साल 2017. 31 जनवरी की सुबह. सूरज पूरी तरह नहीं निकला था. चारों ओर हलका अंधेरा था. तकरीबन 6 बजे राजरप्पा मंदिर का दरवाजा खुला. अपनेअपने हाथों में पूजा के थाल लिए लोग अंदर जाने लगे. एक नौजवान तड़के 5 बजे से ही मंदिर के बाहर खड़ा था. कुछ देर तक वह मंदिर के आसपास चक्कर लगाता रहा, उस के बाद पास की ही भैरवी नदी में नहाने लगा. नहाने के बाद वह नौजवान नए कपड़े पहन कर मंदिर के अंदर गया और काफी देर तक पूजापाठ करता रहा. उस के बाद उस ने 15 बार मंदिर के चक्कर लगाए, फिर वह धीमे कदमों से मंदिर से बाहर निकला और बलि वेदी के पास पहुंच गया. वहां जमीन पर बैठ कर वह कुछ देर तक इधरउधर देखता रहा.

इस दौरान उस ने कई बार अपने गले पर हाथ फेरा. उस के बाद मुख्य दरवाजे के पास बैठ कर उस ने धारदार हथियार से अपना गला रेत डाला. नतीजतन खून से लथपथ उस का जिस्म फर्श पर तड़पने लगा और कुछ पल में ही उस का जिस्म शांत पड़ गया. मंदिर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच के बाद मंदिर के प्रशासन और पुलिस को इस मामले की हकीकत का पता चला. झारखंड के राजरप्पा इलाके के छिन्नमस्तिका मंदिर में 31 जनवरी की सुबह एक नौजवान ने खुद की ही बलि चढ़ा दी. उस ने मंदिर की बलि वेदी के पास बैठ कर धारदार हथियार से अपना गला रेत लिया. फर्श पर खून ही खून नजर आ रहा था.

मंदिर में जमा लोगों के बीच अफरातफरी मच गई. मंदिर को तुरंत बंद कर दिया गया. राजरप्पा मंदिर में इस तरह की यह पहली वारदात हुई है. मंदिर में पशु बलि की प्रथा तो है, पर पहली बार किसी इनसान ने अपनी बलि दी. बलि देने वाले नौजवान की पहचान बिहार के बक्सर जिले के सिमरी ब्लौक के बलिहार गांव के संजय नट के तौर पर हुई है.

35 साला संजय नट सीआरपीएफ का जवान था. उस के पिता हृदय नट बिहार मिलिटरी पुलिस में सिपाही हैं. संजय नट की साल 2008 में सीआरपीएफ में बहाली हुई थी. फिलहाल वह ओडिशा के नौपाड़ा में सीआरपीएफ की 216 बटालियन में तैनात था. मंदिर के पुजारी ने पुलिस को खबर की और पुलिस ने मौके पर पहुंच कर लाश को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. संजय नट की पैंट की जेब से मोबाइल फोन निकाल कर उस के घर वालों को सूचना दी गई. संजय नट के परिवार और गांव वालों को यकीन ही नहीं हो रहा है कि उस ने खुदकुशी कर ली है.

संजय नट की बीवी शारदा देवी ने बताया कि फिलहाल उन्हें कोई टैंशन नहीं थी और वे काफी खुशमिजाज इनसान थे. कोई यह मानने को तैयार ही नहीं है कि संजय नट जैसा जांबाज और हंसमुख इनसान खुदकुशी जैसा कदम उठा सकता है. संजय नट के घर वाले इस के पीछे कोई बड़ी साजिश मान रहे हैं और सरकार से इस मामले की पूरी छानबीन करने की गुहार लगाई है. संजय नट की बीवी शारदा देवी ने बताया कि 15 जनवरी, 2017 को वे छुट्टी पर घर आए थे. 29 जनवरी को वे हंसतेमुसकराते ड्यूटी जौइन करने घर से निकले थे. उन्होंने फोन कर के बताया भी था कि ओडिशा पहुंच कर ड्यूटी जौइन कर ली है. पता नहीं, वे कैसे झारखंड के राजरप्पा के छिन्नमस्तिका मंदिर पहुंच गए

