सवाल

मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूं. समस्या यह है कि उन का भाई यानी मेरा देवर मुझे बहुत पसंद करता है. कई दफा वह मेरे साथ कुछ ऐसा व्यवहार कर जाता है जो मेरे पति को नागवार गुजरता है. मैं देवर को भी नाराज नहीं करना चाहती. क्या करूं?

जवाब

आप को पहले इस मामले में स्वयं क्लियर होना होगा. यदि आप अपने पति से प्यार करती हैं तो फिर इस प्यार को बनाए रखने के लिए दूसरे रिश्तों से एक मर्यादित दूरी बना कर रखें. अपने देवर से स्पष्ट तौर पर कह दें कि आप उन्हें सिर्फ देवर के तौर पर देखती हैं और वह आप को ले कर किसी तरह की ख्वाहिशें न पाले.

अकसर देवर भाभी के अवैध रिश्ते जिंदगी में तूफान ले आते हैं. पति की भावनाओं का खयाल रखें. मुमकिन हो तो आप दोनों पति पत्नी कहीं अलग एक छोटा सा फ्लैट ले लें ताकि देवर से थोड़ी दूरी कायम हो जाए. हर वक्त साथ रहने से इस तरह के नाजुक रिश्तों में गलतफहमियां बढ़ने के आसार बढ़ जाते हैं.

‘‘अरे वाह देवरजी, तुम तो एकदम मुंबइया हीरो लग रहे हो,’’ सुशीला ने अपने चचेरे देवर शिवम को देख कर कहा.

‘‘देवर भी तो तुम्हारा ही हूं भाभी. तुम भी तो हीरोइनों से बढ़ कर लग रही हो,’’ भाभी के मजाक का जवाब देते हुए शिवम ने कहा.

‘‘जाओजाओ, तुम ऐसे ही हमारा मजाक बना रहे हो. हम तो हीरोइन के पैर की धूल के बराबर भी नहीं हैं.’’

‘‘अरे नहीं भाभी, ऐसा नहीं है. हीरोइनें तो  मेकअप कर के सुंदर दिखती हैं, तुम तो ऐसे ही सुंदर हो.’’

‘‘अच्छा तो किसी दिन अकेले में मिलते हैं,’’ कह कर सुशीला चली गई.

इस बातचीत के बाद शिवम के तनमन के तार झनझना गए. वह सुशीला से अकेले में मिलने के सपने देखने लगा.

नाजायज संबंध अपनी कीमत वसूल करते हैं. यह बात लखनऊ के माल थाना इलाके के नबी पनाह गांव में रहने वाले शिवम को देर से समझ आई.

शिवम मुंबई में रह कर फुटकर सामान बेचने का काम करता था. उस के पिता देवेंद्र प्रताप सिंह किसान थे.

गांव में साधारण सा घर होने के चलते शिवम कमाई करने मुंबई चला गया था. 4 जून, 2016 को वह घर वापस आया था.

शिवम को गांव का माहौल अपना सा लगता था. मुंबई में रहने के चलते वह गांव के दूसरे लड़कों से अलग दिखता था. पड़ोस में रहने वाली भाभी सुशीला की नजर उस पर पड़ी, तो दोनों में हंसीमजाक होने लगा.

सुशीला ने एक रात को मोबाइल फोन पर मिस्ड काल दे कर शिवम को अपने पास बुला लिया. वहीं दोनों के बीच संबंध बन गए और यह सिलसिला चलने लगा.

कुछ दिन बाद जब सुशीला समझ गई कि शिवम पूरी तरह से उस की गिरफ्त में आ चुका है, तो उस ने शिवम से कहा, ‘‘देखो, हम दोनों के संबंधों की बात हमारे ससुरजी को पता चल गई है. अब हमें उन को रास्ते से हटाना पड़ेगा.’’ यह बात सुन कर शिवम के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई.

सुशीला इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी. वह बोली, ‘‘तुम सोचो मत. इस के बदले में हम तुम को पैसा भी देंगे.’’

शिवम दबाव में आ गया और उस ने यह काम करने की रजामंदी दे दी.

नबी पनाह गांव में रहने वाले मुन्ना सिंह के 2 बेटे थे. सुशीला बड़े बेटे संजय सिंह की पत्नी थी. 5 साल पहले संजय और सुशीला की शादी हुई थी.

सुशीला उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के महराजगंज थाना इलाके के मांझ गांव की रहने वाली थी. ससुराल आ कर सुशीला को पति संजय से ज्यादा देवर रणविजय अच्छा लगने लगा था. उस ने उस के साथ संबंध बना लिए थे.

दरअसल, सुशीला ससुराल की जायदाद पर अकेले ही कब्जा करना चाहती थी. उस ने यही सोच कर रणविजय से संबंध बनाए थे. वह नहीं चाहती थी कि उस के देवर की शादी हो.

इधर सुशीला और रणविजय के संबंधों का पता ससुर मुन्ना सिंह और पति संजय सिंह को लग चुका था. वे लोग सोच रहे थे कि अगर रणविजय की शादी हो जाए, तो सुशीला की हरकतों को रोका जा सकता है.

