नए साल का पहला दिन हर किसी के लिए खास होता है. तरुण के लिए इस साल का पहला दिन
कुछ ज्यादा ही खास था, क्योंकि इस दिन उस की प्रेमिका मेघा उसे अपना सब कुछ सौंप देने वाली थी. मेघा के बारे में सोचसोच कर तरुण पर तरुणाई सवार होती जा रही थी. दिसंबर 2018 के आखिरी दिन उस ने गिनगिन कर कैसे काटे थे, यह वही जानता था.

जवानी की दहलीज की सीढि़यां चढ़ रही मेघा बेहद खूबसूरत और छरहरी थी. साथ ही इतनी सैक्सी भी कि उस से अपने यौवन का भार उठाए नहीं उठता था. यही हाल 24 वर्षीय तरुण का भी था, जिस के लबों पर बरबस ही यह गाना रहरह कर आ जाता था, ‘उम्र ही ऐसी है कुछ ये तुम किसी से पूछ लो, एक साथी की जरूरत होती है हर एक को…’

पहली जनवरी को तरुण पर्वतों से टकराने नहीं बल्कि एक ऐसा पर्वत चढ़ने जा रहा था, जिस की ख्वाहिश हरेक युवा को होती है. फिर उसे तो बगैर कोई खास कोशिश किए अपनी प्रेमिका से सब कुछ मिलने जा रहा था. उस के पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे.

सुबह जब दुनिया भर के लोग नए साल के जश्न की तैयारियों में लगे थे, तब तरुण खासतौर से सजसंवर कर घर से निकला. उस दिन मोबाइल पर मेघा से उस की कई बार बात हुई थी.

उस से मिलने को बेचैन तरुण हर बार घुमाफिरा कर यह जरूर कंफर्म कर लेता था कि मेघा का सैक्सी पार्टी देने का मूड कहीं बदल तो नहीं गया. हर बार जवाब उम्मीद के मुताबिक मिलता तो उस का हलक सूखने लगता और सीने में दिल की धड़कन बढ़ जाती.

तरुण खुद भी कम हैंडसम नहीं था. लंबे चेहरे पर हलकी सी दाढ़ी और सिर पर घने घुंघराले बालों वाले तरुण के पास किसी चीज की कमी नहीं थी. अपने मातापिता का एकलौता और लाडला बेटा था वह, जिसे काम भी अच्छा मिल गया था. वह बिलासपुर की ट्रैफिक पुलिस के लिए सीसीटीवी कैमरे ठेके पर चलाता था, जिस से उसे खासी आमदनी हो जाती थी.

सुबह ही सजसंवर कर तैयार हो गए तरुण ने मां राजकुमारी को पहले ही बता दिया था कि साल का पहला दिन होने के चलते काम ज्यादा है, इसलिए वह आज थोड़ी देर से आएगा.

राजकुमारी ने अपने पति शांतनु के साथ दोपहर तक तरुण का इंतजार किया, लेकिन खाने के तयशुदा वक्त पर वह नहीं आया तो उन्होंने उस के मोबाइल पर फोन किया. लेकिन हर बार उन के हाथ निराशा ही लगी. क्योंकि तरुण का फोन बंद था. पतिपत्नी दोनों ने बेटे को हरसंभव जगह पर देखा, लेकिन वह नहीं मिला तो वे चिंतित हो उठे.

बात थी भी कुछ ऐसी कि उन का चिंतित होना स्वाभाविक था, इसलिए सूरज ढलने से पहले तक दोनों ने तरुण को ढूंढा और जब उस की कोई खबर नहीं मिली तो दोनों रात 10 बजे सरकंडा थाने जा पहुंचे और बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखा दी.

यहां तक बात सामान्य थी, लेकिन जब राजकुमारी ने प्रभात चौक निवासी अपनी ही पड़ोसन बेबी और उस के पति बालाराम मांडले पर तरुण के अपहरण का शक जताया तो पुलिस वालों का माथा ठनका.

पुलिस वालों का माथा ठनकने के पीछे ठोस वजह भी थी, जो शुरुआती जांच और पूछताछ में ही सामने आ गई थी. यह वजह तरुण के अपहरण से ज्यादा महत्त्वपूर्ण और दिलचस्प थी, साथ ही चिंताजनक भी.