संजय नट की मां भगीरथी देवी कहती हैं कि संजय अपनी नौकरी और परिवार से पूरी तरह खुश था. उसे किसी बात की पीड़ा नहीं थी. उस ने खुदकुशी नहीं की है, बल्कि किसी ने उस की हत्या की है. इस की गहरी छानबीन करने की जरूरत है. संजय नट की बेटी ने पुलिस को अलग तरह का बयान दे कर मामले में नया मोड़ दे दिया है. उस ने बताया कि उस के पिता धार्मिक स्वभाव के थे. वे अकसर कहा करते थे कि उन के ऊपर देवी आती है. खास बात यह है कि संजय नट ने जिस तरह के हथियार से अपना गला रेता था, वैसा ही हथियार मंदिर की देवी के हाथ में है. संजय की बीवी, मांबाप और बाकी घर वाले इस तरह की किसी बात से इनकार कर रहे हैं. सभी एक ही बात कह रहे हैं कि संजय को कोई तनाव नहीं था और न ही वह किसी पोंगापंथी के चक्कर में फंसा हुआ था. वह हर तरह से खुशहाल जिंदगी गुजार रहा था.

राजरप्पा के थाना इंचार्ज अतिन कुमार ने बताया कि पहली नजर में तो मामला खुदकुशी का ही लग रहा है और मामले की पूरी जांच के बाद ही सचाई सामने आ सकेगी. इस बीच मंदिर के पुजारियों ने इसे  पोंगापंथी की शर्मनाक कारिस्तानी कह डाला. मंदिर के पुजारियों को इस बात से कोई लेनादेना नहीं था कि किसी की जान गई है, बल्कि वे तो मंदिर के अपवित्र होने से परेशान थे. उन्हें यह डर सताने लगा कि मंदिर में किसी इनसान की लाश मिलने से उन के हजारों भक्त कहीं बिदक नहीं जाएं. इस से उन की मोटी कमाई को धक्का लग सकता था. इस के लिए पुजारियों ने नई नौटंकी रच डाली. पुलिस जब मंदिर से संजय नट की लाश को उठा कर ले गई, तो मंदिर का शुद्धीकरण किया गया. पुजारियों ने 5 गायों के दूध, पांच द्रव्य और 5 नदियों के पानी से मंदिर को अच्छी तरह से धोया. इस में तकरीबन 3 घंटे लगे. साफसफाई के बाद ही मंदिर के मुख्य दरवाजे को खोला गया.

मंदिर की न्याय समिति के सचिव शुभाशीष पंडा ने बताया कि नौजवान का गला रेत कर अपनी जान देना पूरी तरह से खुदकुशी का मामला है और मंदिर का उस से कोई लेनादेना नहीं है. राजरप्पा झारखंड के रामगढ़ जिले में है. कहा जाता है कि राजरप्पा का यह देवी मंदिर तकरीबन 6 हजार साल पुराना है. वहां हमेशा अंधभक्तों की भीड़ लगी रहती है. वैसे, सैंट्रल कोलफील्ड की बड़ी परियोजना की वजह से भी राजरप्पा जाना जाता है. राजरप्पा मंदिर रामगढ़ से तकरीबन 28 किलोमीटर और रांची से 80 किलोमीटर दूर है.

इस मंदिर की सिक्योरिटी के लिए कोई खास इंतजाम नहीं है. मंदिर की सिक्योरिटी होमगार्ड के 4 जवानों के हाथ में है. साल 2010 में मंदिर में मूर्ति चोरी होने के बाद सिक्योरिटी का यह इंतजाम किया गया था. मंदिर में हमेशा सैकड़ों लोगों की भीड़ रहती है और होमगार्ड के 4 जवानों के बूते सिक्योरिटी मुमकिन नहीं है. मंदिर परिसर में कुल 16 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, जिन में से 4 खराब पाए गए हैं.

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