इसी साल 17 मई की सुबह के करीब साढ़े 7, पौने 8 बजे का समय रहा होगा, जब जयपुर की जगदंबा विहार कालोनी में सिविल इंजीनियर अमित नायर के घर के बाहर एक होंडा अमेज कार आ कर रुकी. कार से 4 लोग उतरे, जिन में एक महिला भी थी. उन में से एक आदमी कार के पास खड़ा हो गया तो बाकी महिला समेत 3 लोग घर के सामने जा कर खड़े हो गए.

उन में से अधेड़ उम्र के एक आदमी ने आगे बढ़ कर घर की डोरबेल बजाई. डोरबेल की आवाज सुन कर अमित नायर की पत्नी ममता ने गेट खोला. गेट के बाहर पापामम्मी को देख कर वह खुशी से फूली नहीं समाई. वह शिकायत भरे लहजे में पापा से लिपट कर बोली, ‘‘पापा, बेटीदामाद की याद नहीं आई क्या, जो इतने दिनों बाद आज आए हो?’’

ममता जिस आदमी से लिपटी थी, वह उस के पिता थे. उन का नाम जीवनराम था. उन्होंने बेटी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘ऐसी बात नहीं है बेटी. आखिर हम तेरे मांबाप हैं. तूने भले ही अपनी मनमरजी कर ली है, लेकिन हम तुझे कैसे भूल सकते हैं.’’

‘‘पापा, आप लोग बाहर ही खड़े रहेंगे या घर के अंदर भी आएंगे?’’ ममता ने नाराजगी भरे स्वर में कहा, ‘‘मम्मी, आप क्यों चुपचाप खड़ी हैं?’’

‘‘बेटी, आज हम सब तुम से ही मिलने आए हैं.’’ मां भगवानी देवी ने कहा.

‘‘पापा, ये आप के साथ कौन लोग हैं, मैं इन्हें नहीं जानती?’’ ममता ने शंका भरे लहजे में पूछा.

जीवनराम ने ममता को भरोसा दिलाया, ‘‘बेटी, ये हमारे जानकार हैं. हम साथसाथ कहीं जा रहे थे. सोचा, बेटी का घर रास्ते में है तो उस से मिलते चलें. इसी बहाने आपसी गिलेशिकवे भी दूर हो जाएंगे.’’

‘‘आओ, अंदर आ जाओ.’’ ममता ने मम्मीपापा व उन के साथ आए लोगों से कहा, ‘‘आप सब चायनाश्ता कर के जाना.’’

ममता के कहने पर जीवनराम, उन की पत्नी भगवानी देवी और उन के साथ आया वह आदमी ममता के साथ घर के अंदर जा कर ड्राइंगरूम में पड़े सोफे पर बैठ गए.

हालांकि सुबह का समय था, लेकिन सूरज की तपन से गरमी बढ़ने लगी थी. इसलिए ममता ने ड्राइंगरूम का एसी औन कर दिया. इस के बाद फ्रिज से पानी की बोतल निकाली और 3 गिलासों में पानी डाला. तीनों गिलास एक ट्रे में रख कर वह ड्राइंगरूम में पहुंची और मम्मीपापा व उन के साथ आए व्यक्ति को एकएक गिलास दे दिया. तीनों ने पानी पिया.

पानी पीने के बाद जीवनराम ने पूछा, ‘‘बेटी, दामादजी नजर नहीं आ रहे, वह कहां हैं?’’

‘‘पापा, वह अभी सो रहे हैं. वह थोड़ा देर से उठते हैं, लेकिन आप आए हैं तो मैं उन्हें उठाए देती हूं.’’ ममता ने हंसते हुए कहा.

‘‘ठीक है बेटी, दामादजी को जगा दो, उन से भी गिलेशिकवे दूर कर लें.’’ जीवनराम ने लंबी सांस ले कर कहा.

पापा के कहने पर ममता बैडरूम में गई और पति अमित को जगा कर बोली, ‘‘मम्मीपापा आए हैं, आपसी गिलेशिकवे दूर करना चाहते हैं.’’

