गरीबदास घर में अकेले थे. टैलीविजन चालू कर के वे कार्यक्रम देखने लगे. टैलीविजन स्क्रीन पर जो तसवीर आ रही थी, वह आधे गोविंदा और आधे अजय देवगन की थी.

गोविंदा और अजय देवगन के फोटो को नाक से नाक सटा कर इस तरह मिला दिया गया था कि एक नजर में लगता था कि यह तसवीर किसी एक ही शख्स की है और दर्शकों से उसे पहचानने के लिए एंकर अपने मनमोहक अंदाज में कह रही थी, ‘पहचानिए इस तसवीर में दिखाए गए 2 फिल्मी कलाकारों को और जीतिए 50 हजार रुपए… इस के लिए आप को बस एक नंबर मिलाना है और दोनों फिल्मी कलाकारों के नाम बताने हैं.’

‘ट्रिनट्रिन’ तभी टैलीविजन में फोन की घंटी बजती है. एंकर बड़ी अदा से दोनों हाथ जोड़ कर बोलती है, ‘हैलो…’

उधर से आवाज आती है, ‘हैलो…’

‘तो बताइए कि इस तसवीर में किन 2 फिल्मी कलाकारों के चेहरे हैं?’ एंकर ने पूछा

‘एक तो गोविंदा हैं और दूसरे हैं सोहेल खान.’

‘माफ कीजिए, यह गलत जवाब है,’ एंकर ने मुसकराते हुए कहा और फिर अपनी मादक आवाज में दर्शकों को लुभाना शुरू कर दिया, ‘उठाइए अपना फोन और बताइए इन 2 फिल्मी कलाकारों के नाम, जिन के चेहरे इस तसवीर में हैं और जीतिए 50 हजार रुपए.’

फिर कोई दर्शक फोन करता है और जवाब देता है, ‘गोविंदा और सैफ अली खान.’

‘‘नहीं, यह भी गलत जवाब है. इतना आसान सवाल और इस का जवाब सही नहीं मिल पा रहा. आप सोच क्या रहे हैं? आप को तो जवाब मालूम ही है, तो फिर देर किस बात की? सही जवाब दीजिए और 50 हजार रुपए आप के…’

गरीबदास को कुछ खीज सी हो रही थी. उन्होंने सोचा, ‘अरे यार, यह तो बिलकुल आसान सवाल है. गोविंदा को तो सभी पहचान रहे हैं, पर अजय देवगन को पहचानने में लोग भूल कैसे कर रहे हैं? शायद अजय देवगन के फोटो में मूंछें हैं, इसलिए… पर ‘गंगाजल’ में, ‘सिंघम’ में और कई अनेक फिल्मों में तो लोगों ने अजय देवगन को मूंछों में देखा ही होगा.’

लिहाजा, गरीबदास ने टैलीविजन स्क्रीन पर देख कर फोन नंबर मिलाया. घंटी बज रही थी. गरीबदास खुश हो गए. उन्हें लगा कि अब उन की काल को एंकर रिसीव करेगी और जवाब पूछेगी. वे सही जवाब बताएंगे और एंकर खुशी से चीख पड़ेगी, ‘यह बिलकुल सही जवाब है. आप ने जीत लिए हैं पूरे 50 हजार रुपए…’

लेकिन मोबाइल फोन पर कुछ और ही बताया जा रहा था कि वे प्रतीक्षा लाउंज में पहुंच गए हैं और कुछ ही देर में उन की काल को रिसीव किया जाएगा. उस के बाद संगीत बजना शुरू हो गया. कुछकुछ देर के बाद फिर वही राग अलापा जाता रहा.

फिर सुर बदला, ‘आप की जानकारी के लिए बता दें कि इस कार्यक्रम में आप से प्रति मिनट 10 रुपए चार्ज किया जाता है… बने रहिए हमारे साथ…’

जब गरीबदास ने जान लिया कि उन की काल का प्रति मिनट 10 रुपए चार्ज किया जा रहा है, तो उन के सब्र का बांध टूटने लगा.

गरीबदास सोचते रहे कि कहीं उन्हें मौका मिलता, तो जवाब दे कर वे 50 हजार रुपए जीत लेते, पर तभी उन के जेहन में एक घटना कौंध गई और उन्होंने बिना कुछ सोचेसमझते फोन काट दिया.

हुआ यों था कि बचपन में उन्होंने लौटरी में एक रुपया गंवाया था. इस की कहानी कुछ इस तरह है : गरीबदास की मां ने उन्हें एक किलो आलू खरीदने के लिए एक रुपया दिया था. बात उन दिनों की है, जब आलू सस्ता हुआ करता था.

रास्ते में गरीबदास ने देखा कि एक लौटरी वाले को लोग घेरे हुए थे और अपनीअपनी किस्मत आजमा रहे थे. लौटरी में एक चकरी को जोर से घुमा कर छोड़ दिया जाता था. चकरी रुकने पर लकड़ी का फट्टा जिस खाने में रुकता था, उसी नंबर की चीज लौटरी लगाने वाले को दे दी जाती थी.

गरीबदास के सामने एक शख्स आया और उस ने लौटरी खेली. वह जीता और 5 पैसे में एक रेडियो ले कर चला गया. दूसरा शख्स आया और लौटरी में घड़ी जीत कर चला गया.

अब गरीबदास कैसे रुक सकते थे. 5-5 पैसे दे कर वे 20 बार कोशिश करते रहे, पर हर बार उन्हें यह उम्मीद थी कि उन्हें रेडियो या घड़ी इनाम में जरूर मिलने वाली है और उन की मां तो उसे देख कर खुशी से फूली नहीं समाएंगी. पर एकएक कर के गरीबदास के सारे चांस बेकार गए और रेडियोघड़ी तो दूर, वे बेचारे एक किलो आलू खरीदने से भी रह गए.

घर लौट कर मां से डांट पड़ी, सो अलग. बाद में गरीबदास को पता चला कि रेडियो और घड़ी जीतने वाले लौटरी वाले के ही दोस्त थे और भीड़ को गुमराह करने के लिए उन्हें रेडियो और घड़ी जिताई गई थी.

गरीबदास को लगा कि वही लौटरी वाला औरत के रूप में एंकर बन कर ‘पहचान कौन’ का खेल खेल रहा है.

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