मां,  तुम्हारे आशीर्वाद से मैं लड़ाई के मोरचे पर पहुंच गया हूं. आते समय तुम्हारी कही आखिरी बात मुझे याद है.मां, यकीन मानना कि कैप्टन रंजीत की पीठ पर कभी गोली नहीं लगेगी. आखिरी सांस तक वह दुश्मनों से लड़ता रहेगा.

तुम्हारा बेटा, तुम्हारे सिखाए रास्ते पर चलता रहेगा. राजी को कहना कि मोह छोड़ दे. अपने लिए तो सभी जीते हैं, पर दूसरों के लिए जीने का मजा ही और है. उस जैसी हजारों सुहागनों के सुहाग मेरे संग मोरचे पर डटे हुए हैं.

मां, एक मोरचा यह युद्धभूमि है, दूसरा मोरचा तुम्हारे यहां है, सिविल में. तुम और राजी उस मोरचे पर लड़ने वालों के लिए काम करोगी, तो हमारे हाथ मजबूत होंगे. देशवासियों का जोश, हमारा जोश है.अच्छा, मां. आदेश आ गया है.

मुझे अपने कुछ जवानों के साथ दुश्मन के ठिकाने पर हमला करना है. तुम्हारा आशीर्वाद मेरे साथ है. पर वादा करो मां, अगर मैं वीरगति पा गया, तो तुम रोओगी नहीं और न ही राजी को रोने दोगी.अच्छा मां, अलविदा, जयहिंद.‘‘कैप्टन रंजीत…’’ ये एड्युडेंट थे.

‘‘यस सर.’’‘‘जाने से पहले कर्नल साहब से मिल लेना. उन के पास आप के लिए आखिरी आदेश बाकी है.’’कैप्टन रंजीत ने ‘हां’ में सिर हिलाया और कर्नल साहब के बंकर की ओर बढ़ गया.‘‘क्या मैं भीतर आ सकता हूं सर?’’‘‘यस, कैप्टन रंजीत.’’

कैप्टन रंजीत बंकर के भीतर चला जाता है और सैनिक ढंग से सैल्यूट करता है.कर्नल साहब ने अपने सामने मैप बिछाए हुए हैं और उस जगह को चैकआउट किए हुए हैं, जिस जगह पर हमला करना है.‘‘कैप्टन रंजीत, तुम मेरी रैजीमैंट के सब से अच्छे अफसरों में से एक हो…’’

कर्नल साहब ने कहना शुरू किया, ‘‘जिस अहम ठिकाने पर तुम्हें हमला करना है, वह ऊंचाई पर है. उस के नीचे से वह सड़क जा रही है, जहां से फर्स्ट लाइट में हमारी पूरी रैजीमैंट ने एडवांस करना है. जिस पर से हमें सुबह गुजर कर जाना है.

‘‘यहां से तुम अटैक नहीं कर सकते. मेन रोड होने के चलते दुश्मन का पूरा ध्यान इसी ओर है. इधर से जाने से तुम्हारी पूरी गतिविधियों को नोट किया जा सकता है.

‘‘दूसरा रास्ता है 35 फुट चौड़ा और 20 फुट गहरा वह बरसाती नाला, जो इस ठिकाने से पीछे हो कर जाता है. रास्ता बहुत बीहड़ है. कांटेदार झाडि़यों से अटा पड़ा है, पर तुम्हें इसी रास्ते को अपनाना है.‘‘एड्युडेंट ने आज उस जगह की रैकी (जासूसी) कर के यह आई स्कैच (दुश्मन के इलाके में घुस कर खास जगह का नक्शा) तैयार किया है.

इसे रख लो, तुम्हारे काम आएगा. तुम्हारे साथ 12 जवान हैं और उन में से 2 ऐसे हैं, जिन्होंने आज की रैकी में हिस्सा लिया था…’’कर्नल साहब बोलतेबोलते एकाएक रुक गए. लगा, जैसे वे एकदम पत्थर की तरह कठोर हो गए हैं.

