लेखक- मदन कोथुनियां

राजस्थान के बाड़मेर जिले की बलोतरा तहसील के जसोल गांव में राम कथा सुन रहे 14 भक्तों की मौके पर ही मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए. भगवान राम, खुद की कथा सुन रहे भक्तों को बचा नहीं सके. कथावाचक, आम जनता, जिन को भगवान राम का नजदीकी मानती है, को भी पंडाल छोड़ कर भागना पड़ा.

इस का सीधा सा मतलब यही है

कि कथा वगैरह से कोई फायदा नहीं

है, महज समय की बरबादी है. अगर भगवान राम के पास शक्ति होती तो अपनी ही कथा सुन रहे भक्तों को मौत के मुंह में जाने से रोक सकते थे, लेकिन नहीं रोका.

अब कुछ पाखंडी लोग ये कह कर अपने मन को और भगवान के भरोसे न रहने वाले लोगों को संतुष्ट करते नजर आएंगे कि ‘भगवान राम की कृपा थी इसीलिए इतने ही लोग (भक्त) मरे हैं, नहीं तो क्या पता कितने मरते. उन को तो बिना किसी कष्ट के भगवान ने अपने पास बुला लिया. और जो मरे हैं, उन में ज्यादातर लोग (भक्त) बूढ़े थे वगैरह.

गौरतलब है कि दुनिया में जितनी हत्याएं धर्म के नाम पर हुई हैं, उतनी मौतें युद्ध या दूसरे कुदरती हादसों में नहीं हुई हैं. हर महीने भारत में कहीं भगदड़, कहीं पैदल यात्राओं में दुर्घटनाएं तो कहीं धार्मिक आयोजकों की लापरवाही से दर्जनों मौतें होती हैं.

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धार्मिक दंगों का इतिहास ही इस देश का असली इतिहास रहा है. जितनी मौतें अकाल, बाढ़ वगैरह से नहीं हुईं, उस से ज्यादा मौतें एक दूसरे धर्म के अनुयायियों को खत्म करने के अभ्यास में हो गईं.

कुछ साल पहले राजस्थान के ही जोधपुर के चामुंडा माता मंदिर में सैकड़ों लोग मारे गए थे. माता की आस्था व दंड विधान को छोड़ कर सरकारी जांच आयोग बिठाया गया था, मगर आज तक कोई दोषी साबित नहीं हुआ. न माता ने किसी दोषी को सजा दी, न ही राजस्थान की सरकार ने.

राजस्थान में अभी बोआई का सीजन चल रहा है. मानूसन का मौसम है. किसानों के बीच एक कहावत है कि ‘टेम पर बोयो सालभर खायो’. अगर समय पर बोआई की तो पूरे साल का इंतजाम हो जाएगा, मगर इसी दौरान भागवत, सत्यनारायण, राम कथा वालों के पंडाल जगहजगह लगा दिए गए हैं.

23 जून, 2019 की दोपहर में बाड़मेर के जसोल गांव में राम कथा का आयोजन जोरशोर से चल रहा था. मौसम का मिजाज बदला और तंबू उखड़ गए. एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौतें हो गईं और तकरीबन 80 लोग घायल हो गए. हजारों की तादाद में आयोजकों ने भीड़ जमा कर ली थी.

कथावाचक राम कथा सुना रहे थे. अकसर ऐसे पंडाल लगते हैं तो प्रशासन खामोश बैठ जाता है. प्रशासन की मानसिक दशा ऐसी है कि वह इन को तमाम कानूनकायदों से ऊपर समझ कर किनारे हो जाता है.

जो मुक्ति का मार्ग बता रहा था, ऊपर वाले की इच्छा के विरुद्ध पत्ता भी हिलना नामुमकिन बता रहा था, वह

हवा के तेज झोंके से टैंट हिलते ही खुद हिलने लग गया.

वायु देवता व इंद्र देवता की महानता की कथा सुनातेसुनाते इन के रौद्र रूप

का कहर ऐसा टूटा कि दर्जनों घरों में कोहराम मच गया.

