कुछ तरह के गठिया में जोड़ों का बहुत ज्यादा नुकसान होता है. गठिया यानी जोड़ों की सूजन, जो एक या एक से ज्यादा जोड़ों पर असर डाल सकती है. डाक्टरों की मानें, तो हमारे शरीर में 10 से ज्यादा तरह का गठिया होता है.
गठिया जोड़ों के ऊतकों में जलन और टूटफूट के चलते पैदा होता है. जलन के चलते ही ऊतक लाल, गरम, सूजन और दर्द से भर जाते हैं. गठिया के लक्षण आमतौर पर बुढ़ापे में दिखते हैं, लेकिन आजकल ये लक्षण बच्चों और नौजवानों में भी देखे जा रहे हैं.
क्यों होता है गठिया
पोषण की कमी और प्रदूषण के चलते गठिया की बीमारी आज बच्चों, नौजवानों और बूढ़ों तक सभी को अपना निशाना बना रही है. इस की वजह आनुवांशिक भी हो सकती है.
अगर इस बीमारी का समय पर और जल्दी इलाज नहीं करवाया जाए तो यह स्थायी अपंगता की वजह भी बन सकती है. इस हालत में चलनाफिरना और घर के आम कामकाज करने में भी परेशानी होने लगती है.
घुटनों और कुहनी की जकड़न चलनाफिरना तक मुश्किल कर देती है और ज्यादातर बैठे रहने की वजह से शरीर का वजन बढ़ने लगता है और बीमारी और भी खतरनाक हो जाती है.
पहचानें लक्षण
गठिया में शरीर के जोड़ों में दर्द और सूजन महसूस होती है. कई बार जोड़ों में पानी भर जाता है. एक जगह बैठे रहने पर अकड़न होती है. हर वक्त थकान महसूस होती है. भूख भी कम लगती है और धीरेधीरे वजन भी कम होने लगता है. कई बार बुखार भी आता है.
कई मामलों में ये लक्षण कुछ दिनों बाद ही दिखने लगते हैं, तो कुछ में कई महीनों या सालों बाद ये लक्षण सामने आते हैं. कई लोगों में ये लक्षण उभर कर ठीक भी हो जाते हैं और दोबारा कुछ साल बाद वापस आ सकते हैं.
गठिया में जब बीमारी अपनी हद होती है, तो सुबह उठने के साथ ही जोड़ों, हड्डियों में दर्द के साथ अकड़न भी होती है और यह अकड़न तकरीबन 1 घंटे से 5 घंटे तक बनी रहती है.
शुरुआती हालात में डाक्टर जोड़ों में दर्द के प्रकार, सूजन वगैरह के आधार पर ही बीमारी का पता लगाते हैं. हालांकि कई बार डाक्टर सीरिऐक्टिव प्रोटीन, कंपलीट ब्लड काउंट (सीबीसी), ईएसआर वगैरह टैस्ट भी कराते हैं. कुछ गठिया में खास टैस्ट कराए जाते हैं, लेकिन यह बीमारी की स्टेज पर निर्भर करता है. इस के अलावा ऐक्सरे, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई भी करानी पड़ सकती है.
बीमारी की शुरुआत में दर्द से नजात पाने के लिए डाक्टर कार्टिसोन टेबलेट या इंजैक्शन देते हैं. हालांकि कई बार यह दर्द तो ठीक कर देते हैं, लेकिन इस के चलते सही बीमारी का पता लगाने में दिक्कत होती है और बीमारी होने के बावजूद उस के लक्षण बंद जाते हैं.
कितनी तरह का गठिया
गठिया खासतौर पर 2 तरह का होता है रूमेटौयड और स्पोंडिलोआर्थोपैथी. रूमेटौयड में हड्डियों के जोड़ों पर, खासतौर पर दोनों हाथ, कलाइयां, घुटने, कुहनी, कंधे, पैर के पंजे और एडि़यों में दर्द होता है. वहीं स्पोंडिलोआर्थोपैथी में कूल्हे, कंधे और रीढ़ की हड्डी में दर्द रहता है. औरतों में रूमेटौयड गठिया की शिकायत ज्यादा होती है, वहीं मर्दों में स्पोंडिलोआर्थोपैथी की शिकायत ज्यादा होती है.
कई बार ज्यादा उम्र की औरतों में अचानक किसी एक जोड़ में, अकसर पैर के पंजे या उंगली में गंभीर दर्द और सूजन हो सकती है. यह खून में बढ़े हुए यूरिक एसिड के चलते भी हो सकता है.
जल्दी शुरू करें इलाज
अगर गठिया के लक्षण दिख रहे हैं, तो इस दर्द और सूजन को टालें नहीं और न ही दर्द कम करने वाली दवा खा कर इस को दबाने की कोशिश करें. गठिया के लक्षण दिखने पर तुरंत माहिर डाक्टर के पास जाएं. इलाज जितना जल्दी शुरू होगा, उतना ही जोड़ों को कम नुकसान पहुंचेगा और भविष्य में जोड़ों के विकार के आसार कम होंगे.
गठिया में होने वाले दर्द, सूजन और दूसरी परेशानियों को कम करने के लिए डाक्टर दवाएं देते हैं, लेकिन अच्छी जिंदगी जीने के लिए मरीज को दवाओं के साथसाथ रोजाना कसरत भी करनी चाहिए. सरसों या जैतून के गरम तेल की मालिश दर्द और सूजन में राहत पहुंचाती है.