उत्तर प्रदेश के जिला मीरजापुर स्थित विंध्याचल देवी का मंदिर विख्यात है. यहां साल के बारहों महीने लाखों की संख्या में देश के कोनेकोने से श्रद्धालु आते हैं. दूर से आने वाले श्रद्धालु यहां स्थित होटलों, लौज आदि में ठहरते हैं तो कुछ यहां के पुरोहितों से ले कर अपने जानपहचान वालों या फिर ऐसे लोगों के यहां भी ठहर जाते हैं, जो पैसे ले कर कमरा आदि मुहैया कराते हैं.

रोज की भांति 22 जुलाई, 2017 को विंध्याचल के कंतित निवासी सुराज कुमार पांडेय के घर वाले रात का खाना खा कर रात 10 बजे के करीब सोने की तैयारी कर रहे थे, तभी उन के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी.

दरवाजे की कुंडी बजने पर सुराज ने छोटे बेटे आकाश को आवाज दी, ‘‘बेटा आकाश, देखो तो दरवाजे पर कौन आया है. कहीं कोई यजमान तो नहीं है.’’ सुराज भी सेवा शुल्क ले कर यजमान को अपने यहां ठहरा लेते थे.

पिता की बात सुन कर आकाश दरवाजे के पास पहुंचा. उस ने दरवाजा खोला तो बाहर कुछ लोग खड़े थे, जिन्हें वह आदरपूर्वक अंदर ले आया. तब तक पीछे से सुराज भी वहां आ गए थे. उन लोगों में से एक को देखते ही उन्होंने कहा, ‘‘अरे भाई नन्हकू, आप इतनी रात को अचानक? सब ठीक तो है न…’’

नन्हकू सुराज की बहन के देवर का दोस्त था. सुराज अपनी बात अभी पूरी भी नहीं कर पाए थे कि नन्हकू ने कहा, ‘‘हां भाई, सब ठीकठाक है.’’

फिर वह अपने साथ आए लोगों की तरफ इशारा करते हुए बोला, ‘‘ये हमारे मेहमान हैं. सोचा कि इन्हें मां विंध्यवासिनी के दर्शन करा दूं. इधर आया तो सोचा आप से भी मिलता चलूं.’’

‘‘यह तो आप ने बड़ा अच्छा किया जो चले आए.’’ इतना कह कर सुराज उन लोगों के भोजन आदि की व्यवस्था में जुट गए.

जब सभी ने भोजन कर लिया तो उन के सोने की व्यवस्था करा कर सुराज भी उन्हीं के बगल के कमरे में सो गए.

रात का दूसरा पहर शुरू हुआ होगा कि सुराज के परिचित नन्हकू के साथ आया एक आदमी अचानक उठ कर बैठ गया. अपनी नजर को इधरउधर घुमाते हुए वह कुछ बुदबुदाने लगा. फिर कमरे से बाहर आ कर टहलने लगा. घर आए मेहमान को आधी रात को टहलता देख कर सुराज जाग गए. उस के पास आ कर उन्होंने पूछा, ‘‘क्या हुआ, आप अभी तक सोए नहीं हैं. कोई बात है क्या या पानी वगैरह चाहिए?’’

‘‘बात है, तभी तो मेरी नींद उड़ गई है.’’ उस आदमी ने कहा.

‘‘क्या बात है?’’ सुराज ने व्यग्रता से पूछा.

‘‘बताता हूं. दिल थाम कर रहिएगा, क्योंकि सुनेंगे तो आप भी दंग रह जाएंगे. आप को भरोसा नहीं होगा, लेकिन भरोसा करना होगा. क्योंकि मेरी इंद्रियां जो कह रही हैं, वह शत प्रतिशत सच है.’’ उस आदमी ने कहा.

इस के बाद सुराज का भी जी घबराने सा लगा कि आखिर ऐसी कौन सी बात है, जो यह आधी रात के बाद उठ कर बैठ गया और दिल थाम कर रखने को कह रहा है.

बहरहाल, अभी वह इन्हीं खयालों में खोए थे कि उस आदमी की आवाज ने उन के खयालों को भंग कर दिया. वह सुराज की ओर मुखातिब हुआ, ‘‘सुराजजी, आप के मकान के नीचे सोना है सोना. और इसे थोड़ी मेहनत कर के पाया जा सकता है.’’

‘‘सोना…क…क्….क्या कहा आप ने? सोना है?’’

सोना होने की बात सुन कर सहसा सुराज आश्चर्यचकित हो उठे. उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जिस घर में वह बरसों से रहते आ रहे हैं, उस के नीचे सोना है.

