आमतौर पर त्योहार एक दिन का होता है, दीवाली अकेला ऐसा त्योहार है, जो 5 दिनों का होता है. इस की शुरुआत धनतेरस से होती है. उस के बाद छोटी दीवाली और बड़ी दीवाली आती है. चौथा दिन गोवर्धन पूजा और सब से आखिर में भैयादूज का होता है.

एक त्योहार के 5 दिन में अलगअलग आयोजन होने से महंगाई का असर ज्यादा होता है. धनतेरस में नई चीजें खरीदने का रिवाज होता है. ऐसे में कुछ न कुछ खरीदना ही पड़ता है. छोटी और बड़ी दीवाली घर की साफसफाई, सजावट, झालर लगाने जैसे तमाम काम होते हैं. इसी दिन लोग मिलने भी आते हैं. गोवर्धन पूजा को ‘अन्नकूट’ भी कहते हैं. भैयादूज का दिन रक्षाबंधन की तरह भाईबहन के बीच का होता है. अब इस में लेनदेन और दिखावा भी होने लगा है.

पर महंगाई के दौर में दीवाली का त्योहार कैसे मनाएं, इस बात को समझने की जरूरत है. त्योहार साल में एक बार आता है. ऐसे में इस को हंसीखुशी से मनाने की जरूरत है.

त्योहार का मतलब यह होता है कि अपनी जानपहचान और करीबी लोगों के साथ इस की खुशियां मनाएं. पर अगर महंगाई है, तो उस का मुकाबला करने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं. गांवकसबों में बहुत सारी उपहार में दी जाने वाली चीजें कम पैसों में मिलती हैं.

ये चीजें दें उपहार में

हाथ से बने सामान को बड़ेबड़े बाजारों में हस्तशिल्प के नाम से जाना जाता है. उपहार देने के लिए इन की खरीदारी करने से कम पैसों में अच्छी चीजें मिल जाती हैं. दीवाली में मिट्टी के दीए, घर को सजाने के लिए कपड़ों से बने बंदनवार, हस्तशिल्प और लकड़ी के सामान मिलते हैं. मिट्टी से बने खिलौने केवल खेलने के ही काम नहीं आते हैं, बल्कि अब इन का इस्तेमाल घर को सजाने में भी किया जाने लगा है.

बचपन में एक बूढ़ा सिर हिलाते हुए हर खिलौने की दुकान पर दिखता था. आज भी मिट्टी के बने खिलौनों में वह सब से ज्यादा पसंद किया जाता है. अब यह लोगों के ड्राइंगरूम या बच्चों के कमरे में सजावटी सामान की तरह से रखा मिलता है. इसी तरह से मिट्टी से बनी बैलगाड़ी भी मिल जाती है.

अपने दोस्तों और परिवार के लिए महंगे उपहार खरीदने के बजाय इस तरह के सस्ते सामान उपहार में दे सकते हैं. इस के अलावा घर में बनी मिठाइयां, पापड़ और नमकीन, हाथ से बनी पेंटिंग या शिल्पकला जैसे सामान को अपने बजट में रहते हुए उपहार में दे सकते हैं.

इन उपहारों की न केवल कीमत कम होती है, बल्कि ये दिल से दिए उपहार लगते हैं. इस के अलावा गांव और कसबों के लोगों को रोजगार भी दिया जा सकता है. इस से उन की भी दीवाली खुशियों वाली होगी.

जितनी जरूरत उतना खर्च

त्योहार के शुरू होते ही औनलाइन से ले कर औफलाइन तक छूट और औफर की भरमार दिखने लगती है. इस के चक्कर में लोग अपनी जरूरत से ज्यादा का सामान ले कर अपना बजट बिगाड़ लेते हैं.

दुकानदार बड़ी होशियारी से वह सामान बेच लेते हैं, जो पहले बिक नहीं रहा होता है. ज्यादा वजन वाली चीजें कम बिकती हैं. जैसे 100 ग्राम वाला टूथपेस्ट ज्यादा बिकता है. अब दुकानदार इस पर कोई छूट और औफर नहीं देता. 250 ग्राम वाला टूथपेस्ट नहीं बिकता. ऐसे में इस पर 20 फीसदी छूट का औफर रख दिया जाता है. अब अगर औफर के चक्कर में आ कर ज्यादा वजन वाला पैकेट ले लिया, तो इस से बजट बिगड़ जाता है.

