वाराणसी इलाहाबाद नैशनल हाईवे पर मोहनसराय से तकरीबन एक किलोमीटर दूर एक गांव बसंतपट्टी है. पहले इस गांव को कम ही लोग जानते थे, लेकिन 21 मई, 2017 को हुई एक घटना ने इस गांव को सुर्खियों में ला दिया. इन सुर्खियों की वजह इस गांव की एक बेटी है, जिस के बहादुरी भरे फैसले से गांव के लोग खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं.

हुआ यह कि इस गांव के एक बाशिंदे छुन्ना चौहान की बड़ी बेटी बबीता की शादी 21 मई को होने वाली थी. बरात मीरजापुर जिले के देहात कोतवाली थाना क्षेत्र के तहत धौरूपुर गांव के रहने वाले जागरण चौहान से तय हुई थी.

दरवाजे पर बरात आई, तो सभी घराती बरातियों के स्वागत में जुट गए थे.  द्वारचार के बाद जब दूल्हा स्टेज पर पहुंचा, तो उस की अजीब हरकतें देख दुलहन बनी बबीता थोड़ा असहज महसूस करने लगी, लेकिन दूल्हे की हरकतें जब हदें पार करने लगीं, तो वह तपाक से उठ खड़ी हुई और शादी से इनकार कर अपने कमरे में चली गई.

अचानक दुलहन के इस कठोर रूप को देख एकबारगी तो वहां मौजूद लोग दंग रह गए, लेकिन जब माजरा समझ में आया, तो बात बिगड़ गई.

दरअसल, बरातियों समेत खुद दूल्हे जागरण चौहान ने जम कर शराब पी रखी थी. जयमाल के दौरान वह लड़कियों से छेड़खानी करने लगा था. विरोध करने पर उस ने बबीता के साथ भी गलत बरताव किया. बस, इसी पर बबीता भड़क उठी और शादी से इनकार कर दिया.

हद तो तब हो गई, जब बबीता का फैसला सुनने के बाद दूल्हे और उस के दोस्तों ने उस की बहन को जबरदस्ती पकड़ कर स्टेज पर बिठा लिया. यह देख घराती पक्ष वाले भड़क उठे और नौबत मारपीट तक पहुंच गई. बरातियों ने स्टेज और मंडप तोड़ कर तहसनहस कर दिया.

इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह मामला शांत कराया. पंचायत करने के बाद भी बात न बनी, तो बरात को बैरंग ही लौटना पड़ा.

बबीता को अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं है, लेकिन एक बात की चिंता उसे बराबर सताए जा रही है. वह यह कि उसे और उस के परिवार को मोबाइल फोन से जानमाल के नुकसान की धमकियां मिल रही हैं. ये धमकियां कोई और नहीं, बल्कि जागरण चौहान द्वारा दी जा रही हैं, जो अपनी बरात वापस लौटने से खासा खफा है.

मेहनत मजदूरी कर के परिवार का खर्च चलाने वाले बबीता के पिता छुन्ना चौहान इन धमकियों से गहरे सदमे में हैं.

वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नितिन तिवारी कहते हैं, ‘‘मेरे संज्ञान में धमकी की ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है. अगर ऐसी बात है, तो जरूर कार्यवाही की जाएगी, चाहे वह कोई भी हो.’’

देखा जाए, तो हमारे समाज में आज भी बेटियों को अपने फैसले लेने की मनाही है. दुलहन सुशील हो, कुशल हो, पढ़ीलिखी हो, यह सभी चाहते हैं, लेकिन दूल्हे को चुनने में समझदारी नहीं दिखाई जाती. लड़का अच्छे घरपरिवार से है, बस इतना देख कर दुलहन को उस के मत्थे मढ़ दिया जाता है. कम ही मामलों में बेटियों की सलाह ली जाती है.

अब गाजीपुर की रेखा को ही देखें. जंगीपुर थाना क्षेत्र के शेखपुर गांव के बाशिंदे कमला बिंद की बेटी रेखा की 21 मई, 2017 को शादी थी. बरात गाजीपुर के ही नंदगंज थाना क्षेत्र के जाठपुर ढेलवा गांव से आ रही थी. तय समय पर दूल्हा सुनील जैसे ही बरात संग शेखपुर गांव पहुंचा, वैसे ही घरातियों ने बरातियों की खातिरदारी की.