हुआ यूं था कि कुछ साल पहले बेबी प्रभात चौक चिंगराजपुरा में रहने आई थी. उस का घर शांतनु रातड़े के घर से लगा हुआ था. 40 साल की बेबी 3 जवान होते बेटों की मां थी. उस के भरेपूरे और गदराए बदन को देख शायद ही कोई मानता कि वह 40 साल की है. लेकिन यह मीठा सच था.

एक प्राइवेट अस्पताल में काम करने वाली बेबी मांडले की खूबसूरती और जिस्मानी कसावट किसी सबूत की मोहताज नहीं थी.

अपनी इस नई पड़ोसन पर शांतनु खुद को मर मिटने से रोक नहीं पाया और जल्द ही दोनों में शारीरिक संबंध बन गए. यह सब अचानक नहीं हुआ, बल्कि दोनों परिवारों में पहले निकटता बढ़ी और फिर सभी सदस्य एकदूसरे के यहां आनेजाने लगे.

शांतनु बेबी के चिकने जिस्म की ढलान पर फिसला तो शुरुआती मौज के बाद जल्दी ही दुश्वारियां भी पेश आने लगीं. शांतनु और बेबी का वक्तबेवक्त मिलना दोनों के घर वालों खासतौर से बेटों को रास नहीं आया तो निकटता की जगह कलह ने ले ली.

अधेड़ उम्र के शांतनु और बेबी के रोमांस के किस्से चिंगराजपुरा में चटखारे ले कर कहे सुने जाने लगे. लेकिन उन दोनों पर जगहंसाई और कलह का कोई खास फर्क नहीं पड़ा. दोनों एकदूसरे में समा जाने का मौका कब कैसे निकाल लेते थे, इस की हवा भी किसी को नहीं लगती थी.

घर वालों का ऐतराज बढ़ने लगा तो इन अधेड़ प्रेमियों ने सब को चौंकाते हुए साथ रहने का फैसला ले लिया. पत्नी बेबी का यह रूप देख उस का पति बालाराम अपने बेटों को ले कर राजकिशोर यानी आर.के. नगर में जा कर रहने लगा. राजकुमारी भी तरुण को ले कर पति से अलग रहने लगी.

उधर शांतनु और बेबी बिना शादी किए पतिपत्नी की तरह साथ रहने लगे, जिन की मौजमस्ती के सारे बैरियर खुद उन के रास्ते से हट गए थे.

हालांकि जब भी राजकुमारी और बेबी मोहल्ले में आमनेसामने पड़ जातीं तो उन में खूब कलह होती थी. दोनों बीवियों की इस लड़ाई से शांतनु कोई वास्ता नहीं रखता था, उस का मकसद तो बेबी का शरीर था, जिस पर अब उस का पूरी तरह मालिकाना हक था.

इसी दौरान तरुण को सिविललाइंस थाने में यातायात पुलिस के सीसीटीवी का काम मिल गया तो उस की इमेज भी एक पुलिस वाले की बन गई. यह दीगर बात थी कि वह सिर्फ डाटा रिकौर्ड करने का काम करता था.

तरुण की गुमशुदगी से इस कहानी का गहरा ताल्लुक है, यह पुलिस वालों को उस वक्त और समझ आ गया जब उन की जानकारी में यह बात भी आई कि बेबी और शांतनु कुछ दिनों तक साथसाथ रहे थे. बाद में दोनों अपनेअपने घरों को लौट आए थे.

दरअसल, दोनों का जी एकदूसरे से भर गया था या कोई और वजह थी, यह तो किसी को नहीं पता. लेकिन बात तब गंभीर लगी जब पिछले साल सितंबर में बेबी के बड़े बेटे नीलेश मांडले की लाश संदिग्ध अवस्था में बिलासपुर कोटा रेलवे लाइन पर मिली.

बेबी को शक था कि कहीं तरुण ने उस से बदला लेने के लिए नीलेश की हत्या कर या करवा न दी हो. जबकि पुलिस की जांच में इसे खुदकुशी माना गया था. इस से बेबी को लगा कि नीलेश के पुलिस से नजदीकी संबंध होने के चलते पुलिस वाले मामले को खुदकुशी करार दे कर दबा रहे हैं.