जरूरत से ज्यादा का सामान लेने पर ज्यादा बजट लगा, जिस ने त्योहार के खर्च को बढ़ा दिया. ऐसे में खरीदारी करते समय ध्यान रखें कि जितनी जरूरत हो उतनी ही खरीदारी करें.

औनलाइन खरीदारी करने की जगह पर अपने पड़ोस वाली दुकान से खरीदारी करें. इस से आप अपने आसपास वाले की ही मदद करते हैं और उस के साथ निजी संबंध भी बनाते हैं. ये लोग औफर और छूट का झांसा कम देते हैं.

ऐसे में आप उतनी ही चीजें खरीदते हो जितनी जरूरत होती है. इस के अलावा यह आप का हालचाल पूछ कर आप को अहसास दिलाता है कि हम आप के अपने है. कभी कोई शिकायत हो, तो सुन लेता है.

नकद खर्च का अहसास

कुछ पैसे कमज्यादा भी हो गए, तो बाद में दे सकते हैं. इस तरह की सुविधा भी होती है. क्या किसी मौल या औनलाइन दुकान से बिना पैसा दिए चीजें ले सकते हो? नहीं. पर पड़ोस वाली दुकान से बिना पैसे दिए भी ले सकते हो, जिस का पैसा बाद में दे सकते हैं.

औनलाइन खरीदारी करते समय भुगतान क्रेडिट कार्ड और ईवौलेट जैसे माध्यमों से होता है, जिस से खर्च करते समय पता नहीं चलता कि कितना खर्च हो गया. इसलिए बजट बढ़ जाता है, जबकि जेब में रखे पैसे खर्च होते हैं, तो खर्च का अहसास होता है. ऐसे में ज्यादा खर्च नहीं हो पाता है.

औनलाइन खरीदारी में खर्च ज्यादा हो जाता है. ऐसे में फैस्टिवल का बजट बिगड़ जाता है. बजट बनाए रखने के लिए नकद खरीदारी करनी जरूरी है, क्योंकि जो क्रेडिट कार्ड से पैसा खर्च होता है, वह भी देना तो पड़ता ही है.

औनलाइन खरीदारी से केवल एक महीने का ही नहीं, बल्कि कई महीने तक का बजट बिगड़ सकता है. ऐसे में उधार की जगह नकद पर भरोसा करें. यह पैसा जैसे ही ज्यादा खर्च होगा, समझ आने लगता है. ऐसे में हम खर्च करने की हद के अंदर ही रहते हैं.

त्योहार के दिन करें सफर

दीवाली के 3 महीने पहले ही अखबारों में यह खबर देखने को मिलती है कि दीवाली के समय सारी ट्रेन और बस के टिकट बुक हो गए हैं. गांवकसबों में रहने वाले ज्यादातर लोग दिल्ली, मुंबई और दूसरे बड़े शहरों में रहते हैं. दीवाली में गांवघर आना जरूरी होता है. पहले से टिकट बुक नहीं हो पाया है, तो महंगी कीमत में टिकट लेने से अच्छा है कि त्योहार के दिन सफर कीजिए.

त्योहार के एक दिन पहले ज्यादा तादाद में लोग सफर करते हैं. त्योहार के दिन भीड़ कम होती है. वापसी भी 1-2 दिन बाद करेंगे, तो टिकट मिलने में दिक्कत नहीं होगी. आराम से कम बजट में सफर कर सकेंगे.

दीए जलाएं

दीवाली रोशनी का त्योहार है और घर को रोशन करना रिवाज का हिस्सा है. पहले के समय में घर में रूई से बाती बनाई जाती थी. तेल में एक दिन पहले से भिगो कर रख दिया जाता था, जिस से बाती ठीक से तेल में तर हो जाती थी.

