News Story: ‘आपरेशन सिंदूर’ के नाम पर भगवाधारी गैंग के मार्किट में मचाए गए उत्पात को अब अनामिका भुला चुकी थी. उस चांदनी रात में विजय और अनामिका ने छत पर खूब प्यार बरसाया था. तब बातोंबातों में अनामिका ने विजय से पूछा था, ‘‘तुम मेरे लिए क्या कर सकते हो?’’

‘‘अचानक से यह सवाल क्यों? तुम जानती हो कि मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं,’’ विजय ने अनामिका के बालों में हाथ फेरते हुए कहा.

‘‘कहने में और करने में बड़ा फर्क होता है जनाब. क्या मेरे लिए सरकार से भी पंगा सकते हो?’’ अनामिका बोली.

‘‘अब हम दोनों के बीच में सरकार कहां से आ गई?’’ विजय ने सवाल किया.

‘‘जैसे उस दिन मंजू आंटी और उन लफंगों के बीच मैं आ गई थी, जो देशभक्ति के नाम पर मार्किट में लूट मचा रहे थे,’’ अनामिका ने कहा.

‘‘तुम पहेलियां मत बुझाओ. जो बात है साफसाफ कहो,’’ विजय थोड़ा चिढ़ गया था.

‘‘समय आने पर सब पता चल जाएगा. ‘तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं’… अपनी इस बात पर कायम
रहना बस,’’ अनामिका थोड़ा सीरियस हो कर बोली.

इस बात को कुछ दिन बीत गए थे. एक शाम को अनामिका ने विजय को फोन किया, ‘‘अभी कहां हो?’’

‘घर पर. क्या हुआ? सब ठीक?’ विजय ने पूछा.

‘‘मेरे लिए कुछ भी करने का वक्त आ गया है. मैं थोड़ी देर में तुम्हारे घर आ रही हूं,’’ इतना कह कर अनामिका ने फोन काट दिया.

विजय को कुछ समझ नहीं आया. वह अनामिका के आने का इंतजार करने लगा.

‘‘किस का फोन था?’’ विजय की मम्मी ने पूछा.

विजय का ध्यान टूटा, तो वह बोला, ‘‘अनामिका का. बड़ी अजीब सी बात कर रही थी.’’

‘‘अजीब सी… क्या मतलब?’’ पापा ने विजय से पूछा.

‘‘बोल रही थी कि थोड़ी देर में घर आ रही है. पर पूरी बात नहीं बताई,’’ विजय ने कहा.

‘‘अरे, ऐसे ही बोल दिया होगा. काफी दिनों से आई नहीं है. शरारत कर रही होगी,’’ विजय की बहन सुधा
ने कहा.

‘‘दीदी, आप तो अनामिका को जानती हो न. अभी तो उस के मन में कुछ और ही चल रहा है,’’ विजय ने चिंतित हो कर कहा.

2 घंटे बाद अनामिका विजय के घर पर थी. उस के साथ एक लड़की थी, जिस के पास एक पुराना सा पिट्ठू बैग था.

सांवले रंग की उस लड़की के नैननक्श बड़े तीखे थे. उम्र होगी तकरीबन 20 साल. देह की मजबूत और दरमियाने कद की.

सब लोग ड्राइंगरूम में बैठे थे. बिना कुछ बोले. टेबल पर रखी चाय भी ठंडी हो रही थी. विजय अनामिका की ओर देख रहा था, मानो पूछ रहा हो कि यह लड़की कौन है और तुम ने इस का पहले कभी जिक्र क्यों नहीं किया?

इतने में विजय के पापा ने चुप्पी तोड़ी, ‘‘अरे भई, चाय ठंडी हो रही है. पीनी भी है या सिर्फ देख कर ही स्वाद लेना है… अनामिका बेटा, तुम कैसी हो? इस बच्ची से तो हमारा परिचय कराओ…’’

अनामिका मुसकराई और चाय का कप उठाते हुए बोली, ‘‘अंकल, यह चांदी है. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा इलाके के एक आदिवासी गांव में रहती है. मेरी एक सहेली की छोटी बहन है… मुझे आप सब की मदद चाहिए.’’

