रिचा चड्ढा ने बौलीवुड में अपना एक अलग मुकाम बना लिया है. वह निरंतर कंटेंट आधारित फिल्में करते हुए आगे बढ़ रही हैं. मगर ‘सरबजीत’’के बाद उनके करियर की गति काफी धीमी हो गयी है.
इन दिनों वह ‘एक्सेल इंटरटेनमेंट’ की फिल्म ‘‘फुकरे रिटर्न’’ को लेकर काफी उत्साहित हैं, जो कि कुछ साल पहले प्रदर्शित सफल फिल्म ‘फुकरे’ का सिक्वअल है. ‘फुकरे’ में भी रिचा चड्ढा ने ही भोली पंजाबन का किरदार निभाया था.
अब आपका करियर किस दिशा में जाता नजर आ रहा है. ‘सरबजीत’ के बाद करियर की गति काफी धीमी हो गयी है?
- ‘सरबजीत’ को करना तो मुझे मेरी गलती लगती है. लेकिन अब किसी पर भी इल्जाम लगाने से कोई फायदा नहीं. आप भी जानते हैं कि बौलीवुड में लोग कैसे होते हैं. लेकिन अब मेरा करियर सही हो जाएगा. करियर के धीमे होने की वजह एक यह भी रही कि मैने पटकथा व किरदार को लेकर समझौते करते हुए कोई भी फिल्म स्वीकार नही की, बल्कि मैंने अच्छे काम के लिए इंतजार करना उचित समझा.
उस बीच मैंने इंडोर्समेंट या दूसरे काम जरुर किए. जब एक ही तरह के किरदार आने लगे या जब आपको आपके कैलीबर के किरदार न मिल रहे हों, तो कुछ समय इंतजार कर लेना चाहिए.जल्दबाजी में या महज पैसे के लिए गलत काम यानी कि गलत फिल्म कर लेने से ईमेज खराब हो जाती है. वैसे भी पहले की गलती जब बाद में आपको काटने आती है तब आपकी समझ में नही आता कैसे बचा जाए?
आपके करियर के धीमे होने की वजहें ‘कैबरे’, ‘जिया और जिया’ ‘और देवदास’ जैसी फिल्मों का बीच में रूक जाना भी रहा?
- सुधीर मिश्रा की फिल्म ‘‘और देवदास’’ अब फरवरी 2018 में सिनेमाघरों में पहुंचने वाली है. यह फिल्म पहले ही पूरी हो गयी थी. पर निर्माताओं के बीच कोई समस्या थी, इसलिए रूकी हुई थी. पर अब प्रदर्शित होने वाली है. फिल्म के रूकने की वजह विस्तार से तो सुधीर मिश्रा सर ही बताएंगे.
मैने एक गलत फिल्म ‘जिया और जिया’ की थी. पर यह फिल्म तब की थी, जब मुझे केाई सही सलाह देने वाला नहीं था. मेरे माता पिता इस क्षेत्र से वाकिफ नही है, कि वह मुझे सावधान करते. अब एक फिल्म में आप मुझे व कलकी को डालेंगे और पूरी फिल्म विदेश में फिल्माएंगे, तो यह किसे पसंद आएगी. पर कई बार जब फिल्म प्रदर्शित होती है, तब पता चलता है कि कहां गलती हुई. फिल्म को सही ढंग से कागज से पर्दे पर नही उतारा गया. उसे ठीक से कार्यशील नहीं किया गया.
कलाकार की हैसियत से हमारे हाथ में बहुत कम होता है. हमारे मां बाप इस फिल्म उद्योग से नही हैं कि वह फोनकर हमसे कहें कि यह फिल्म मत करो, उलटे दूसरों के मां बाप हमें फोन करके धमकाते रहते हैं. यहां उल्लू बनाने वालों की कोई कमी नही है. मगर अब सब कुछ ठीक हो जाएगा. अब 8 दिसंबर को मेरी फिल्म ‘‘फुकरे रिटर्न’’ आने वाली है, जिसमें लोग एक बार फिर मुझे भोली पंजाबन के किरदार में देखेंगे और पसंद करेंगे.
फिल्म‘‘फुकरे रिटर्न’’की भोली पंजाबन में कुछ बदलाव आया है?
- इस बार भोली पंजाबन में काफी बदलाव है. इस बार उसके अंदर गुस्सा काफी है. पहली बार मुझे उसका दर्द समझ में आया. वह एक साल जेल में रह कर आयी है, जेल में उसे बहुत यातना दी गयी, तो उसके सारे लड़के तितर बितर हो चुके हैं, उसका साम्राज्य खत्म हो चुका है, उसके सारे धंधे बंद हो चुके हैं, जमीन बिक चुकी है, जेल से बाहर आने पर भोली पंजाबन अपने सारे लड़कों को ढूंढ़़ती है, उन्हे धमकाती है कि अब सिर्फ मेरा काम करोगे, नहीं से तुम लोगो की जान नहीं बचेगी. इस बार वह कुछ कमजोर भी है. साम्राज्य छिन चुका है, उसके सारे आदमी उसे छोड़ चुके हैं. सिर्फ दो तीन बहुत समर्पित लोग ही बचे हैं. इस वजह से वह काफी परेशान भी है. पर काफी रोचकता है.
2018 से आपको काफी उम्मीदे हैं?
- जी हां! इसकी वजहे हैं, 2018 की शुरूआत में ही मेरी दो फिल्में ‘और देवदास’ तथा ‘लव सोनिया’ प्रदर्शित होंगी. इन दोनों ही फिल्मों का सब्जेक्ट काफी अच्छा है. इनके निर्देशक बहुत अच्छे हैं. दोनो फिल्मो को उनके निर्देशकों ने बड़ी इमानदारी के साथ बनाया है. मेरी राय में सुधीर मिश्रा के साथ हर कलाकार को कम से कम एक बार अवश्य काम करना चाहिए.