बहरहाल, सोना होने की बात सुन कर सुराज के मन में भी लालच आ गया और वह हकलाती आवाज में पूछ बैठे, ‘‘भाई सोना है तो वह कहां है और कैसे मिलेगा?’’

‘‘बताता हूं भाई, सब बताता हूं.’’ उस ने कहा, ‘‘ज्यादा बेचैन हो रहे हो तो सुनो, सोना मकान के नीचे है. अगर इसे नहीं निकाला गया तो परिवार में कोई अनहोनी हो सकती है. इसलिए उस का यहां से निकाला जाना बहुत जरूरी है. क्योंकि धन का स्थान तिजोरी में होता है, न कि जमीन में.’’

इस के बाद वह आदमी आंखें बंद कर के ध्यानमग्न हो गया. सुराज उस के पास खड़े थे. कुछ देर बाद आंखें खोल कर उस ने कहा, ‘‘जानते हो, मकान के नीचे कितना सोना है? पूरे 5 किलोग्राम की सिल्ली है, जिसे अगर नहीं निकाला गया तो आप लोगों के जीवन पर संकट आ सकता है.’’

5 किलोग्राम सोने की बात सुन कर सुराज बहुत खुश हुए. वह उतावलेपन में उन्होंने कहा, ‘‘बताओ वह सोना निकलेगा कैसे?’’

सुराज की बात सुन कर उस आदमी ने कहा, ‘‘इस के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय सब से उपयुक्त होगा. उसी समय खुदाई करनी होगी. हां, एक जरूरी बात है. इस के एवज में आप को 7 लाख रुपए खर्च करने होंगे.’’

7 लाख रुपए खर्च करने की बात सुन कर सुराज थोड़ा सशंकित हुए. लेकिन बात 5 किलोग्राम सोने की थी, इसलिए उस के आगे 7 लाख रुपए की रकम कुछ भी नहीं थी, सो उन्होंने तुरंत हां कह दी, तब इस के लिए अगले दिन यानी 23 जुलाई की रात तय कर दी गई.

अगले दिन रात होने पर जब सोना निकालने के लिए घर में खुदाई की तैयारी होने लगी तो सुराज ने नन्हकू से इस विषय पर कुछ बात की तो वह उन्हें कुछ दूर ले जा कर उन के कानों में जो कहा, उस के बाद सुराज ने सहमति में सिर हिला दिया.

सुराज की मौजूदगी में आधी रात के बाद मकान के आंगन में 3 फुट गहरा गड्ढा खोदा गया. गड्ढा खुद जाने के बाद उस तथाकथित तांत्रिक ने सुराज से एक बाल्टी पानी लाने को कहा. जब वह पानी लेने चले गए तो उस ने लोगों की नजरें बचा कर एक नारियल और पीतल की सिल्लियों के साथ एक सांप को उस गड्ढे में डाल दिया.

कुछ देर में सुराज पानी ले कर आए तो उस ने उन के हाथ से पानी की बाल्टी ले कर पानी गड्ढे में उड़ेल दिया. इस के बाद उस ने सुराज से गड्ढे से मिट्टी निकालने को कहा. उस की बातों पर विश्वास कर के सुराज गड्ढे से मिट्टी निकालने लगे, तभी मिट्टी के नीचे दबा सांप मिट्टी हटते ही उन के हाथों को लिपट गया.

हाथों में अचानक सांप के लिपट जाने से सुराज की मानो सांसें ही थम गईं. चाह कर भी उन के मुंह से चीख नहीं निकल सकी. यह देख कर वह तथाकथित तांत्रिक खुश हो गया. सुराज के हाथ से सांप को हटा कर उस ने कहा, ‘‘मुबारक हो! सोना मिल गया. चिंता की कोई बात नहीं, यह सांप खजाने का रखवाला है. अब यह बात तय है कि खजाना यहीं है.’’

उस की बातें सुन कर सुराज को भी यकीन हो गया कि सच में खजाना निकलने वाला है. इस के बाद उस आदमी ने थोड़ी मिट्टी कुरेदी तो वहां एक नारियल निकला, जिस पर धागा लिपटा था. उस ने नारियल उठा कर उस में लिपटे धागे को सुराज को थमाते हुए कहा, ‘‘इस धागे के एक सिरे को ले कर घर की तिजोरी से टच करा लाओ.’’

सुराज को यह बात थोड़ी अजीब लगी. लेकिन बात करोडों के सोने की थी, सो वह कुछ कहने, बोलने के बजाय धागे का एक सिरा घर के एक कमरे में रखी तिजोरी के पास ले जा कर उस से टच करा कर वापस आए तो देखा एक बाल्टी में वही सांप, नारियल का गोला तथा कुछ मिट्टी व एक धातु रखी है, जो दूर से सोने जैसी प्रतीत हो रही थी.