विजय और उस के परिवार वालों को सम?ा नहीं आ रहा था कि अनामिका क्या कहना चाहती है.
थोड़ी देर के बाद विजय ने पूछ ही लिया, ‘‘किस तरह की मदद?’’

‘‘आप लोगों को कुछ दिन के लिए चांदी को अपने घर पनाह देनी होगी. यह मेरे पास नहीं रह सकती. पर यहां एकदम महफूज रहेगी,’’ अनामिका बोली.

यह सुन कर सब को लगा कि मामला कुछ गड़बड़ है. विजय के पापा ने माहौल को हलका करते हुए कहा, ‘‘बिलकुल पनाह मिलेगी. पर यह मामला क्या है, वह तो हमें बताओ?’’

‘‘अंकल, चांदी नक्सली इलाके से है. आजकल सरकार नक्सलियों का सफाया कर रही है. यह भी सुरक्षाबलों की हिटलिस्ट में है. यह किसी तरह पहले रायपुर पहुंची और वहां से यहां दिल्ली आ गई. मैं इसे अपने पास नहीं रख सकती,’’ अनामिका ने कहा.

विजय समझ गया कि अनामिका उस रात को चांदी का ही जिक्र करना चाह रही थी. पर यह फैसला वह अकेला नहीं ले सकता था. उस ने अपने मम्मीपापा की तरफ देखा.

‘‘देखो अनामिका, हमें तुम पर पूरा भरोसा है. चांदी जितने दिन चाहे यहां रह सकती है. हम इस की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं,’’ विजय की मम्मी ने कहा.

‘‘पर आंटी, यह जिस जगह से आई है, इस पर खुफिया विभाग की नजर भी हो सकती है. फिर आप पासपड़ोस में क्या कहोगे कि यह कौन है?’’ अनामिका ने सवाल किया.

‘‘यहां इस का नाम बिंदिया होगा. जब भी कोई बाहर वाला इस से पूछेगा तो यह सिर्फ इतना कहेगी कि हमारे यहां मेड है. 24 घंटे हमारे साथ रहती है. बाकी हम संभाल लेंगे. इसे चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. कोई इस का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा,’’ विजय की बहन सुधा ने कहा.

इतना सुन कर चांदी के चेहरे पर हलकी सी मुसकान आ गई. उस ने अनामिका की तरफ देखा. अनामिका भी हंसने लगी.

‘‘हंस क्यों रही हो? हम ने कुछ गलत कह दिया क्या?’’ विजय के पापा बोले.

अनामिका से पहले चांदी ने कहा, ‘‘अंकल, आप लोगों ने जो फैसला लिया है, उस से मुझे बड़ी राहत मिली है. मैं जितने दिन यहां रहूंगी, आप सब की सेवा करूंगी. आप ने मुझे बिंदिया नाम दिया है, जो बहुत अच्छा है.

‘‘जहां तक मेरा बाल बांका होने की बात है, तो आप चिंता मत कीजिए. जब तक मैं यहां हूं, कोई आप का बाल बांका नहीं कर पाएगा. मैं ने कराटे की ट्रेनिंग ली हुई है और मुझे चाकू चलाने से ले कर बंदूक चलाना भी आता है,’’ चांदी ने कहा.

‘‘फिर तो तुम हम सब की बौडीगार्ड हो,’’ विजय ने इतना कहा, तो सब हंसने लगे.

‘‘अच्छा अंकल, अब मैं चलती हूं. बीचबीच में यहां आती रहूंगी. चांदी, इसे अपना ही घर समझो. बाहर वालों
से थोड़ा सतर्क रहना. ज्यादातर घर पर ही रहना,’’ अनामिका बोली.

‘‘ठीक है दीदी. मैं आप को कभी भी शर्मिंदा होने का मौका नहीं दूंगी,’’ चांदी ने कहा.

इस बात को एक हफ्ता बीत गया था. टैलीविजन पर नक्सलियों से जुड़ी खूब खबरें आ रही थीं. रात का खाना खा कर सब बातें कर रहे थे.

विजय के पापा ने चांदी से सवाल किया, ‘‘क्या वाकई सरकार नक्सलियों का सफाया कर देगी?’’

चांदी कुछ देर चुप रही, फिर बोली, ‘‘यह पूरा सच नहीं है. मामला बहुत ज्यादा पेचीदा है.’’