वह अपने आप मे एक स्कूल हैं, फिल्म उद्योग जितनी जल्दी उन्हे पहचान ले, उतना ही अच्छा होगा. इसके अलावा मैने एक्सेल इंटरटेनमेंट के साथ एक अति बेहतरीन फिल्म की है, जो कि 2018 की पहली छमाही में ही प्रदर्शित होगी. तो मुझे सब कुछ बहुत अच्छा व सुनहरा नजर आ रहा है. फिर वेब सीरीज ‘इनसाइड एज’ का दूसरा सीजन भी आने वाला है.
एक्सेल इंटरटेनमेंट वालों से आपके काफी अच्छी ट्यूनिंग हो गयी. आपने ‘फुकरे‘, ‘फुकरे रिटर्न’ के अलावा उनके साथ वेब सीरीज ‘‘इनसाइड एज’’ भी की. अब आप ‘इनसाइड एज’ का दूसरा सीजन भी करने जा रही हैं?
- मुझे एक्सेल इंटरटेनमेंट वालो के साथ काम करना काफी अच्छा लगता है. इसकी कुछ वजहें हैं. सबसे पहली वजह यह है कि वह कलाकारों की काफी इज्जत करते हैं. कलाकार और उसकी कला की कद्र करते है. उनकी फिल्म में बड़ा कलाकार हो, फिर भी अच्छा और हमारे योग्य किरदार होने पर वह हमें याद करते हैं. नए कलाकारों का भी सम्मान देते हैं, उन्हे अच्छे किरदार निभाने का अवसर देते हैं. मसलन- शशांक अरोड़ा और विक्रांत मैसी, यह दोनो काफी नए हैं, पर उन्होंने इनके साथ भी हमारी ही तरह अच्छा व्यवहार किया.
नए होने के कारण उन्हे अनदेखा नहीं किया. इनके किरदार भी महत्वपूर्ण है. वह कलाकारों को काफी पैंमपर्ड भी करते हैं. फिल्म के साथ साथ उससे जुड़े कलाकारों को भी प्रमोट करते हैं. वह अपने कलाकारों के लिए दूसरे से लड़़ जाते हैं. खुद नही खाएगे, पर पहले अपने कलाकारों को खिलाते हैं. वह कलाकार को इज्जत से रखते हैं. फिल्म सफल हो जाए, तो पार्टी देते है. कलाकारों को घुमाते भी हैं. इसी के चलते हर कलाकार एक्सेल इंटरटेनमेट के साथ काम करना पसंद करता है. मैं पंजाबी हूं, मुझे लगता है कि मेरे घर आया हुआ इंसान भूखा न जाए, यही उनका भी एटीट्यूड है. इससे भी बढ़कर बात यह है कि जब मैं एक्सेल के सेट पर होती हूं, तो मुझे इस बात का अहसास नही होता कि मै लड़की हूं और कोई भी पुरूष मुझे गलत नजर से देख रहा है. वहां मुझे अपनी इज्जत नजर आती है. यह कल्चर फरहान अख्तर, शबाना आजमी, जावेद अख्तर, रितेश सिद्धवानी में कूट कूट कर भरा हुआ है. वह कलाकार को प्यार करते हैं. उन्हे कला की कद्र है. अच्छे दिमाग की अच्छी सोच की वह कद्र करते हैं. कल्चर वाले संस्कारी लोग हैं.
आपने कहा कि आपको यह अहसास नहीं होता कि आप लड़की है,जब आप एक्सेल के साथ काम करती है. इसकी कोई खास वजह?
- एक्सेल में जो माहौल है और वह अपने कलाकार का जिस तरह से ख्याल रखते हैं, वैसा तो मैने मीडिया या किसी अन्य क्षेत्र के आफिसों में भी नहीं देखा. मैं आपको वेब सीरीज ‘इनसाइड एज’ के सेट का वाकिया बताना चाहूंगी. इस वेब सीरीज में एक लड़का मेकअप आर्टिस्ट की हैसियत से काम कर रहा था. उसने लगभग पूरी वेब सीरीज की शूटिंग की पर अंतिम दिनों मे एक लड़की ने शिकायत की कि उस लड़के ने उसे हाथ लगा दिया. मैं इस घटना की सत्यता को नहीं जानती. वैसे भी वह लड़का गे था, पर फरहान अख्तर ने तुरंत उस मेकअप आर्टिस्ट को न सिर्फ सेट से बाहर किया, बल्कि उसकी बकाया राशि भी नही दी. तो फरहान अख्तर व रितेश सिद्धवानी यह लोग अपने आफिस में, सेट पर औरतों की पूरी इज्जत हो, इसका खास ख्याल रखते हैं. इसलिए मैं हमेशा उनके साथ काम करने को तैयार रहती हूं. फिर एक्सेल ने ‘लक्ष्य’, ‘दिल चाहता है’ सहित कई अच्छी फिल्मो का ही निर्माण किया है.
लेखन के क्षेत्र में कुछ हो रहा है?
- जी हां! एक फिल्म की पटकथा लिख रही हूं. यह फीचर फिल्म होगी. कोशिश होगी कि इसका निर्माण भी मैं ही करुं. मैने कुछ दिन पहले पंजाबी में एक लघु फिल्म का निर्माण कर फिल्म निर्माण के अनुभव हासिल किए हैं. मैं एक किताब भी लिख रही हूं. इसके सब्जेक्ट पर बाद में बात करना चाहूंगी.