बिहार की राजधानी पटना के कोतवाली थाना इलाके के होटल गली में एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया. यह अपराध करने वाले भी 4 नाबालिग लड़के ही थे, जो 8वीं और 10वीं जमात के छात्र बताए गए.
पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि इंस्टाग्राम के जरीए पहले एक लड़के से उस लड़की ने दोस्ती की, फिर वह ग्रुप के सभी दोस्तों से जुड़ गई और सब से नजदीकियां भी बढ़ती चली गईं.
इसी बीच पीडि़ता ने बताया कि वह एक महीने पहले दीपनगर इलाके में बने एक आरोपी के घर पर पहुंची थी. इस के बाद ग्रुप के 3 दोस्तों के साथ बाईपास से सटे एक होटल में गई, जहां तीनों ने बारीबारी से रेप किया. लड़की ने होटल से निकलने के बाद अपने परिवार वालों को इस बारे में जानकारी दी.
पीडि़ता को सोशल मीडिया की दोस्ती भारी पड़ गई और उसे ऐसा दर्द मिला कि वह जिंदगीभर इस की टीस महसूस करती रहेगी. पर इस केस में यह अच्छा हुआ कि लड़की ने पूरे कांड की जानकारी अपने परिवार वालों को दे दी और आरोपी पकड़े गए.
बात सोशल मीडिया की हो रही है, तो इस प्लेटफार्म पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिस में एक स्कूली लड़के ने एक लड़की को सिर्फ इसलिए थप्पड़ मारा, क्योंकि लड़की ने उसे ‘नामर्द’ (छक्का) कहा था.
यहां रेपिस्ट के मनोविज्ञान को सम झना भी काफी अहम है, जो रेप करने से पहले या रेप के बाद पकड़े जाने पर क्या महसूस करते हैं या सोचते हैं.
आप को निर्भया कांड तो याद होगा. उस गैंगरेप में शामिल मुकेश सिंह का कहना था, ‘रेप के वक्त उसे (निर्भया को) विरोध नहीं करना चाहिए था. उसे चुपचाप रेप होने देना चाहिए था. अगर ऐसा होता तो हम बिना कोई नुकसान पहुंचाए उसे छोड़ देते.’
इस तरह के अपराध में शराब या ड्रग्स वगैरह का नशा भी रेपिस्ट को लड़की पर अपनी जोरआजमाइश का मानो लाइसैंस दे देता है. शराब और ड्रग्स का नशा इस सोच को और मजबूत बनाता है कि रेपिस्ट अपराध करने के बाद बच निकलेंगे.
रेपिस्ट का दावा भी रहता है कि लड़की के हावभाव, कपड़ों और माहौल ने उसे रेप करने के लिए उकसाया, जबकि वह तो बेकुसूर है. पर चूंकि अब पुलिस के पास ढेर सारी नई तकनीक आ गई हैं, तो रेपिस्ट का आसानी से अपराध कर के बच निकलना बड़ा मुश्किल हो गया है.
सोशल मीडिया पर लोगों के गुस्से से भी पुलिस पर यह दबाव रहता है कि वह केस की तह तक जाए और रेपिस्ट को कड़ी से कड़ी सजा मिले.
निर्भया कांड में 6 आरोपियों को सजा हुई थी. उन में से एक मुख्य आरोपी राम सिंह की लाश मार्च, 2013 में तिहाड़ जेल में मिली थी, बाकी 4 दूसरे बालिगों मुकेश सिंह, विनय शर्मा अक्षय ठाकुर और पवन गुप्ता को फांसी की सजा हुई थी.
इस अपराध का छठा कुसूरवार वारदात के समय 17 साल का था, इसलिए उस पर बतौर नाबालिग मुकदमा चलाया गया. 31 अगस्त, 2013 को उस नाबलिग को रेप और हत्या का कुसूरवार पाया गया और उसे एक बाल सुधारगृह में 3 साल के लिए भेज दिया गया. भारतीय कानून के तहत किसी भी नाबालिग को दी जाने वाली यह सजा की सब से ज्यादा मीआद है.
नाबालिग ऐसे अपराध क्यों करते हैं? मई, 2025 में उत्तर प्रदेश के अतरौली में कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में 5 साल की बच्ची के साथ रेप के आरोपी नाबालिग को पुलिस ने आगरा के बाल सुधारगृह भेज दिया था.
उस आरोपी ने बताया कि उस की मां नहीं हैं. पिता उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते, इसलिए वह आवारा होता चला गया.
वैसे तो इन बाल सुधारगृहों में नाबालिग रेपिस्टों को सुधारने के लिए काउंसिलिंग दी जाती है, पर जब घर के हालात ठीक न हों और ऐसे नाबालिगों को नशा करने और छोटेमोटे दूसरे अपराध करने की आदत पड़ जाती है या वे आवारा हो जाते हैं, तो उन का सुधरना नामुमकिन होता है.
बाल सुधारगृह भी जेल जैसे ही कड़े नियमों वाले होते हैं, इसलिए बहुत से बाल अपराधी वहां सुधरते नहीं हैं, बल्कि आदतन अपराधी बन जाते हैं और जुर्म के दलदल में फंस कर रह जाते हैं. Rape Case News