सुशीला नहीं चाहती थी कि रणविजय की शादी हो व उस की पत्नी और बच्चे इस जायदाद में हिस्सा लें.

लखनऊ का माल थाना इलाका आम के बागों के लिए मशहूर है. यहां जमीन की कीमत बहुत ज्यादा है. सुशीला के ससुर के पास  करोड़ों की जमीन थी.

सुशीला को पता था कि ससुर मुन्ना सिंह को रास्ते से हटाने के काम में देवर रणविजय उस का साथ नहीं देगा, इसलिए उस ने अपने चचेरे देवर शिवम को अपने जाल में फांस लिया.

12 जून, 2016 की रात मुन्ना सिंह आम की फसल बेच कर अपने घर आए. इस के बाद खाना खा कर वे आम के बाग में सोने चले गए. वे पैसे भी हमेशा अपने साथ ही रखते थे.

सुशीला ने ससुर मुन्ना सिंह के जाते ही पति संजय और देवर रणविजय को खाना खिला कर सोने भेज दिया. जब सभी सो गए, तो सुशीला ने शिवम को फोन कर के गांव के बाहर बुला लिया.

शिवम ने अपने साथ राघवेंद्र को भी ले लिया था. वे तीनों एक जगह मिले और फिर उन्होंने मुन्ना सिंह को मारने की योजना बना ली.

उन तीनों ने दबे पैर पहुंच कर मुन्ना सिंह को दबोचने से पहले चेहरे पर कंबल डाल दिया. सुशीला ने उन के पैर पकड़ लिए और शिवम व राघवेंद्र ने उन को काबू में कर लिया.

जान बचाते समय मुन्ना सिंह चारपाई से नीचे गिर गए. वहीं पर उन दोनों ने गमछे से गला दबा कर उन की हत्या कर दी.

मुन्ना सिंह की जेब में 9 हजार, 2 सौ रुपए मिले. शिवम ने 45 सौ रुपए राघवेंद्र को दे दिए. इस के बाद वे तीनों अपनेअपने घर चले गए.

सुबह पूरे गांव में मुन्ना सिंह की हत्या की खबर फैल गई. उन के बेटे संजय और रणविजय ने माल थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज कराया. एसओ माल विनय कुमार सिंह ने मामले की जांच शुरू की.

पुलिस ने हत्या में जायदाद को वजह मान कर अपनी खोजबीन शुरू की. मुन्ना सिंह की बहू सुशीला पुलिस को बारबार गुमराह करने की कोशिश कर रही थी.

पुलिस ने जब मुन्ना सिंह के दोनों बेटों संजय और रणविजय से पूछताछ की, तो वे दोनों बेकुसूर नजर आए.

इस बीच गांव में यह पता चला कि सुशीला के अपने देवर रणविजय से नाजायज संबंध हैं. इस बात पर पुलिस ने सुशीला से पूछताछ की, तो उस की कुछ हरकतें शक जाहिर करने लगीं.

एसओ माल विनय कुमार सिंह ने सीओ, मलिहाबाद मोहम्मद जावेद और एसपी ग्रामीण प्रताप गोपेंद्र यादव से बात कर पुलिस की सर्विलांस सैल और क्राइम ब्रांच की मदद ली.

सर्विलांस सैल के एसआई अक्षय कुमार, अनुराग मिश्रा और योगेंद्र कुमार ने सुशीला के मोबाइल को खंगाला, तो  पता चला कि सुशीला ने शिवम से देर रात तक उस दिन बात की थी.

पुलिस ने शिवम का फोन देखा, तो उस में राघवेंद्र का नंबर मिला. इस के बाद पुलिस ने राघवेंद्र, शिवम और सुशीला से अलगअलग बात की.

सुशीला अपने देवर रणविजय को हत्या के मामले में फंसाना चाहती थी. वह पुलिस को बता रही थी कि शिवम का फोन उस के देवर रणविजय के मोबाइल पर आ रहा था.

सुशीला सोच रही थी कि पुलिस हत्या के मामले में देवर रणविजय को जेल भेज दे, तो वह अकेली पूरी जायदाद की मालकिन बन जाएगी, पर पुलिस को सच का पता चल चुका था.

पुलिस ने तीनों को साथ बिठाया, तो सब ने अपना जुर्म कबूल कर लिया.

14 जून, 2016 को पुलिस ने राघवेंद्र, शिवम और सुशीला को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया. वहां से उन तीनों को जेल भेज दिया गया.

सुशीला अपने साथ डेढ़ साला बेटे को जेल ले गई. उस की 4 साल की बेटी को पिता संजय ने अपने पास रख लिया.

जेल जाते समय सुशीला के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. वह शिवम और राघवेंद्र पर इस बात से नाराज थी कि उन लोगों ने यह क्यों बताया कि हत्या करते समय उस ने ससुर मुन्ना सिंह के पैर पकड़ रखे थे.

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