उसे देख कर सुराज को ऌूरा विश्वास हो गया कि सोना मिल गया है. यह सब होतेहोते सुबह होने को आ गई थी. तभी अचानक वहां सुराज का छोटा भाई सोनू आ गया. उसे यह सब थोड़ा अटपटा लगा. घर पर आए इन मेहमानों के हावभाव भी कुछ ठीक नहीं लग रहे थे.

जमीन में दबे सोने को निकालने के लिए धागे के एक छोर को घर की तिजोरी से स्पर्श कराने की बात उसे कुछ अटपटी सी लगी, साथ ही उसे माजरा कुछ उलटा नजर आने लगा तो किसी से कुछ कहे बिना ही उस ने 100 नंबर पर फोन कर के इस की सूचना पुलिस को दे दी.

परिजनों के बीच घर में सोना मिलने को ले कर खुसरफुसर होने लगी थी. उधर सोना निकलने के बाद सुराज और घर आए मेहमानों के बीच लेनदेन को ले कर बातें हो रही थीं कि तभी अचानक दरवाजे पर विंध्याचल कोतवाली के इंसपेक्टर अजय कुमार श्रीवास्तव मय फोर्स के पहुंच गए. अलसुबह मोहल्ले में पुलिस को आया देख कर सुराज के पड़ोसी इकट्ठा हो गए तो वहीं खुद सुराज भी अचानक दरवाजे पर पुलिस को देख कर चकित हो उठे.

पुलिस को देख कर उन के घर आए मेहमानों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. जब तक वह कुछ समझ पाते, तब तक उन के घर आए मेहमानों में से नन्हकू मौका देख धीरे से भीड़ में गुम हो गया. उसे गायब देख कर उस के साथ आए अन्य लोग भी खिसकने की ताक में थे कि सभी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया.

पुलिस जब उन्हें थाने ले जाने लगी तो वे दुहाई देने लगे, ‘‘साहब, हम लोग कोई ऐसेवैसे व्यक्ति नहीं हैं. माता रानी के भक्त हैं और अपनी दिव्यशक्ति के जरिए जान लेते हैं कि कहां क्या है.’’

‘‘अच्छा, अब तुम लोग यह बताओ कि तुम्हारे साथ आगे क्या होने वाला है?’’ थानाप्रभारी अजय कुमार श्रीवास्तव ने पूछा.

‘‘साहब हम समझे नहीं…’’ उन में से एक बोला.

‘‘कोई बात नहीं, थाने पहुंच कर सब कुछ आसानी से समझ जाओगे.’’ अजय कुमार ने कहा.

इस के बाद सभी के चेहरे की रंगत बदलने लगी. कोतवाली पहुंचने पर जब उन से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपने नाम शिवलाल सिंह निवासी अतरहट, जिला बांदा, रमेश कुमार दुबे निवासी कादीपुर, जिला सुलतानपुर, सुरेंद्र कुमार पांडेय निवासी शिवकटरा, जिला कानपुर नगर, प्रभाकर सिंह निवासी बहुचरा, प्रतापगढ़, रामप्रताप निवासी रतनपुर, जिला फतेहपुर तथा कांत तिवारी निवासी जंघई, जिला जौनपुर बताया.

नामपता पूछने के बाद थानाप्रभारी ने पूछा, ‘‘अब यह बताओ कि तुम लोग यह धंधा कब से कर रहे हो और अब तक कितने लोगों को अपने झांसे में ले कर ठग चुके हो?’’

उन की बात अभी पूरी भी नहीं हो पाई थी कि उन में से एक ने कहा, ‘‘नहीं साहब, आप हम लोगों को गलत समझ रहे हैं. हम लोगों ने किसी को नहीं ठगा है.’’

‘‘देखो, आप लोग अगर प्यार से नहीं बताओगे तो सच्चाई उगलवाने के लिए मुझे दूसरे तरीके भी आते हैं.’’ अजय कुमार ने धमकाया. उन के इतना कहते ही वे सभी एकदूसरे का मुंह देखने लगे. फिर बोले, ‘‘साहब, आप हमें मारनापीटना मत, हम सब सचसच बताते हैं.’’

इस के बाद उन्होंने ठगी की जो अनोखी कहानी बताई, वह अंधविश्वास, लालच से भरी होने के साथ हैरान कर देने वाली निकली.

