‘वे 2 लोग थे… उन्होंने मेरे मम्मीपापा और बहन पर हमला किया… उन्हें मार डाला… मुझ पर भी वार किया… मगर मैं मरने की ऐक्टिंग कर के बच गया… फिर वे दोनों बालकनी से कूद कर भाग गए…’ 19 साला सूरज ने रोते हुए अपने पड़ोसियों को यह दहशतअंगेज कहानी सुनाई.
घर के भीतर खून में सनी हुई 3 लाशें पड़ी थीं. उन में एक थे परिवार के मुखिया 44 साला मिथिलेश वर्मा, दूसरी 38 साला उन की पत्नी सिया वर्मा और तीसरी उन की नाबालिग बेटी नेहा.
तीनों के शरीर चाकू से बुरी तरह गोद दिए गए थे. मिथिलेश और सिया के सीने और पेट पर चाकू के कई घाव थे, वहीं बच्ची के पेट पर चाकू से वार करने के साथसाथ गला भी रेता गया था.
दिल दहला देने वाली यह वारदात 10 अक्तूबर, 2018 को दिल्ली के वसंत कुंज इलाके के किशनगढ़ गांव में बनी एक इमारत के फ्लैट में हुई थी.
पुलिस और फोरैंसिक टीम मौके पर पहुंच चुकी थी. जांच शुरू हुई. सूरज का कहना था कि हत्यारे 2 थे, जो उस के मातापिता और बहन की हत्या कर के बालकनी से कूद कर भाग गए थे. मगर उस की यह बात पुलिस के गले नहीं उतरी क्योंकि जिस कमरे में वारदात हुई थी वहां चारों तरफ खून फैला हुआ था, जबकि बालकनी में खून की एक बूंद भी नहीं थी.
दूसरी बात यह कि जब लूटपाट के इरादे से हत्या हुई तो घर का कीमती सामान हत्यारे अपने साथ क्यों नहीं ले गए? घर का सामान सिर्फ इधरउधर बिखरा था, चोरी नहीं हुआ था.
जांच अफसर की नजरें बारबार सूरज उर्फ सर्वनाम वर्मा के चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रही थीं, जहां परिवार को खोने का वैसा दुख नहीं दिख रहा था, जो आमतौर पर पीडि़तों के चेहरे पर पुलिस को नजर आता है.
सूरज घबराया हुआ जरूर था, मगर लोगों से नजरें चुरा रहा था और उस का यही हावभाव शक पैदा कर रहा था.
पुलिस को यकीन था कि हत्या किसी बाहरी ने नहीं बल्कि घर के ही किसी सदस्य ने की है.
पुलिस की सख्ती के आगे सूरज का हठ ज्यादा देर तक टिक नहीं सका और उस ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. हत्या में इस्तेमाल हथियार भी उस ने बरामद करा दिया और हत्या की वजह भी बता दी.
एकलौते बेटे ने बड़ी दरिंदगी से अपने माता, पिता और बहन को चाकू और कैंची से गोदगोद कर मौत की नींद सुला दिया था, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें उस के भविष्य की चिंता थी, क्योंकि वे उसे गलत कामों से रोकते थे.
हर मांबाप का यह सपना होता है कि उन की औलाद पढ़लिख कर अच्छी नौकरी पाए. बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए ही वे सुबह से शाम तक जीतोड़ मेहनत करते हैं. मिथिलेश और सिया भी अपने दोनों बच्चों की अच्छी तालीम के लिए मेहनत कर रहे थे.
सूरज गुड़गांव के एक कालेज में सिविल इंजीनियरिंग डिप्लोमा के फर्स्ट ईयर का छात्र था. मिथिलेश वर्मा को यकीन था कि उन का बेटा एक दिन इंजीनियर बन कर उन का नाम रोशन करेगा, मगर यकीन की यह दीवार अब ढह चुकी थी. सूरज एक हत्यारा बन चुका था.
हैरानी की बात यह थी कि अपने परिवार को मौत की नींद सुलाने के बाद सूरज को अपने कांड पर जरा भी मलाल नहीं था.
गिरफ्तारी के बाद जब उसे हवालात में बंद किया गया तो वह बड़े आराम से बैठा रहा. जो खाने को दिया गया, आराम से खा लिया.
पुलिस को दिए बयान में सूरज ने कहा कि पहले वह सिर्फ अपने पिता को मारना चाहता था, क्योंकि वे उस की आजादी में दीवार बन रहे थे. वे उस को पढ़ाई करने के लिए डांटतेमारते थे. मां को इसलिए मारा क्योंकि वे पिता को सपोर्ट करती थीं और बहन इसलिए मारी गई क्योंकि हमले की रात वह मां को बचाने आई थी.
