महाराष्ट्र के एक गांव नारायणगांव के डाक्टर सदानंद राउत और उन की पत्नी डाक्टर पल्लवी राउत ने जहरीले सांप के काटने का इलाज आज से 35 साल पहले अपने गांव में शुरू किया था. आज उन के गांव में सांप से काटे की मृत्युदर जीरो हो चुकी है, जो काबिलेतारीफ है. इस के लिए उन्हें कई अवार्ड भी मिले हैं.

सांप काटने के इलाज के बारे में पूछने पर डाक्टर सदानंद राउत ने बताया, ‘‘मैं वर्ल्ड हैल्थ और्गनाइजेशन और नैशनल प्रोटोकोल ट्रीटमैंट गाइडलाइंस के आधार पर इलाज करता हूं. इस में ‘एंटी स्नेक वैनम’ जितनी जल्दी हो सके पीडि़त को देता हूं. इस के अलावा बाकी जो भी इमर्जैंसी लक्षण पीडि़त में दिखते हैं, उन के आधार पर इलाज करता हूं.

‘‘मेरी पत्नी डाक्टर पल्लवी भी इस काम में मेरा हाथ बंटाती हैं. इस काम को करने का मकसद हम दोनों को तब मिला था, जब एक दिन एक 8 साल की लड़की को उस के परिवार वाले हमारे पास ले कर आए थे, जिसे कोबरा सांप ने काटा था और 20 मिनट के बाद ही वह मु?ा तक पहुंची थी, लेकिन उस की मौत हो चुकी थी.

‘‘इस के बाद से हम ने स्नेक बाइट के पीडि़तों का इलाज करने का संकल्प लिया, लेकिन गांवदेहात के इलाकों में आज भी अंधविश्वास बहुत ज्यादा है और गांव वाले हमारे इलाज को सही नहीं सम?ाते थे.

‘‘वे तांत्रिक और झाड़फूंक वाले को अस्पताल में छिपा कर लाने लगे थे. अगर पीडि़त ठीक हो जाता था, तो उस का क्रेडिट तांत्रिक को मिलता था और अगर कुछ गलत हुआ, तो उस का खमियाजा मु?ो भोगना पड़ता था.’’

डाक्टर सदानंद राउत ने आगे बताया, ‘‘इस के बाद मैं गांव के लोगों को ट्रेनिंग देने के लिए वर्कशौप करने लगा. करैत सांप के काटने पर पीडि़त 2 हफ्ते तक गहरे कोमा में जा सकता है और उसे वैंटिलेटर पर रखना पड़ता है, लेकिन गांव वाले सोचते थे कि मैं पैसे बनाने के लिए पीडि़त को वैंटिलेटर पर रख रहा हूं, पर ऐसा नहीं था और इसीलिए वहां के नौजवानों को जागरूक करना जरूरी था.’’

समस्या अंधविश्वास की शुरूशुरू में 10 साल का एक बच्चा जब डाक्टर सदानंद राउत के पास करैत सांप के काटने पर कोमा की हालत में आया, तो उसे 6 दिनों तक वैंटिलेटर पर रखने के बावजूद उसे होश नहीं आया. उस के दादा और गांव के बड़े बुजुर्ग उस बच्चे को मरा हुआ सम?ा रहे थे और अस्पताल से ले जाना चाहते थे.

डाक्टर सदानंद राउत ने उस बच्चे के परिवार को मौनिटर पर दिखाया और सम?ाया कि बच्चे का दिल धड़क रहा है और वह जिंदा है. 10 दिन बाद बच्चे की आंखों की पुतली हिली और 13 दिन में वह ठीक हो गया.

अपने ‘जीरो स्नेक बाइट डैथ’ मिशन के बारे में डाक्टर सदानंद राउत बताते हैं, ‘‘इस के बाद मैं ने छोटेछोटे आदिवासी गांवों में स्कूलकालेजों और दूसरी संस्थाओं के सारे हैड को स्नेक बाइट जागरूकता मुहिम में शामिल किया. दूसरे लोग भी इस में सहयोग देने लगे, क्योंकि उन्हें लगने लगा था कि यह जिंदगी बचाने की मुहिम है.

‘‘गांव के लोगों को सम?ा में आ गया था कि सांप कितना भी जहरीला क्यों न हो, काटने के तुरंत बाद में पीडि़त को अस्पताल ले आने पर उसे बचाया जा सकता है.’’

एकएक सैकंड है खास डाक्टर सदानंद राउत बताते हैं, ‘‘जहरीले सांप के काटने से ज्यादातर कार्डिएक अरैस्ट (दिल का रुकना) होता है, जो एक मिनट के अंदर ही हो जाता है. ऐसे मरीज को जल्द से जल्द डाक्टर तक पहुंचा दें, ताकि समय पर इलाज शुरू हो जाए.

‘‘ज्यादातर लोगों की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो जाती है, इसलिए किसी तांत्रिक या ?ाड़फूंक वाले के पास न जा कर पीडि़त को तुरंत पास के किसी भी अस्पताल और डाक्टर के पास ले जाएं.’’

ऐसे बचें सांप के काटे से अगर आप ऐसे इलाके में रहते हैं, जहां पर जहरीले सांप ज्यादा पाए जाते हैं, तो इन उपायों पर जरूर ध्यान दें :

* गम शूज पहनें.

* पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें.

* घास पर काम करने से पहले छड़ी का इस्तेमाल करें.

* सही रास्ते पर चलें, जंगल के बीच से नहीं.

* रात में काम करते समय बैटरी और छड़ी का इस्तेमाल करें.

* जमीन पर न सोएं.

* मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.

* घर को साफ रखें, ताकि चूहे अंदर न रहें.

* आसपास के पेड़ों की छंटाई करते रहें, ताकि खिड़की के पास की टहनियों से सांप कमरे में न आ सकें.

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