ममता के पापामम्मी के आने की बात सुन कर अमित हैरान रह गया. वह जल्दी से उठा और वाशबेसिन पर जा कर मुंह धोया. तौलिए से मुंह पोंछते हुए वह ड्राइंगरूम में पहुंचा और ममता के मम्मीपापा को हाथ जोड़ कर नमस्कार कर के बोला, ‘‘पापाजी, आज आप को हमारी याद कैसे आ गई?’’

‘‘बेटा, ऐसी कोई बात नहीं है.’’ जीवनराम ने कहा, ‘‘तुम से शादी करने के बाद ममता तो हमें भूल ही गई. उसे हमारे साथ भेज दो तो कुछ दिन हमारे साथ रह लेगी. वैसे भी वह प्रैग्नेंट है, इसलिए उसे आराम की जरूरत है.’’

अमित के जवाब देने से पहले ही ममता ने पिता की बात काट कर कहा, ‘‘पापा, मैं कहीं नहीं जाऊंगी. मुझे यहां किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं है.’’

अमित ने ममता की बात का समर्थन किया, ‘‘पापाजी, ममता आप के साथ नहीं जाना चाहती, इस का कहीं जाने का मन नहीं है.’’

ममता और अमित की बातें सुन कर जीवनराम गुस्से से उबल पड़े, लेकिन उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर नहीं होने दिया. उन्होंने अपने साथ आए युवक को इशारा किया. इशारा मिलते ही उस ने पिस्तौल निकाली और अमित पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाने लगा. कई गोलियां लगने से अमित ड्राइंगरूम में ही फर्श पर गिर पड़ा. उस के सीने, गरदन और पैर में 4 गोलियां लगीं.

अमित के गिरते ही ममता चीखने लगी. जीवनराम और उस की पत्नी ममता के बाल पकड़ कर घसीटते हुए जबरन अपने साथ ले जाने लगे, लेकिन तब तक गोलियों की आवाज और ममता की चीखें सुन कर अंदर से अमित की मां रमा देवी आ गई थीं. कुछ पड़ोसी भी आ गए थे. कार के पास खड़े व्यक्ति ने गोलियों की आवाज सुन कर कार स्टार्ट कर दी थी. जीवनराम, भगवानी देवी और उन के साथ आया युवक बाहर खड़ी कार में बैठ कर फरार हो गए.

दिनदहाड़े घर में घुस कर अमित नायर की हत्या किए जाने से कालोनी में हड़कंप मच गया. आसपास के लोग अमित के मकान पर एकत्र हो गए. पुलिस को सूचना दी गई तो पुलिस ने वायरलैस पर सूचना दे कर नाकेबंदी करा दी. पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए. घटनास्थल पर पूछताछ में जो बातें सामने आईं, उस से साफ हो गया कि यह औनर किलिंग का मामला था.

अमित की हत्या उस के सासससुर ने अपने साथ लाए भाड़े के शूटर से कराई थी. मातापिता ने ही अपनी बेटी की मांग उजाड़ दी थी.

आमतौर पर औनर किलिंग के ज्यादातर मामले हरियाणा के जाट समुदाय में सामने आए हैं. राजस्थान में हरियाणा से सटे इलाकों में ऐसी कुछ घटनाएं हुई हैं, लेकिन राजधानी जयपुर में औनर किलिंग की संभवत: इस पहली घटना ने पुलिस अधिकारियों को झकझोर दिया था.

रमा देवी ने उसी दिन थाना करणी विहार में अपने बेटे अमित के सासससुर व 2 अन्य लोगों के खिलाफ घर पर आ कर अमित की गोली मार कर हत्या करने व बहू ममता को जबरन ले जाने का प्रयास करने की रिपोर्ट दर्ज करा दी. पुलिस ने यह मामला भारतीय दंड विधान की धारा 453, 302 व 120बी के अंतर्गत दर्ज किया.

पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (प्रथम) प्रफुल्ल कुमार, पुलिस उपायुक्त जयपुर (पश्चिम) अशोक कुमार गुप्ता, पुलिस उपायुक्त (अपराध) विकास पाठक के निर्देशन में कई पुलिस टीमों का गठन किया. इन टीमों में अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त जयपुर (पश्चिम) रतन सिंह, सहायक पुलिस आयुक्त वैशालीनगर रामअवतार सोनी, करणी विहार थानाप्रभारी महावीर सिंह, चौमूं थानाप्रभारी जितेंद्र सिंह सोलंकी, हरमाड़ा थानाप्रभारी लखन सिंह खटाना, भांकरोटा थानाप्रभारी हेमेंद्र कुमार शर्मा, सेज थानाप्रभारी गयासुद्दीन, झोटवाड़ा थानाप्रभारी गुर भूपेंद्र सिंह, वैशालीनगर थानाप्रभारी भोपाल सिंह भाटी और यातायात पुलिस इंसपेक्टर निहाल सिंह को शामिल किया गया.

इन के अलावा एफएसएल, एमओबी शाखा व साइबर सेल की सहायता से अमित नायर हत्याकांड की जांच शुरू कर के अभियुक्तों की तलाश शुरू कर दी गई. दूसरे दिन पुलिस ने शूटर का स्कैच बनवा कर जारी कर दिया.

पुलिस को अमित के सासससुर और रिश्तेदारों के नामपते पता चल गए थे. अमित के ससुर जीवनराम जाट मूलरूप से सीकर जिले के थाना लोसल के गांव मोरडूंगा के रहने वाले थे. फिलहाल वह जयपुर के वैशालीनगर में झारखंड मोड़ स्थित गणेश कालोनी में रह रहे थे.

पुलिस को शूटरों का पता जीवनराम से ही मिल सकता था, साथ ही अमित की हत्या का कारण भी उन के पकड़ में आने के बाद ही पता चल सकता था. इसलिए पुलिस ने जीवनराम को गिरफ्तार करने के लिए जयपुर, सीकर, लोसल, नागौर जिले में डीडवाना, कुचामन, लाडनूं, जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, दिल्ली व हरियाणा में स्थित उस के घर वालों तथा रिश्तेदारों के यहां कई जगहों पर दबिश दी.

जांच के दौरान पुलिस को नागौर जिले के डीडवाना कस्बे में वह कार मिल गई, जिस में अमित की हत्या के आरोपी उस के घर आए थे. पुलिस को पता चला कि जीवनराम का बेटा मुकेश डीडवाना में ही रहता है. वह रेलवे में जेईएन है. जांच में पता चला कि अमित की हत्या से पहले और बाद में मुकेश लगातार मातापिता के संपर्क में था.

पुलिस ने अमित की हत्या की साजिश के आरोप में 19 मई को मुकेश को गिरफ्तार कर लिया. मुकेश ने पूछताछ में बताया कि अमित की हत्या के बाद मां भगवानी देवी व पिता जीवनराम जयपुर से सीधे डीडवाना आए थे. वे दोनों करीब 10 मिनट उस के पास रुके थे. इस दौरान जीवनराम ने मुकेश को बताया था कि अमित का काम तमाम कर दिया गया है. इस के बाद वे चले गए थे. पुलिस को मुकेश से पूछताछ में इस मामले में कुछ अहम जानकारियां मिलीं. इन जानकारियों के आधार पर पुलिस लगातार अभियुक्तों की तलाश में जुटी रही.

लगातार प्रयास के बाद पुलिस ने आखिर 24 मई को 4 आरोपियों जीवनराम, उस की पत्नी भगवानी देवी के अलावा उन के ही गांव मोरडूंगा के रहने वाले भगवानाराम जाट तथा नागौर जिले के मौलासर थाना के गांव कीचक निवासी रवि उर्फ रविंद्र शेखावत को गिरफ्तार कर लिया.

इन में मोरडूंगा निवासी भगवानाराम जाट पंचायत समिति का पूर्व सदस्य था. रवि उर्फ रविंद्र शेखावत शूटर था. उस ने इस घटना से करीब 6 महीने पहले 3 लाख रुपए में अमित की हत्या की सुपारी ली थी. पुलिस ने जीवनराम को हरियाणा के कैथल, भगवानी देवी और पूर्व पंचायत समिति सदस्य भगवानाराम जाट को सीकर तथा रवि उर्फ रविंद्र शेखावत को जयपुर से पकड़ा था.

