लव जिहाद का नाम ले कर शादियों में अड़चनें डालने वाले यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आज से नहीं, सदियों से दूसरी संस्कृतियों, भाषाओं, सीमाओं और धर्मों में विवाह किया जाना असल में समाज को एक नई दिशा देता है. जब अलग संस्कृतियों और देशों के बीच विवाह होते हैं तो बहुत से पुल बन जाते हैं.

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के चचेरे भाई इसाओ आबे की पत्नी कल्पना दक्षिण भारतीय हैं जो पहले वाशिंगटन में थीं और अब जापान की पेंट कंपनी कानसाई पेंट में वाइस प्रैसिडैंट हैं. वे अब दोनों देशों के बीच पुल बन रही हैं. शिंजो आबे उन की राय भारतीय मामलों तक में लेते हैं.

हमारे कट्टरपंथियों के आदर्श सुभाष चंद्र बोस की आस्ट्रियन पत्नी एमिली शेंकल थीं जिन से सुभाष चंद्र बोस ने 1937 में विवाह किया था. उन की पुत्री अनीता बोस ने भी एक विदेशी मार्टिन पफ से विवाह किया था.

महापंडित राहुल सांकृत्यायन का बाल विवाह हुआ था पर उन्होंने फिर मंगोल मूल की रूसी एलेना नार्वे नारवेरतोवना कोजेरोवसकाया से शादी की थी. बाद में राहुल ने नेपाली लड़की से भी विवाह किया.

धर्म के दुकानदार यह भी नहीं चाहते कि विधर्मी से विवाह कर के विवाह, बच्चे होने या विवाहित युगल के बच्चों की शादियों के समय मिलने वाली मोटी दक्षिणा उन के हाथ से निकले.

संस्कृति का नाम ले कर जो हल्ला मचाया जा रहा है वह कोरी दुकानदारी है. वैसे तो हिंदू धर्म के सभी ठेकेदार समयसमय पर विदेशों में जा कर विदेशी संस्कृति से दूषित हो गए क्योंकि वे वहां विदेशी नागरिकता प्राप्त भारतीयों को बुला कर हिंदुत्व पर घंटों भाषण देने से कतराते नहीं. बस, उन्हें रहने की सुविधा, आनेजाने का टिकट और मोटी दक्षिणा मिलती रहे. हिंदू संस्कृति के अनुसार तो समुद्र पार करना भी निषेध है.

पहले इस तरह के मामले केवल धर्म की दुकानदारी के नाम पर होते थे पर अब, इसलामी देशों की देखादेखी, धर्म और राजनीति में मिक्सर चल गया है और यह कंक्रीट देश पर थोपी जा रही है. यह कंक्रीट मजबूत तो हो सकती है पर इस पर कुछ उगता नहीं है, न उत्पादन, न सोचविचार.

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