‘‘पर 21 मई को तो सरकार ने कई नक्सलियों का सफाया किया था और उन में से एक तो डेढ़ करोड़ के इनाम वाला खतरनाक नक्सली था. यह सब क्या मामला था?’’ विजय ने चांदी को कुरेदते हुए पूछा.

चांदी एक फीकी मुसकान के साथ बोली, ‘‘अच्छा तो तुम छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले वाले कांड की बात कर रहे हो…’’

‘‘हां, बताओ वहां क्या हुआ था?’’ विजय ने कहा.

‘‘खबरों के मुताबिक, अबूझमाड़ के जंगल में सुरक्षाबलों ने तथाकथित 27 नक्सलियों को मार गिराया था. मारे गए नक्सलियों में डेढ़ करोड़ का इनामी नक्सली बसवा राजू भी शामिल था. यह मुठभेड़ दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बीजापुर जिले की सरहद पर हुई थी.

‘‘पुलिस को सूचना मिली थी कि अबूझमाड़ के बोटेर इलाके में नक्सलियों का पोलित ब्यूरो सदस्य और नक्सल संगठन का महासचिव बसवा राजू मौजूद था. इसी आधार पर फोर्स को रवाना किया गया था. वहां पहुंचते ही जवानों पर नक्सलियों ने फायरिंग कर दी. सुरक्षाबलों के इस आपरेशन को प्रदेश के गृह मंत्री विजय शर्मा ने बड़ी कामयाबी बताया है.

‘‘इस के पहले पुलिस ने 7 दिन पहले ही प्रैस कौंफ्रैंस कर कर्रेगुट्टा आपरेशन की जानकारी दी थी. छत्तीसगढ़तेलंगाना बौर्डर पर कर्रेगुट्टा के पहाड़ों पर सुरक्षाबलों ने 24 दिनों तक चले एक आपरेशन में 31 नक्सलियों को मार गिराया था.

‘‘नक्सल सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में तकरीबन 40 सालों में हिडमा ही एकलौता ऐसा नक्सली है, जिसे संगठन की टौप-2 टीम (सैंट्रल कमेटी) में जगह मिली है. वह भी तब जब नक्सल संगठन में अंदरूनी
कलह चली और नक्सलियों को सिर्फ ढाल के रूप में इस्तेमाल करने की बात उठने लगी.

‘‘वहीं, डिविजनल कमेटी मैंबर के पद से देवा बारसे का प्रमोशन कर उसे दंडकारण्य स्पैशल जोनल कमेटी मैंबर के कैडर में शामिल कर कमांडर बनाया गया.

‘‘केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अगस्त, 2024 और दिसंबर, 2024 में छत्तीसगढ़ के रायपुर और जगदलपुर आए थे. वे यहां अलगअलग कार्यक्रमों में शामिल हुए थे. इस दौरान उन्होंने अलगअलग मंचों से नक्सलियों को चेताते हुए कहा था कि हथियार डाल दें. हिंसा करोगे तो हमारे जवान निबटेंगे.

‘‘वहीं उन्होंने एक डैडलाइन भी जारी की थी कि 31 मार्च, 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद का खात्मा कर दिया जाएगा. उन के डैडलाइन जारी करने के बाद से बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन काफी तेज हो गए हैं,’’ चांदी ने पूरी खबर सुनाई.

‘‘गृह मंत्री अमित शाह ने तो 21 मई के हमले के बाद मिली कामयाबी को बहुत बड़ी उपलब्धि बताया है कहा है कि जल्दी ही हम देश से नक्सलवाद खत्म कर देंगे,’’ विजय ने चांदी से कहा.

इस पर चांदी बोली, ‘‘मु?ो पता है कि इस मामले के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि नक्सलवाद को खत्म करने की लड़ाई में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है.

‘‘छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में एक आपरेशन में हमारे सुरक्षाबलों ने 27 खतरनाक माओवादियों को मार गिराया है, जिन में सीपीआई (माओवादी) के महासचिव, शीर्ष नेता और नक्सल आंदोलन की रीढ़ नंबाला केशव राव उर्फ बसवा राजू भी शामिल है.

