उस बड़े शहर से दूसरे शहर जाने के लिए बस से तकरीबन एक घंटा लगता था. दोनों शहरों के बीच जीटी रोड पर कई कसबे आते थे, जहां बस थोड़ी देर रुक कर फिर चलती थी.इस बड़े शहर से मैं एक प्राइवेट बस में बैठ गया. बस खचाखच भरी हुई थी. बड़े शहर से तकरीबन आधे घंटे की दूरी पर एक मशहूर कसबा आता था. वहां बस 5 मिनट के लिए रुकती थी.
बस रुकी और कुछ मुसाफिर उतरे, तो कुछ चढ़े. भीड़ फिर उतनी की उतनी.ड्राइवर की सीट की पिछली सीट पर बैठी एक औरत ने शोर मचा दिया, ‘‘मेरा पर्स चोरी हो गया है… मेरे पास ही एक औरत खड़ी थी, उस ने ही मेरा पर्स चोरी किया है.’’ड्राइवर ने कहा, ‘‘मैं ने उस औरत को पर्स ले जाते हुए देखा है. मैं उस औरत को पहचानता हूं. वह इस बस में पहले भी आतीजाती रही है. लेकिन अब क्या किया जा सकता है? वह औरत तो पर्स ले कर रफूचक्कर हो गई है.
‘‘बहनजी, आप अपने पर्स का ध्यान नहीं रख सकती थीं क्या? आप के पास 2 बैग और भी हैं. इतना सामान उठाए फिरती हो, चोरी तो होनी ही थी.’’उस औरत ने रोंआसी आवाज में कहा, ‘‘भाई साहब, मैं तो पहले से ही बहुत परेशान हूं. मेरे पोते का आज शाम औपरेशन होना है.
मैं ने इधरउधर के रिश्तेदारों से उधार ले कर औपरेशन के लिए पैसे पूरे किए थे. उस पर्स में 20 हजार रुपए थे. मैं गरीब मारी जाऊंगी. हाय, अब मैं क्या करूं?’’बस के सभी मुसाफिरों की उस औरत के साथ हमदर्दी थी, पर अब किया क्या जाए? कौन दे उस को इतनी बड़ी रकम?बस चल पड़ी और 5 मिनट के बाद अगले चौक पर बस मुसाफिरों को लेने के लिए रुकी.
अचानक ड्राइवर की नजर उस औरत पर जा पड़ी, जिस ने पर्स चोरी किया था. वह पर्स पकड़े सड़क पार कर रही थी.ड्राइवर ने फुरती से उतर कर उस औरत को पकड़ लिया. बस से कई मुसाफिर भी उतर पड़े. चारों ओर शोर मच गया कि चोरनी पकड़ी गई.बस ड्राइवर ने उस औरत को पकड़ कर बस में बैठा लिया और पर्स उस औरत को दे दिया, जिस का था.
सारे रुपए पर्स में ही थे.पर्स वाली औरत ने ड्राइवर का लाखलाख शुक्रिया अदा किया. उस की आंखों में खुशी ?ालकने लगी.ड्राइवर ने बस पुलिस स्टेशन पर ला खड़ी की. मुसाफिर भी तमाशा देखने के लिए नीचे उतर पड़े कि अब इस चोरनी की खूब मरम्मत होगी.ड्राइवर ने उस चोरनी को थानेदार के सामने पेश करते हुए कहा, ‘‘जनाब, इस औरत ने बस में एक औरत का पर्स चोरी किया है,
जो इस से बरामद हुआ है,’’ साथ ही उस ने थानेदार को सारी कहानी सुना दी.थानेदार ने अपनी आंखें टेढ़ी करते हुए उस औरत की ओर ध्यान से देखा और कहा, ‘‘हां, तो तुम ने चोरी की है. इसे उस बरामदे में बैठा दो.’’थानेदार का गुस्सा सातवां आसमान छूने लगा था.
उस ने अपने मोटे पेट की बैल्ट ठीक करते हुए सभी मुसाफिरों को बस में बैठने को कहा. सभी मुसाफिर थानेदार का चढ़ा हुआ गुस्सा देख कर बस में बैठ गए.थानेदार ने पर्स वाली औरत और ड्राइवर को बहुत इतमीनान से सम?ाते हुए कहा, ‘‘देखो, बेवजह कोर्टकचहरी के चक्कर में पड़ोगे, तारीखें भुगतोगे, क्या फायदा? आप का पर्स मिल गया है.
आप के पूरे पैसे मिल गए हैं और क्या लेना आप को?‘‘इस औरत को अपना पर्स ले कर जाने दो. इस बेचारी को अस्पताल पहुंचना है. ‘‘बहनजी, आप जाइए. बैठिए बस में, हम अपनी कार्यवाही कर लेते हैं.’’पर ड्राइवर ने जोर दे कर कहा, ‘‘जनाब, इस इलाके की दूसरी बसों में भी कई चोरियां हुई हैं. इस औरत से कई और चोरियां पकड़ी जा सकती हैं. यह एक पूरा गैंग होगा. आप अर्जी रजिस्टर करें.’’एक शख्स ने कहा, ‘‘गवाही हम देंगे, आप पूरा गैंग पकड़ो.’’आखिरकार जब थानेदार की कोई तरकीब काम नहीं आई, तो वह सम?ा गया कि अब केस रजिस्टर करना ही पड़ेगा.
उस ने ड्राइवर और उस शख्स को थोड़ी दूर ले जा कर सम?ाया, ‘‘देखो यार, हमें भी समाज में जीना है. क्या करें, हमारी भी कई बार मजबूरी होती है.‘‘हमारी भी इज्जत का सवाल है, अर्जी रहने दो… बात यह है कि यह औरत, जिस ने चोरी की है, थाने में रोटी बनाती है. ‘‘छोड़ो, आप को क्या लेना? पूरे पैसे मिल गए न आप को. छोड़ो, अब जाने दो.’’