मिट्टी के दीए भी एक दिन पहले धो कर रखे जाते थे, जिस से उन का पानी सूख जाता था. ऐसे में जब उन में तेल डाला जाता था, तब वह कम तेल सोखते थे. पहले से तेल में डूबी रूई की बाती देर तक जलती थी. तेल कम लगता था. खर्च कम होता था.

आज भी सरसों का तेल 150 रुपए लिटर तक का होता है. एक लिटर तेल में पूरे घर में दिए जल जाते हैं. दीए भी झालर के मुकाबले सस्ते पड़ते हैं. दीए से रोशनी करना सस्ता और पारंपरिक है. इस से असली त्योहार की फीलिंग आती है.

बनाएं त्योहारी बजट

त्योहार में कितना खर्च करना है, पहले से ही यह सोच कर इस का बजट बना लें. बजट के मुताबिक ही खर्चा करने से ज्यादा खर्च नहीं होगा. उस के खर्च का इंतजाम भी पहले से कर सकेंगे. इस के लिए सभी मदों की सूची बनाएं और हर मद के लिए उन्हें मिलने वाली प्राथमिकता के मुताबिक पैसा अलग करें. इस से आप को ज्यादा खर्च करने से बचने में मदद मिलेगी. त्योहार खत्म होने के बाद इस बात का अफसोस नहीं होगा कि खर्च ज्यादा हो गया है. इस से दीवाली के त्योहार का भरपूर मजा आएगा.

 दीवाली पर सस्ते में घर रोशन

दीवाली पर रोशनी को ले कर ‘न्यू आर्क स्टूडियोज’ की आर्किटैक्ट नेहा चोपड़ा ने बताया, ‘‘बहुत से लोग तो यही सोचते रहते हैं कि हम ऐसा करेंगे, वैसा करेंगे, पर कर नहीं पाते. कभी पैसे की कमी, तो कभी समय न होने के चलते लोगों को यह तरीका ही नहीं सूझता है कि दीवाली पर अपने घर को रोशन कैसे करना है. पर घबराइए नहीं, क्योंकि इस समस्या का हल कुछ इस तरह से किया जा सकता है :

-हर शादीशुदा औरत के पास कोई फटीपुरानी चमकदार साड़ी या जूट का रंगबिरंगा कपड़ा रखा ही होता है. 2 लोहे के छल्ले ले कर उस पर साड़ी का एक हिस्सा या रंगबिरंगा जूट कस कर लपेट दें और एक एलईडी बल्ब बीच में जला कर कमरे में सजा दें. अगर बल्ब नहीं है, तो बड़ा सा दीया भी जला कर रखा जा सकता है. दीया रखते समय सावधानी बरतें कि कपड़ा आग न पकड़ ले.

-अगर कपड़ा नहीं है, तो किसी गत्ते के डब्बे को डिजाइन में काट कर उस के चारों तरफ मजबूत रंगीन कागज चिपका दें और अंदर बल्ब जला दें या दीया रख दें. कटे गत्ते के डिजाइन से बाहर निकलती रोशनी खूबसूरत लगेगी.

-अगर किसी के घर की भीतरी छत खराब दिख रही है, तो दीवाली पर मिलने वाली इलैक्ट्रिकल लडि़यों को करीने से छत पर लगा दें. उस के बाद किसी साड़ी की मदद से उन लडि़यों को ढक दें. रात को जब वे लडि़यां जगमगाएंगी, तो छत भी खराब नहीं दिखेगी और साड़ी में से निकलती लाइट से घर का माहौल ही बदल जाएगा.

-आप घर में ही कागज से कंदील बना सकते हैं. उस में बल्ब लगा कर कम रोशनी वाली जगह को रोशन कर सकते हैं.

-अलगअलग रंगों या फूलों की रंगोली बना कर बीच में बड़ा सा दीया रख कर भी घर की रोशनी बढ़ाई जा सकती है.

-आजकल सस्ती इलैक्ट्रिक लडि़यां भी बाजार में मिल जाती हैं. किसी लड़ी को कांच की खाली बोतल वगैरह में भर कर रोशन करने से भी घर की रौनक बढ़ जाती है.

-घर को जगमग करने में मोमबत्ती भी अच्छाखासा रोल निभाती हैं. ये ज्यादा महंगी भी नहीं होती हैं.

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