दरअसल, शिवपाल सिंह, रमेश कुमार दुबे, सुरेंद्र कुमार पांडेय, प्रभाकर सिंह, रामप्रताप कोरी तथा कांत तिवारी का ठगी का अपना एक गिरोह था, जो पहले सीधेसादे लोगों और परिवारों का पता लगाते थे. उस के बाद उन की हैसियत आदि का आंकलन कर के उन्हें अपने जाल में फांस कर जमीन, मकान में सोना होने का लालच दे कर ठगी का जाल फेंकते थे. इस के लिए वे किसी परिचित का सहारा लेते थे तो कभी स्वयं आगे बढ़ कर खुद शिकार को फांसते हैं.

सुराज के घर पर ये लोग ताराशंकर उर्फ नन्हकू तिवारी निवासी गांव चेकसारी, मीरजापुर के माध्यम से पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि वह ब्रह्म मुहूर्त में ठगी की तैयारी करते थे. इस की वजह यह थी कि इस वक्त अधिकांश लोग गहरी नींद में होते हैं, जिस से उन के काम में खलल नहीं पड़ता था.

सुराज के यहां आने से एक दिन पहले इन्हीं ठगों ने विंध्याचल के कंतित गांव में बाबा श्रीवास्तव के मकान में गड्ढा खोदा था. वहां से ये मेहनताना के तौर पर 2 हजार रुपए ले भी चुके थे. सुराज पांडेय के बाद इन का निशाना यही घर होने वाला था, लेकिन इस के पहले ही ये पुलिस के हत्थे चढ़ गए.

पुलिस की मानें तो ये कोई मामूली ठग नहीं थे, इन का जाल पूर्वांचल में ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में फैला था. ये प्रदेश के विभिन्न जिलों में जमीन से सोना निकालने से पहले किसी होटल, ढाबा या फिर किसी व्यक्ति के घर जा कर ठहरते थे. इस के बाद किसी ऐसे आदमी की तलाश करते थे, जो तांत्रिक क्रिया व अंधविश्वास में यकीन रखता हो.

पकड़े गए ठगों को 24 जुलाई, 2017 को पुलिस लाइन स्थित सभागार में मीडिया के समक्ष पेश करते हुए एसपी आशीष कुमार तिवारी ने बताया कि यह गिरोह पूरे प्रदेश के कई जिलों में घूमघूम कर लोगों को झांसा दे कर मोटी ठगी करता आ रहा है. जिस धातु को ये सोने की सिल्ली बताते थे, वह लोहे की या पीतल की होती थी. लोहे की सिल्ली पर ये पीतल की पौलिश करा लेते थे. वह सिल्ली कानपुर के एक मशहूर मेटल हाउस से लाते थे.

पकडे़ गए ठगों ने पुलिस को पूछताछ में बताया था कि ये 4-5 सौ रुपए में एक मदारी से सांप ले लेते और उस के दांत उखड़वा देते थे, जिस से सांप डस न सके.

पुलिस ने पकड़े गए 6 ठगों के पास से लोहे की 3 चौकोर सिल्लियां बरामद कीं, जिन पर पीतल का पानी चढ़ा हुआ था. गिल्ट के पुराने 2 सिक्के, एक नारियल सफेद धागा लिपटा हुआ, 7 मोबाइल फोन, एक काला सांप बरामद किया. पुलिस ने सांप वन विभाग की टीम को सौंप दिया.

पुलिस ने सभी ठगों के खिलाफ सुराज पांडेय की तहरीर पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर के सभी को जेल भेज दिया. पुलिस को मौके से फरार हुए ताराशंकर उर्फ नन्हकू तिवारी की सरगर्मी के साथ तलाश है.

एसपी आशीष कुमार तिवारी ने शातिर ठगों को गिरफ्तार करने वाली टीम में शामिल थानाप्रभारी इंसपेक्टर अजय कुमार श्रीवास्तव, कांस्टेबल रूपेश पांडेय, रविकांत यादव, पीआरवी के हैड कांस्टेबल शिवनाथ, भानुप्रताप, रिजवान आदि को पुरस्कृत करने की घोषणा की है, तो वहीं कंतित गांव में पुलिस को फोन करने वाले सोनू की खूब तारीफ हो रही है, जिस की सजगता से न केवल उस का परिवार ठगी का शिकार होने से बच गया, बल्कि विंध्याचल क्षेत्र के उन लोगों को भी ठगने से बचा लिया, जो ठगों के निशाने पर थे.

उधर फरार चल रहे नन्हकू तिवारी ने भी पुलिस का दबाव बढ़ता देख कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया, जहां से उसे पूछताछ के लिए पुलिस कस्टडी में लिया गया. विस्तार से पूछताछ करने के बाद उसे भी जेल भेज दिया गया.

कथा पुलिस तथा मीडिया सूत्रों पर आधारित

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