फिर वे बोले, ‘‘कैप्टन रंजीत, मेरे लिए फर्स्ट लाइट में रैजीमैंट को एडवांस करवाना बहुत जरूरी है. यह तुम्हें याद रखना होगा. मुझे गम नहीं होगा, अगर इस ठिकाने को हासिल करने के लिए तुम्हारे सभी जवान वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं…’’

‘‘यस सर, मैं समझाता हूं सर.’’‘‘ठीक है …मैं वायरलैस पर तुम्हारे आखिरी संदेश का इंतजार करूंगा.’’‘‘यस सर.’’कैप्टन रंजीत सैल्यूट कर के बंकर से बाहर आ गया. बाहर सूबेदार राजू उस का इंतजार कर रहा है.‘‘सर, सभी जवान चलने के लिए तैयार हैं.’’

‘‘चलिए.’’कैप्टन रंजीत और सूबेदार राजू जवानों की ओर बढ़ जाते हैं. अपने अफसरों को आते देख सभी जवान लाइन से खड़े हो जाते हैं. एक बार सभी के चेहरों को गौर से देखने के बाद कैप्टन रंजीत ने कहा, ‘‘एड्युडेंट साहब के साथ आज कौन से 2 जवान रैकी पर गए थे?’’

‘‘मैं नायक मुहम्मद अली… सर.’’‘‘और मैं सिपाही सुजान सिंह… सर.’’‘‘आप दोनों हमें यह बताएं कि रास्ते में जो नाला पड़ता है, वह तैर कर पार किया जा सकता है या नहीं?’’

‘‘सर, इस संबंध में मेरा एक सु?ाव है,’’ नायक मुहम्मद अली ने कहा.‘‘कहो…’’‘‘आई स्कैच के मुताबिक, जहां से नाले को पार करने के लिए एड्युडेंट साहब ने मार्क किया है, वहां आरपार 2 बड़ेबड़े पेड़ हैं.

अगर मेरी कमर से रस्सा बांध दिया जाएगा, तो मैं तैर कर पार जा सकूंगा. दोनों ओर से रस्सा बांध कर मंकी रोप को तैयार किया जा सकेगा.’’‘‘शाबाश नायक अली. तुम्हारी स्विमिंग चैंपियनशिप किस दिन काम आएगी…’’

कैप्टन रंजीत ने कहना शुरू किया, ‘‘मेरे बहादुर जवानो, चलने से पहले जो आखिरी बात मैं आप लोगों से कहना चाहता हूं, वह बहुत खास है. हो सकता है कि इस हमले में दुश्मन के ठिकाने को लेने के लिए हम सब को अपनी जान देनी पड़े.’’

‘‘कहो, नायक अली…’’‘‘मैं दुश्मन को बता दूंगा कि मैं भी पक्का हिंदुस्तानी हूं.’’‘‘और सिपाही ठाकरे?’’‘‘इतिहास गवाह है कि लड़ाई के मैदान में मराठों ने कभी पीठ नहीं दिखाई.’’‘‘और लांस नायक पिल्लै?’’‘‘मैं भी बता दूंगा कि मद्रासी डरपोक नहीं होते.’’

‘‘और सिपाही सुजान सिंह?’’‘‘आज सुजान सिंह अपने दुश्मन पर कहर बन के गिरेगा.’’‘‘शाबाश… आज मेरे साथ पूरा हिंदुस्तान है. जिस देश में आप जैसे बहादुर जवान हैं, उस का कोई बाल बांका नहीं कर सकता…’’

कैप्टन रंजीत ने कहा, ‘‘हम सब नाला पार करने तक इकट्ठे जाएंगे. उस के बाद 2 पार्टियां बनेंगी. 6 जवान मेरे साथ रह कर आगे बढ़ेंगे और 6 जवान सूबेदार राजू के साथ.‘‘और एक बात का ध्यान रहे, सभी जवान मेरे हुक्म के बिना कोई कार्यवाही नहीं करेंगे.

नाला पार करने के बाद आगे के आदेश मिलेंगे… सभी जवान अपनेअपने हथियारों का अच्छी तरह निरीक्षण कर लें. संगीनें चढ़ा लें.’’चलते समय कैप्टन रंजीत ने अपने छोटे से वायरलैस सैट को चैक किया और सभी अपने मकसद की ओर बढ़ने लगे.

मंकी रोप से एकएक कर सभी ने चुपचाप भयानक बरसाती नाला पार कर लिया.कैप्टन रंजीत ने घड़ी की ओर देखा. रात के 3 बजे थे. उन के पास एक घंटा बाकी था.