इस बारे में उस ने शांतनु से बात की तो शांतनु ने अपने बेटे तरुण का पक्ष लिया. इस से बेबी और ज्यादा तिलमिला उठी. उसे लगा कि बापबेटे दोनों उसे बेवकूफ बना रहे हैं. शांतनु की चाहत उस के शरीर तक ही सीमित है, उसे नीलेश की मौत से कोई लेनादेना नहीं है. नीलेश की जगह अगर तरुण मरा होता तो उसे समझ आता कि जवान बेटे को खो देने का दर्द क्या होता है.

जिस तरह दोनों अपनेअपने परिवार से अलग हुए थे, इस मसले पर विवाद होने के बाद अपनेअपने घरों को कुछ इस तरह लौट गए, मानो कुछ हुआ ही न हो. शांतनु राजकुमारी और तरुण के पास अपने घर चला गया और बेबी बालाराम और दोनों बेटों के पास चली गई.

तरुण के गायब होने का इस कहानी से संबंध जोड़ते हुए पुलिस ने तफ्तीश शुरू की और दूसरे दिन सुबह को बेबी और बालाराम को थाने बुला लिया. जब दोनों से तरुण के बाबत पूछताछ की गई तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं पता. चूंकि दोनों सच बोलते लग रहे थे, इसलिए पुलिस वालों ने उन्हें जाने दिया.

लेकिन तरुण का अभी तक कहीं अतापता नहीं था. अब तक किसी को उस के और मेघा के प्रेम प्रसंग के बारे में कुछ मालूम भी नहीं था. अगर वह किसी हादसे का शिकार हुआ होता तो अब तक उस का पता चल जाता, लेकिन पूछताछ और जांच में ऐसी कोई बात या घटना सामने नहीं आई थी, जो तरुण से ताल्लुक रखती हो.

लेकिन जांच के दौरान पुलिस वालों को पता चला कि तरुण आखिरी बार मेघा गोयल के साथ दिखा था, जो लिंगियाडीह की रहने वाली थी. पूजा और इमरान नाम के 2 गवाहों ने इस बात की पुष्टि की थी कि मेघा 1 जनवरी की दोपहर तरुण की बाइक पर सवार हो कर उस के साथ आर.के. नगर की तरफ जाती हुई दिखी थी.

मेघा तक पहुंचने के लिए पुलिस ने मोबाइल फोनों का सहारा लिया. तरुण के फोन की काल डिटेल्स निकालने पर पता चला कि पहली जनवरी को उस की एक खास नंबर पर ज्यादा और काफी लंबी बातें हुई थीं. लेकिन यह नंबर उस ने सेव नहीं किया था.

तरुण का मोबाइल नंबर ट्रेस करने पर पता चला कि उस की लोकेशन दोपहर 2 बजे से ले कर शाम 6 बजे तक आर.के. नगर में थी. बाद में उस की लोकेशन कोटा की मिली जो बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर है.

पुलिस वालों ने बेबी और बालाराम को पूछताछ के बाद जाने तो दिया, लेकिन दोनों पर शक बरकरार था. तरुण के फोन के इस अज्ञात नंबर और बेबी के फोन की लोकेशन एक साथ मिल रही थी. यह बात इस लिहाज से खटके की थी कि कहीं यह नंबर बेबी का ही तो नहीं है. इधर तरुण की गुमशुदगी की चर्चा पूरे बिलासपुर और छत्तीसगढ़ में होने लगी थी.

अब तक यह भी साफ हो गया था कि तरुण आखिरी बार कोटा में था. लेकिन किस हालत में, यह पता नहीं चल पा रहा था. मेघा के फोन के सहारे पुलिस ने उसे धर दबोचा तो एक नई सनसनीखेज और रोमांचक कहानी इस तरह सामने आई.

शुरू में मेघा ने यह तो मान लिया कि तरुण उस के साथ था, लेकिन उस ने यह कहते पुलिस को गुमराह करने की कोशिश भी की कि वह अपने घर चला गया था. लेकिन जल्दी ही वह पुलिस वालों के सामने टूट गई और तरुण की हत्या की बात स्वीकार ली. उस ने हैरतंगेज बात यह बताई कि कत्ल की इस वारदात में उस का साथ बेबी और बालाराम सहित उन के 2 बेटों योगेश और अभिषेक ने भी दिया था.