दरअसल, यह मनोरोगियों का देश है. पूंजी व सत्ता के लिए इनसानियत को ताक पर रख रहे दरिंदों का अड्डा है. गधे तैरना सीख गए हैं. भेड़ों को ले कर चल देते हैं और खुद तैर कर नदी के उस पार मौज उड़ाते हैं और भेड़ें बेचारी बेमौत मारी जाती हैं.

धर्म निजी आस्था का विषय तो है ही नहीं. इस तरह जुलूसों, झांकियों, पंडालों में ही धर्म की शक्ति का प्रदर्शन होता है. जहां शक्ति प्रदर्शन हो, वहां धर्म नहीं हो सकता. जहां शक्ति प्रदर्शन हो, वहां धंधा चल सकता है, व्यापार चल सकता है. यही धर्म चलता है.

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यह है पूरा मामला

बाड़मेर जिले के बलोतरा इलाके के जसोल गांव में रविवार, 23 जून, 2019 को दर्दनाक हादसा हुआ. यहां राम कथा के दौरान उठे बवंडर से पहले तो लोहे के पाइपों से बना पंडाल (डोम) 20 फुट ऊपर तक उड़ गया, फिर नीचे गिरा. इस के बाद उस में करंट दौड़ गया. इस से 14 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 80 से ज्यादा घायल हो गए.

हवा की रफ्तार इतनी तेज थी कि तकरीबन डेढ़ मिनट में ही पूरा पंडाल तहसनहस हो गया और किसी को भी संभलने का मौका नहीं मिला.

कथा के लिए राजकीय सीनियर स्कूल परिसर में माता राणी भटियाणी मंदिर ट्रस्ट की ओर से यह पंडाल लगाया गया था. कथा की शुरुआत दोपहर 2 बजे से हुई थी. तकरीबन सवा 3 बजे हलकी हवा के साथ बूंदाबांदी हुई.

दोपहर के तकरीबन साढ़े 3 बजे पंडाल के प्रवेश द्वार से अचानक बवंडर उठा और डेढ़ मिनट में तबाही मचा दी.

हादसा होते ही टैक्सी, टैंपो, एंबुलैंस समेत अलगअलग वाहनों से घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया.

सूचना मिलते ही प्रशासन, पुलिस के अफसर मौके पर पहुंच गए. आसपास की निजी डिस्पैंसरियों से भी डाक्टरों व स्टाफ को बुला लिया गया. कथा स्थल चीखपुकार में तबदील हो गया.

हादसे की खास वजह

कथा की शुरुआत दोपहर 2 बजे हुई थी. तकरीबन सवा 3 बजे आंधी के साथ बूंदाबांदी शुरू हुई. पंडाल में पानी टपकने लगा तो आयोजकों ने श्रद्धालुओं को आगेपीछे किया. लेकिन कथा जारी रही. दोपहर तकरीबन साढ़े 3 बजे अचानक बवंडर उठा और पंडाल गिर गया.

बिजली काटी गई, पर आटोमैटिक जनरेटर औन हो गए. पंडाल गिरते ही करंट दौड़ा तो बिजली काट दी गई. लेकिन वहां 2 आटोमैटिक जनरेटर लगे थे, वे स्टार्ट हो गए और करंट बना रहा. उधर, बिजली विभाग के एक्सईएन सोनाराम चौधरी ने कहा कि आयोजकों ने कार्यक्रम के लिए कोई बिजली कनैक्शन नहीं लिया था.

प्रख्यात महाराज थे, इस के बावजूद प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए? मुरलीधर महाराज मारवाड़ के प्रसिद्ध कथावाचक हैं. इन के कार्यक्रमों में भीड़ उमड़ती है. इस के बावजूद प्रशासन ने इस तरह के आयोजन को ले कर सुरक्षा संबंधी तैयारियों का जायजा क्यों नहीं लिया?

पंडाल में हवा पास होने के लिए जगह ही नहीं छोड़ी. यही वजह रही कि जब तूफानी हवा आई तो पंडाल गिर गया. डोम का फाउंडेशन कमजोर था. इसी वजह से एंगल उखड़ कर शामियाने के साथ हवा में उड़ गए.

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