकड़ा है. अगर उन्होंने अपराध किया होता तो आराम से घर में सो नहीं रहे होते.
इन के समर्थक बताते हैं कि जेल से शिवम के छूटने के बाद लड़की ने उस को फिर से जेल भिजवाने की धमकी दी थी. इस के बाद खुद ही मिट्टी का तेल डाल कर खुद को जलाने का काम किया. ये लोग सोशल मीडिया पर इस बात का प्रचार भी कर रहे हैं कि शिवम को फंसाने और जेल भिजवाने के नाम पर 15 लाख रुपए लड़की मांग रही थी. इस में से 7 लाख रुपए शिवम के परिवार वाले दे भी चुके थे.
नंदिनी के भाई ने कहा कि उस की बहन पढ़लिख कर परिवार की मदद करना चाहती थी. शिवम के संपर्क में आ कर उसे इस हालत का सामना करना पड़ा. कानून मानता है कि मरते समय का दिया गया बयान सच माना जाता है.
सवाल उठता है कि उन्नाव कांड में लड़की जली हालत में लड़कों के नाम गलत क्यों बताएगी? उस समय तक लड़की यह सम झ चुकी थी कि उस की मौत तय है. वह सब से पहले अपने साथ हुई घटना की गवाही देना चाहती थी, जिस की वजह से उस ने पुलिस और प्रशासन के लोगों को बयान दिया. लड़की और लड़के के बीच शादी का नोटरी शपथपत्र हर बात को साफ करता है.
समाज और राजनीति आमनेसामने
उत्तर प्रदेश का उन्नाव जिला रेप और बलात्कार को ले कर पहले भी चर्चा में रहा है. भाजपा के विधायक कुलदीप सेंगर के समय मामला राजनीतिक था. अब दूसरी घटना में लड़की को जलाने के बाद मामला राजनीतिक कम सामाजिक ज्यादा बन गया है.
हालांकि कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को इस रेप कांड का कुसूरवार मान लिया है. उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.
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एक तरफ समाज के लोग लड़की और उस को दिए गए संस्कारों को जिम्मेदार मान रहे हैं. उन्नाव में रेप की दूसरी घटना के चर्चा में आने के बाद विपक्ष को सत्ता पक्ष को घेरने का पूरा मौका मिल गया.
लोकसभा में बहस और हंगामा कर के मांग की जा रही है कि ‘महिला सुरक्षा दिवस’ मनाया जाए. उत्तर प्रदेश में विधानसभा के बाहर प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव धरने पर बैठ गए. उन की पार्टी ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया और उत्तर प्रदेश सरकार को घेरने का काम किया.
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी लखनऊ के 2 दिन के दौरे से समय निकाल कर उन्नाव में लड़की के घर वालों से मिलने गईं.
उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले को हलका करने के लिए लड़की के घर वालों को मुआवजा देने का काम किया. लड़की के परिवार वालों को 25 लाख रुपए की माली मदद, गांव में 2 मकान और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया. उन्नाव के मामले के बाद तमाम ऐसी घटनाएं सामने आने लगीं. इन घटनाओं से समाज की हकीकत का पता चलता है. इस बार रेप कांड सामाजिक है. समाज उन्नाव जिले की घटना को प्रेमप्रसंग मान कर दरकिनार कर रहा है.
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. यहां प्रेमप्रसंगों को रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शपथ ग्रहण करते ही ‘एंटी रोमियो दल’ बनाया था. मामला एक ही धर्म के लोगों का था. ऐसे में ‘एंटी रोमियो दल’ और पुलिस के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं थी.
धर्म आधारित सत्ता तो रामायण और महाभारत काल से ही छले जाने पर औरत को ही दोषी मानती थी. अहल्या का पत्थर बना दिया जाना, सीता का घर से निकाला जाना और कुंती का बेटे को छोड़ने जैसी बहुत सी घटनाएं इस के उदाहरण हैं. ऐसे में उन्नाव के हिंदूपुर गांव की लड़की को भी ऐसे लोग गलत ही मान सकते हैं.
इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने एसएचओ अजय कुमार त्रिपाठी को सस्पैंड कर दिया.
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