उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जो धार्मिक नहीं वो स्वीकार नहीं की तर्ज पर चल रही है. यही वजह लगती है कि प्रदेश की सरकार पर्यटन से विकास तक में धर्म से जुडे शहरों को प्राथमिकता दे रही है. हद तो तब हो गई जब प्रदेश सरकार ने कहा कि कांवरियों के बीच अपवित्र माने जाने वाले गूलर के पेड की भी कटाई छंटाई कर दी जायेगी. वैसे तो गूलर का पेड अपवित्र क्यों है इस बात का जबाव प्रदेश सरकार के पास नहीं है. गूलर के पेड़ की कटाई छंटाई के बयान को लेकर शुरू हुई आलोचना के बाद प्रदेश सरकार ने कोई सफाई नहीं दी है. गूलर के पेड़ को अधार्मिक बताकर उसकी कटाई छंटाई के आदेश का विरोध पर्यावरण के समर्थक भी कर रहे हैं. धार्मिक प्रवृत्ति के लोग भी इसका कोई तर्क नहीं तलाश पा रहे हैं.
आयुर्वेद का समर्थन करने वाले गूलर के गुणों का महत्व बताते हैं. गूलर के फल का महत्व आम जनता के बीच ऐसा है कि इसके कच्चे फल से सब्जी और अचार बनता है तो पके हुये फल को खाया भी जाता है. केवल इंसान की नहीं चिडियां भी गूलर के फल से अपना भोजन तलाशते हैं. गांव में बड़ी संख्या में गूलर के पेड पाये जाते हैं. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने आदेश दिया है कि कांवरियों के मार्ग में पड़ने वाले गूलर के पेड को काट कर छोटा किया जायेगा क्योकि कांवर ले जाने वाले लोग गूलर को पवित्र नहीं मानते हैं. प्रदेश सरकार ने कांवर यात्रा को महत्व देते हुये लंबे चौडे आदेश जारी किये हैं जिससे कांवर यात्रा करने वालों को रास्ते में कहीं कोई परेशानी न हो.
प्रदेश सरकार ने जिस तरह से कांवर यात्रा को महत्व दिया है उससे लगता है कि कांवर यात्रा के समय केवल सरकार ही नहीं भाजपा का संगठन भी जगह जगह कांवर यात्रा के प्रचार प्रसार में लग जायेगा. उत्तर प्रदेश की सरकार ने अपने हर काम को धार्मिक महत्व से जोड़ना शुरू कर दिया है. पर्यटन विकास के लिये जो नीतियां बन रही हैं उसमें धार्मिक महत्व वाले शहरों का ही ध्यान रखा जा रहा है. अभी सरकार प्रदेश में शहरों के बीच हेलीकौप्टर से हवाई सेवा शुरू करने जा रही है. उसमें भी सबसे पहले 15 धार्मिक महत्व के शहरों का नाम लिया जा रहा है. असल में भाजपा ने धर्म को ही आगे रखकर उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है, जिससे अब उसके हर काम में धर्म के महत्व को अंडरलाइन करके दिखाया जा रहा है.