2013 में एक औरत आदमी मिले और उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया. फिर लगता है कुछ मनमुटाव हो गया तो औरत ने शिकायत दर्ज करा दी कि 18 जनवरी, 2014 को उस आदमी ने अपने 2 अन्य साथियों के साथ उसे नशीला पेय पिला कर रेप किया था.

कानूनी मशीनरी तो चल पड़ी. केस दर्ज होने के बाद वह बंदूक की गोली की तरह होता है, जो चलता रहता है. लेकिन जब शिकायती की जिरह हुई तो वह मुकर गई कि उस के साथ रेप हुआ था. वास्तव में उस ने तो 21 फरवरी, 2014 को उसी आदमी के साथ अदालती शादी भी कर ली थी.

अभियुक्त बेचारा कहता रहा कि ऐसी कोई बात हुई ही नहीं जिस में उस पर बलात्कार का आरोप लगे पर अदालत को मामले को बंद करने में भी 3 साल और लग गए. अक्तूबर, 2017 में सत्र न्यायाधीश ने मामला बंद करते हुए शिकायती औरत के खिलाफ मुकदमा दायर करने का आदेश दे दिया कि झूठी शिकायत क्यों की गई.

रेप के असली मामले तो छिपे रहते हैं. बलात्कार के नाम पर जो भी मामले सामने आते हैं उन में अधिकांश बदले की भावना के

होते हैं. ज्यादातर झूठे होते हैं और उन में अभियुक्त वर्षों जेल में सड़ता है और लाखों वकीलों पर खर्च करता है.

कानून का जैसा दुरुपयोग बलात्कार के मामले में हो रहा है वैसा अन्य किसी मामले में कहीं और नहीं हो रहा होगा. यह जघन्य अपराध है, जिस में कपटी बच निकलते हैं और कपटनियां सीना तान लेती हैं.

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