तरुण की हत्या की योजना बेबी ने ही बनाई थी, जो शांतनु से अलग होने के बाद से ही बदले की आग में जल रही थी. इसी दौरान उसे पता चला कि उस के बड़े बेटे नीलेश का प्रेम प्रसंग मेघा गोयल से था. दोनों साथसाथ पढ़ते थे.
बेबी जब मेघा से मिली तो उस की चंचलता देख उस की बांछें खिल उठीं. बातों ही बातों में उसे पता चला कि मेघा भी नीलेश की मौत के बाद से खार खाए बैठी है और उस के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है.

बेबी उसे यह विश्वास दिलाने में सफल हो गई कि तरुण ही नीलेश का हत्यारा है और वह भी उस से बदला लेना चाहती है. मेघा जब इस बाबत तैयार होती दिखी तो बेबी ने उस से वादा किया कि तरुण की मौत के बाद वह उसे घर की बहू जरूर बनाएगी.
पर हत्या कैसे की जाए, इस की योजना बेबी ने मेघा को बता दी. साथ ही उसे एक सिम भी खरीद कर दे दिया. योजना के मुताबिक मेघा ने तरुण को फोन करने शुरू किए. लेकिन बात करने के बजाय वह हर बार रौंग नंबर कह कर फोन काट देती थी.
आवाज सुन कर ही तरुण ने अंदाज लगा लिया कि जिस की आवाज इतनी खनक भरी है, वह लड़की जरूर सुंदर होगी. धीरेधीरे यह रौंग नंबर राइट नंबर में तब्दील हो गया और मेघा व तरुण लंबीलंबी बातें करने लगे.
जब तरुण जाल में फंसने लगा तो बेबी ने मेघा को समझाया कि लोहा गरम हो चुका है, अब चोट करने का वक्त आ गया है. चूंकि मिलने के लिए एकांत की जरूरत थी, इसलिए बेबी ने आर.के. नगर में 4 हजार रुपए महीने पर एक मकान किराए पर ले लिया.
किसी गुरु की तरह मेघा को समझाते हुए बेबी ने मंत्र दिया कि सैक्स हर मर्द की कमजोरी होती है, इसलिए तुम अकेले में तरुण को अपने हुस्न की पूरी झलक दिखा देना. इस से उस की प्यास और भड़केगी, लेकिन भूल कर भी उस की प्यास बुझा मत देना. इस के बाद हम उसे जब, जहां, जैसे बुलाएंगे, वह सिर के बल दौड़ा चला आएगा.

मेघा पहले एक होटल में तरुण से मिली तो वह अपनी खूबसूरत और सैक्सी टेलीफोनिक प्रेमिका को देखते ही पागल सा हो उठा. मेघा ने जब यह खबर बेबी को बताई तो उस ने उस से कहा कि पहली जनवरी को तरुण को अकेले में मिलने के लिए बुलाए.
इधर मेघा के हुस्न और इश्क के समंदर में खयाली गोते लगा रहे तरुण को सपने में भी अंदाजा नहीं था कि वह उस के सौतेले भाई नीलेश की प्रेमिका है, जो उस की मौत की स्क्रिप्ट लिख रही है और जिस की डायरैक्टर बेबी है.
कुछ दिन बातों में और बीते तो तरुण खुल कर मेघा से कहने लगा कि एक बार मेरी प्यास बुझा दो. इस पर मेघा ने उसे बताया कि वह इस के लिए तैयार है.
उस ने यह भी कहा कि इस के लिए नए साल का पहला दिन ठीक रहेगा. इशारों में नहीं बल्कि उस ने खुल कर तरुण को यह भी बता दिया कि वह किस्मत वाला है, क्योंकि इस दिन उसे तोहफे में कुंवारापन मिलेगा.
इतना सुनना भर था कि तरुण की नींद, भूखप्यास सब गायब हो गई और वह बेसब्री से 1 जनवरी का इंतजार करने लगा. उस दिन वह मां राजकुमारी से झूठ बोल कर मेघा से मिलने आर.के. नगर के सूने मकान में गया तो मेघा ने उसे सब्र रखने की बात कह कर कौफी पिलाई, जिस में उस ने ढेर सारी नींद की गोलियां मिला दी थीं.
तरुण यह सोचसोच कर खुश था कि जल्द ही मेघा का नग्न संगमरमरी जिस्म उस की बांहों में मचल रहा होगा. दूसरी तरफ मेघा यह सोचसोच कर खुश हो रही थी कि आज वह अपने प्रेमी नीलेश की मौत का बदला लेगी.
कौफी पीने के बाद भी तरुण पर नींद की गोलियों का उतना असर नहीं हुआ, जितना उस की हत्या के लिए चाहिए था. बेकाबू हो आया तरुण अब शराफत भूल कर सैक्स करने पर आमादा हो गया था, इसलिए मेघा ने चालाकी से उसे क्लोरोफार्म सुंघा कर बेहोश कर दिया. तरुण को तो पता भी नहीं चला होगा कि वह मेघा के नहीं बल्कि मौत के आगोश में है.
तरुण की बेहोशी की खबर मेघा ने बेबी को दी तो वह पति बालाराम और दोनों बेटों योगेश व अभिषेक को ले कर आ गई. इन पांचों ने मिल कर बेहोश तरुण के हाथपैर रस्सी से कस कर बांधे और मुंह पर टेप चिपका दी.