सुबह जब विदाई होने को आई, तो गांव के रिवाज के मुताबिक दूल्हे को ‘पलगवनी’ के लिए घर में बुलाया गया. इस रस्म को पूरा करने के लिए दूल्हा जैसे ही घर में घुसा कि अचानक उसे मिरगी का दौरा पड़ने लगा, जिसे देखते ही वहां हड़कंप मच गया.

शोर सुन कर दुलहन बनी रेखा भी वहां आ गई और दूल्हे को इस रूप में देख उस ने साथ जाने से इनकार कर दिया. काफी मानमनौव्वल और कई दौर की पंचायत के बाद भी जब बात नहीं बनी, तो यह रिश्ता टूट गया.

दरअसल, शादी तय होने से पहले दूल्हे को मिरगी की बीमारी थी. इस बात को छिपाया गया था. रेखा के इस फैसले से तमाम औरतें और उस की सखीसहेलियां भी सहमत दिखीं, जिन के फैसले के आगे मर्दों की एक न चल सकी.

कुछ ऐसी ही घटना उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में जौनपुर जिले के केराकत कोतवाली के तहत हौदवां गांव की भी है. 1 मई, 2017 को बांसबारी गांव से बरात आई हुई थी.

जयमाल के बाद जब दूल्हा और दुलहन स्टेज पर बैठे, तो शराब की बदबू महसूस होने पर दुलहन को थोड़ा असहज लगा. यह बदबू दूल्हे की ओर से आ रही थी.

शादी की सभी रस्में पूरी होने के बाद जब विदाई से पहले कोहबर में दूल्हे को ले जाया गया, तो वहां भी उस के मुंह से शराब की बदबू आ रही थी. बस, फिर क्या था. दुलहन ने दूल्हे के साथ जाने से साफ इनकार कर दिया और उस फैसले के आगे सभी को झुकना पड़ा.

मीरजापुर की सामाजिक कार्यकर्ता व भाजपा महिला मोरचा की जिलाध्यक्ष सुषमा पांडेय कहती हैं, ‘‘बदलते

समय के साथ लड़कियां भी जागरूक हो रही हैं. वे आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, तो फैसले लेने में वे पीछे क्यों रहें?

‘‘महिला सशक्तीकरण के दौर में जब तक औरत नौकरी कर सकती है, कारोबार संभाल सकती है, गाड़ी वगैरह चला सकती है, तो वह भला अपनी शादी का फैसला क्यों नहीं ले सकती?

‘‘घर की दहलीज और घूंघट की ओट से बाहर निकल कर औरतें खुद की बदौलत अपने को मजबूत कर रही हैं.’’

हिम्मती बेटी को मिला कमलेश का साथ

बसंतपट्टी गांव की बहादुर बेटी बबीता की शादी टूट जाने के बाद उस के परिवार वालों को जहां बेटी के फैसले पर फख्र था, वहीं उन्हें बेटी के भविष्य की भी चिंता सताने लगी थी कि अब उस के हाथ कैसे पीले होंगे?

लेकिन चंद ही दिनों में बबीता के पिता के माथे से जहां बेटी की शादी को ले कर चिंता के उमड़घुमड़ रहे बादल छंट गए, वहीं उन लोगों की भी बोलती बंद हो गई, जो तरहतरह की चर्चाओं में समय काट रहे थे कि अब बबीता के हाथ कैसे पीले होंगे.

हुआ यह कि 21 मई, 2017 को बबीता की शादी टूटने और उस की बहादुरी के चर्चे अखबारों में पढ़नेसुनने के बाद पड़ोसी जनपद भदोही का ही एक नौजवान कमलेश चौहान बबीता से शादी करने को तैयार हो गया.

अपने घर वालों से बात करने के बाद वह 25 मई, 2017 को बाकायदा बरात ले कर बबीता के घर पहुंचा और उसे दुलहन बना कर अपने घर आ गया. उस के इस फैसले से जहां सभी खुश हैं, वहीं बबीता के बाद कमलेश के फैसले की भी खूब चर्चा हो रही है.

हाईस्कूल पास कमलेश सूरत में रह कर आटो मैकेनिक का काम करता है. नशे से पूरी तरह से परहेज करने वाला कमलेश बताता है, ‘‘मुझे बबीता को अपना कर खुशी हो रही है. बबीता न केवल बहादुर है, बल्कि सही फैसले लेने वाली है, तो भला ऐसी बहादुर लड़की को जीवनसंगिनी बनाने में मैं क्यों पीछे हटूं?’’

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...