आरोपियों से पूछताछ में पुलिस को अमित की हत्या करने वाले शूटरों का पता चल गया था. पूछताछ में जीवनराम ने पुलिस को बताया था कि भाड़े के 2 शूटरों विनोद गोरा तथा रामदेवलाल ने गोलियां चला कर अमित को मौत की नींद सुलाया था. ये दोनों शूटर भी जीवनराम के साथ ही कार से फरार हो गए थे.

बाद में दोनों शूटर जीवनराम से अलग हो कर गुजरात के शहर सूरत चले गए थे. यह सूचना मिलने पर जयपुर पुलिस की 2 टीमें शूटरों की तलाश में सूरत गईं, लेकिन तब तक वे दोनों सूरत से मुंबई चले गए थे. जयपुर पुलिस मुंबई पहुंची तो पता चला कि दोनों शूटर गोवा चले गए हैं.

जयपुर पुलिस की टीमें शूटरों का लगातार पीछा कर रही थीं. जयपुर पुलिस के गोवा पहुंचने से पहले ही वे वहां से भी चले गए थे. दोनों शूटरों का पीछा करते हुए जयपुर पुलिस राजस्थान के नागौर आ गई. नागौर जिले के कुचामन सिटी की कृष्णा कालोनी के एक मकान में दोनों शूटरों के होने की सूचना पर पुलिस ने 5 जून को देर रात दबिश दी.

दबिश में विनोद गोरा पकड़ा गया, जबकि रामदेवलाल नहीं मिला. पता चला कि वह कुचामन से उसी दिन विनोद गोरा से अलग हो गया था. लाडनूं निवासी गिरफ्तार शूटर विनोद गोरा ने पुलिस को बताया कि जीवनराम ने अमित को मारने के लिए उसे व रामदेवलाल को 2 लाख रुपए की सुपारी दी थी. वारदात के दौरान विनोद गोरा अमित के घर के बाहर हथियार ले कर खड़ा था, जबकि रामदेवलाल घर के अंदर गया था.

दोनों शूटरों ने तय किया था कि घर के अंदर अगर रामदेवलाल किसी कारण से अमित की हत्या में सफल नहीं हो पाता तो विनोद उस की मदद करेगा. अमित की हत्या के बाद जीवनराम ने दोनों शूटरों को 50 हजार रुपए दिए थे.

गिरफ्तार आरोपियों व अमित की पत्नी ममता से पूछताछ के बाद औनर किलिंग के नाम पर अमित की हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह जीवनराम जाट और उस के परिवार की झूठी आनबानशान और इज्जत का दिखावा मात्र थी.

सीकर जिले के थाना लोसल के गांव मोरडूंगा का रहने वाला जीवनराम जाट सेना में नौकरी करता था. वह सेना की 221 मीडियम आर्टिलरी से सन 2000 में रिटायर हुआ था. इस के बाद वह परिवार के साथ जयपुर में रहने लगा था. उस के परिवार में पत्नी भगवानी देवी के अलावा बेटा मुकेश और बेटी ममता थी. सेना से रिटायर होने के बाद वह नेशनल इंश्योरेंस कंपनी में ड्राइवर हो गया था.

दूसरी ओर अमित नायर के पिता राघवन सोमन मूलरूप से केरल के रहने वाले थे. वह जयपुर में ए श्रेणी के ठेकेदार थे. अमित की मां रमादेवी जयपुर से नर्स के पद से रिटायर हुई थीं. राघवन का करीब ढाई-3 साल पहले निधन हो गया था.

उस समय ममता और अमित के परिवार जयपुर के वैशालीनगर में आसपास रहते थे. दोनों परिवारों में अच्छा परिचय था. जीवनराम का बेटा मुकेश और अमित नायर जयपुर के केंद्रीय विद्यालय संख्या-4 में साथसाथ पढ़ते थे. वहीं दोनों की आपस में दोस्ती हो गई थी. जीवनराम की बेटी ममता जयपुर के ही केंद्रीय विद्यालय संख्या-2 में पढ़ती थी.

बाद में अमित ने जयपुर के ज्योतिराव फुले कालेज से बीटेक की पढ़ाई पूरी की. ममता ने मोदी इंस्टीट्यूट लक्ष्मणगढ़ से एलएलबी की पढ़ाई की और मुकेश ने पूर्णिमा कालेज से बीटेक किया.