‘‘अमित शाह ने आगे कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के 3 दशकों में यह पहली बार है कि हमारे सुरक्षाबलों द्वारा एक महासचिव स्तर के नेता को मार गिराया गया है. मैं इस बड़ी सफलता के लिए हमारे बहादुर सुरक्षाबलों और एजेंसियों की सराहना करता हूं. यह बताते हुए भी खुशी हो रही है कि आपरेशन ब्लैक फौरैस्ट के पूरा होने के बाद, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है और 84 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. मोदी सरकार 31 मार्च, 2026 से पहले नक्सलवाद को खत्म करने के लिए संकल्पित है.’’

‘‘तो इस में बुराई क्या है… देश के दुश्मनों का तो सफाया होना ही चाहिए,’’ विजय ने खुल कर बोला.

‘‘तुम्हें नक्सलवाद के बारे में कुछ नहीं पता. जो लोग सरकार की गलत नीतियों के शिकार होते हैं, तब बंदूक उठा लेते हैं. अपनी जान बचाने की खातिर गांव का एक 15 साल का बच्चा भी बंदूक चलाना सीख जाता है.

‘‘छत्तीसगढ़ राज्य घने जंगलों और पहाडि़यों से घिरा हुआ है. यहां के आदिवासी समाज में सरकार की नीतियों के खिलाफ नाराजगी है.

‘‘विजय बाबू, आप तो जानते ही होंगे कि इस राज्य में बड़ी तादाद में आदिवासी रहते हैं, जिन के साथ अकसर भेदभाव से भरा बरताव किया जाना है. आदिवासियों की जमीनें कोयले की खदानों में बदल दी जाती हैं और विकास परियोजनाओं के लिए ले ली जाती हैं, लेकिन उन्हें उचित मुआवजा या रहने के लिए दूसरी जगह नहीं मिलती है, जबकि उन की पारंपरिक आजीविका के साधन छीन लिए जाते हैं और वे अपनी सांस्कृतिक पहचान खोने लगते हैं.

‘‘कोढ़ पर खाज यह है कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में बुनियादी जरूरतों की भारी कमी है. पढ़ाईलिखाई, सेहत, पीने का पानी और रोजगार जैसी जरूरी सेवाएं यहां के लोगों तक नहीं पहुंच पाती हैं. कई गांवों में स्कूल और अस्पतालों की हालत खराब है और टीचरों व डाक्टरों की भारी कमी है.

‘‘बेरोजगारी और गरीबी के चलते लोग अपने परिवारों को पालने में नाकाम रहते हैं. उन्हें लगता है कि सरकार उन की समस्याओं को हल करने में नाकाम रही है.’’

‘‘समस्याएं तो हर जगह हैं, पर इस का मतलब यह तो नहीं कि लोग बंदूक उठा कर देश के ही खिलाफ हो जाएं?’’ विजय की बहन सुधा ने सवाल किया.

‘‘दीदी, यहां देश की राजधानी में बैठ कर ऐसे सवाल करना बड़ा आसान है, पर जमीनी हकीकत बड़ी ही भयावह है. गांव में हमारे साथ जो बीतती है, उस पर तो कभी खबर ही नहीं बन पाती है.

‘‘यह खबर तो बाहर आ जाती है कि नक्सली औरतों और लड़कियों के साथ सैक्स संबंध बनाते हैं और उन्हें अपने ग्रुप में शामिल कर लेते हैं, पर जब प्रशासन के लोग हमारा शोषण करते हैं, तो उस का हिसाब कौन रखेगा. सुरक्षाबलों की बुरी नजर से हम नहीं बच पाती हैं.

‘‘मैं हूं नक्सली विचारधारा की और मुझे पता है कि आज नहीं तो कल मुझ पर गाज गिरेगी ही, पर मेरे बाद और कोई हथियार नहीं उठाएगा, इस की गारंटी कौन लेगा? क्या सरकार नक्सलियों को खत्म कर के इस सोच को भी मार देगी कि अब किसी के साथ नाइंसाफी नहीं होगी?’’ इतना कह कर चांदी खामोश हो गई. उस की आंखें मानो पथरा गई थीं. उसे उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही थी.

कमरे में अब सन्नाटा पसरा हुआ था. विजय, उस के मातापिता और बहन सब चुप थे. उन के पास चांदी के किसी सवाल का कोई जवाब नहीं था.

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