सोनू एक गरीब घर का बेरोजगार नौजवान था. वह थोड़ाबहुत पढ़ालिखा था. काफी कोशिशों के बाद भी उसे सरकारी नौकरी नहीं मिली, तो मजबूरन अपना गांव छोड़ कर एक शहर में आ गया और प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लगा.

शहर में सोनू किराए के मकान में रहता था. कुछ दिन बाद वहां मकान मालिक की एक रिश्तेदार रेखा रहने के लिए आई. वह बहुत खूबसूरत थी. गोरा रंग, कसा बदन, काले व घुंघराले बाल, बड़ीबड़ी आंखें, कोई भी देखे तो देखता ही रह जाए.

सोनू सुबह उठ कर खाना बनाता, बरतन मांजता और काम पर चला जाता. यह उस का रोज का काम था.

यह देख कर रेखा को बहुत तकलीफ होती थी. कुछ दिन बीत जाने के बाद रेखा ने उस से कहा, ‘‘सोनू, मैं तुम्हारे लिए खाना बना देती हूं.’’

यह बात सोनू को बहुत अच्छी लगी और अब वह रेखा के साथ खाना खाने लगा.

रेखा सोनू से खूब बतियाती थी और मस्ती भी करती थी, लेकिन सोनू कुछ नहीं कहता था. वह सिर्फ हंस कर रह जाता था.

अब सोनू को रेखा बहुत अच्छी लगने लगी थी. एक दिन उस ने हिम्मत कर के रेखा के गाल को छू दिया.

रेखा हंस कर रह गई और कुछ नहीं बोली. सोनू को यह देख कर बहुत अच्छा लगा.

एक दिन जब सोनू काम से वापस आया, तो रेखा ने उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया और खूब जोर से उस के गाल पर काट लिया.

सोनू सिहर कर रह गया और बाहर चला गया. धीरेधीरे दोनों में नजदीकियां बढ़ती गईं.

एक दिन की बात है. सोनू काम से लौटा, तो उस ने देखा कि रेखा दरवाजे पर खूब सजधज कर खड़ी थी. वह सोनू को अंदर नहीं जाने दे रही थी.

सोनू ने भी सोचा कि जो होगा देखा जाएगा. उस ने रेखा को अपनी बांहों में भर कर उस के गाल पर ऐसा काटा कि दांत के निशान बन गए.

रेखा का गाल इतना लाल हो गया कि उस से खून निकल आएगा. उस की आंखों से आंसू निकलने लगे.

रेखा ने सोनू को बहुत डांटा, ‘‘मैं तो तुम्हें दोस्त सम?ाती थी और तुम एकदम निर्दयी निकले.’’

यह सुन कर सोनू शर्मिंदा हो गया. उस ने अपना बिस्तर उठाया और सोने के लिए छत पर जाने लगा.

जातेजाते उस ने रेखा से कहा, ‘‘मुझे माफ कर दो. मैं अब दोबारा तुम्हें कभी नहीं छुऊंगा.’’

छत पर लेटे सोनू की आंखों से नींद कोसों दूर थी. यह कहावत भी सच है कि आग और फूस जब नजदीक होंगे, तो कभी न कभी आग जरूर लगेगी.

रात बीत रही थी. रात के तकरीबन 11 बज रहे थे. रेखा ने अपना मोबाइल फोन चार्ज करने के लिए स्विच बोर्ड में लगाया.

थोड़ी देर बाद रेखा ने सोचा कि क्यों न वह मोबाइल चार्जर से निकाल कर अपने पास रख कर सो जाए. जब वह मोबाइल फोन निकालने लगी, तो उस ने देखा कि वह गरम हो गया था.

रेखा अंदर से दरवाजा धीरेधीरे पीटने लगी. छत पर लेटा सोनू जाग रहा था. वह सीढि़यों से उतर कर दरवाजे के पास आया और बोला, ‘‘रेखा, क्या बात है? इतनी रात को तुम जोरजोर से दरवाजा क्यों पीट रही हो?’’

रेखा ने कहा, ‘‘तुम अंदर आओ, तो बताऊं कि क्या बात है.’’

सोनू अंदर गया, तो रेखा ने कहा, ‘‘सोनू, मेरा मोबाइल फोन बहुत गरम हो गया है.’’

सोनू ने मोबाइल फोन को चार्जर से निकाल कर मेज पर रख दिया और कहा, ‘‘मोबाइल तो ज्यादा गरम नहीं है. थोड़े समय में ठंडा हो जाएगा.’’

फिर वे दोनों एकदूसरे को देखते रहे. सोनू बोला, ‘‘क्या अब मैं छत पर सोने जाऊं?’’

रेखा ने अंगड़ाई ली और कहने लगी, ‘‘अगर तुम नामर्द हो, तो जाओ. अगर मर्द हो, तो मेरा मोबाइल ठंडा कर के जाओ.’’

यह सुन कर सोनू ने दरवाजा अंदर से बंद किया और रेखा को बांहों में भर कर बिस्तर पर ले गया. फिर वे दोनों प्यार के सागर में इतनी बार डूबे कि सुबह कब हुई, पता ही नहीं चला. रेखा का बदन इतना टूट गया था कि उस में उठने की ताकत भी नहीं रही थी.

कुछ दिनों के बाद रेखा अपने गांव चली गई और सोनू को उसी मोबाइल फोन से फोन किया, जो उस रात गरम हो गया था.

फोन पर ही रेखा ने शादी करने का इरादा जताया. उस ने कहा, ‘‘प्यारे सोनू, अब तुम घर चले आओ.’’

सोनू उस के गांव गया और दोनों ने एक मंदिर में जा कर शादी कर ली. इस के बाद वे हंसीखुशी अपनी जिंदगी बिताने लगे.

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