भारतीय जनता पार्टी ने अपने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा खोल दिया है. साल 2024 में वह पूरे भारत को जीतना चाहती है. इस के लिए उस ने लोकसभा की 400 सीटें जीतने का टारगेट रखा है.

भारत के इतिहास में 400 सांसदों की जीत केवल साल 1984 में मिली थी, जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी. राजीव गांधी उस समय कांग्रेस के नेता थे. इस हमदर्दी वाले चुनाव में कांग्रेस को लोकसभा की 404 सीटें मिली थीं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना नाम इतिहास में लिखवाने का शौक है. ऐसे में वे 2024 के लोकसभा चुनाव में राजग गठबंधन को 400 से ज्यादा सीटें हासिल करने का टारगेट ले कर चल रहे हैं.

पौराणिक कहानियों में तमाम ऐसे राजाओं की कहानियां दर्ज हैं, जो अपनी ताकत दिखाने के लिए अश्वमेध यज्ञ करते थे. इस के लिए वे अपना एक घोड़ा छोड़ते थे. घोड़ा जो भी पकड़ता था, उसे राजा से लड़ना होता था.

मजेदार बात यह है कि यह घोड़ा केवल कमजोर राज्यों की तरफ जाता था. भारत के किसी भी राजा ने दूसरे देशों पर अपना ?ांडा नहीं लहराया है. जिस तरह से मुगलों ने भारत पर हमला किया, उस तरह भारत के किसी राजा ने दूसरे देश को अपने कब्जे में नहीं किया. इस से यह पता चलता है कि अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा अपने ही आसपास के राज्य के राजाओं के लिए छोड़ा जाता था.

खोया चाल, चरित्र और चिंतन

लोकतंत्र में अश्वमेध घोड़ा तो नहीं छोड़ा जा सकता, ऐसे में इस के लिए दूसरी पार्टियों को खत्म करना जरूरी हो गया है. इस के लिए भाजपा तोड़फोड़ और दलबदल को बढ़ावा दे रही है. बिहार में जद (यू) और राजद गठबंधन को तोड़ कर नीतीश कुमार को भाजपा ने अपनी तरफ मिला लिया.

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