आसपास रहने और केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई करने के दौरान ही अमित का अपने सहपाठी मुकेश की बहन ममता से परिचय हुआ. कालेज स्तर की पढ़ाई के दौरान उन का यह परिचय प्यार में बदल गया. हालांकि दोनों अलगअलग कालेजों में पढ़ते थे, लेकिन प्यार की पींगें बढ़ाने के लिए वे समय निकाल ही लेते थे.

ममता ने अपने प्यार की भनक घर वालों को नहीं लगने दी. जब ममता और अमित का प्यार परवान चढ़ने लगा तो दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. लेकिन इस में परेशानी यह थी कि दोनों अलगअलग जाति से थे. ममता जहां जाट परिवार की बेटी थी, वहीं अमित दक्षिण भारतीय था.

ममता को अच्छी तरह पता था कि उस के घर वाले अमित और उस की शादी को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. जातिसमाज के बंधनों को देखते हुए अमित और ममता ने सन 2011 में आर्यसमाज मंदिर में शादी कर ली, लेकिन इस शादी का अपने परिवार वालों को पता नहीं लगने दिया. भले ही उन दोनों ने शादी कर ली थी, लेकिन वे अपनेअपने घरों पर अलगअलग ही रहते थे.

सन 2015 में जब ममता की एलएलबी की पढ़ाई पूरी हो गई तो अमित व ममता ने अपनी शादी परिवार और समाज में जाहिर करने का फैसला कर लिया. एक दिन ममता ने अमित से अपनी शादी की बात अपने मातापिता को बता दी और उन की इच्छा के खिलाफ उसी दिन घर छोड़ कर अमित के साथ रहने चली गई. तब तक अमित का परिवार करणी विहार में जा कर रहने लगा था.

बेटी का इस तरह दूसरी जाति के युवक से शादी करना जीवनराम, उस की पत्नी और बेटे मुकेश को अच्छा नहीं लगा. उन्हें इस बात पर ज्यादा गुस्सा था कि ममता ने बिना बताए शादी कर ली थी. मुकेश इस बात से ज्यादा खफा था कि उस के साथ पढ़ने और पड़ोस में रहने वाले दोस्त अमित ने उस की बहन से ही शादी कर के दोस्ती में दगा किया था.

ममता अपने पति अमित के साथ हंसीखुशी वैवाहिक जीवन गुजारने लगी. अमित प्रौपर्टी व कंस्ट्रक्शन का काम करता था. इस बीच ममता के मातापिता व भाई लगातार उस पर दबाव डालते रहे कि वह अमित से संबंध तोड़ ले. उन्होंने कई बार ममता को अपने साथ ले जाने की कोशिश की, लेकिन वे इस में सफल नहीं हुए. अमित की शिकायत पर पुलिस ने वारदात से करीब 8 महीने पहले ममता के मातापिता व भाई पर पाबंदी भी लगा दी थी कि वे अमित के घर न जाएं.

ममता इसी साल जनवरी में गर्भवती हो गई थी. इसी वजह से कुछ महीनों से उस की अपनी मां से बातचीत होती रहती थी. करीब 3 महीने से बीचबीच में ममता के मातापिता उस से मिलने आते रहते थे. इस से अमित व ममता को लगने लगा था कि अब सब ठीक हो गया है. ममता अपने मांबाप के मंसूबों का अंदाजा नहीं लगा पाई थी.

दूसरी तरफ जीवनराम और उस का परिवार अमित नायर को अपना सब से बड़ा दुश्मन मान रहा था. वे उसे रास्ते से हटाने की योजना में लगे हुए थे. जीवनराम ने अपने गांव मोरडूंगा के रहने वाले पुराने दोस्त पूर्व पंचायत समिति सदस्य भगवानाराम जाट को अपनी परेशानी बताई. भगवानाराम ने अमित को ममता के रास्ते से हटाने के लिए जीवनराम को रवि उर्फ रविंद्र शेखावत से मिलवाया.