सूरज का दिल पढ़ाई से ज्यादा खेल में लगता था. 12वीं में फेल होने के बाद उस के पिता ने उस का एडमिशन सिविल इंजीनियरिंग के डिप्लोमा कोर्स में करवा दिया ताकि आगे चल कर वह उन के कारोबार में मदद कर सके, मगर सूरज का दिल तो दिनभर दोस्तों के साथ घूमने, पतंग उड़ाने, वीडियो गेम खेलने में लगा रहता था. इस में किसी तरह की रोकटोक उसे पसंद नहीं थी.
आजाद जिंदगी जीने की इच्छा में उस ने अपने दोस्तों के संग मिल कर महरौली में एक कमरा भी किराए पर ले रखा था. ग्रुप स्टडी के नाम पर यह कमरा उस की ऐयाशी का अड्डा बना हुआ था, जहां वह कालेज से छुट्टी मार कर सुबह ही पहुंच जाता था और शाम 5 बजे तक वहीं रहता था. शराब पीने की लत भी उसे लग चुकी थी.
पिता मिथिलेश वर्मा को ये बातें पता चल गई थीं. बेटे को गलत राह पर जाने से रोकने के लिए ही वे डांटफटकार करते थे. 15 अगस्त को सारा दिन गली में पतंग उड़ाने पर उन्होंने उस की पिटाई भी कर दी थी.
यह बात सूरज को नागवार लगी कि पिता ने सब के सामने उस की पिटाई की. वह उसी दिन से पिता को रास्ते से हटाने की साजिश रचने लगा था.
सूरज बड़े ही ध्यान से टैलीविजन सीरियल ‘क्राइम पैट्रोल’ और ‘सावधान इंडिया’ देखा करता था. हत्या के मनसूबे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उस ने महरौली से चाकू और कैंची भी खरीद ली थी. अब उसे मौके की तलाश थी और मौका मिला 10 अक्तूबर, 2018 की रात 3 बजे, जब पूरा परिवार गहरी नींद में सो रहा था.
रात 3 बजे सूरज अपने बिस्तर से उठा और पिता के पास पहुंच कर उस ने चाकू के कई वार उन के सीने और पेट पर किए. ताबड़तोड़ वार ने मिथिलेश वर्मा को बचाव का कोई मौका नहीं दिया और उन की मौत हो गई.
मां की आंख खुली तो बेटे का रौद्र रूप देख कर वे दहशत में चीखीं. मगर सूरज ने उन्हें भी बचने का मौका नहीं दिया और चाकू के कई वार उन के पेट पर कर डाले.
मां की आवाज सुन कर बहन नेहा कमरे में आई तो सूरज ने उस के गले पर भी वार कर दिया. नेहा एक ओर गिर कर तड़पने लगी. अधमरी मां बेटी को बचाने के लिए लपकीं, मगर तभी सूरज ने पलट कर मां के पेट पर चाकू के ताबड़तोड़ वार किए. वे एक ओर लुढ़क गईं. उधर गला कटने से बहन नेहा जमीन पर पड़ी मछली की तरह छटपटा रही थी.
सूरज ने कहा कि वह अपनी बहन को नहीं मारना चाहता था, मगर उस का तड़पना उस से नहीं देखा गया, इसलिए उस ने उस के पेट पर कई बार चाकू से वार किए ताकि उस का तड़पना बंद हो जाए.
पुलिस के मुताबिक, सूरज ने तीनों पर कोई 30 बार चाकू से वार किए थे. इस के अलावा लाशों पर कैंची के वार भी पाए गए हैं.
अपने ही परिवार की बेरहमी से हत्या करने वाले सूरज ने खुद को बचाने के लिए हत्याकांड को लूट का रूप दिया. उस ने अलमारी खोल कर सारी चीजें यहांवहां बिखेर दीं और थोड़ी तोड़फोड़ भी की. इस के लिए उस ने टैलीविजन पर आने वाले सीरियल ‘क्राइम पैट्रोल’ का सहारा लिया.
पुलिस ने जब सूरज के मोबाइल फोन की जांच की तो फोन में ‘क्राइम पैट्रोल’ के कई एपिसोड सेव मिले. ये एपिसोड मुख्य रूप से इसी तरह की हत्या और उस के बाद हत्या को लूट का रंग दिए जाने को ले कर बने थे. इस के बाद जब पूछताछ की गई तो उस ने इस बात को मान लिया.
हत्या के बाद सूरज तकरीबन 2 घंटे तक मांबाप और बहन की लाशों के पास ही बैठा रहा. इस दौरान उस ने अपने मोबाइल पर बच निकलने के रास्ते भी तलाश किए.
