अपर्णा मलिक ने कई तेलुगु फिल्मों में काम किया है. इस के बाद उन्होंने ऐक्टर और सिंगर रितेश पांडेय के साथ भोजपुरी फिल्मों में डैब्यू किया और आज वे भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में चर्चित चेहरा बन चुकी हैं.

अपर्णा मलिक ने भोजपुरी फिल्मों में कदम रखने के बाद स्टार सिंगर और ऐक्टर रितेश पांडेय के अलावा अरविंद अकेला ‘कल्लू’, दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ और खेसारीलाल यादव के साथ एक के बाद एक कई फिल्में की हैं. बेहद सधी हुई अच्छी हिंदी और भोजपुरी बोलने वाली अपर्णा मलिक से उन के फिल्म कैरियर पर लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश :

ऐसा क्या हुआ कि आप ने साउथ फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ कर भोजपुरी सिनेमा की तरफ रुख किया?

मैं साउथ फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ कर भोजपुरी सिनेमा में नहीं आई. हां, अभी पिछले कुछ महीनों से मैं भोजपुरी सिनेमा जरूर कर रही थी, लेकिन मैं ने साउथ फिल्म इंडस्ट्री को कभी छोड़ा नहीं. अभी साउथ की मेरी 3 फिल्में पोस्ट प्रोडक्शन में हैं और जल्द ही दर्शकों के सामने आने वाली हैं.

तेलुगु की कौनकौन सी फिल्में आप के दिल के करीब रही हैं?

मुझे तो तेलुगु की सभी फिल्मों में काम कर के बड़ा मजा आया और सारी फिल्में ही मेरे दिल के बेहद करीब हैं. मेरी तेलुगु फिल्म ‘डैडलाइन’ पीवीआर समेत कई सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. मैं ने ‘पुष्पा’ फेम अजय घोष के साथ काम किया और इस फिल्म में काफी फाइट सीन भी थे.

मेरी आने वाली फिल्मों में से एक फिल्म है ‘वन बाई फोर’, जिस में मैं ने जानेमाने डायरैक्टर पलानी सर के साथ काम किया है. एक और फिल्म है ‘स्ट्राइकर’, जिस की कहानी भी काफी दिलचस्प है.

आप ने भोजपुरी के सभी सुपरस्टार जैसे दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’, खेसारीलाल यादव, अरविंद अकेला ‘कल्लू’ और रितेश पांडेय के साथ काम किया है. आप को किस हीरो के साथ काम करते हुए नर्वस होने का एहसास हुआ?

अगर मैं ईमानदारी से बोलूं, तो मैं ने नर्वस महसूस नहीं किया, मगर ऐक्साइटमैंट तो थी ही. इस में कोई शक नहीं कि ये सभी भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार हैं, तो मुझ में एक अलग किस्म की ही फीलिंग थी.

आप ने अयोध्या में अरविंद अकेला ‘कल्लू’ के साथ फिल्म ‘लवयात्री’ और दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ के साथ फिल्म ‘संकल्प’ की शूटिंग पूरी की है. इन दोनों फिल्मों में दर्शकों को क्या अलग देखने को मिलेगा?

‘लवयात्री’ और ‘संकल्प’ दोनों ही पारिवारिक फिल्में हैं. दोनों की कहानी बहुत ही अच्छी हैं, पर एकदूसरे से अलग हैं. ‘लवयात्री’ एक रोमांटिक लव स्टोरी है, जिस में एक लड़की और एक लड़के का संघर्ष नजर आता है कि कैसे दोनों मिलते हैं, कैसे उन की लव स्टोरी की शुरुआत होती है. आप लोगों को एक शानदार लवस्टोरी दिखाई देगी, जिस की कहानी में काफी ट्विस्ट भी हैं.

फिल्म ‘संकल्प’ की बात करें, तो यह एक फैमिली ड्रामा फिल्म है. इस फिल्म में आप को हर तरह का फिल्मी मसाला देखने को मिलेगा. इस फिल्म में हीरोहीरोइन की लवस्टोरी, दोनों के परिवारों की स्टोरी और दोस्तों की स्टोरी सबकुछ है. फिल्म की कौमेडी भी दर्शकों को काफी पसंद आने वाली है.