बेहोश तरुण को अपनी कार में डाल कर बेबी कोटा ले आई. कोटा के नजदीक बेबी का गांव अमने था. वहां 5 दिन पहले ही तरुण की कब्र खोदी जा चुकी थी. नए साल के पहले दिन लगभग शाम 7 बजे इन पांचों ने मिल कर बेहोश तरुण को उस कब्र में जिंदा दफन कर दिया.
इतना जानने के बाद पुलिस वालों के पास कानूनी खानापूर्तियां करना ही बाकी रह गया था. सभी को गिरफ्तार कर जब विस्तार से पूछताछ की गई तो इन्होंने बताया कि तरुण की चप्पलें, बाइक और मोबाइल फोन इन्होंने बिलासपुर से कोटा के रास्ते में अलगअलग जगहों पर फेंक दिए थे, जिन्हें पुलिस ने बाद में बरामद भी कर लिया. मेघा ने क्लोरोफार्म एक कैमिस्ट की दुकान से खुद को बीफार्मा की छात्रा बता कर खरीदा था और मांगने पर अपना आइडेंटिटी कार्ड भी दिखाया था.

3 जनवरी को पुलिस पांचों को ले कर अपने गांव गई, जहां उन की बताई जगह को खोदा गया. पुलिस ने एसडीएम और तहसीलदार की मौजूदगी में तरुण की लाश बाहर निकाली जो करीब 4 फुट के गड्ढे में दफनाई गई थी.
गड्ढा खोद कर तरुण की लाश निकालने में करीब 2 घंटे लग गए. इस दौरान आसपास के गांवों के लोग भी इस सनसनीखेज और अजीबोगरीब हत्याकांड की खबर सुन कर वहां इकट्ठा हो गए थे.
पंचनामा बनाने और दूसरी खानापूर्ति करने के बाद तरुण की लाश राजकुमारी और शांतनु को सौंप दी गई. पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल की गई बेबी की मारुति कार भी जब्त कर ली.
इस ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी को सुलझाने में सरकंडा थाना इंचार्ज संतोष जैन, एसआई आर.ए. यादव और विनोद वर्मा सहित हैडकांस्टेबल निमोली ठाकुर, आर. मुरली भार्गव, अतुल सिंह, अनूप मिश्रा, रीना सिंह सहित साइबर सैल के सबइंसपेक्टर प्रभाकर तिवारी, हेमंत आदित्य, नवीन एक्का और शकुंतला साहू का उल्लेखनीय योगदान रहा.

4 जनवरी को एक प्रैस कौन्फ्रैंस में बिलासपुर की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अर्चना झा और साइबर सैल के डीएसपी प्रवीण चंद्र राय जब तरुण हत्याकांड का खुलासा कर रहे थे, तब मीडिया वाले इस कहानी को किसी जासूसी उपन्यास की तरह सुन रहे थे.
मामला था भी कुछ ऐसा, जिस में एक व्यभिचारी पिता की दूसरी बीवी एकलौते बेटे की मौत की वजह बनी थी.
साथ ही एक लड़की द्वारा फिल्मी स्टाइल में अपने प्रेमी की कथित हत्या का बदला लेने पर उतारू हो गई थी. लेकिन अब वह बजाय ससुराल के ससुराल वालों के संग ही जेल में है.

(यह घटना 2018 की है. अपने पाठकों को जागरूक करने के उद्देश्य से इसे दोबारा पब्लिश किया जा रहा है)

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