कर्नल साहब को प्रोसीड सिगनल देने के बाद कैप्टन रंजीत ने जवानों को लाइन फोरमेशन में चलने का संकेत किया. सभी जवान सम?ा गए कि कैप्टन साहब का फैसला उचित ही है कि 2 पार्टियों में बंटने के बजाय इकट्ठा लाइन फोरमेशन में चलना चाहिए, क्योंकि ऊंचाई पर जा कर जगह छोटी हो गई थी.

दुश्मन को दोनों ओर से घेरने का कोई मतलब नहीं था, वह खुद ही तीनों ओर से घिर जाएगा.रास्ता बहुत ही बीहड़ था. कांटेदार झाडि़यों के बीच से गुजरते कैप्टन रंजीत और उस के जवानों के शरीर घायल होते जा रहे थे, परंतु फिर भी वे अपने टारगेट की ओर बढ़ते जा रहे थे… चुपचाप. सुबह 4 बजे के करीब वे अपने टारगेट से केवल 50 गज दूर रह गए.

तभी कैप्टन रंजीत ने अपने जवानों को ठहरने का आदेश दिया और वे खुद थोड़ा पीछे हट कर वायरलैस सैट से उलझ गए. उन की आवाज बहुत ही धीमी थी.‘‘हैलो टाइगर… हैलो टाइगर… ओवर.’’‘‘यस टाइगर स्पीकिंग… ओवर.’’‘‘सर, हम टारगेट से केवल 50 गज पीछे हैं.

लगता है, दुश्मन को अभी तक हमारे आने का पता नहीं है. मैं फायर करने जा रहा हूं सर. मुझे यकीन है कि हम उन पर जल्दी ही काबू पा लेंगे.’’‘‘ओके प्रोसीड. यहां से ठीक आधा घंटे बाद रैजीमैंट मूव करेगी. उस से पहले ही… ओवर.’’‘‘राइट सर… ओवर.

’’कैप्टन रंजीत ने सैट बंद कर दिया और सभी जवानों को और फैल जाने का संकेत किया, जिस से दुश्मन के भागने के एकमात्र रास्ते को पूरी तरह रोका जा सके, क्योंकि वह जानता है आगे 2 सौ फुट नीचे सड़क है.

दुश्मन अगर उस ओर भागता है, तो यह आत्महत्या करने के समान होगा और पीछे वे बैठे हैं.उस ने जवानों को संकेत द्वारा सम?ा दिया कि जैसे ही उस की कारबाइन मशीन से गोलियां निकलें, वे फायर शुरू कर दें.

थोड़ी देर बाद कैप्टन रंजीत की कारबाइन आग उगल रही थी. साथ ही, उन के साथी जवानों की राइफलें भी गूंज उठीं. एकाएक हुए हमले से दुश्मन हड़बड़ा गया. वह पीछे की ओर भागा.

तब कैप्टन रंजीत और उन के साथियों ने उन को संगीनों पर ले लिया.‘चार्ज…’ ‘घोंप…’ ‘निकाल’ की आवाजों के साथ ही ‘भारत माता की जय’ के नारों से पूरा आसमान गूंज उठा.

कैप्टन रंजीत के साथी शहीद होते चले गए. खुद भी दुश्मन की एक गोली से जख्मी हो गए. उन्होंने अपने कर्नल साहब को आखिरी संदेश दिया, ‘‘सर…सर, मां के आशीर्वाद से हम जीत गए हैं.

मेरे एकएक वीर जवान ने दुश्मनों पर कहर ढाया है, फिर वे शहीद हुए. पर…पर, सर, मैं अभी भी देख रहा हूं, 2 दुश्मन मेरी ओर बढ़ रहे हैं. जख्मी होने पर भी मैं उन के लिए काफी हूं.

‘‘सर, आप बेधड़क हो कर रैजीमैंट को मूव करें. अच्छा …अलविदा, सर. जयहिंद.’’‘जयहिंद कैप्टन…’कैप्टन रंजीत को लगा कर्नल साहब का गला भर आया है. उस ने सैट बंद किया और एक कंटीली झाड़ी की आड़ में मोरचा संभाल लिया. दुश्मन ने भी उसे देख लिया था. दोनों ओर से तड़ातड़ गोलियां चलीं और फिर चारों ओर शांति छा गई.

 

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