फिल्म ‘सजनवा कैसे तेजब’ की शूटिंग के दौरान सुपरस्टार रितेश पांडेय ने आप की तारीफ करते हुए कहा था कि अपर्णा में प्रतिभा की बिलकुल भी कमी नहीं है. किसी दूसरी इंडस्ट्री से आ कर यहां काम करना आसान नहीं होता. इस से आप का हौसला कितना बढ़ा?

‘सजनवा कैसे तेजब’ भोजपुरी सिनेमा में मेरी पहली फिल्म थी और पहली फिल्म में ही आप के साथी कलाकार, जो भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार भी हैं, अगर आप की प्रतिभा की तारीफ करते हैं, तो यकीनन आप का हौसला बढ़ता है और आगे की चीजें भी आसान हो जाती हैं.

आप ने हाल ही में डायरैक्टर अशोक त्रिपाठी अत्री के साथ काम किया है. उन से नया क्या सीखने को मिला?

अशोक त्रिपाठी अत्री भोजपुरी सिनेमा के काफी मंजे हुए और अनुभवी डायरैक्टर हैं, जिन से जाहिर तौर पर बहुतकुछ सीखने को मिला. फिल्म के मुहूर्त शूट से पहले उन्होंने मुझे फिल्म की स्टोरी बताई, हम ने फिल्म के सीन और कौस्ट्यूम्स के बारे में भी डिस्कस किया. उन्होंने फिल्म में मेरे किरदार के मूड के बारे में अच्छे से बताया, जिस से मेरा फिल्म में ऐक्टिंग करना और भी आसान हो गया.

सोशल मीडिया पर ऐक्टरों के लिए फौलोअर्स की तादाद कितना माने रखती है?

मेरे मुताबिक सोशल मीडिया पर फौलोअर्स बस एक नंबर होते हैं और आजकल तो यह एक रेस बन चुका है. सब लोग इस के पीछे भाग रहे हैं. सोशल मीडिया में फौलोअर्स की तादाद किसी भी कलाकार की कला की सही से आंकलन नहीं कर सकती.

हिंदी फिल्मों के सुपरस्टार रणबीर कपूर सोशल मीडिया या इंस्टाग्राम पर हैं भी नहीं, फिर भी उन के चाहने वालों की कमी नहीं है.

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में अब महिला केंद्रित फिल्मों को तरजीह दी जाने लगी है. आप इस बदलाव को कैसे देखती हैं?

यह बहुत बड़ा बदलाव है. यह दिखाता है कि भोजपुरी सिनेमा भी एक प्रगतिशील समाज और विचारधारा की तरफ रुख कर चुका है. ऐसे अनेक महिला केंद्रित विषय हैं, जिन पर जरूर भोजपुरी फिल्में बननी चाहिए, जो दर्शकों को भी पसंद आएंगी. अगर मु?ो कोई ऐसी स्क्रिप्ट मिलती है, तो मैं जरूर उस रोल को करना चाहूंगी.

आज के दौर में लव की परिभाषा बदल चुकी है. आप की नजर में मौडर्न लव क्या है?

मेरी नजर में प्यार में कुछ मौडर्न और ओल्ड नहीं होता. प्यार बस प्यार होता है. और फिर सच्चे प्यार का कोई वर्गीकरण नहीं हो सकता है.

भोजपुरी सिनेमा में ज्यादातर हीरोइनों की शिकायत रहती है कि उन का बजट हीरो की तुलना में बहुत कम होता है. आप इस से कितनी सहमत हैं?

इस बात से तो मैं सहमत हूं कि सिर्फ भोजपुरी ही नहीं, बल्कि हर फिल्म इंडस्ट्री में आमतौर पर हीरोइन का बजट कम ही होता है. मैं तो यही बोलूंगी

कि एक कलाकार की पेमेंट उस के काम, फिल्म में उस का किरदार, फेस वैल्यू वगैरह को ध्यान में रख कर की जानी चाहिए.

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