झारखंड में एक चुने हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ जो कुछ हुआ है उससे लोकतंत्र का सर नीचा हुआ है . यह सीधा-सीधा लोकतंत्र का चीर हरण कहा जाना चाहिए, क्योंकि हेमंत सोरेन की पार्टी संविधान के बताएं रास्ते के अनुसार चुनाव में गई और अपनी सरकार बनाने में सफल हुए. मगर आज फिजाओं में जो सवाल है वह यह है कि हेमंत सोरेन आदि भारतीय जनता पार्टी और उसके नेताओं को विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की आंख की किरकिरी बन गए हैं.

सत्ता का ऐसा दुरुपयोग आजादी के बाद पहली बार देखने को मिला जब परिवर्तन निदेशालय को अपने विरोधी चेहरों को निपटने में लगा दिया गया है. भाजपा के चेहरे चाहते हैं कि झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार को किसी तरह तोड़ करके अपनी सरकार बना ले मगर यह अच्छा हुआ कि मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नीत गठबंधन सरकार ने सोमवार को झारखंड विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया.

यही नहीं अदालत की अनुमति के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कार्यवाही में हिस्सा लिया. विधानसभा से हेमंत सोरेन ने अपनी बात जो देश की जनता के सामने रखी है उसे ध्यान से सुना और समझना आवश्यक है अगर देश में लोकतंत्र को बचाना है तो हमें हेमंत सोरेन की बात को अमल में लाना होगा.

विश्वास मत प्रस्ताव पर अपने भाषण में हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया -” केंद्र द्वारा साजिश रचे जाने के बाद राजभवन ने उनकी गिरफ्तारी में अहम भूमिका निभाई.” झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आरोप साबित करने की चुनौती देते हुए कहा -” अगर आरोप साबित हो गए तो वह राजनीति छोड़ देंगे.”इससे बड़ी बात कोई और क्या कह सकता है.

हेमंत है तो हिम्मत है     

जिस तरह दिल्ली में केजरीवाल सरकार को गिराने की कोशिश हो रही है जैसा छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार के साथ हुआ. यह सब लोकतांत्रिक देश में कतई उचित नहीं कहा जा सकता और एक तरह से लोकतंत्र को मजबूत बनाने वाले चारों स्तंभ आज हिलते हुए दिखाई दे रहे हैं.  उल्लेखनीय है कि झारखंड राज्य की 81 सदस्यीय विधानसभा में 47 विधायकों ने विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया, जबकि 29 विधायकों ने इसके खिलाफ मतदान किया. निर्दलीय विधायक सरयू राय ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. विधानसभा में मतदान के दौरान 77 विधायक उपस्थित थे.विश्वास मत हासिल करने के बाद, चंपई सोरेन ने कहा कि अगले दो-तीन दिनों में मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा.

दरअसल प्रवर्तन निदेशालय ने

ने धनशोधन के एक मामले में  हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था. इसके बाद झामुमो के विधायक दल के नेता चंपई सोरेन ने दो फरवरी को झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. सोरेन अभी ईडी की हिरासत में हैं. उन्हें विशेष पीएमएलए अदालत ने विश्वास मत में हिस्सा लेने की अनुमति दी थी .हेमंत सोरेन ने कहा, -“31 जनवरी का दिन भारत के इतिहास में एक काला अध्याय है. राजभवन के आदेश पर एक मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर लिया गया. भाजपा झारखंड में किसी आदिवासी मुख्यमंत्री को पांच साल का कार्यकाल पूरा करते नहीं देखना

चाहती, उन्होंने अपनी विरोधी सरकारों में ऐसा नहीं होने दिया.” दरअसल, सच तो यह है कि केंद्र में सत्ता में बैठी हुई नरेंद्र मोदी की भाजपा के गैर आदिवासी नेता रघुवर दास के अलावा उसके या झामुमो के 10 अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों में से कोई भी राज्य में पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. इस राज्य का गठन साल 2000 में हुआ था.

पूर्व मुख्यमंत्री ने विधानसभा में बड़े ही साहस के साथ  कहा, ‘हालांकि, मैं अब आंसू नहीं बहाऊंगा. मैं उचित समय पर सामंती ताकतों को मुंहतोड़ जवाब दूंगा.”‘ उन्होंने दावा किया -” आदिवासियों को अपना धर्म छोड़ने के लिए मजबूर किया जाएगा क्योंकि बीआर आंबेडकर को भी बौद्ध धर्म में परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया था.” उन्होंने आरोप लगाया -” भाजपा आदिवासियों को ‘अछूत’ समझती है.”  अद्भुत नजारा था जब पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधानसभा में पहुंचे तो सत्तारूढ़ झामुमो नीत गठबंधन के विधायकों ने ‘हेमंत सोरेन जिंदाबाद’ जैसे नारों के साथ उनका स्वागत किया.इससे पहले, चंपई सोरेन ने 81 सदस्यीय विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया. उन्होंने कहा, ‘भाजपा ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित झारखंड सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की है.’ चंपई ने कहा, -‘हेमंत है तो हिम्मत है.’ उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें गर्व है कि उनकी सरकार हेमंत सोरेन सरकार का ‘दूसरा भाग’ है.

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