कोमल रसोईघर में खाना बना रही थी कि तभी मां ने आवाज दी, ‘‘कोमल, पापा को पानी पिला दे. बुखार से उन के होंठ सूख रहे होंगे.’’
कोमल कटोरीचम्मच ले आई और पापा को थोड़ा सा पानी पिला दिया.
पापा के पैर दबाते हुए मां ने कहा, ‘‘जरा अलमारी में देखना कि कितने पैसे रखे हैं. तुम्हारे पापा की दवा खत्म हो गई है.’’
कोमल ने देखा कि अलमारी में तो इतने पैसे भी नहीं थे कि एक वक्त की दवा आ सके. वह परेशान हो गई कि अब क्या करे? किसी से मदद मिलने की कोई उम्मीद भी नहीं थी, क्योंकि उन्होंने पहले ही बहुत लोगों से कर्ज ले रखा था.
अचानक कोमल को अपने पापा के पुराने दोस्त सूरज अंकल का खयाल आया. किसी जमाने में वे दोनों अच्छे दोस्त थे, पर पता नहीं किसी वजह से उस के पापा ने सूरज अंकल से दोस्ती तोड़ ली थी.
कोमल उसी वक्त सूरज अंकल के घर चल पड़ी.
सूरज घर में अकेले थे. अचानक कोमल को देख कर वे चौंक गए. कुछ समय पहले एक छोटी सी बच्ची दिखने वाली कोमल आज खिलती कली सी खूबसूरत लग रही थी. उस की निखरती जवानी को देख कर सूरज का चेहरा खिल उठा.
जब कोमल ने बताया कि उस के पापा की तबीयत ज्यादा खराब है और वह मदद के लिए आई है, तो उस की मजबूरी में सूरज को अपनी हैवानियत की जीत नजर आ रही थी.
उस ने कोमल से कहा, ‘‘चलो, मैं किसी एटीएम से पैसे निकाल कर तुम्हें दे देता हूं.’’
इस के साथ ही वे दोनों गाड़ी में बैठ कर घर से निकल पड़े. रास्ते में सूरज ने कोमल के साथ छेड़खानी करनी चाही.
कोमल को अपने पिता की उम्र के शख्स से इस तरह के घटिया बरताव की उम्मीद नहीं थी. लिहाजा, वह गुस्से में गाड़ी से उतर गई.
सूरज ने बेहूदगी से गाड़ी मोड़ते हुए कहा, ‘‘अगर किसी भी मदद की जरूरत हो, तो एक रात के लिए मेरे पास आ जाना. तुम जो चाहोगी, मैं दे दूंगा.’’
कोमल ने नफरत से मुंह फेर लिया था. अब वह समझ चुकी थी कि उस के पापा ने यह दोस्ती क्यों तोड़ी थी.
खुद को बेबस महसूस करती कोमल भारी कदमों से घर की ओर चल पड़ी. घर पहुंचते ही उस के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई, क्योंकि उस के पापा इस दुनिया से जा चुके थे.
मां कोमल को देखते ही बिलख उठीं, ‘‘तू कहां चली गई थी बेटी? देख, तेरे पापा हमें छोड़ कर चले गए.’’
मां रो रही थीं. तीनों छोटे भाईबहन भी रो रहे थे. कुछ पड़ोसी भी आ गए थे. पर कोमल की आंखों में आंसू नहीं थे. वह तो जैसे पत्थर हो गई थी.
वह सोच रही थी कि जब घर में दवा के लिए पैसे नहीं हैं, तो पिता के अंतिम संस्कार के लिए पैसे कहां से आएंगे?
अब कोमल की इज्जत और पिता का अंतिम संस्कार तराजू के दो पलड़ों में तुल रहे थे और पिता के अंतिम संस्कार का पलड़ा भारी रहा. कोमल चल दी सूरज के पास, अपने वजूद का अंतिम संस्कार करने के लिए.
सुबह होने से पहले कोमल पैसे ले कर लौट आई थी. उस के पिता का अंतिम संस्कार अच्छी तरह से हो गया. कुछ दिनों के खाने का भी इंतजाम हो गया था, लेकिन फिर वही चिंता कि छोटे भाईबहनों की पढ़ाई और खानेपीने का खर्च कहां से आएगा?
सूरज ने कोमल को नौकरी दिलाने का भरोसा दिया था. शर्त वही थी एक रात. बूढ़ी मां, भाईबहन की जरूरतों को पूरा करने के लिए कोमल ने अपने सपनों की आहुति दे दी और सूरज के पास चली गई.
सूरज ने कोमल को अपने ही दफ्तर में नौकरी पर रख लिया. अब जब भी सूरज चाहता, कोमल को बुला लेता. न चाहते हुए भी कोमल इस दलदल में फंसती चली गई.
कोमल की मां कुछकुछ समझ रही थीं, पर विरोध नहीं कर पाती थीं, क्योंकि वे जानती थीं कि बिना पैसों के गुजारा करना मुश्किल था.
धीरेधीरे कोमल के दोनों भाइयों ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली और कोमल की मदद से ही दोनों ने अपने अलगअलग कारोबार शुरू कर लिए.
कोमल की छोटी बहन की भी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी. उस के स्वभाव और खूबसूरती को देखते हुए उसी के कालेज के प्राध्यापक ने शादी का प्रस्ताव भेजा. कोमल को भी यह रिश्ता अच्छा लगा. सो, चट मंगनी पट ब्याह हो गया.
कोमल बड़ी थी. मां ने उस से शादी करने के लिए कहा, पर वह चुप रही. वह जानती थी कि जिस दलदल में वह फंस चुकी है, अब उस से बाहर नहीं निकल सकती.
सूरज अब कोमल के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताता था, इसलिए उस ने एक फ्लैट ले लिया था. वह अब उस की इज्जत करता था. अकसर उस के लिए तोहफे लाता, कभीकभी बाहर भी घुमाने ले जाता.
कोमल खूबसूरत तो थी ही, अच्छे रहनसहन और महंगे कपड़ों ने उस के रूप को और भी निखार दिया था. वक्त के साथसाथ कोमल ने अपनी अदाओं से लोगों का दिल जीतना भी सीख लिया था.
एक दिन कोमल को मौडलिंग करने का औफर मिला. बस, फिर क्या था. एक के बाद एक नए औफर आने लगे और कोमल मिस काम्या के नाम से मशहूर हो गई.
बहुत से रईस नौजवान लड़के मिस काम्या के दोस्त बन गए थे. वह उन को अपने इशारों पर नचाती थी.
मिस काम्या के कई मौडल दोस्तों को उस को इतनी ऊंचाइयों पर देख कर जलन होती थी.
अब अकसर पार्टियां होती रहतीं और नौजवान लड़के लड़कियां अपनी ख्वाहिशें भी पूरी करते और पैसों की बरसात भी होती रहती.
मिस काम्या किसी भी लड़की को अपने धंधे में लाने का मोटा कमीशन लेती थी. बड़े घरों की बिगड़ी लड़कियों के खर्चे भी ज्यादा होते थे, जो मिस काम्या की वजह से आसानी से पूरे हो जाते थे.
मिस काम्या अब कोमल को पूरी तरह भूल गई थी. घर में भी सब उस को इज्जत की निगाह से देखते.
मिस काम्या खुश थी कि अब उस ने भी जीना सीख लिया था.