तकरीबन सुबह साढ़े 5 बजे सूरज बदहवास सा फ्लैट के बाहर आया और पड़ोसियों को मनगढ़ंत कहानी सुनाई, मगर उस की कहानी पुलिस के सामने नहीं चली और उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
पटियाला हाउस अदालत की महानगर दंडाधिकारी अंबिका सिंह के सामने दिल्ली पुलिस ने अर्जी दायर कर कहा कि सूरज ने अपने मातापिता व?छोटी बहन की हत्या का अपराध कबूल कर लिया है और हत्या में इस्तेमाल हथियार बरामद करा दिया है. उस ने मातापिता की टोकाटाकी व पिटाई व अपनी बहन के किसी लड़के से बात करने से नाराज हो कर इस वारदात को अंजाम दिया है, लिहाजा उसे जेल भेजा जाए.
साउथवैस्ट जिले के डीसीपी देवेंद्र आर्य कहते हैं कि सूरज और उस के 8-10 दोस्तों, जिन में कुछ लड़कियां भी शामिल हैं, ने मिल कर महरौली में जो फ्लैट किराए पर लिया था, वहां वे सभी आजाद जिंदगी जीते थे. वहां सूरज अपने दोस्तों के साथ ड्रग्स लेता था.
दोहरी शख्सीयत का सूरज अपने पड़ोसियों से जहां बहुत नरमी से बात करता था, वहीं दोस्तों के बीच उस की इमेत बिंदास लड़के की थी.
महरौली के इस कमरे से पुलिस को बीयर की खाली बोतलें और हुक्का बरामद हुआ है, जिस से अंदाजा लगता है कि वह किस तरह की आजाद जिंदगी जी रहा था.
देवेंद्र आर्य कहते हैं कि सूरज के पिता रोजरोज उस के देर से घर आने पर उसे डांटा करते थे, जिस से वह चिढ़ने लगा था. आजाद जिंदगी जीने की बात पर पिता से उस का कई बार ?ागड़ा भी हुआ था. मां से भी वह लड़ पड़ता था.
सूरज के मोबाइल फोन की जांच बताती है कि उस ने अपने मोबाइल पर यूट्यूब और गूगल पर जा कर ऐसे तरीके खोजे, जिस से किसी को आसानी से मौत की नींद सुलाया जा सके.
अपराध पर आधारित टीवी सीरियल देख कर उस को पता चला कि वारदात के बाद पुलिस मोबाइल फोन से अपराधी का सुराग लगाती है, इसलिए सूरज ने अपने मोबाइल की तमाम सैटिंग बदलने की भी कोशिश की, लेकिन पुलिस ने साइबर ऐक्सपर्ट की मदद से मोबाइल का बैकअप रिकवर कर लिया.
पता चला कि सूरज ने करीबी दोस्तों का ह्वाट्सऐप ग्रुप बनाया हुआ था, जहां वह पर्सनल बातें शेयर करता था और सलाह भी लेता था. बेटे के इस फ्रैंड सर्किल का मांबाप विरोध करते थे.
दोस्तों के बीच हुई चैटिंग से पता चलता है कि सूरज अपने मातापिता को छोड़ने के लिए तैयार था, लेकिन दोस्तों को नहीं.
हैरत की बात है कि सूरज ने बिना किसी की मदद लिए पूरे कांड को बड़े ठंडे दिमाग से अकेले ही अंजाम दिया. वारदात की रात उस ने सब के साथ सामान्य ढंग से बैठ कर डिनर किया था. इस के बाद वह अपने मांबाप और बहन के सोने का इंतजार करता रहा.
पुलिसिया पूछताछ में 4 साल पहले हुए सूरज के अपहरण के मामले से भी परदा उठ गया है. पुलिस के मुताबिक, सूरज आपराधिक सोच का लड़का है.
4 साल पहले पिता की रोकटोक से ऊब कर परिवार को परेशान करने के लिए उस ने अपने अपहरण की कहानी भी रची थी और घर से 200 रुपए ले कर मेरठ भाग गया था. बाद में उसे गाजियाबाद के मोदी नगर रेलवे स्टेशन पर देखा गया.
वापस आने पर सूरज ने अपने पिता को अपहरण की मनगढ़ंत कहानी सुनाई थी. इस मामले में हालांकि कोई पुलिस रिपोर्ट नहीं हुई थी.
पड़ोसियों और सूरज के चचेरे भाइयों का कहना है कि सूरज अकसर पैसों को ले कर अपने पिता से ?ागड़ा करता था. द्य