लेखक- सुरेश सौरभ

लखीमपुर के सिद्धार्थनगर महल्ले के बाशिंदे अमित कुमार ग्रीन फील्ड एकेडमी स्कूल से इंटर का इम्तिहान पास करने के बाद छत्रपति शाहूजी महाराज कानपुर यूनिवर्सिटी पढ़ने चले गए थे और वहीं से बीए करने के बाद वे दिल्ली की ओर रुख कर गए थे. अमित कुमार ने दिल्ली में बाजीराव ऐंड रवि कोचिंग में सिविल सेवा की तैयारी शुरू की और एक साल के बाद पहली ही कोशिश में इतना बड़ा इम्तिहान पास कर के लोगों के हीरो बन गए. अमित कुमार ने बताया कि वे मूल रूप से हरगांव सीतापुर के गांव नुकरी के रहने वाले हैं और वहीं उन का बचपन बीता था.

वर्तमान समय में सिविल सोसाइटी के लोग तमाम राजनीतिक दखलअंदाजी के चलते कैसे सही काम कर पाएंगे? इस सवाल के जवाब में अमित कुमार ने बताया, ‘‘सत्ता का दबाव तो रहता है, पर तमाम तरह के दबावों को दरकिनार करते हुए हमें अपने हकों और फर्ज पर अडिग रहना चाहिए और अगर हम ऐसा करते हैं तो राजनीतिक दबाव को बहुत हद तक कम किया जा सकता है और जनता का काम आसानी से किया सकता है.’’

किसी बड़ी कामयाबी को पाने के लिए नौजवानों को क्या करना चाहिए? इस सवाल के जवाब में अमित कुमार कहते हैं, ‘‘नौजवानों को अगर कोई बड़ी कामयाबी पाने की इच्छा है तो उन्हें अपना टारगेट ले कर चलना पड़ेगा और उसी टारगेट पर बिना रुके बिना थके तब तक चलना होगा जब तक कि कामयाबी नहीं मिल जाती.’’

आज के समय में जब पूरा देश भ्रष्टाचार और गरीबी से जूझ रहा है, ऐसे में सिविल सेवा में गए लोगों को क्या करना चाहिए, जिस से इस सब पर काबू पाया जा सके? इस सवाल के जवाब में अमित कुमार कहते हैं, ‘‘हमारा काम जनता की सेवा करना है. हम जनता के सेवक हैं. अगर सिविल सेवा में गए लोग सेवा भाव से काम करेंगे तो काफी हद तक इस समस्या का समाधान किया जा सकता है.’’

अमित कुमार के पिता वीरेंद्र भारती प्राइमरी स्कूल में टीचर हैं और मां सुमन देवी गृहिणी हैं. अपने बेटे की कामयाबी पर पिता बहुत खुश हैं और कहते हैं, ‘‘अमित जैसा बेटा पा कर हमें गर्व महसूस होता है. हर मांबाप को अमित जैसा होनहार और काबिल बेटा मिलना चाहिए.’’

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अमित कुमार के 2 भाई और एक बहन हैं.

अमित कुमार की इस कामयाबी पर तमाम संस्थाओं ने उन्हें सम्मानित किया है. दलित महापरिसंघ के प्रमुख चंदन लाल बाल्मीकि ने अमित कुमार के सम्मान में एक बड़ी प्रैस कौंफ्रैंस कराई और उन्हें परिसंघ की ओर से सम्मानित भी किया.

अमित कुमार गौतम बुद्ध, डाक्टर भीमराव अंबेडकर, महात्मा गांधी, ज्योतिराव फुले और अपने गुरु सतीश कुमार वर्मा को अपना आदर्श मानते हैं.

सिविल सेवा में जाने के लिए नौजवानों को पढ़ने के लिए किनकिन किताबों की मदद लेनी चाहिए? इस सवाल के जवाब में अमित कुमार कहते हैं कि एनसीआरटी की किताबें इस की तैयारी के लिए बहुत ही कारगर होती हैं.

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सीसैट लागू होने पर हिंदी बैल्ट के बहुत से छात्र सिविल सेवा में नहीं जा पा रहे हैं. क्या यह बात सही है? इस सवाल के जवाब में अमित कुमार कहते हैं, ‘‘शुरुआत में हिंदी बैल्ट के छात्रों पर फर्क पड़ा था, मगर अब हालात बदल गए हैं और हिंदी बैल्ट के छात्र सीसैट पैटर्न में लगातार कामयाबी हासिल कर रहे हैं.’’

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