रवि ने 3 लाख रुपए में अमित की हत्या करने की सुपारी ले ली. योजना के तहत जीवनराम और भगवानाराम ने रवि के साथ मिल अमित की रेकी कर उस की हत्या का मौका तलाशने लगे. इसी बीच जीवनराम और उस के घर वालों ने भगवानाराम के साथ मिल कर भाड़े के 2 अन्य शूटरों रामदेवलाल और विनोद गोरा को 2 लाख रुपए में अमित की हत्या करने के लिए तैयार कर लिया.

योजनाबद्ध तरीके से जीवनराम, उस की पत्नी भगवानी देवी और किराए के दोनों शूटर रामदेवलाल व विनोद गोरा होंडा अमेज कार आरजे14सीएक्स 0313 से 17 मई की सुबह साढ़े 7 से पौने 8 बजे के बीच जगदंबा विहार में मकान नंबर सी-493 पर बेटीदामाद के घर पहुंचे. वहां एक शूटर विनोद गोरा कार के पास बाहर खड़ा रहा, जबकि जीवनराम, भगवानी देवी और रामदेवलाल घर के अंदर चले गए.

घर के अंदर जीवनराम ने अमित को बुलवाया और ममता को साथ ले जाने की बात कही. लेकिन ममता के इनकार कर देने पर जीवनराम को गुस्सा आ गया. उन्होंने शूटर से अमित पर गोलियां चलवा कर उस की हत्या करा दी. इस के बाद उन्होंने ममता को जबरन ले जाने का प्रयास किया, लेकिन अमित की मां व पड़ोसियों के आ जाने से वे अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सके और कार में बैठ कर भाग गए.

पूछताछ में पता चला कि जीवनराम, उस की पत्नी भगवानी देवी और दोनों शूटर वारदात के बाद जयपुर से निकले तो बगरू के पास दोनों शूटरों को उतार दिया. इस के बाद जीवनराम व उस की पत्नी भगवानी देवी सीधे डीडवाना पहुंचे, जहां वे रेलवे में नौकरी करने वाले अपने बेटे मुकेश से मिले. उन्होंने उसे अमित का काम तमाम करने के बारे में बताया और अपनी कार वहीं छोड़ कर आगे बढ़ गए.

दोनों डीडवाना से नागौर, फलौदी, रामदेवरा हो कर सूरतगढ़ पहुंचे. सूरतगढ़ से जीवनराम ने पत्नी भगवानी देवी को बस में बैठा कर सीकर भेज दिया. इस के बाद जीवनराम बीकानेर, हिसार हो कर कैथल पहुंच गया.

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि व्यापक जांच के बाद अमित हत्याकांड में 7 लोगों की संलिप्तता सामने आई है. इन में से 6 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया है. वारदात में इस्तेमाल कार भी बरामद कर ली गई है. कथा लिखे जाने तक पुलिस शूटर रामदेवलाल की तलाश कर रही थी.

इस मामले में गिरफ्तार जीवनराम ने पुलिस को बताया कि अमित ने ममता को पहले धर्मबहन बनाया. वह रक्षाबंधन पर उस से राखी भी बंधवाता रहा. इस के बाद अपने प्यार में फांस कर उस से शादी कर ली. उस की शादी का पता चलते ही हम ने अमित को ठिकाने लगाने की ठान ली थी.

वारदात के कुछ दिनों बाद तक ममता के परिवार की सुरक्षा के लिए उस के घर के बाहर पुलिस तैनात रही. ममता की याचिका पर हाईकोर्ट ने भी पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है कि ममता और उस के घर वालों के अलावा गवाह पड़ोसियों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए.

बहरहाल, अमित की हत्या करवा कर जीवनराम और परिवार ने सीने में सुलग रही आग भले ही ठंडी कर ली हो, लेकिन जातिबिरादरी में शर्मिंदगी की आड़ ले कर ऐसा कृत्य करने वालों को कोई भी सभ्य समाज स्वीकार नहीं करता. जीवनराम ने बेटी का सुहाग उजाड़ कर भगवानी देवी की ममता का भी गला घोंट दिया. ममता का गर्भस्थ शिशु संभवत: सितंबर में जन्म लेगा तो उस मासूम को पिता का प्यार नहीं मिल पाएगा.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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